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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1992
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1992
w92 4/1 पेज 30-32

सुसमाचार सुनाने की धुन में लगकर

प्रेरित पौलुस एक ऐसी स्थिति में था जो यहोवा के उन गवाहों के लिए अनजान नहीं है, जो पूरे-समय के सेवक हैं—उसे पैसों की तंगी थी। तो कुरिन्थ में उस ने तंबू बनाने का हीन व्यवसाय शुरू किया, जो उस ने युवावस्था में सीखा था। काम मुश्‍किल था, और तंबू के खुरदरे कपड़े के साथ काम करते करते कभी-कभी उसके हाथों से खून भी निकला होगा। उसकी आमदनी से उसका भरण-पोषण मुश्‍किल से हुआ होगा, लेकिन वह संतुष्ट था, इसलिए कि जब उसका सांसारिक काम हर दिन पूरा होता था, वह अपने व्यवसाय के औज़ारों को नीचे रखकर उस काम में लग जाता था, जो वह कुरिन्थ में करने आया था—उसने सुसमाचार का प्रचार किया!—फिलिप्पियों ४:११, १२.

सब्त के दिन सूरज उगते ही, पौलुस सभाघर की ओर निकल पड़ता। यह सच है कि पौलुस ने पहले “निर्बलता और भय के साथ” अपने कुरिन्थ के रहनेवाले श्रोताओं के पास गया। (१ कुरिन्थियों २:१, ३) लेकिन अपने संदेश के प्रति कुछेक लोगों की प्रतिक्रिया से प्रोत्साहित होकर, पौलुस “हर सब्त के दिन आराधनालय में वाद-विवाद करके यहूदियों और यूनानियों को भी समझाता था।”—प्रेरितों १८:१-४.

कुछ समय के लिए तो पौलुस अंशकालिक रूप से प्रचार करने के अलावा कुछ और न कर सका। फिर सीलास और तीमुथियुस मकिदुनिया से एक उदार दान लेकर आए जिस से उसकी ‘घटी पूरी हुई।’ (२ कुरिन्थियों ११:९; फिलिप्पियों ४:१५) और इस बात से भी प्रोत्साहन मिला कि थिस्सलुनीकिया में रहनेवाले भाई उत्पीड़न के बावजूद स्थिर खड़े थे।—१ थिस्सलुनीकियों ३:६.

इसका पौलुस पर कैसा असर रहा? “पौलुस वचन सुनाने की धुन में लगकर [“अपना सारा समय प्रचार कार्य में गुज़ारकर,” द जेरूसलेम बाइबल; टुडेज़ इंग्लिश वर्शन], यहूदियों को गवाही देता था कि यीशु ही मसीह है।” (प्रेरितों १८:५) कुछ समय के लिए आर्थिक दबावों से मुक्‍त होने की वजह से, पौलुस अब आराम न कर सका जब तक कि उसने पूरे-समय का प्रचार कार्य शुरू न किया। उस ने बड़े जोश से यह कार्य फिर से शुरू किया, न सिर्फ़ यहूदियों को सुसमाचार सुनाते हुए लेकिन उस ने अपनी पहली उत्प्रेरित पत्री को लिखने के लिए भी समय लिया—थिस्सलुनीकियों के नाम पत्री!

आज हमारे लिए एक आदर्श

कुरिन्थ में पौलुस के उत्साही काम का वृत्तान्त सुरक्षित रखा गया है ताकि इस से सभी मसीहियों को सुसमाचार सुनाने की धुन में लगे रहने के लिए प्रोत्साहन मिले। पौलुस ने जाना कि खुद प्रभु यीशु ने ही अपने शिष्यों को “जगत की ज्योति” होने का उच्च सम्मान प्रदान किया था। उन्हें इस ज्योति को छिपाना नहीं था। यीशु ने उन से कहा: “तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करे।” (मत्ती ५:१४-१६) इसका मतलब यीशु द्वारा पूर्वबतलाए गए प्रचार कार्य में पूर्ण हिस्सा लेना था। (मत्ती २४:१४; २८:१९, २०; प्रेरितों १:६-८) राज्य के इस सुसमाचार का प्रचार मसीही मण्डली के अस्तित्व का मुख्य कारण था।

