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  • सोच-समझकर पैसे खर्च कीजिए

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  • सोच-समझकर पैसे खर्च कीजिए
  • सजग होइए!—2025
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सजग होइए!—2025
g25 अंक 1 पेज 6-9
तसवीरें: 1. एक पति-पत्नी टेबल पर बैठकर अपने खर्चों का हिसाब लगा रहे हैं और पास रसोई में उनकी बेटी कुछ कर रही है। 2. टेबल पर कुछ बिल और रसीदें रखी हैं। उन पर एक फोन रखा है, जिसमें कैलक्यूलेटर खुला हुआ है।

महँगाई आसमान छू रही है

सोच-समझकर पैसे खर्च कीजिए

जब महँगाई बढ़ती है तो हम सब परेशान हो जाते हैं। हमें समझ नहीं आता कि हम क्या करें। लेकिन ऐसे में भी आप कुछ कदम उठा सकते हैं और अपने हालात सुधार सकते हैं।

ऐसा करना क्यों ज़रूरी है?

अगर आप सोच-समझकर पैसे खर्च ना करें, तो आपकी पैसों की समस्या बढ़ सकती है। और इससे आपकी चिंताएँ भी बढ़ सकती हैं। भले ही आपके पास कम पैसे हों, तब भी आप उनका सही इस्तेमाल करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।

आप यह कैसे कर सकते हैं?

जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाइए। अगर आप अपनी आमदनी के हिसाब से पैसे खर्च करें, तो आपकी चिंता कम होगी। आपके हाथ में दो-चार पैसे भी बचेंगे जिसे आगे चलकर आप ज़रूरत पड़ने पर खर्च कर सकते हैं।

इसलिए ज़रूरी है कि आप एक बजट बनाएँ। देखिए कि आपकी आमदनी कितनी है और फिर उस हिसाब से तय कीजिए कि आप कितना पैसा कहाँ खर्च करेंगे। यह पक्का कीजिए कि आप सिर्फ उन चीज़ों पर खर्च करें जो वाकई में ज़रूरी है। और जब आपकी आमदनी बदलती है या चीज़ों के दाम बदलते हैं, तो दोबारा देखिए कि किन चीज़ों पर आप कितना खर्च करेंगे। और हाँ, अगर आप शादीशुदा हैं तो कोई भी फैसला लेने से पहले अपने साथी से बात कीजिए।

इसे आज़माकर देखिए: उधारी में या EMI (ईएमआई) पर चीज़ें खरीदने के बजाय हो सके तो उसी वक्‍त पैसा देकर खरीदिए। कुछ लोगों ने पाया है कि ऐसा करने से वे अपनी आमदनी में रहकर खर्च कर पाते हैं, यहाँ तक कि कर्ज़ से भी बच पाते हैं। इसके अलावा, वक्‍त निकालकर अपना बैंक पासबुक या स्टेटमेंट देखिए। इससे आपको पता चलेगा कि आपके खाते में कितना पैसा आया, कितना निकला और अब आपके पास कितना बचा है। इस जानकारी से शायद आपकी चिंता कम होगी।

खर्चे कम करना शायद आपको मुश्‍किल लगे। लेकिन अगर आप सोच-समझकर खर्च करें और अच्छा हिसाब-किताब रखें, तो आपको काफी मदद मिल सकती है। यहाँ तक कि पैसों को लेकर आप ज़्यादा परेशान भी नहीं रहेंगे।

‘खर्च का हिसाब लगाओ।’—लूका 14:28.


अपनी नौकरी बचाइए। इसके लिए आप कई कदम उठा सकते हैं। जैसे, काम के लिए वक्‍त पर पहुँचिए। काम के बारे में अच्छा सोचिए। कड़ी मेहनत कीजिए। आगे बढ़कर दूसरों की मदद कीजिए। सबकी इज़्ज़त कीजिए। काम की जगह पर नियम मानिए और अपने हुनर निखारने की कोशिश कीजिए।


पैसा बरबाद मत कीजिए। खुद से पूछिए, ‘क्या मैं अपना पैसा बेकार की चीज़ों पर या बुरी आदतों में उड़ा देता हूँ?’ बहुत-से लोग अपनी मेहनत की कमाई ड्रग्स, जुए, सिगरेट या शराब में लुटा देते हैं। इन बुरी आदतों की वजह से उनकी सेहत भी खराब हो जाती है और वे अपनी नौकरी भी खो देते हैं।

“सुखी है वह इंसान जो बुद्धि हासिल करता है,. . . बुद्धि पाना चाँदी पाने से बेहतर है।”—नीतिवचन 3:13, 14.


ज़रूरत की घड़ी के लिए पैसे बचाइए। हो सके तो कुछ पैसा बचाकर रखिए ताकि अचानक कोई बड़ा खर्चा या मुश्‍किल आने पर वह पैसा आपके काम आ सके। जैसे, आप या आपके परिवार में कोई बीमार पड़ सकता है, आपकी नौकरी छूट सकती है या कुछ और बुरे हालात उठ सकते हैं। ऐसे में अगर आपने कुछ पैसे बचाए हों तो आपको चिंता नहीं होगी।

“मुसीबत की घड़ी किसी पर भी आ सकती है और हादसा किसी के साथ भी हो सकता है।”—सभोपदेशक 9:11.

