मेरा जीवन प्रयोग करने का सर्वोत्तम तरीक़ा
बॉब ऐंडरसन द्वारा बताया गया
लगभग दस साल पहले, कुछ मित्रों ने मुझ से पूछा: “आप इतने लम्बे अरसे से पायनियर कार्य क्यों कर रहे हैं, बॉब?” मैं ने मुस्कराकर कहा: “क्या आप पायनियर कार्य करने से किसी बेहतर कार्य की कल्पना कर सकते हैं?”
वर्ष १९३१ में मैं २३ साल का था जब मैं ने पायनियर सेवा शुरू की। अब मैं अपने ८७वें साल में हूँ और अब भी पायनियर कार्य कर रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि मैं अपने जीवन का इससे बेहतर प्रयोग नहीं कर सकता था। मुझे कारण समझाने दीजिए।
वर्ष १९१४ में हमारे घर एक ट्रैक्ट छोड़ा गया। वह अंतर्राष्ट्रीय बाइबल विद्यार्थियों द्वारा प्रकाशित किया गया था, उस समय यहोवा के गवाहों को इस नाम से बुलाया जाता था। जब गवाह वापस आया, तो मेरी माँ ने उससे नरकाग्नि के बारे बारीक़ी से प्रश्न किए। उनका पालन-पोषण एक कट्टर वेसलियन मेथोडिस्ट के रूप में किया गया था लेकिन वो कभी अनन्त यातना के सिद्धान्त और प्रेम के परमेश्वर के बीच मेल नहीं कर पायी थीं। जैसे ही उन्होंने उस विषय में सत्य जाना, उन्होंने कहा: “मैं ने अपने जीवन में इतनी ख़ुशी कभी नहीं महसूस की!”
मेरी माँ ने तुरन्त मेथोडिस्ट सन्डे स्कूल में पढ़ाना बन्द कर दिया और बाइबल विद्यार्थियों के छोटे-से समूह में शामिल हो गयीं। उन्होंने हमारे गृह-नगर, बर्कनहेड में प्रचार करना शुरू किया, जो मर्सी नदी के पार लिवरपूल बन्दरगाह के सामने है। जल्द ही वो नियमित रूप से साइकिल चलाकर पड़ोस के अनेक नगरों में जाने लगीं। अपने बाक़ी के जीवन उन्होंने इस विस्तृत क्षेत्र में गवाही दी और बहुत प्रसिद्ध हो गयीं, इस प्रकार अपने बच्चों के लिए एक उत्तम उदाहरण रखा। वह १९७१ में ९७ साल की पक्की उम्र में मरीं, अन्त तक एक सक्रिय गवाह।
बाइबल विद्यार्थियों की सभाओं में माँ के साथ जाने के लिए मेरी बहन कैथलीन को और मुझे मेथोडिस्ट सन्डे स्कूल से निकाल लिया गया था। बाद में, जब मेरे पिताजी भी साथ आ गए, तो मेरे माता-पिता ने पुस्तक परमेश्वर की वीणा (अंग्रेज़ी) से नियमित पारिवारिक बाइबल अध्ययन का प्रबन्ध किया। ऐसा अध्ययन उन दिनों एक अनोखी बात थी, लेकिन मूल बाइबल सत्य में पड़ी इस आरंभिक बुनियाद के अच्छे फल निकले, क्योंकि समय आने पर मेरी बहन और मैं ने पायनियर सेवा शुरू की।
माँ यह मानती थीं कि १९२० में लिवरपूल में “सृष्टि का फ़ोटो-ड्रामा” (अंग्रेज़ी) देखना हम बच्चों के लिए आध्यात्मिक रूप से एक महत्त्वपूर्ण मोड़ था, और वो सही थीं। मैं छोटा था, फिर भी फ़ोटो-ड्रामा ने मेरे मन पर गहरी छाप छोड़ी। मुझे वह भाग स्पष्ट रूप से याद है जिसमें यीशु का जीवन चित्रित किया गया था, ख़ासकर इसलिए कि उसमें उसे अपनी मृत्यु की ओर चलते हुए दिखाया गया था। उस पूरे अनुभव ने मुझे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में मदद दी—प्रचार!