पौलुस के जैसे, प्रारंभिक मसीहियों ने इस प्रचार काम को गंभीरतापूर्वक लिया। इस प्रकार, जब परमेश्‍वर के दुश्‍मनों ने सोचा कि “जीवन के कर्त्ता” की क्रूर रूप से हत्या करके उन्होंने सच्ची ज्योति बुझा दी थी, उसके अनुयायियों ने उत्साह से प्रचार करते हुए, जगत की ज्योति के तौर से काम को जारी रखा। (प्रेरितों ३:१५) उत्पीड़न ने भी उनकी कोशिशों को नहीं दबाया। बाइबल के वृत्तान्त में बताया गया है: “और प्रतिदिन मन्दिर में और घर घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से, कि यीशु ही मसीह है न रुके।” (प्रेरितों ५:४२) कुछ भी उन्हें रोक न सका!

आधुनिक समय में, मसीही उसी तरह गवाही देने के कार्य की धुन में लगे हैं। १९वीं सदी के आख़री हिस्से तक, परमेश्‍वर के वचन के अध्यवसायी विद्यार्थियों ने दूसरों को बाइबल की सच्चाइयाँ बताने की ज़रूरत समझी। ज़ायन्ज़ वॉच टावर ट्रैक्ट सोसाइटी को—एक ऐसा संघटन जो विस्तार में अंतर्राष्ट्रीय बन चुका है—१८८४ में निगमित किया गया। इन बाइबल विद्यार्थियों ने, जो १९३१ से यहोवा के गवाहों के नाम से जाने जाते हैं, परमेश्‍वर के वचन के ज्ञान से इस पृथ्वी को अक्षरशः भर दिया है। उनका इस कार्य की धुन में लगे रहने के परिणामस्वरूप चालीस लाख से ज़्यादा लोगों का एक बड़ा समूह इकट्ठा हुआ है! और यहोवा के निर्देशन के अधीन इनकी संख्या बेशक बढ़ती जाएगी।—यशायाह ६०:२२.

क्या आप अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं?

यीशु ने कहा: “पक्के खेत तो बहुत हैं पर मज़दूर थोड़े हैं।” (मत्ती ९:३७, ३८) १९९० में तक़रीबन एक करोड़ लोग मसीह की मृत्यु के स्मरण समारोह में उपस्थित हुए। एक बढ़े हुए विश्‍व फ़सल के लिए इस में कितनी बढ़िया संभावना मौजूद है! पर इस निरन्तर विस्तारण में हर्ष मनाते समय, हर एक व्यक्‍ति को अपने आप से पूछना चाहिए, “मैं इस शानदार कार्य में किस हद तक हिस्सा ले रहा हूँ? क्या मैं ऐसा नियमित रूप से कर रहा हूँ—अगर संभव हो तो हर हफ़्ते?’

प्राचीनों को “झुंड के लिए आदर्श” के रूप में इस काम में अगुवाई करनी चाहिए। (१ पतरस ५:३) यह सच है कि अधिकांश प्राचीनों की सांसारिक नौकरियाँ हैं। कुरिन्थ में रहते वक़्त प्रेरित पौलुस की भी नौकरी थी। फिर भी, उस ने नियमित प्रचार कार्य के लिए समय निकाला। आज अनेक प्राचीन उसी तरह सप्ताहान्तों पर आध्यात्मिक क्रियाकलाप की धुन में लगे हैं। इस से मण्डली के सभी लोगों पर एक शक्‍तिशाली और प्रोत्साहक असर हो सकता है। कुछेक महीनों में जब एक विशेष कोशिश की जाती है, काफ़ी मण्डलियों के अधिकांश प्रचारक पायनियर सेवा में लगे होते हैं। इसका रहस्य? प्राचीन दोनों प्रचार कार्य में और क्षेत्र सेवा के प्रबन्धों को व्यवस्थित करने में अगुवाई करते हैं।

