पूरब और पश्चिम, यहोवा अपने लोगों को शक्ति देता है
उन क्षेत्रों में जहाँ प्रचार कार्य पर प्रतिबन्ध लगा हुआ है, उन प्रदेशों में जो हिंसा से ग्रस्त हैं, और उन देशों में जहाँ हाल ही में प्रतिबन्ध हटाया गया है—सचमुच, पूरे संसारव्याप्त क्षेत्र में—यहोवा अपने गवाहों को “असीम सामर्थ” प्रदान करना जारी रखता है।—२ कुरिन्थियों ४:७.
प्रतिबन्ध के अधीन समृद्धि
दूर पूरब के एक द्वीपसमूह में, प्रचार कार्य पर अब १७ सालों से प्रतिबन्ध है। क्या गवाह निरुत्साहित हो गए हैं? बिलकुल नहीं! इस पिछली मई में, उन्होंने १०,७५६ प्रकाशकों का एक नया शिखर प्राप्त किया, जिनमें से १,२९७ पूर्ण-समय सेवकों के रूप में कार्य कर रहे थे। ज्यों-ज्यों संसार की परिस्थितियाँ बिगड़ती जाती हैं, द्वीप के लोग सत्य सुनने के लिए पहले से भी ज़्यादा प्रवृत्त हैं। इसलिए वे दिलचस्पी रखनेवाले लोगों के घरों में १५,६५४ बाइबल अध्ययन संचालित करने की रिपोर्ट दे रहे हैं। इससे पहले, २५,३९७ लोग सभाओं में उपस्थित हुए जो गुप्त रूप से यीशु की मृत्यु के स्मारक के लिए आयोजित की गई थीं।
जब “ईश्वरीय शिक्षा” ज़िला अधिवेशन—दुबारा सूझ-बूझ के साथ स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार—हुए तब भाई लोग स्थानीय भाषा में उन नई रिलीज़ों की अपनी प्रतियाँ प्राप्त करने के लिए आनन्दित थे जो अमरीका में की गई थीं। अनुवादकों, प्रूफ शोधकों, और अन्य लोगों ने अधिक समय काम करने के लिए स्वेच्छा दिखाई थी ताकि वे लोग मुख्य रिलीज़ को, जिसमें सैकड़ों पृष्ठ हैं, समय पर तैयार कर सकें। और एक बाहर का छापाख़ाना, जो सहयोग देने के लिए इच्छुक था, छपाई और जिल्द चढ़ाने का सुन्दर काम करने के लिए ख़ुश था। अधिवेशन में उपस्थित लोग हज़ार से ज़्यादा रंगीन तस्वीरों वाले इस प्रकाशन को प्राप्त करने के लिए आनन्दित थे। अनेक सरकारी अधिकारी यहोवा के गवाहों का आदर करते हैं, और विरोध मुख्यतः मसीहीजगत के पादरीवर्ग से आता है। आशा की जाती है कि जल्द ही प्रतिबन्ध हटा दिया जाएगा।
अमरीकी देशों के बारे में क्या?