दशक १९२० की शुरूआत में, मैं ने रविवार दोपहर को अपनी माँ के साथ ट्रैक्ट बाँटना शुरू किया। पहले-पहल हमें निर्देश दिया गया था कि उन्हें घरों पर छोड़ दें; बाद में हम से कहा गया कि गृहस्वामियों को दें और जिनको दिलचस्पी थी उनके पास दुबारा जाएँ। मैं ने इसे हमेशा हमारी पुनःभेंट और बाइबल अध्ययन गतिविधि की आरंभिक नींव समझा है, जो आज इतनी सफल है।
पायनियर सेवा में!
कैथलीन का और मेरा बपतिस्मा १९२७ में हुआ। वर्ष १९३१ में जब मैं ने यहोवा के गवाह नाम अपनाने का प्रस्ताव सुना, उस समय मैं लिवरपूल में एक विश्लेषी रसायनज्ञ के रूप में कार्य कर रहा था। मैं ने संस्था के कॉलपोर्टरस् को (जो अब पायनियर कहलाते हैं) अकसर लिवरपूल के व्यवसाय क्षेत्र में कार्य करते हुए देखा था, और उनके उदाहरण से मैं बहुत प्रभावित हुआ था। यहोवा की सेवा में अपना जीवन बिताने के लिए सांसारिक संगति से मुक्त होने की मुझ में कितनी लालसा थी!
उसी साल की गर्मियों में, मेरे मित्र गेरी गरार्ड ने मुझे बताया कि उसने भारत में प्रचार करने के लिए वॉच टावर संस्था के दूसरे अध्यक्ष, जोसफ़ एफ. रदरफ़र्ड से एक कार्य-नियुक्ति स्वीकार कर ली है। यात्रा शुरू करने से पहले, वह मुझसे मिलने आया और पूर्ण-समय की सेवा के विशेषाधिकार के बारे में बात की। जाते-जाते, उसने यह कहते हुए मुझे और-भी प्रोत्साहित किया, “मैं निश्चित हूँ कि आप जल्द ही एक पायनियर बनेंगे, बॉब।” और ऐसा ही हुआ। उस अक्तूबर मैं ने नाम लिखवाया। कितना आनन्द, कितनी स्वतंत्रता, देहाती रास्तों पर साइकिल चलाना और पृथक समुदायों को प्रचार करना! तब मैं जान गया कि मैं अपने जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य शुरू कर रहा हूँ।
मेरी पहली पायनियर कार्य-नियुक्ति साउथ वेल्स् में थी जहाँ मुझे सिरिल स्टेन्टिफर्ड मिला। सिरिल ने बाद में कैथलीन से विवाह किया, और उन्होंने एकसाथ कई सालों तक पायनियर कार्य किया। उनकी बेटी, रूथ ने भी बाद में पायनियर सेवा शुरू की। वर्ष १९३७ में, मैं फ़्लीटवुड, लैंकशायर में था—एरिक कुक का साथी। उस समय तक, पायनियर लोग ब्रिटेन के केवल ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करते थे, कलीसिया क्षेत्र से बाहर। लेकिन उस समय संस्था के लंदन शाखा दफ़्तर के कार्य के लिए ज़िम्मेदार, ऐल्बर्ट डी. श्रोडर ने हमें यॉर्कशायर में ब्रैडफर्ड शहर भेजने का फ़ैसला किया। यह पहली बार था जब ब्रिटेन में पायनियरों को एक विशिष्ट कलीसिया की मदद करने के लिए नियुक्त किया गया था।
वर्ष १९४६ में, एरिक वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड गया और उसे दक्षिणी रोडेशिया में कार्य-नियुक्ति मिली, जो अब ज़िम्बाबवे कहलाता है। वह और उसकी पत्नी अभी-भी वफ़ादारी से डरबन, दक्षिण अफ्रीका में मिशनरियों के रूप में सेवा कर रहे हैं।
वर्ष १९३८ में मुझे एक और कार्य-नियुक्ति मिली, इस बार उत्तर-पश्चिम लैंकशायर और सुन्दर लेक डिस्ट्रिक्ट के लिए एक ज़ोन सेवक (जो अब सर्किट ओवरसियर कहलाता है) के रूप में। वहाँ मेरी मुलाक़ात ऑलिव डकेट से हुई, और हमारे विवाह के बाद, वह तुरन्त सर्किट कार्य में मेरे साथ हो ली।
युद्ध वर्षों के दौरान आयरलैंड
जब सितम्बर १९३९ में ब्रिटेन ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया, तो उसके तुरन्त बाद मेरी नियुक्ति आयरलैंड कर दी गयी। ब्रिटेन में अनिवार्य सैन्य भर्ती शुरू हो गयी थी लेकिन दक्षिणी गणराज्य आयरलैंड में नहीं, जो युद्ध के दौरान एक तटस्थ देश बना रहा। आयरलैंड गणराज्य और उत्तरी आयरलैंड को एक सर्किट बनना था। लेकिन प्रतिबन्ध लागू थे, और ब्रिटेन से आयरलैंड के किसी भी भाग में जाने के लिए यात्रा परमिट प्राप्त करना आवश्यक था। अधिकारियों ने मुझसे कहा कि मैं जा सकता था, लेकिन अनिवार्य सैन्य भर्ती के लिए बुलाए जाने पर मुझे तुरन्त इंग्लैंड लौटने के लिए राज़ी होना पड़ेगा। मौखिक रूप से मैं राज़ी हो गया, लेकिन मैं चकित रह गया जब मुझे मेरा परमिट मिला और उस के साथ कोई भी शर्त नहीं जुड़ी थी!
