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सजग होइए!—2020
g20 अंक 3 पेज 12-13
एक भारतीय औरत एक बुज़ुर्ग गोरी औरत को सहारा दे रही है और वे दोनों सीढ़ी चढ़ रहे हैं। भारतीय औरत के हाथ में दूसरी औरत की साग-सब्ज़ियाँ हैं।

प्यार कीजिए

समस्या की जड़

जब हमें कोई बीमारी लग जाती है, तो उससे छुटकारा पाने में काफी वक्‍त लग सकता है। कुछ उसी तरह अगर हमारे अंदर भेदभाव की भावना घर कर ले, तो उसे दिल से निकालने में वक्‍त लग सकता है। इस बीमारी का क्या इलाज है?

पवित्र शास्त्र की सलाह

तसवीरें: 1. एक अश्‍वेत आदमी के हाथ में कॉफी के कप हैं और एशिया का एक आदमी उसके लिए दरवाज़ा खोल रहा है। 2. वही अश्‍वेत आदमी अपने साथ काम करनेवालों को कॉफी दे रहा है। वह उस भारतीय औरत को भी कॉफी दे रहा है जो एक और तसवीर में है।

“प्यार का पहनावा पहन लो क्योंकि यह पूरी तरह से एकता में जोड़नेवाला जोड़ है।”​—कुलुस्सियों 3:14.

इससे हम क्या सीखते हैं? जब आप किसी के लिए भले काम करते हैं, तो आपके बीच प्यार बढ़ने लगता है। और आप जिससे प्यार करते हैं, भला उससे नफरत कैसे कर सकते हैं?

आप क्या कर सकते हैं?

तसवीरें: 1. एक भारतीय औरत एक बुज़ुर्ग गोरी औरत को सहारा दे रही है और वे दोनों सीढ़ी चढ़ रहे हैं। भारतीय औरत के हाथ में दूसरी औरत की साग-सब्ज़ियाँ हैं। 2. वह बुज़ुर्ग गोरी औरत अपने पड़ोसी के लिए बिस्कुट लायी है। यह एशिया का वही आदमी है जो एक और तसवीर में है।

सोचिए कि आप एक ऐसे समाज के लोगों के लिए क्या कर सकते हैं जिनके बारे में लोगों की गलत राय है। अपना प्यार ज़ाहिर करने के लिए आपको बहुत बड़े-बड़े काम करने की ज़रूरत नहीं। आप आगे बताए तरीकों से भी ऐसा कर सकते हैं:

भलाई के छोटे-छोटे काम करके आप धीरे-धीरे भेदभाव मिटा पाएँगे

  • उस समाज के लोगों के साथ तहज़ीब से पेश आइए। जैसे आप बस में उन्हें अपनी सीट दे सकते हैं या अगर उस समाज का कोई व्यक्‍ति आपके लिए कुछ करे, तो आप उसे शुक्रिया कह सकते हैं।

  • उनका हाल-चाल पूछिए, भले ही वे आपकी भाषा न बोलते हों।

  • अगर वे कुछ ऐसा करें जो आपको अजीब लगे, तो झुँझला मत उठिए बल्कि उनके साथ प्यार से पेश आइए।

  • अगर वे आपको अपनी समस्याएँ बताएँ, तो ध्यान से सुनिए और उनसे हमदर्दी रखिए।

बदली सोच, बदली ज़िंदगी: नैज़री (अफ्रीका)

“पहले मुझे ऐसे लोग पसंद नहीं थे जो मेरे देश में आकर बस गए थे। मैनें सुना था कि वे सरकार से झूठ बोलकर पैसा ऐंठते हैं और खतरनाक किस्म के होते हैं, इसलिए मैं उनसे नफरत करती थी। मुझे कभी नहीं लगा कि मैं उनसे भेदभाव कर रही हूँ, क्योंकि सब लोग उनके बारे में ऐसा ही सोचते थे।”

“बाद में मुझे समझ में आया कि मैं मन-ही-मन उनसे भेदभाव कर रही हूँ। फिर मैंने बाइबल की सलाह मानी और अपनी सोच बदली। अब मैं उनसे किनारा नहीं करती, बल्कि उनसे बात करने की कोशिश करती हूँ। उनसे मिलना-जुलना अब मुझे अच्छा लगने लगा है।”

“मैं अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहती थी”

रफीका मौरिस।

रफीका अन्याय से लड़ने के लिए एक क्रांतिकारी गुट से जुड़ गयी थी। फिर एक दिन वह यहोवा के साक्षियों के अधिवेशन में गयी। वहाँ उसने देखा कि अलग- अलग जाति के लोगों के बीच कितना प्यार है। रफीका को इसी की तलाश थी!

रफीका मौरिस: मैं अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहती थी  नाम का वीडियो देखें। इसके लिए jw.org पर जाएँ और खोजें बक्स में इसका शीर्षक टाइप करें।

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