इन पश्चिमी देशों में यहोवा के गवाह साहसपूर्वक अपनी समस्याओं से निपटने के लिए पूरब में अपने भाइयों के साथ संयुक्त हैं, और यहोवा की पवित्र आत्मा कठिन स्थितियों से निकलने में उनकी मदद करती है। उदाहरण के लिए, एक लातीन-अमरीकी देश से यह निम्नलिखित रिपोर्ट लीजिए जहाँ ग़ैर-क़ानूनी नशीले पदार्थों के उत्पादक संघ नियमित रूप से जंगलों में से यात्रा करते हैं।
गवाहों का एक समूह एक पृथक क्षेत्र में एक बस ले गया। जैसे ही वे बस से उतरे, उन्होंने देखा कि एक छोटी बग़ल की सड़क गाँव से बाहर जा रही है। तो बहनों और बच्चों को गाँव में काम करने के लिए भेजने के बाद, वे पाँच भाई देखने निकले कि वह कच्ची सड़क कहाँ जा रही थी। एक भाई बताता है:
“उस सड़क पर दो घंटे चलते हुए रास्ते में बहुत कम घर मिले। फिर, आठ सशस्त्र आदमी सिर पर पगड़ी बाँधे अचानक जंगल में से निकले। कुछ के पास मशीन बन्दूकें थीं, और कुछ के पास छुरे। हम किससे टकरा गए थे? हम पूछने लगे कि वे क्या चाहते थे, लेकिन हम से कहा गया कि चुप रहें और कुछ न बोलें—बस सीधे-सीधे चलते जाएँ। हमने वैसा ही किया! दो घंटे और घने जंगलों में चलने के बाद हम एक साफ़ जगह पहुँचे जो निश्चित ही एक सशस्त्र शिविर था। हर जगह बंदूक लिए पहरेदार थे। बीच में काफ़ी अच्छी तरह बना एक घर था जहाँ हमें ले जाया गया।
“बैठने के बाद हमें एक आदमी ने सम्बोधित किया जो कि स्पष्ट रूप से शिविर का सरदार था। वह साफ़-सुथरे कपड़े पहने हुए, सुशिक्षित, और काफ़ी प्रतिष्ठित था। उसने हमारे भाइयों में से एक की ओर संकेत किया और उस से खड़ा होने के लिए कहा। फिर उस ने भाई से पूछा: ‘आप [हमारे] समूह के बारे में क्या सोचते हैं?’ पूरी तरह जानते हुए कि हम कहाँ थे, भाई ने उत्तर दिया: ‘ख़ैर, हम आपके समूह के बारे में जानते हैं, लेकिन हमें उस में या किसी दूसरे राजनैतिक समूह में दिलचस्पी नहीं है। हमारा यहाँ आने का एकमात्र कारण है मसीह यीशु के द्वारा यहोवा परमेश्वर के राज्य का प्रचार करना। वह जल्द ही इस रीति-व्यवस्था की सभी राजनैतिक सरकारों को नाश कर देगा और इस पृथ्वी पर परादीसीय परिस्थितियों में लोगों के लिए अद्भुत आशिषें लाएगा—ऐसी चीज़ जो कोई मनुष्य या मनुष्यों का समूह नहीं कर सकता।’
“उस आदमी की मनोवृत्ति बदल गई। वह प्रश्न पूछने लगा। ‘आपने यह सब कहाँ सीखा? आपको इस प्रकार बात करने के लिए कैसे तैयार किया गया?’ डेढ़ घंटे तक हम संसार की परिस्थितियों के बारे में एक अच्छी गवाही देने में और यह दिखाने में समर्थ हुए कि बाइबल मानवजाति के लिए एकमात्र आशा की पहचान कराती है। हम ने रोमियों अध्याय १३ भी समझाया—कि हम उन अधिकारियों की आज्ञा पालन करते हैं जो सत्ता में हैं, लेकिन जब यहोवा के वचन और उनके वचन में विरोध होता है, तब हम पहले अपने परमेश्वर, यहोवा की आज्ञा मानते हैं। अन्त में, हम ने उसे वे पुस्तकें प्रस्तुत कीं जो हमारे पास थीं। उस ने उन में से तीन पुस्तकें और एक बाइबल ली, और हम तो हैरान हो गए कि उसने उन के लिए चंदा भी दिया। उस ने कहा कि वह उन्हें पढ़ेगा।
