राज्य उद्घोषकों की रिपोर्ट
“उसने जो भी शास्त्रपद पढ़कर सुनाया, वह मेरे दिल को छू गया”
“परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल है,” प्रेरित पौलुस ने कहा। (इब्रानियों ४:१२) यह वियतनाम से आनेवाली एक औरत की ज़िन्दगी में सच साबित हुआ, जो बौद्ध धर्म सीखकर बड़ी हुई थी। यही उसकी कहानी है।
“मेरे माता-पिता, जो अब भी वियतनाम में हैं, बौद्ध धर्म के हैं, इसलिए २२ साल की उम्र में मेरी शादी होने तक मैं बौद्ध धर्म सीखकर ही बड़ी हुई। मेरे पति के परिवार ने मुझ पर कैथोलिक चर्च में बपतिस्मा लेने का दबाव डालने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मेरी मृत सास को इसलिए स्वर्ग में प्रवेश करने से रोका जा रहा था, कि मैं बौद्ध थी! पहले-पहले मैं ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, लेकिन बाद में, उन लोगों को खुश करने के लिए मैं ने बपतिस्मा लिया। बहरहाल, मेरे दिल की गहराइयों में, यह मुझे बेतुका लगा क्योंकि मैं कैथोलिक चर्च के पाखण्ड से घृणा करती थी। यह बौद्ध धर्म से बिलकुल ही अलग न था। यह युद्ध और राजनीति में उतना ही उलझा हुआ था, और दोनों धर्मों में पूर्वजों की पूजा का प्रोत्साहन होता था।
“अगर मैं वियतनाम में ही रही होती, तो मुझे सच्चाई सीखने का ज़्यादा मौक़ा न मिला होता। मैं एक ऐसे समय में बड़ी हुई जब राजनीतिक उथल-पुथल की लहरें दक्षिण वियतनाम में फैली हुई थीं, और मैं एक ऐसे नगर में रहती थी जो साइगॉन शहर से बहुत दूर था। तो बचकर ऑस्ट्रेलिया को जाना सचमुच ही एक आशीर्वाद था।
“नाव पर रहनेवाले शरणार्थियों में मैं ज़रा ज़्यादा भाग्यशाली थी। अपनी बाँहों में मेरी दो-महीने की बच्ची के साथ, मुझे पुलिस से बचने और छोटे मछुवाही नाव पर चढ़ने के लिए अन्धेरे में भागना पड़ा। समुन्दर पर सात दिन रहने के बाद, हम मलेशिया पहुँच गए, जहाँ ऑस्ट्रेलिया आने से पहले हम कुछ महीनों तक एक शरणार्थी शिबिर में रहे।
“ऑस्ट्रेलिया में ढाई साल रहने के बाद, यहोवा के गवाह मुझ से मिले। पहली मुलाक़ात में ही, मैं ने एक नियमित बाइबल अध्ययन स्वीकार किया क्योंकि मैं ने इसे अँग्रेज़ी सीखने का एक बढ़िया मौक़ा समझा। लेकिन उस गवाह का आचरण, जिस ने मुझे ढूँढ़ निकाला और जो सच्चाई उस ने मुझे सिखायी, उस से मैं बहुत ही प्रभावित हुई। उस ने जो भी शास्त्रपद पढ़कर सुनाया, वह मेरे दिल को छू गया, और मैं यहोवा के संघटन में कोई पाखण्ड न देख सकी। डेढ़ साल तक बाइबल का अभ्यास करने के बाद, मैं ने अपना जीवन यहोवा के लिए समर्पित किया और बपतिस्मा लिया।
“मुझे कहना ही पड़ता है कि सच्चाई से ज़िन्दगी के बारे में मेरा सारा नज़रिया बदल गया है। मेरा पति एक अविश्वासी है, लेकिन यहोवा ने मेरे छोटे से परिवार के साथ-साथ मेरी भी मदद करके मुझे सँभाला है। वे मेरे महान् उपदेशक रहे हैं और मुझे एक बेहतर पत्नी और माँ बनना सिखाया है। मैं यहोवा का शुक्रियादा करती रहती हूँ कि उन्होंने मुझे आध्यात्मिक अन्धकार में से निकालकर बाइबल सच्चाई की रोशनी में आने की मदद की है।”
सचमुच, इस स्थिति में परमेश्वर का प्रेरित वचन भलाई के लिए ताक़त साबित हुआ। बाइबल का अभ्यास करने और सीखी गयी बातों पर अमल करने से ज़िन्दगी में सार्थकता और मक़सद आ जाता है और परमेश्वर की नयी दुनिया में अनन्त जीवन पाने का कारण बनता है। जैसे परमेश्वर ने मूसा को यह कहने के लिए प्रेरित किया, “यह तुम्हारे लिए कोई व्यर्थ वचन नहीं, बल्कि तुम्हारा जीवन है।”—व्यवस्थाविवरण ३२:४७.