जल्द ही न कोई बीमारी रहेगी न मृत्यु!
कोई भी बीमार होने में खुशी नहीं पाता, और न ही इंसान मरना चाहते हैं। चिकित्सीय समाज शास्त्र के एक प्राध्यापक दृढ़तापूर्वक कहते हैं: “दीर्घायु के लिए खोज सम्पूर्ण इतिहास में और अधिकांश समाजों में तक़रीबन संसारव्यापी प्रतीत होती है। यह आत्म-परिरक्षण के लिए एक आधारभूत प्रेरकशक्ति से सम्बन्धित है . . . पॉन्स द लियॉन ऐसे इंसानों की लम्बी कतार में सबसे सुप्रसिद्ध व्यक्ति मात्र है, जिन्होंने अपना सारा जीवन दीर्घायु की खोज में बिताया। अधिकांश चिकित्सा-शास्त्र रोग और मृत्यु से मुक़ाबला करने के द्वारा जीवन को अधिक लम्बे समय तक बनाए रखने के लिए समर्पित है।”
मृत्यु हमारे भीतरी स्वभाव को इतना ठेस पहुँचाती है कि जब यह दोस्तों या परिवार के सदस्यों को सर करती है, तब क़रीब-क़रीब स्वाभाविक रूप से हम उसके सदमे को हलका कर देने की कोशिश करते हैं। दुनिया भर के अंतिम संस्कार (Funeral Customs the World Over) नामक किताब में यूँ ग़ौर किया गया है: “ऐसा एक भी समूह नहीं, जो एक छोर पर चाहे कितना ही प्राचीन तथा दूसरी छोर पर चाहे कितना ही सभ्य क्यों न हो, जिसे आज़ाद छोड़ा जाकर और अपने साधन की सीमा में अपने लोगों की लाशों का दफ़न आदि आनुष्ठानिक रूप से नहीं करता। . . . इस से गहरी सार्विक प्रेरकशक्तियाँ तृप्त होती हैं। इसे पूरा करना ‘सही’ लगता है, और इसे पूरा नहीं करना, ख़ासकर उन लोगों के लिए जो परिवार, भावनाएँ, एक साथ रहने, सामान्य अनुभवों या अन्य रिश्तों से जुड़े हुए हैं, ‘ग़लत’ लगता है, एक अस्वाभाविक चूक, एक ऐसी बात जिसके लिए माफ़ी माँगी जानी चाहिए या जिसके कारण शर्म महसूस होना चाहिए। . . . [मानव] एक ऐसा प्राणी है जो अपने मृतकों को आनुष्ठानिक रूप से दफ़नाता है।”
बीमारी और मृत्यु की शुरुआत
इस प्रकार यह विचार प्रभावशाली रूप से आकर्षक है कि एक दिन बीमारी और मृत्यु मिटा दी जाएँगी, लेकिन क्या ऐसे विश्वास के लिए कोई आधार है? ज़रूर है, और यह दोनों तर्कसंगत, भरोसेयोग्य और अचूक है। यह हमारे सृष्टिकर्ता का प्रेरित वचन है—पवित्र बाइबल।
इस किताब में मानव दुःख-तक़लीफ़ की शुरुआत के बारे में स्पष्ट रूप से समझाया गया है। इस में हमें बताया गया है कि पहला इंसान, आदम, परमेश्वर द्वारा सृजा गया और उसे मध्य पूर्व में स्थित किसी जगह में एक परादीस-सा बग़ीचे-समान घर में रखा गया। आदम को परिपूर्ण रूप से सृजा गया; वह बीमारी और मृत्यु के बारे में अनभिज्ञ था। जल्द ही उसे समान रूप से परिपूर्ण पत्नी मिल गयी, और मिलकर उन्हें पृथ्वी पर अनन्त जीवन की प्रत्याशा मिल गयी।—उत्पत्ति २:१५-१७, २१-२४.
यह रमणीय अवस्था बहुत समय तक टिकी नहीं? क्यों? इसलिए कि आदम ने एक ऐसा जीवन-क्रम चुना जो परमेश्वर से आज़ाद था। कड़ा परिश्रम, दर्द, बीमारी, और आख़िरकार मृत्यु इसका परिणाम था। (उत्पत्ति ३:१७-१९) उसकी सन्तानों ने उसी तरह का दुःखी जीवन विरासत में पाया, जो आदम ने चुना था। रोमियों ५:१२ व्याख्या करता है: “जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आयी, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गयी, इसलिए कि सब ने पाप किया।” रोमियों ८:२२ में आगे कहा गया है: “हम जानते हैं कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कहरती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।”
पृथ्वी पर या स्वर्ग में?
फिर भी, बाइबल हमें यक़ीन दिलाती है कि परमेश्वर जल्द ही आज्ञाकारी मनुष्यजाति को वही खुशहाल अवस्था में लौटाएँगे, जो आदम और हव्वा ने गँवा दिया था। प्रकाशितवाक्य २१:३, ४ में कहा गया है: “परमेश्वर आप उनके साथ रहेगा। और वह उन की आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी, पहली बातें जाती रहीं।” उसी तरह एक प्राचीन भविष्यद्वक्ता ने उस समय का पूर्वदर्शन किया जब “कोई निवासी न कहेगा कि ‘मैं रोगी हूँ।’”—यशायाह ३३:२४.