उसी तरह सहायक सेवक भी मण्डली पर एक हितकर प्रभाव हो सकते हैं, अगर वे नियमित रूप से क्षेत्र सेवा में हिस्सा लेंगे। याद रखिए, धर्मशास्त्रों में यह आवश्‍यक है कि वे “गंभीर, . . . सेवक का काम अच्छी तरह से” कर सकनेवाले हों। (१ तीमुथियुस ३:८, १३) क्षेत्र सेवा में विश्‍वसनीयता अत्यावश्‍यक है अगर किसी भाई को एक प्राचीन या सहायक सेवक के तौर से योग्य ठहरना है।—तीतुस १:८, ९.

पौलुस के जैसे, कुछ लोग अपने सांसारिक काम को घटाकर इस प्रकार पायनियर कार्य शुरू कर सकते हैं। नियमित, सहायक, और ख़ास पायनियरों की संख्या, सिर्फ़ दस ही साल पहले की संख्या, १,३७,८६१ से बढ़कर १९९० में ५,३६,५०८ बन चुकी है। बेशक, सिर्फ़ यहोवा के आशीर्वाद और अनुमोदन से ही ये सब हो सका होगा। यद्यपि, पायनियरों को यह सावधानी बरतनी चाहिए कि वे न सिर्फ़ समय की गिनती करें, लेकिन समय को गिनती में लाएँ। पायनियर, क्या आप सेवकाई के लिए अच्छी तरह से तैयार और प्रभावकारी हैं? क्या आप अपने आप को सतत सुधारने की कोशिश करते हैं ताकि आपकी सेवकाई सचमुच ही फलवान्‌ होगी?

एक सन्तुलित सेवकाई के प्रतिफल

क्या आप हर महीने द वॉचटावर और उसकी साथी पत्रिका, अवेक! में पेश की जानेवाली जीवन-पोषक जानकारी के लिए आभारी हैं? बेशक आप हैं। क्या आपकी क़दरदानी ने आपको इन पत्रिकाओं के वितरण में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया है? बोत्स्वाना में रहनेवाली एक बहन ने ऐसा किया। वह पहले सच्चाई का विरोध करती थी, लेकिन उसके पति ने उसे पत्रिकाओं में से पढ़कर सुनाया। कुछ समय के बाद उसने अपने विचार बदल डाले और वह एक गवाह बन गयी। हालाँकि वह पढ़ नहीं सकती, वह पत्रिकाएँ देने में बहुत ही सफ़ल है, यह कहते हुए: “मुझे पढ़ना नहीं आता, लेकिन मेरे पति मुझे ये पत्रिकाएँ पढ़कर सुनाते हैं। मुझे ये बहुत ही अच्छी लगती हैं, और मुझे यक़ीन है कि आपको भी लगेंगी।”

क्यों न इस प्राणरक्षक कार्य में एक हफ़्तेवार हिस्सा लें? ज्यों ही आप में आध्यात्मिक योग्यताएँ आ जाएँ, मसीही मण्डली आपकी मदद करने के लिए खुश होगी। बहरहाल, पत्रिकाएँ देना, सेवा का सिर्फ़ एक ही पहलू है। जो कोई सुसमाचार सुनाने की धुन में लगा रहता है, वह इस कोशिश में रहता है कि उसकी सेवकाई सन्तुलित हो। मिसाल के तौर पर, वॉच टावर सोसाइटी करोड़ों की तादाद में जिल्दवाली किताबें प्रकाशित करती है, और इन्हें जनता को अच्छे आध्यात्मिक भोजन के एक अधिक स्थायी सूत्र के तौर से पेश किया जाता है। क्या आप अपनी सेवकाई में इतना कुशल बन चुके हैं कि आप यू कॅन लिव फॉरेवर इन पैराडाइस ऑन अर्त जैसी किताबें दे सकें?