उस समय, पूरे आयरलैंड में १०० से थोड़े ही ज़्यादा गवाह थे। जब नवम्बर १९३९ में हम डबलिन पहुँचे, तो हम से एक लम्बे-समय का पायनियर, जैक कॉर मिला। उसने हमें बताया कि पास के नगर में दो पायनियर और हैं तथा कुछ दिलचस्पी रखनेवाले लोग डबलिन में हैं, कुल मिलाकर लगभग २० लोग। जैक ने सभा के लिए डबलिन में एक कमरा किराए पर लिया जहाँ हर रविवार नियमित रूप से मिलने के लिए सभी तैयार थे। यह प्रबन्ध तब तक चला जब तक कि १९४० में कलीसिया न स्थापित हो गयी।
युनाइटेड किंग्डम के भाग के रूप में, उत्तरी आयरलैंड जर्मनी के साथ युद्धरत था, सो जब हम उत्तर की ओर बेलफस्ट गए, तो हमें राशन कार्ड और रात को ब्लैकआउट की समस्या से संघर्ष करना पड़ा। हालाँकि नात्ज़ी विमानों को बेलफस्ट तक आने और वापस यूरोप में अपने अड्डों तक पहुँचने के लिए १,६०० किलोमीटर से ज़्यादा दूरी की उड़ान भरनी पड़ती थी, वे शहर पर बमबारी करने में सफल रहे। पहले आक्रमण के दौरान, हमारे राज्यगृह को क्षति पहुँची और जब हम शहर के दूसरे भाग में भाइयों से भेंट कर रहे थे तो हमारा मकान नष्ट हो गया, अतः हमारा अनोखा बचाव हुआ। उसी रात, एक गवाह परिवार भागकर एक समुदायी शरण-स्थान में गया। जब वे वहाँ पहुँचे, तो उसे भरा हुआ पाया और उन्हें अपने घर लौटना पड़ा। बम सीधे शरण-स्थान पर गिरा और उसमें के सभी लोग मारे गए, लेकिन हमारे भाई बच गए, उन्हें बस थोड़ी चोटें और खरोंचें आयीं। इन कठिन युद्ध वर्षों के दौरान हमारा एक भी भाई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ, जिसके लिए हम ने यहोवा को धन्यवाद दिया।
आध्यात्मिक भोजन सामग्री
जैसे-जैसे युद्ध बढ़ा, प्रतिबन्ध ज़्यादा कड़े हो गए, और आख़िरकार डाक सेंसर-व्यवस्था लागू कर दी गयी। इसका अर्थ था कि द वॉचटावर को रोका जाता था और उसे देश में नहीं आने दिया जाता था। हालाँकि हम सोच में थे कि हम क्या कर सकते हैं, यहोवा का हाथ छोटा नहीं था। एक सुबह मुझे कनाडा से एक “रिश्तेदार” का पत्र मिला जो मुझे पारिवारिक मामलों के बारे में लिख रहा था। मैं बिल्कुल नहीं जानता था कि वह कौन है, लेकिन पत्र के नीचे उसने लिखा कि वह मेरे पढ़ने के लिए पत्र में “एक दिलचस्प बाइबल लेख” भी डाल रहा था। वह द वॉचटावर की एक प्रति थी, लेकिन क्योंकि उसका मुख-पृष्ठ सादा था, सेंसर द्वारा उसे नहीं निकाला गया था।
तुरन्त मैं ने और मेरी पत्नी ने स्थानीय गवाहों की मदद से लेखों की प्रतियाँ बनानी शुरू कीं। इसमें मैगी कूपर भी शामिल थी जो “फ़ोटो-ड्रामा” के कार्य में थी। हमने जल्द ही पूरे देश में १२० प्रतियाँ भेजने के लिए अपने आपको संगठित किया, क्योंकि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, और अमरीका में अनेक नए मित्रों से सादे मुख-पृष्ठवाली वॉचटावर पत्रिकाएँ नियमित रूप से आती थीं। उनकी कर्मिष्ठता और कृपा के कारण पूरे युद्ध-काल में हम एक अंक से भी नहीं चूके।