“उसके बाद, उस सरदार ने अपने एक आदमी की ओर इशारा किया कि हमें शिविर से बाहर ले जाए। जल्द ही हम वापस अपने रास्ते पर थे, गवाही के अन्य क्षेत्र में विजय के लिए यहोवा को धन्यवाद दे रहे थे।”
संघर्ष-ग्रस्त अफ्रीका में
दूर पूरब और दूर पश्चिम के बीच में अफ्रीका का महाद्वीप है। जनजातीय युद्धों ने वहाँ कुछ देशों को हिंसा के भँवर में बदल दिया है। लाइबेरिया में, गृह युद्ध के बढ़ने से यहोवा के लोग फिर से बहुत प्रभावित हुए हैं। साल १९९२ के अक्तूबर और नवम्बर महीनों के दौरान राजधानी में और उसके आस-पास लड़ाई हो रही थी। फिर, जैसे-जैसे युद्ध देश में फैलता गया, पूरी कलीसियाएँ छिन्नभिन्न हो गईं क्योंकि भाई बाक़ी की जनता के साथ जंगलों में भाग गए। लेकिन, उनका उत्साह कम नहीं हुआ है। जब वे भाग रहे थे, वे प्रचार करते गए, और इसका परिणाम यह हुआ है कि भीतरी प्रदेश के दूरस्थ भागों में बड़ी गवाही दी गई है।
जिन भाइयों को मजबूरन अपने घर छोड़ने पड़े, उनकी एक कलीसिया ने एक रबड़ के बाग़ान के बीच एक कामचलाऊ राज्यगृह बनाया। मोर्चे के क़रीब एक नगर में, दिन के समय नागरिक लोग हवाई हमले से बचने के लिए पास के रबड़ बाग़ान में भाग जाते। स्थानीय भाइयों ने (जिनमें राजधानी, मोनरोविया से भागे हुए अनेक प्रकाशक सम्मिलित थे) क्षेत्र सेवकाई की व्यवस्था की और वे रबड़ के पेड़ों के नीचे आश्रय लिए हज़ारों लोगों को प्रचार करते हुए नियमित रूप से देखे जा सकते थे! जैसे ही कोई हवाई जहाज़ पास आता, भाई-बहन पास की खाई में कूद जाते और फिर, जब ख़तरा टल जाता तो गवाही देना जारी रखते।
आश्चर्य की बात है कि हज़ार-और-उससे-ज़्यादा कलीसिया प्रकाशक जो अपनी रिपोर्टें संस्था तक पहुँचाने में समर्थ हुए हैं, इन गृह युद्ध परिस्थितियों के बावजूद भी वे मासिक तौर पर क्षेत्र सेवकाई में औसतन १८.१ घंटे बिताते हैं और ३,१११ बाइबल अध्ययन संचालित करते हैं।
अफ्रीका में पिछले चार सालों के दौरान, १८ देशों में यहोवा के गवाहों के कार्य पर से प्रतिबन्ध हटाए गए हैं। और ख़ुशियों की ख़ुशी! मलावी में गवाहों पर अक्तूबर १९६७ में लागू की गयी पाबंदी अगस्त १२ को उठायी गयी। सुसमाचार का गुप्त प्रचार हमेशा उन्नति कर रहा था, लेकिन अब गवाह लोग स्वतंत्रता से आगे बढ़ सकते हैं, हालाँकि उन्हें उत्पीड़कों द्वारा मार डाले गए अपने अनेक प्रिय साथियों का फिर से स्वागत करने के लिए पुनरुत्थान की राह देखनी होगी।