और उन लोगों का क्या किया जाए जो दिलचस्पी दिखाते हैं? क्या आप अच्छे घर-घर के रिकार्ड रखते हैं ताकि आप वापस जाकर उन से पुनःभेंट कर सकते हैं? ऐसी भेंटों से आप सेवा के एक ऐसे पहलू में शुरू हो सकते हैं जिस से सबसे ज़्यादा आनन्द प्राप्त होता है—गृह बाइबल अध्ययन कार्य। याद रखें, मत्ती २८:१९, २० में यीशु ने हमें आज्ञा दी कि हम “शिष्य बनाएँ, उन्हें बपतिस्मा दें।” इसका मतलब है कि हमें उनके साथ बाइबल का अभ्यास करना होगा। यह सच है कि बाइबल अध्ययन शुरू करने में अकसर अध्यवसाय ज़रूरी होता है। एक गवाह किसी प्रौढ़ दम्पति से मिला जो एक गृह बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए हार्दिक रूप से राज़ी हो गए। लेकिन लगातार तीन हफ़्तों तक उन्होंने अध्ययन को स्थगित किया। आख़िरकार अध्ययन को शुरू कर दिया गया। फिर, कुछ समय के लिए, दम्पति ने तक़रीबन हर दूसरे हफ़्ते अध्ययन को रद्द किया। फिर भी, अन्त में पत्नी ने बपतिस्मा की हद तक प्रगति की। “बपतिस्मा लेने के बाद,” वह भाई याद करता है, “उसकी आँखें खुशी की आँसुओं से भर गयीं, जिस से दोनों मेरी पत्नी और मेरी आँखें भी भर आयीं।” जी हाँ, सुसमाचार सुनाने की धुन में लगे रहने से वर्णनातीत खुशी प्राप्त होती है!

काम में लाए जाने के लिए खुद को तैयार रखो!

यीशु मसीह और प्रेरित पौलुस ने भक्‍ति की बढ़िया मिसालें पेश की हैं, जिनका हम अनुकरण कर सकते हैं। और आधुनिक समय में यहोवा के गवाहों के बीच हमारे पास अनेक उत्तम मिसालें मौजूद हैं। यह वक़्त पक्का है कि सुसमाचार जाननेवाले सभी लोगों को इसे दूसरों को सुनाने में पूर्ण रूप से सक्रिय बनें। बाइबल हमें आश्‍वासन देती है कि ऐसा सारा परिश्रम “व्यर्थ नहीं है।”—१ कुरिन्थियों १५:५८.

पौलुस की तरह, अधिकांश लोगों को आर्थिक ज़िम्मेदारियाँ हैं। इसकी वजह से, अनेक लोग पायनियर काम नहीं कर सकते। लेकिन यहोवा की मदद से, सभी लोग रोमियों १२:११ में दी गयी अच्छी सलाह पर अमल कर सकते हैं: “प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरे रहो; प्रभु [यहोवा, N.W.] की सेवा करते रहो।” और अगर परिस्थितियाँ इस तरह बदल जाती हैं जिस से यहोवा की सेवा में अधिक समय बिताया जा सके, तो जो कोई यहोवा से सचमुच प्रेम रखता है, पौलुस के जैसे, इस मौक़े को हाथ से जाने न देगा। सुसमाचार सुनाने की धुन में लगे रहो! ऐसा करने से न सिर्फ़ अभी आशीषें प्राप्त होंगी, लेकिन भविष्य में इसका परिणाम अन्तहीन आनन्द और खुशी के साथ अनन्त जीवन होगा!—मत्ती १९:२८, २९.

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