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पाठ १२

जीवन और लहू के लिए आदर दिखाना

जीवन (१) गर्भपात (१) के बारे में हमारा दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए?

मसीही कैसे दिखाते हैं कि वे सुरक्षा सचेतन हैं? (२)

क्या पशुओं को मारना ग़लत है? (३)

ऐसे कुछ कार्य कौन-से हैं जो जीवन के लिए आदर नहीं दिखाते? (४)

लहू के बारे में परमेश्‍वर का नियम क्या है? (५)

क्या इसमें रक्‍ताधान शामिल हैं? (६)

१. यहोवा जीवन का स्रोत है। सभी जीवित वस्तुएँ अपने जीवन के लिए परमेश्‍वर की कर्ज़दार हैं। (भजन ३६:९) परमेश्‍वर के लिए जीवन पवित्र है। यहाँ तक कि अपनी माँ के अन्दर एक अजन्मे बच्चे का जीवन भी यहोवा के लिए बहुमूल्य है। ऐसे बढ़ रहे शिशु की इरादतन हत्या करना परमेश्‍वर की नज़रों में ग़लत है।—निर्गमन २१:२२, २३; भजन १२७:३.

२. सच्चे मसीही सुरक्षा सचेतन होते हैं। वे निश्‍चित करते हैं कि उनकी गाड़ियाँ और उनके घर सुरक्षित अवस्था में हैं। (व्यवस्थाविवरण २२:८) परमेश्‍वर के सेवक सिर्फ़ मज़े या रोमांच के लिए अपने जीवन के लिए अनावश्‍यक ख़तरा नहीं मोल लेते। इसलिए वे हिंसक खेलों में भाग नहीं लेते जो जानबूझकर दूसरे लोगों को चोट पहुँचाते हैं। वे ऐसे मनोरंजन से दूर रहते हैं जो हिंसा को बढ़ावा देता है।—भजन ११:५; यूहन्‍ना १३:३५.

३. पशुओं का जीवन भी सृष्टिकर्ता के लिए पवित्र है। एक मसीही भोजन और कपड़ों का प्रबन्ध करने के लिए या ख़ुद को बीमारी और ख़तरे से बचाने के लिए पशुओं की हत्या कर सकता है। (उत्पत्ति ३:२१; ९:३; निर्गमन २१:२८) लेकिन सिर्फ़ खेल या मज़े के लिए जानवरों से दुर्व्यवहार करना या उनकी हत्या करना ग़लत है।—नीतिवचन १२:१०.

४. धूम्रपान करना, सुपारी खाना, और मज़े के लिए नशीले पदार्थ लेना मसीहियों के लिए नहीं है। ये कार्य ग़लत हैं क्योंकि (१) ये हमें अपना दास बनाते हैं, (२) ये हमारे शरीर को हानि पहुँचाते हैं, और (३) ये अशुद्ध होते हैं। (रोमियों ६:१९; १२:१; २ कुरिन्थियों ७:१) इन आदतों को छोड़ना बहुत मुश्‍किल हो सकता है। लेकिन यहोवा को प्रसन्‍न करने के लिए हमारा ऐसा करना ज़रूरी है।

५. लहू भी परमेश्‍वर की नज़रों में पवित्र है। परमेश्‍वर कहता है कि प्राण, या जीवन लहू में है। सो लहू खाना ग़लत है। ऐसे एक पशु का माँस खाना भी ग़लत है जिसमें से लहू अच्छी तरह से निकाला नहीं गया है। यदि एक पशु का गला घोंटा जाता है या वह किसी जाल में फँसकर मर जाता है, तो उसे खाया नहीं जाना चाहिए। यदि उसे भाले या बंदूक से मारा जाता है, और यदि उसे खाया जाना है तो जल्द ही उसका लहू निकालना ज़रूरी है।—उत्पत्ति ९:३, ४; लैव्यव्यवस्था १७:१३, १४; प्रेरितों १५:२८, २९.

६. क्या रक्‍ताधान लेना ग़लत है? याद रखिए, यहोवा माँग करता है कि हम लहू से परे रहें। इसका अर्थ है कि हमें किसी भी तरीक़े से अन्य लोगों के लहू को या ख़ुद अपने लहू को भी जिसे संभालकर रखा गया है अपने शरीर में नहीं लेना चाहिए। (प्रेरितों २१:२५) सो सच्चे मसीही रक्‍ताधान नहीं लेंगे। वे अन्य प्रकार का चिकित्सीय उपचार लेंगे, जैसे कि लहू-रहित उत्पादों का चढ़ाना। वे जीना चाहते हैं, लेकिन वे परमेश्‍वर के नियमों को तोड़कर अपना जीवन बचाने की कोशिश नहीं करेंगे।—मत्ती १६:२५.

[पेज २५ पर तसवीरें]

परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करने के लिए, हमें रक्‍ताधान, बुरी आदतों और अनावश्‍यक ख़तरों से दूर रहना है

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