मोज़म्बीक में, अक्तूबर ४, १९९२ में एक शान्ति समझौता लागू हुआ। उन क्षेत्रों तक पहुँचा जा रहा है जहाँ पिछले १६ सालों के विध्वंसक युद्ध के कारण पहले नहीं पहुँचा जा सकता था। कारीओको के क्षेत्र में ३७५ भाई-बहनों से संचार पुनःस्थापित किया गया जिनका पिछले सात सालों के लिए संगठन के साथ सारा संपर्क टूट गया था। मीलन्ज़ में एक ख़ास सम्मेलन दिन आयोजित किया गया। मीलन्ज़ उस ज़िले की राजधानी है जो पहले एक नज़रबन्दी शिविर स्थल और यहोवा के गवाहों की “पुनःशिक्षा” के लिए केंद्र के रूप में जाना जाता था। इनमें से अनेक गवाह मलावी के शरणार्थी थे। आश्चर्य की बात थी कि सम्मेलन में कुल २,९१५ लोग उपस्थित हुए जिसमें नगर प्रशासक भी सम्मिलित था, जिसने यहोवा के गवाहों का स्वागत किया। सो भूतपूर्व “पुनःशिक्षा” केंद्र उस दिन के लिए ईश्वरीय शिक्षा के लिए केंद्र बन गया।
एक मिशनरी लिखता है: “हमारे उन भाइयों के सम्बन्ध में जिन्होंने अपने आपको टेटा प्रान्त में शरणार्थी शिविरों में पाया, यू.एन.एच.सी.आर. (युनाइटेड नेशन्स् हाई कमिशनर फॉर रेफ़्यूजीस्) के एक प्रतिनिधि ने एक दिलचस्प टिप्पणी की। उसने कहा कि यहोवा के गवाहों ने अन्य समूहों से अलग, स्वयं अपने शिविर संगठित किए थे। उसने कहा कि ‘उनका शिविर ही एकमात्र शिविर था जो उचित रीति से चलाया गया था।’ उसने आगे कहा, ‘यहोवा के गवाह साफ़, व्यवस्थित, और शिक्षित हैं।’ फिर उसने मुझे यह ख़ुद देखने के लिए जंगल के पार हवाई जहाज़ में ले चलने का निमंत्रण दिया। जहाज़ में से जहाज़ चालक ने दो शिविरों की ओर इशारा किया। एक टूटा-फूटा और गंदा था, जिसमें बिना कोई योजना किए हुए मिट्टी के घर बहुत पास-पास बने हुए थे। दूसरा शिविर अच्छी तरह योजना करके बनाया हुआ था, जिसमें घर पंक्तियों में बने हुए थे और इन पंक्तियों के बीच सड़कें थीं। घर साफ़-सुथरे दिख रहे थे, और आंगन बुहारे हुए थे। कुछ घर तो घर में बने रंग से रंगे हुए भी थे। जहाज़ चालक ने कहा, ‘बूझिए कि कौनसा शिविर आप लोगों का है?’ इस शिविर में भाइयों से मिलना मेरे लिए बहुत आनन्द की बात थी। इस गवाह गाँव में अब आठ कलीसियाएँ हैं।”
‘गरुड़ के देश’ में
नहीं, यह अमरीकी गरुड़ नहीं है! पूरब और पश्चिम के बीच एक यूरोपीय देश है, अल्बेनिया, राजभाषा में उसके नाम श्कीपरीआ का अर्थ है “गरुड़ का देश।” हाल ही में, इस देश में यहोवा के गवाहों पर ५०-सालों के क्रूर प्रतिबन्ध को हटाया गया है, और वे अपनी उपासना की स्वतन्त्रता के आनन्द में पूरब से और पश्चिम से अपने भाइयों के साथ संयुक्त होने में समर्थ हैं। वे सचमुच ‘अवसर को बहुमोल समझ रहे हैं।’ (इफिसियों ५:१६) अल्बेनिया के इतिहास में पहला सम्मेलन, एक एक-दिवसीय सम्मेलन, राजधानी, तिराना के नैशनल थियेटर में रविवार, मार्च २१ को आयोजित किया गया। शनिवार दोपहर को ७५ गवाह स्वयंसेवकों ने टूटे-फूटे सभा स्थान को एक चमकते, साफ़ सम्मेलन गृह में बदल दिया। प्रबन्धक देख कर दंग रह गए। और इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि उन ७५ स्वयंसेवकों में से सिर्फ़ लगभग २० बपतिस्मा-प्राप्त थे!
