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  • जीवों की बनावट से क्या पता चलता है?
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g21 अंक 3 पेज 6-7
खमीर कोशिका के अंदर की तसवीर।

खमीर की कोशिका बहुत जटिल होती है। इसके केंद्रक (न्यूक्लियस) में डी.एन.ए. होता है। इस कोशिका में बहुत-से काम होते हैं और वह भी कायदे से, जैसे फैक्टरी में मशीनें काम करती हैं। यह कोशिका अपने अंदर अणुओं (मॉलिक्यूल) को छाँटती है, उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाती है और ज़रूरत के हिसाब से उनमें कुछ फेरबदल करती है, इसीलिए यह ज़िंदा रहती है।

जीवों की बनावट से क्या पता चलता है?

सिर्फ पृथ्वी ऐसा ग्रह है जहाँ जीव पाए जाते हैं। यहाँ तरह-तरह के पेड़-पौधे और जीव-जंतु हैं, जिस वजह से यह सबसे खूबसूरत ग्रह है। आज हम जीवों के बारे में पहले से कहीं ज़्यादा जानते हैं। जैसे, ये किस तरह बढ़ते हैं, एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं और किस तरह अपने जैसे जीवों को जन्म देते हैं। इनकी बनावट से क्या पता चलता है? सबकुछ कैसे आया? आइए जानें।

जीवों की बनावट से लगता है कि इन्हें रचा गया है। जैसे एक इमारत कई ईंटों से मिलकर बनती है, वैसे ही एक जीव कई कोशिकाओं से मिलकर बनता है। कोशिका एक छोटी फैक्टरी जैसी होती है, जिसमें हज़ारों काम होते हैं और वह भी बहुत पेचीदा। इसी वजह से जीव ज़िंदा रहते हैं और दूसरे जीवों को जन्म दे पाते हैं। छोटे-से-छोटे जीव की कोशिका में भी ऐसे काम होते हैं जो हमारी समझ से बाहर हैं। यीस्ट या खमीर को ही लीजिए। इसका हर अंश अपने आप में एक छोटा-सा जीव है जो सिर्फ एक कोशिका से बना होता है। यह कोशिका इंसान की कोशिका के मुकाबले शायद बहुत साधारण नज़र आए, पर इसकी बनावट बहुत जटिल होती है। खमीर की कोशिका के केंद्रक या नाभिक (न्यूक्लियस) में डी.एन.ए. होता है। इस कोशिका में बहुत-से काम होते हैं और वह भी कायदे से, जैसे फैक्टरी में मशीनें काम करती हैं। यह कोशिका अपने अंदर अणुओं (मॉलिक्यूल) को छाँटती है, उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाती है और ज़रूरत के हिसाब से उनमें कुछ फेरबदल करती है। इसीलिए कोशिका ज़िंदा रहती है। जब इसका खाना खत्म हो जाता है, तो यह कुछ काम बंद कर देती है और निष्क्रिय हो जाती है, मानो गहरी नींद में चली गयी हो। इसी को सूखा खमीर कहते हैं और इसे लंबे समय तक रखा जा सकता है। इसे फिर से सक्रिय किया जा सकता है और भटूरे वगैरह बनाए जा सकते हैं।

वैज्ञानिक सालों से खमीर की कोशिका का अध्ययन कर रहे हैं ताकि वे इंसान की कोशिकाओं को और अच्छे से समझ पाएँ। लेकिन खमीर के बारे में अब भी बहुत-सी बातें वे समझ नहीं पाए हैं। मशीन इंटेलिजेन्स के प्रोफेसर रॉस किंग ने कहा, ‘खमीर एक मामूली-सा जीव है, लेकिन इसमें जो काम होते हैं, उन्हें समझने के लिए हमें अभी-भी बहुत-से प्रयोग (एक्सपेरीमेंट) करने हैं। अगर दुनिया के सारे जीव-वैज्ञानिक भी ये प्रयोग करें, तो भी वे शायद समझ नहीं पाएँगे कि यह कोशिका कैसे काम करती है।’ रॉस किंग स्वीडन की चालमर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी के प्रोफेसर हैं।

खमीर एक छोटा-सा जीव है, पर इसमें भी इतने सारे जटिल काम होते हैं। इसकी बनावट देखकर आपको क्या लगता है, क्या यह जीव अपने आप बन गया? या फिर किसी ने इसे बनाया?

