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सन्‌ 1919 में बाइबल विद्यार्थियों का एक अधिवेशन

1919 का यादगार अधिवेशन इस बात का पक्का सबूत था कि परमेश्‍वर के लोग महानगरी बैबिलोन की कैद से छूट गए थे

बक्स 9ख

1919 ही क्यों?

हम ऐसा क्यों कहते हैं कि परमेश्‍वर के लोग महानगरी बैबिलोन की बँधुआई से 1919 में आज़ाद हुए? बाइबल की भविष्यवाणियों और इतिहास की घटनाओं के आधार पर हम ऐसा कहते हैं।

बाइबल की भविष्यवाणियाँ और इतिहास की घटनाएँ, दोनों यही साबित करती हैं कि यीशु ने 1914 से स्वर्ग में राज करना शुरू किया। तब से इस दुनिया के आखिरी दिन शुरू हो गए। यीशु ने राजा बनते ही क्या किया? क्या उसने तुरंत अपने सेवकों को महानगरी बैबिलोन से आज़ाद कर दिया? क्या उसने 1914 में “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को ठहराया और कटाई का महान काम शुरू कर दिया?​—मत्ती 24:45.

सबूतों से पता चलता है कि यीशु ने यह सब 1914 में नहीं किया। याद कीजिए कि प्रेषित पतरस ने लिखा कि न्याय की शुरूआत “परमेश्‍वर के घर” से होगी। (1 पत. 4:17) मलाकी ने भी कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी की थी। उसने कहा था कि यहोवा ‘करार के दूत’ यानी अपने बेटे के साथ अपने मंदिर में आएगा। (मला. 3:1-5) फिर परमेश्‍वर के लोगों को शुद्ध करने और उन्हें परखने का एक दौर चलेगा। क्या ये भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं?

इतिहास यही दिखाता है कि ये भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं। सन्‌ 1914 से 1919 के शुरूआती महीनों तक बाइबल विद्यार्थी (उन दिनों यहोवा के साक्षी बाइबल विद्यार्थी कहलाते थे) कड़ी परीक्षाओं से गुज़रे और उन्हें शुद्ध किया गया। कैसे? उनमें से कई लोग उम्मीद लगाए हुए थे कि 1914 में अंत आ जाएगा। मगर जब ऐसा नहीं हुआ, तो वे निराश हो गए। उन दिनों भाई चार्ल्स टेज़ रसल संगठन की अगुवाई करते थे। जब 1916 में उनकी मौत हो गयी, तो बाइबल विद्यार्थी और भी दुखी हो गए। कुछ लोगों को भाई रसल से बहुत लगाव हो गया था, इसलिए उनकी मौत के बाद जब भाई जोसेफ एफ. रदरफर्ड अगुवाई करने लगे, तो उन्हें अच्छा नहीं लगा और उन्होंने भाई का विरोध किया। सन्‌ 1917 में भाइयों के गुट बन गए और संगठन में फूट पड़ गयी। फिर 1918 में पादरियों के भड़काने पर भाई रदरफर्ड और उनके साथ काम करनेवाले सात भाइयों पर मुकदमा किया गया, गलत इलज़ाम लगाए गए और उन्हें जेल में डाल दिया गया। ब्रुकलिन का विश्‍व मुख्यालय बंद कर दिया गया। इन घटनाओं से पता चलता है कि तब तक परमेश्‍वर के लोग महानगरी बैबिलोन से आज़ाद नहीं हुए थे।

मगर 1919 में क्या हुआ? अचानक सब कुछ बदल गया। उस साल की शुरूआत में ही भाई रदरफर्ड और उन सात भाइयों को जेल से रिहा कर दिया गया। वे तुरंत परमेश्‍वर के काम में जुट गए। कुछ ही समय के अंदर एक अधिवेशन की योजना बनायी गयी जो एक यादगार अधिवेशन बन गया। स्वर्ण युग  (अब सजग होइए! ) नाम की एक नयी पत्रिका निकालने की तैयारियाँ शुरू हो गयीं। यह पत्रिका इस तरह बनायी गयी कि इसे प्रचार अभियान में लोगों को दिया जा सके। इसके अलावा हर मंडली में एक निगरान ठहराया गया ताकि वह प्रचार काम व्यवस्थित करे और उसे बढ़ावा दे। उसी साल बुलेटिन  (अब हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा​—सभा पुस्तिका) प्रकाशित की जाने लगी ताकि प्रचार काम और भी कायदे से किया जा सके।

यह सब अचानक क्यों हुआ? क्योंकि मसीह ने अपने लोगों को 1919 में महानगरी बैबिलोन की कैद से छुड़ाया। उसी साल यीशु ने विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास को ठहराया। कटाई का काम शुरू हो गया और तब से यह काम तेज़ी से बढ़ता जा रहा है।

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