गीत 39
शांति, हमारी अमानत!
1. शां-ति का ईश्-वर तू याह
ते-री जय क-रें!
युद्-धों को मि-टा-ए-गा
नफ़्-रत ना र-हे।
राज-कुँ-वर है शां-ति का
याह ते-रा बे-टा!
सच की जंग वो जी-ते-गा
ए-का ला-ए-गा!
2. भा-लों और तल-वा-रों को
हम-ने है तो-ड़ा।
चुभ-ने-वा-ली बा-तों को
कह-ना है छो-ड़ा।
माफ़ अ-गर कर-ते र-हें
शां-ति तब फै-ले।
जी-ना सी-खें यी-शु से
उस-की राह च-लें।
3. शां-ति क़ा-यम जो क-रे
बं-दा वो याह का।
आ-ओ फल ने-की का ये
हम क-रें पै-दा।
मिन्-न-तें क-रें अ-गर
याह म-दद क-रे।
ना-मुम्-किन न-हीं ये गर
हम को-शिश क-रें।
(भज. 46:9; यशा. 2:4; याकू. 3:17, 18 भी देखिए।)