हम सम्मेलन करने में भी समर्थ हुए। वर्ष १९४१ का अधिवेशन उल्लेखनीय था जब नया प्रकाशन बच्चे (अंग्रेज़ी) रिलीज़ किया गया। ऐसा प्रतीत हुआ कि सेंसर ने उसके विचार से बच्चों के बारे में पुस्तक का विरोध नहीं किया, सो हम बिना किसी परेशानी के अपनी सप्लाई देश में प्राप्त कर सके! एक अन्य अवसर पर, हमने पुस्तिका शान्ति—क्या यह स्थायी हो सकती है? (अंग्रेज़ी) स्थानीय रूप से छपवायी क्योंकि लंदन से प्रतियाँ आयात करना असंभव था। हम पर लगाए गए सभी प्रतिबन्धों के बावजूद, आध्यात्मिक रूप से हमारी अच्छी तरह देखरेख हुई।
विरोध पार करना
एक पादरी बेलफस्ट में एक यहोवा के गवाह द्वारा चलाए जा रहे नर्सिंग होम में रह रहा था। उसने इंग्लैंड में अपनी पत्नी को पुस्तक धन (अंग्रेज़ी) की एक प्रति भेजी। वह सत्य के विरुद्ध थी, और अपने जवाब में उसने यह बात स्पष्ट कर दी। उसने यह भी दावा किया कि हम “एक देश-विरोधी संगठन” हैं। डाक सेंसर ने इसे नोट किया और यह मामला अपराध जाँच विभाग को रिपोर्ट कर दिया। फलस्वरूप, सफ़ाई देने के लिए मुझे पुलिस बैरक बुलाया गया और मुझसे धन की एक प्रति लाने को कहा गया। दिलचस्पी की बात है कि जब आख़िरकार पुस्तक लौटायी गयी, तो मैंने देखा कि जिन भागों को रेखांकित किया गया था वे सब रोमन कैथोलिक चर्च के बारे में थे। मुझे लगा कि यह महत्त्वपूर्ण बात थी, क्योंकि मैं जानता था कि पुलिस आई.आर.ए. (आइरिश रिपब्लिकन आर्मी) की गतिविधि के विरुद्ध सतर्क थी।
युद्ध के समय में हमारी तटस्थता के बारे में मुझसे बारीक़ी से प्रश्न किए गए, क्योंकि पुलिस को हमारी स्थिति समझना मुश्किल लगा। लेकिन अधिकारियों ने हमारे विरुद्ध कभी कोई कार्यवाही नहीं की। बाद में, जब मैं ने एक सम्मेलन आयोजित करने के लिए अनुमति माँगी, तो पुलिस ने दो पुलिस रिपोर्टर भेजने का आग्रह किया। मैं ने कहा, “हम उनका स्वागत करेंगे!” सो वे आए और दोपहर की सभा में बैठे, उन्होंने शॉर्टहैन्ड नोटस् भी लिए। सत्र की समाप्ति पर, उन्होंने पूछा, “हमें यहाँ क्यों भेजा गया था? हम इस सब का आनन्द ले रहे हैं!” अगले दिन वे फिर आए और हमारी पुस्तिका शान्ति—क्या यह स्थायी हो सकती है? की एक मुफ़्त प्रति भी ख़ुशी से स्वीकार की। बाक़ी का सम्मेलन भी किसी अप्रिय घटना के हुए बग़ैर सम्पन्न हुआ।
