गीत 11
यहोवा हमारा गढ़
1. यहोवा गढ़ हमारा,
वही है आसरा,
साये में उसके आके
महफ़ूज़ रहें सदा।
वो ख़ुद तुझको छुड़ाएगा,
हर आफ़त से बचाएगा,
यहोवा है सहारा,
धर्मियों को देता पनाह।
2. हज़ारों तब गिरेंगे, हाँ,
तेरे आसपास,
मिटेंगे दस हज़ार भी
होगा ना तेरा नाश।
डरने की ना है कोई बात,
रहेगा वो तब तेरे साथ,
ले लेगा फिर यहोवा,
तुझे अपने पंखों तले।
3. तकलीफ़ें ना आएँगी,
तुझ पे ना मुसीबत,
यहोवा के फ़रिश्ते
करेंगे हिफ़ाज़त।
ना शेरों से तू डरेगा,
साँपों को तू कुचल देगा,
ठोकर ना खाएगा तू,
गर करेगा याह की ख़िदमत।
4. इन वादों के लिए हम
मानें उसका एहसान,
बेदाग़ हम ख़ुद को रखके
करें उसका गुनगान।
तन मन से हम करें भक्ति,
तब देखेंगे याह की शक्ति,
यहोवा है सहारा,
गढ़ है, उस का नाम महान।