मौसम बहुत सुहावना था। ज्यों-ज्यों समुद्रपार के प्रतिनिधि आते गए, उनका अभिवादन ज़्यादातर इशारों और गले लगाने के द्वारा किया गया, जिसने ख़ास सम्मेलन दिन को बहुत ख़ास बना दिया। आकाश की ओर हाथ उठाए हुए, भाई नाशो डोरी ने प्रार्थना से आरम्भ किया। उसका बपतिस्मा १९३० में हुआ था और वह अब लगभग पूरी तरह अन्धा है। कार्यक्रम अल्बेनियन भाषा में प्रस्तुत किया गया, उसका अधिकांश भाग विदेशी ख़ास पायनियरों ने प्रस्तुत किया। जब ४१ नए भाई-बहन बाहर ताल की ओर जाने लगे जो भेंट कर रहे यूनानी भाइयों ने कृपापूर्वक स्थानीय राज्यगृह में लगाया था, तब जो ५८५ लोग उपस्थित थे उन्होंने एक गीत गाया, “मसीही समर्पण”—यह उन छः गीतों में से एक है जिनका अनुवाद सम्मेलन के लिए अल्बेनियन में किया गया था। क्या ही परिवर्तन! पहले, अपने पास बाइबल रखने का अर्थ था मज़दूर शिविर में भेज दिया जाना, और सभाएँ दो या तीन व्यक्तियों के समूहों तक सीमित थीं।
सम्मेलन के अगले दिन, वॉच टावर दफ़्तर को थियेटर के निर्देशक से एक फ़ोन आया। आम तौर पर वह इस बात में दिलचस्पी नहीं लेता कि कौन थियेटर को इस्तेमाल कर रहा है। वह सहायक निर्देशक का कार्य है। लेकिन उसने कहा: “मैं फ़ोन करके आपको शुक्रिया कहना ही चाहता था। मैं ने पहले कभी इस जगह को इतना साफ़ नहीं देखा। यदि मुझ से इसका वर्णन करने को कहा जाए तो मैं कहूँगा कि कल हमारे थियेटर पर आकाश से हवा उतरी थी। कभी-भी आपको हमारी सहूलियतों को इस्तेमाल करना हो, तो कृपा करके फिर आइएगा, और हम आपका नम्बर पहला रखेंगे। जानते हैं, हमें चाहिए कि हर तीसरे महीने आपको बिना किराया लिए बुलाएँ।”
गवाह शक्ति पाकर और आभारी होकर अपने-अपने नगरों को लौट गए और उन्होंने यीशु की मत्यु के स्मारक के लिए तैयारी करनी शुरू कर दी। मात्र १५ दिन बाद, मंगलवार अप्रैल ६ को, पहला खुला स्मारक सात स्थानों पर आयोजित किया गया।
बराट नगर में, सभा उपस्थिति बढ़कर क़रीबन १७० हो गई है, और स्थानीय पादरी आग बबूला हो रहा है। बराट में ३३ राज्य प्रकाशकों में से २१ ने उस सम्मेलन में बपतिस्मा लिया। बराट ने रिपोर्ट दी कि ४७२ लोग स्मारक में उपस्थित हुए। अन्य स्मारक उपस्थितियाँ भी उल्लेखनीय थीं, अधिकांशतः इसलिए कि ख़ास पायनियरों ने अच्छी अगुवाई ली है।
अल्बेनिया के नगर, श्कोडर में, जहाँ सबसे ज़्यादा कैथोलिक लोग हैं और एक बड़ा गिरजा है, गिरजे ने एक मासिक समाचार पत्र छापना शुरू किया, और हर अंक में बताया गया है कि “यहोवा के गवाहों से कैसे दूर रहा जाए।” पिछले अंक ने कहा: “यहोवा के गवाहों ने श्कोडर पर आक्रमण कर दिया है!” वहाँ दो गवाहों की बड़ी सेना ने स्मारक के लिए ७४ सुशील और विचारशील लोगों को इकट्ठा किया। स्मारक भाषण सुनने के बाद, १५ परिवारों ने गृह बाइबल अध्ययन माँगे। एक और नगर, डरस में, जहाँ चार गवाहों की सेना है, उपस्थिति शानदार ७९ थी।