पैसे बचाने के सुझाव

सिक्कों से भरी काँच की एक बोतल।

बाहर से ज़्यादा घर का बना खाना खाइए

अकसर बाहर खाना या बाहर से खाना मँगाना महँगा पड़ सकता है। यह सच है कि घर पर खाना बनाने में काफी वक्‍त और मेहनत लगती है, लेकिन इससे आपका काफी पैसा बच सकता है। और खाना पौष्टिक भी होगा।

समझदारी से करें खरीदारी

  • ऐसा मत कीजिए कि जो दिखा बस खरीद लिया। इसके बजाय, एक लिस्ट बनाइए और लिस्ट में दी चीज़ें ही खरीदिए।

  • हो सके तो कुछ चीज़ें ज़्यादा मात्रा या थोक में लीजिए, यह ज़्यादा सस्ता होगा। पर ध्यान रखिए कि अगर वे खाने-पीने की चीज़ें हैं, तो उन्हें रखने की आपके पास ऐसी जगह हो जहाँ वे खराब ना हों, वरना आपके पैसे बरबाद हो जाएँगे।

  • ऐसे ब्रैंड की चीज़ें खरीदने की सोचिए जो सस्ती भी हों और अच्छी क्वालिटी की भी हों।

  • ऑनलाइन शॉपिंग आज़माकर देखिए। कभी-कभी वहाँ अच्छी डील मिलती है। अकसर देखा गया है कि जब हम दुकानों या मॉल में जाते हैं, तो जो दिखा उठा लेते हैं। लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग में हम ऐसा करने से बच सकते हैं, क्योंकि हम आसानी से देख पाते हैं कि चीज़ों की कीमत कितनी है और कुल खर्चा कितना होगा।

  • जहाँ सेल लगी हो, अच्छा ऑफर या डिस्काउंट मिल रहा हो, वहाँ से खरीदिए। कूपन है तो इस्तेमाल कीजिए। कोई भी चीज़ खरीदने से पहले अलग-अलग जगहों पर या उसके अलग-अलग ब्रैंड की कीमतों की तुलना कीजिए। कुछ भी खरीदते वक्‍त आप यह भी तुलना कर सकते हैं कि उसे चलाने के लिए कितनी बिजली या ईंधन लगेगा, या फिर उसके रख-रखाव में कितना खर्चा होगा।

नया फोन-टैबलेट खरीदने से पहले दो बार सोचिए

फोन और दूसरी चीज़ें बनानेवाली कंपनियाँ मुनाफा कमाने के लिए लगातार नए-नए मॉडल निकालती रहती हैं। इसलिए कुछ भी खरीदने से पहले खुद से पूछिए, ‘क्या अभी ही नया मॉडल खरीदना ज़रूरी है या पुराने से ही काम चल सकता है? अगर बदलना ही है तो क्या एकदम लेटेस्ट मॉडल लेना ज़रूरी है?’

चीज़ें खराब होने पर फेंकिए मत, उनकी मरम्मत कीजिए

घर की चीज़ें अच्छी हालत में रखिए ताकि वे लंबे समय तक चलें। अगर वे खराब हो जाती हैं और उन्हें ठीक करना सस्ता पड़ेगा, तो उन्हें ठीक कीजिए। और अगर किसी चीज़ को बदलना पड़े, तो आप सेकंड हैंड भी खरीदने की सोच सकते हैं।

फल-सब्ज़ियाँ उगाइए

क्या आप घर पर ही कुछ फल-सब्ज़ियाँ उगा सकते हैं? ऐसा करने से आपके खर्चे कुछ हद तक कम हो सकते हैं। यही नहीं, आप दूसरों को भी फल-सब्ज़ी दे सकते हैं। या फिर आप इनके बदले दूसरे फल-सब्ज़ी ले सकते हैं या इन्हें बेच सकते हैं।

“मेहनती की योजनाएँ ज़रूर सफल होंगी।”—नीति. 21:5.

कुछ क्रेडिट कार्ड।

“हर दिन की चीज़ें खरीदने से पहले भी हम उनकी कीमत देखते हैं। हम इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि हम अपने क्रेडिट कार्ड का ज़्यादा इस्तेमाल ना करें।”—माइल्ज़, इंग्लैंड।

एक नोटपैड, पेन और गाड़ी की चाबियाँ।

“हर बार किराना खरीदने से पहले मेरा पूरा परिवार मिलकर एक लिस्ट तैयार करता है कि हमें किन चीज़ों की ज़रूरत है।”—जेरमी, अमरीका।

एक कैलेंडर और एक कैलक्यूलेटर।

“कुछ भी खरीदने से पहले हम बार-बार देखते रहते हैं कि उसे खरीदना हमारे बस में है या नहीं। इसके अलावा, हम ज़रूरत की घड़ी के लिए भी चार पैसे अलग रखते हैं।”—याएल, इज़राइल।

एक पाना और एक पेंचकस।

“हमने अपने बच्चों को सिखाया कि जब कुछ खराब हो जाए या टूट जाए, चाहे वह गाड़ी हो या घर की कोई चीज़, तो उसकी जगह नया खरीदने के बजाय उसे ठीक कैसे करें। हमारी यह भी कोशिश रहती है कि हम लेटेस्ट मॉडल की चीज़ें ना खरीदें।”—जैफ्री, अमरीका।

“मैं खुद साग-सब्ज़ी उगाता हूँ और कुछ मुर्गियाँ भी पालता हूँ। इससे मेरे कुछ खर्चे कम हो गए हैं। यही नहीं, मैं अपनी कुछ सब्ज़ियाँ दूसरों को भी दे पाता हूँ।”—होनो, म्यानमार।

एक व्यक्‍ति अपने बगीचे से अलग-अलग तरह की सब्ज़ियाँ तोड़ रहा है।
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