क्या आप एक ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं जिस में अस्पताल, मुर्दाघर और क़ब्र न होंगे? क्या आप दुःख-तक़लीफ़ और मृत्यु के ख़तरे से भी मुक्त, हमेशा के लिए ज़िन्दा रहने की कल्पना कर सकते हैं? जी हाँ, परमेश्वर का वादा हमारे भीतर की गहराइयों में बसी जज़बातों को छू जाता है। फिर भी, हमें किस तरह यक़ीन हो सकता है कि यह बढ़िया संभावना—स्वर्ग के लिए नहीं—बल्कि हमारे पृथ्वी ग्रह के लिए है? पूर्वोक्त शास्त्रपदों के संदर्भ पर ग़ौर करें। प्रकाशितवाक्य अध्याय २१ के प्रारंभिक आयत “नए आकाश और नयी पृथ्वी” के बारे में बताते हैं। यह स्पष्ट कर दिया गया है कि परमेश्वर मनुष्यजाति के साथ होंगे और वे उनके लोग होंगे। यशायाह की किताब में दिए गए वादे के बाद, कि कोई बीमार न होगा, ‘देश में बसे हुए’ ऐसे ‘लोगों’ का ज़िक्र किया गया है जिनका “अधर्म क्षमा किया” जा चुका है।
इसलिए ये प्रोत्साहक वादे पृथ्वी पर जीवन का ज़िक्र करते हैं! और ये यीशु की अपने पिता से की प्रार्थना के अनुरूप हैं: “तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।”—मत्ती ६:१०.
क्यों जल्द ही?
यहोवा के गवाहों ने लाखों लोगों को यह समझने की मदद की है कि इन वादों की पूर्ति निकटवर्ती भविष्य में होगी। यद्यपि, उन्हें इस के बारे में इतना यक़ीन होने का क्या आधार है? ऐसे ज़बरदस्त सबूत के आधार पर कि हम पृथ्वी पर की मौजूदा रीति-व्यवस्था, या मामलों के प्रबन्ध के “अन्तिम दिनों” में जी रहे हैं। (२ तीमुथियुस ३:१-५) यीशु के शिष्यों ने एक ऐसे चिह्न की माँग की कि इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति कब होगी। जवाब में यीशु ने अधिक तीव्र होती जा रही विश्व घटनाओं के बारे में तफ़सीलवार पूर्वबतलाया जो १९१४ में पहले विश्व युद्ध की शुरुआत से लेकर घटित हुई हैं।a फिर उस ने यह भी कहा: “जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो, कि वह निकट है, बरन द्वार ही पर है। मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी।” इसलिए १९१४ में जो पीढ़ी ज़िन्दा थी, उस के कुछ लोग मौजूदा रीति-व्यवस्था का अन्त देखने तक ज़िन्दा रहेंगे।—मत्ती २४:३३, ३४.
उस समय यहोवा परमेश्वर अपने पुत्र, मसीह यीशु को बढ़ने और इस सुन्दर पृथ्वी ग्रह पर से दुःख-तक़लीफ़ और दुर्दशा की सभी वजहों को नष्ट करने का अधिकार देंगे। बाइबल बुराई के विलोपन का ज़िक्र “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई” के तौर से करती है, जो कि अरमगिदोन को होगी।—प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६.
परमेश्वर का भय माननेवाले लोगों की एक बड़ी तादाद इस विस्मयकारी स्थिति से बच निकलेंगे और मसीह यीशु की शान्तिपूर्ण हुक़ूमत की शुरुआत होते देखने के लिए ज़िन्दा रहेंगे। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १४; २०:४) हालाँकि उसकी हुक़ूमत स्वर्ग से की जाएगी, उस के लाभदायक फलों का आनन्द वे सभी लोग लेंगे जो पृथ्वी पर जी रहे होंगे—दोनों, अरमगिदोन की लड़ाई के उत्तरजीवी तथा उसके बाद मरणावस्था से पुनरुत्थित किए गए लाखों करोड़ों लोग। यह वादा उस समय एक असलियत बन जाएगी: “जब तक कि वह [मसीह] अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।”—१ कुरिन्थियों १५:२५, २६.
इस प्रकार हम पूरे विश्वास से कह सकते हैं: “जल्द ही न कोई बीमारी रहेगी न मृत्यु!” यह कोई मन के लड्डू नहीं और न ही यह ख़्वाहिशी सोच है। यह यहोवा परमेश्वर का पक्का वादा है, जो ‘झूठ नहीं बोल सकते।’ क्या आप इस आशा पर अपना भरोसा रखेंगे? इस से आप को अनन्त लाभ हो सकता है!—तीतुस १:२.
[फुटनोट]
a मनुष्यजाति अन्तिम दिनों में जी रही है, इसके अधिक सबूत के लिए वॉचटावर बाइबल ॲन्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित, आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं नामक किताब का अठारहवाँ अध्याय देखें।
[पेज 7 पर तसवीरें]
जल्दी ही बीमारी और मृत्यु की जगह सुस्वास्थ्य और अनन्त जीवन होगा