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यिप्तह की बेटी डफली बजाती हुई उससे मिलने आ रही है

कहानी 53

यिप्तह का वादा

क्या आपने कभी किसी से ऐसा वादा किया है, जिसे बाद में पूरा करना आपको बड़ा मुश्‍किल लगा हो? इस तसवीर में जो आदमी दिखायी दे रहा है, उसने ऐसा ही वादा किया था। इसीलिए वह इतना दुःखी है। उसका नाम है यिप्तह। वह इस्राएल का एक बहादुर न्यायी था।

यिप्तह के समय में इस्राएलियों ने यहोवा की उपासना करनी छोड़ दी थी। वे फिर से बुरे काम करने लगे थे। इसलिए यहोवा ने अम्मोनी जाति के लोगों को उन पर हमला करने दिया। तब इस्राएली एक बार फिर यहोवा को पुकारकर कहने लगे: ‘हमने पाप किया है। हमें माफ कर दे और हमें बचा ले!’

इस्राएलियों को अपने किए पर पछतावा हुआ। उन्होंने यहोवा से माफी माँगी और फिर से उसकी उपासना शुरू कर दी। तब यहोवा ने एक बार फिर उनकी मदद की।

इस्राएलियों ने यिप्तह को चुना, ताकि वह अम्मोनी जाति के लोगों से लड़ सके। यिप्तह चाहता था कि इस लड़ाई में यहोवा उसकी मदद करे। इसलिए उसने यहोवा से वादा किया: ‘अगर तू मुझे अम्मोनियों पर जीत दिलाएगा, तो वापस जाने पर मेरे घर से जो कोई मुझसे मिलने सबसे पहले आएगा, उसे मैं तुझे दे दूँगा।’

यिप्तह की बेटी जब  उससे मिलने आती है तो वह दुखी हो जाता  है

यहोवा ने यिप्तह की प्रार्थना सुन ली और उसे जीत दिलायी। इसके बाद, जब यिप्तह घर लौटा, तो जानते हैं सबसे पहले उससे मिलने कौन आया? उसकी एकलौती बेटी। बेटी को देखते ही वह छाती पीटने लगा और कहने लगा: ‘हाय मेरी बेटी! तूने यह क्या किया! पर मैंने यहोवा से वादा किया है और मैं उसे तोड़ नहीं सकता।’

जब यिप्तह की बेटी को अपने पिता के वादे के बारे में पता चला, तो पहले वह भी बहुत दुःखी हुई। क्योंकि अपने पिता का वादा पूरा करने के लिए, उसे अपने पिता और सहेलियों को छोड़कर जाना पड़ता। मगर फिर उसने सोचा कि ऐसा करके वह अपनी सारी ज़िंदगी शीलो में रहकर यहोवा के तंबू में सेवा कर सकती है। इसलिए उसने अपने पिता से कहा: ‘अगर आपने यहोवा से वादा किया है, तो आपको उसे ज़रूर पूरा करना चाहिए।’

तब यिप्तह की बेटी अपने पिता और सहेलियों को छोड़कर शीलो चली गयी। वहाँ उसने अपनी बाकी ज़िंदगी यहोवा के तंबू में उसकी सेवा करते हुए बितायी। इस्राएली औरतें उससे मिलने हर साल, चार दिन के लिए जाती थीं और वे सब साथ मिलकर खुशी से समय बिताती थीं। यिप्तह की बेटी को सभी लोग प्यार करते थे, क्योंकि वह पूरे दिल से यहोवा की सेवा करती थी।

न्यायियों 10:6-18; 11:1-40.

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