गीत 121
संयम रखना ज़रूरी
1. याह से हैं करते हम प्यार बेशुमार,
पर ना हो जो संयम सब होगा बेकार।
भागें पीछे गर ख्वाहिशों के,
पीछा दुखों से फिर ना छूटे।
2. शैताँ बस चाहे हम हारें पाप से,
हमारी कमज़ोरी पे वार वो करे।
लाचार नहीं हम, याह का है साथ,
बरतें संयम तो पाप को दें मात।
3. हमको दिया है याह ने अपना नाम,
रहे नाम वो बेदाग, सदा रखें ध्यान।
कोशिश हमारी ये ही रहे,
जीवन में हरदम संयम रखें।
(1 कुरिं. 9:25; गला. 5:23; 2 पत. 1:6 भी देखें।)