कैथोलिक युवाओं द्वारा विरोध के कारण, जिन्होंने गवाहों को पत्थर मारकर भगाने की धमकी दी, कालमेटी ए फोगल के पहाड़ी गाँव में स्मारक सभा को हटाकर एक स्थानीय भाई के घर में रखा गया, जहाँ २२ लोग शान्तिपूर्वक उपस्थित हुए। इस समूह में पाँच प्रकाशक हैं, जिनमें से तीन ने तिराना के सम्मेलन में बपतिस्मा लिया।
व्लोरी में दो जवान आदमियों ने प्रहरीदुर्ग की एक प्रति प्राप्त की, उसे पढ़ा, और संस्था को लिखा: “जो सत्य हम ने प्रहरीदुर्ग से सीखा है उसके कारण अब हम अपने आप को यहोवा के गवाह कहते हैं। कृपया हमें मदद दीजिए।” दो ख़ास पायनियरों को वहाँ नियुक्त किया गया, और इन दो जवान आदमियों में से एक जल्द ही प्रकाशक बनने के योग्य हो गया। वह व्लोरी में स्मारक के लिए उपस्थित ६४ लोगों के बीच होने में ख़ुश था।
एक अल्बेनियन भाई जिसने अमरीका में सत्य सीखा १९५० के दशक में अपने स्थानीय नगर, गिरकास्टर को लौटा, जहाँ उसने अपनी मृत्यु तक जिस हद तक संभव था सेवा की। उसने सत्य के बीज अपने पुत्र के हृदय में बोए। जब प्रतिबन्ध हटाया गया, इस पुत्र ने वॉच टावर संस्था को मदद के लिए लिखा। एक और दिलचस्पी रखनेवाले व्यक्ति ने भी, जो यहाँ से थोड़ा उत्तर की ओर एक गाँव में रहता है, मदद के लिए लिखा था, सो वहाँ चार ख़ास पायनियर भेजे गए। स्मारक के बाद बुधवार को, उनमें से एक ने तिराना में संस्था के दफ़्तर फ़ोन किया: “मैं आप को बताए बिना नहीं रह सकता था कि यहोवा की आत्मा ने कितना कुछ किया है। हम इतने ख़ुश हैं। स्मारक सफल रहा।” उपस्थिति १०६ थी, जिसमें उनके सात राज्य प्रकाशकों का समूह सम्मिलित था।
कुल स्मारक उपस्थिति क्या थी? साल १९९२ में, जब मात्र ३० राज्य प्रकाशक थे, उपस्थिति ३२५ थी। वर्ष १९९३ में, १३१ प्रकाशकों ने १,३१८ लोगों को इकट्ठा किया था। दोनों सालों में, उपस्थिति प्रकाशकों की संख्या से दस गुना ज़्यादा रही है। इतने कम समय में ‘छोटे से छोटे को एक हज़ार बनते’ देखना कितना उत्तेजक है!—यशायाह ६०:२२.
“रस्सियों को लम्बी कर”
जैसे-जैसे यहोवा के गवाहों का प्रचार कार्य पृथ्वी के कोने-कोने में फैलता जा रहा है, यह पुकार हो रही है: “अपने तम्बू का स्थान चौड़ा कर, और तेरे डेरे के पट लम्बे किए जाएं; हाथ मत रोक, रस्सियों को लम्बी और खूंटों को दृढ़ कर। क्योंकि तू दहिने-बाएं फैलेगी।” (यशायाह ५४:२, ३) परमेश्वर के “डेरे” में यह फैलाव—जो उसके उपासकों की विश्वव्याप्त कलीसिया में चित्रित होता है—सचमुच पूर्वी यूरोप में, ख़ासकर भूतपूर्व सोवियत संघ के देशों में स्पष्ट दिखता है। दशकों के दमन के दौरान अपने सेवकों को बनाए रखने के बाद, यहोवा अब संगठन को फैलाने और मज़बूत करने के लिए अपने गवाहों को आवश्यक सामर्थ दे रहा है।
मॉस्को, रूस में, लॉकॉमटीफ़ स्टेडियम में, जुलाई २२-२५ को, पिछले साल की “ईश्वरीय शिक्षा” श्रृंखला के ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में २३,७४३ लोगों का एक शिखर उपस्थित हुआ। दो साल पहले भी कौन सोच सकता था कि यह संभव होगा? लेकिन वे वहाँ थे! जापान और कोरिया से १,००० से ज़्यादा लोग आए, लगभग ४,००० अमरीका और कनाडा से आए, और साथ ही हज़ारों दक्षिणी प्रशान्त, अफ्रीका, यूरोप, और अन्य क्षेत्रों में ३० से ज़्यादा देशों से आए—सचमुच पूरब और पश्चिम का मिलन। इन सब के लिए अपने १५,००० से ज़्यादा रूसी भाइयों और बहनों के साथ खुलकर मिलना कितना प्रोत्साहक था! हर्ष की कोई सीमा नहीं थी।