जीव से ही जीव निकल सकता है। इंसान की हर कोशिका में 320 करोड़ न्यूक्लियोटाइड होते हैं। ये छोटे-छोटे अणु हैं जिनसे मिलकर डी.एन.ए. बनता है। डी.एन.ए. में न्यूक्लियोटाइड एक खास क्रम में होते हैं। इससे कोशिका को एंज़ाइम और प्रोटीन बनाने के निर्देश मिलते हैं।

यह करीब-करीब नामुमकिन है कि न्यूक्लियोटाइड अपने आप सही क्रम में बैठ जाएँ और डी.एन.ए. बन जाए। वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर न्यूक्लियोटाइड अरबों-खरबों बार (10150 बार यानी 1 के बाद 150 शून्य) एक क्रम में बैठें, तब जाकर डी.एन.ए. के खुद-ब-खुद बनने की गुंजाइश हो सकती है।

आज तक वैज्ञानिक किसी भी प्रयोग से साबित नहीं कर पाए हैं कि एक बेजान चीज़ से कोई जीव खुद-ब-खुद बन सकता है।

इंसान सभी जीवों से अलग है। सिर्फ हम इंसान ही ज़िंदगी का पूरा-पूरा मज़ा ले पाते हैं। हमारे पास तरह-तरह के हुनर होते हैं, हम रिश्‍ते-नाते बना पाते हैं और अपनी भावनाएँ दूसरों को बता पाते हैं। जानवर ऐसा नहीं कर सकते। हम तरह-तरह के खाने चख पाते हैं, उनकी खुशबू ले पाते हैं, सुंदर नज़ारों, रंगों और गीत-संगीत का आनंद ले पाते हैं। हम इंसानों में ही यह जानने की इच्छा होती है कि अच्छी ज़िंदगी कैसे जीएँ और अच्छे कल के लिए क्या करें।

कहा जाता है कि जीवों के ज़िंदा रहने और बच्चे पैदा करने के लिए जो भी ज़रूरी था, वह समय के चलते उनमें अपने आप आ गया। पर ज़रा सोचिए अभी हमने जिन बातों का ज़िक्र किया, जैसे नज़ारों और गीतों का मज़ा लेने की काबिलीयत, यह सब तो ज़िंदा रहने और बच्चे पैदा करने के लिए ज़रूरी नहीं है। फिर यह सब इंसानों में क्यों है? कहीं ऐसा तो नहीं कि ईश्‍वर ने हमें इस तरह बनाया है क्योंकि वह हमसे प्यार करता है?

खमीर की कोशिकाओं का अध्ययन करनेवाला रोबोट ऐडम

ऐडम एक छोटी वैन जैसा दिखता है। इसके हाथ हैं, इसमें एक फ्रीज़र, कैमरा, सेंसर और चार कंप्यूटर भी हैं। यह पेचीदा मशीन खमीर की कोशिकाओं पर प्रयोग करने के लिए बनायी गयी है। ये प्रयोग बहुत मुश्‍किल होते हैं, लेकिन यह मशीन बिना किसी की मदद के इन्हें कर लेती है।

एक वैज्ञानिक ऐडम नाम के रोबोट के पास खड़ी है जिसे खमीर की कोशिकाओं का अध्ययन करने के लिए बनाया गया है।

अगर कोई कहे कि ऐडम नाम का रोबोट अचानक अपने आप बन गया, इसे किसी ने बनाया नहीं, तो क्या आप यकीन करेंगे? शायद नहीं। जीवों में पायी जानेवाली एक सरल कोशिका भी एक रोबोट से कहीं ज़्यादा जटिल होती है। अगर रोबोट को किसी ने बनाया है, तो जीवों की कोशिका के बारे में आप क्या कहेंगे?

प्रकृति में पाए जानेवाले जीवों की लाजवाब बनावट पर ध्यान दीजिए। jw.org/hi पर जाइए और “क्या इसे रचा गया था?” नाम के लेख और वीडियो खोजिए।

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