जैसे ही युद्ध समाप्त हुआ और यात्रा प्रतिबन्धों में ढील दी गयी, लंदन बेथेल से प्राइस् ह्यूगस् बेलफस्ट आया। उसके साथ हैरल्ड किंग भी आया, जिसे बाद में मिशनरी के रूप में चीन में कार्य-नियुक्ति दी गयी। छः साल तक लंदन शाखा दफ़्तर से दूर रहने के बाद, हम सब इन भाइयों द्वारा दिए गए भाषणों से बहुत-ही प्रोत्साहित हुए। उसके थोड़े ही समय बाद, एक और वफ़ादार पायनियर, हैरल्ड ड्यूरडन को बेलफस्ट में राज्य कार्य को मज़बूत करने के लिए इंग्लैंड से भेजा गया।
इंग्लैंड को वापसी
हमें आइरिश भाइयों से गहरी प्रीति हो गयी थी, और इंग्लैंड वापस जाना मुश्किल था। लेकिन मेरी पत्नी को और मुझे मैन्चेस्टर नियुक्त किया गया और बाद में नूटन-ल-विलोज़ भेजा गया, जो कि लैंकशायर का एक और नगर था जहाँ ज़रूरत ज़्यादा थी। हमारी बेटी, लोइस का जन्म १९५३ में हुआ, और उसे १६ साल की उम्र में पायनियर सेवकाई शुरू करते देखना आनन्दमय था। पायनियर डेविड पारकिनसन के साथ उसके विवाह के बाद, उन्होंने उत्तरी आयरलैंड में अपनी पूर्ण-समय की सेवा जारी रखी, अनेक तरीक़ों से वे उस मार्ग पर चले जो ऑलिव और मैं ने अपनाया था। अब, अपने बच्चों के साथ वे वापस इंग्लैंड आ गए हैं, और हम सब एक ही कलीसिया में सेवा कर रहे हैं।
हमारी परिस्थितियों में परिवर्तनों के बावजूद, मैं ने कभी पायनियर कार्य नहीं छोड़ा—ऑलिव ऐसा कभी नहीं चाहती थी, और न ही मैं। मैं ने हमेशा ऐसा महसूस किया है कि मेरा पायनियर रिकार्ड मेरे नाम ही नहीं बल्कि मेरी पत्नी के नाम भी किया जाना चाहिए क्योंकि उसके निरन्तर, प्रेममय समर्थन के बिना मैं पूर्ण-समय की सेवा को किसी हालत जारी नहीं रख सकता था। निःसंदेह, अब हम दोनों ज़्यादा जल्दी थक जाते हैं, लेकिन गवाही देना अब भी एक आनन्द है, ख़ासकर जब हम एक साथ हैं, और अपने पड़ोसियों के साथ बाइबल अध्ययन संचालित करते हैं। बीते सालों में, हमें यहोवा के समर्पित, बपतिस्मा-प्राप्त सेवक बनने के लिए लगभग एक सौ व्यक्तियों की मदद करने का विशेषाधिकार मिला है। यह कितने आनन्द की बात रही है! और मेरे विचार से अब तक इस संख्या को कई बार गुणा करना चाहिए क्योंकि परिवार तीसरी और चौथी पीढ़ियों में पहुँच गए हैं और वे भी गवाह बने हैं।
ऑलिव और मैं अकसर बीते सालों में हमारे अनेकों विशेषाधिकारों और अनुभवों के बारे में बात करते हैं। वे कितनी ख़ुशी के साल रहे हैं, और वे कितनी जल्दी बीत गए! मैं जानता हूँ कि मैं अपने जीवन में इन सारे सालों के दौरान एक पायनियर के रूप में अपने परमेश्वर, यहोवा की सेवा करने से बेहतर कुछ नहीं कर सकता था। अब, चाहे आभार से पीछे मुड़कर देखूँ या उत्सुक प्रत्याशा से आगे देखूँ, मुझे यिर्मयाह के शब्द बहुत अर्थपूर्ण लगते हैं: “हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; . . . इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा।”—विलापगीत ३:२२-२४.
[पेज 26 पर तसवीरें]
बॉब और ऑलिव ऐंडरसन