कुल १,४८९ नए गवाहों ने बपतिस्मा लिया जो कि आश्चर्यजनक संख्या थी। संसार भर में समाचार माध्यमों ने बपतिस्मा को बहुत बड़ा विख्यापन दिया, जिसमें सम्मिलित थी द न्यू यॉर्क टाइमस् के मुख-पृष्ठ पर एक बढ़िया तस्वीर। जबकि बपतिस्मा के दौरान ज़ोरदार तालियाँ बजायी गयीं, आख़िरी भाषण के दौरान उससे भी ज़्यादा तालियाँ बजायी गयीं जब वक्ता ने ४,७५२ स्वयंसेवकों और अधिकारियों को धन्यवाद दिया जिन्होंने अधिवेशन को इतना सफल बनाने में मदद की थी, और कहा: “सबसे बढ़कर, हम यहोवा का धन्यवाद करते हैं!” जी हाँ, यहोवा की आत्मा ने रूढ़िवादी धर्मान्धों की तरफ़ से कड़े विरोध को रोक के रखा और वह अत्यावश्यक सामर्थ दिया जिसने अधिवेशन को एक रोमांचक वास्तविकता बनाया।
लेकिन, कीव के यूक्रेनियन शहर में, अगस्त ५-८ को उस से ज़्यादा आना बाक़ी था। फिर से, इच्छुक स्वयंसेवकों ने स्टेडियम को पूरी तरह साफ़ और नया बना दिया, और इस विशाल राज्यगृह में शिखर उपस्थिति, ६४,७१४ लोग बैठ सके। एक बार फिर, गवाह पूरब और पश्चिम से, और संसार के हर भाग से आए। मुख्य भाषणों का अनुवाद १२ भाषाओं में किया गया। कुछ ५३,००० हज़ार प्रतिनिधियों को, जो जहाज़, रेलगाड़ी, या बस से आए थे, स्टेशनों और हवाई अड्डों पर मिलना था और उन्हें होटलों, स्कूलों, और निजी घरों, साथ ही नावों पर उनके आवास तक पहुँचाना था। यह सब न्यूनतम ख़र्च पर इतनी आसानी और कुशल व्यवस्था के साथ किया गया कि शहर के पुलिस से आश्चर्य और प्रशंसा की अभिव्यक्तियाँ मिलीं।
रोमांचक अधिवेशन कार्यक्रम का उच्च बिन्दू बपतिस्मा था, जिसने सारे के सारे ढाई घंटे ले लिए। कुल ७,४०२ नए भाई-बहनों ने यहोवा के प्रति अपने समर्पण का प्रतीक दिया, जिस दौरान विशाल स्टेडियम में चारों ओर तालियों की गड़गड़ाहट बारंबार गूँज रही थी। यह ७,१३६ के पिछले सबसे बड़े शिखर से ज़्यादा था, जब १९५८ में न्यू यॉर्क शहर में २,५३,९२२ लोग अधिवेशन के लिए इकट्ठा हुए थे।
ज्यों-ज्यों यह न्याय का समय अपने चरम की ओर बढ़ रहा है, भेड़-समान लोग पूरब, पश्चिम, और “पृथ्वी की छोर” भी एक ऐसी एकता में इकट्ठा किए जा रहे हैं जो सारे मानव इतिहास में अतुलनीय है। सचमुच, यीशु के मूल्यवान छुड़ौती बलिदान में अपने विश्वास को घोषित करने के लिए ‘हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक बड़ी भीड़’ आत्मिक इस्राएल के साथ सम्मिलित हो रही है। यहोवा के सर्वसत्ताधारी शासन के दोषनिवारण में वह सब कुछ जो सम्पन्न किया जा रहा है, उसका आधार यीशु का मूल्यवान छुड़ौती बलिदान है।—प्रेरितों १:८; प्रकाशितवाक्य ७:४, ९, १०.
[पेज 8, 9 पर तसवीरें]
मॉस्को और कीव में पूरब पश्चिम से मिलता है