आपका व्यापार आपको कितना महँगा पड़ेगा?
एक दक्षिण अमरीकी देश के राष्ट्रपति की पत्नी पर अपने परिवार के सदस्यों द्वारा स्थापित जाली कम्पनियों के अनुबन्धों में लाखों डॉलर लगाने का इल्ज़ाम लगाया गया। भारत के एक ३८-वर्षीय शेयर दलाल को १६० करोड़ के लेन-देन और शेयर बाज़ार घोटाले में उसकी आरोपित अंतर्ग्रस्तता के कारण गिरफ़्तार करके उसका ठाठदार मकान और २९ कारों को छीन लिया गया। फिलीपींस में, एक द्वीप के हज़ारों निवासी अवैध पिस्तौल बनाने के द्वारा अपनी आजीविका चलाते हैं। इस लाभदायक धंधे में बने रहने के लिए, यह रिपोर्ट किया गया है कि वे अफ़सरों को प्रायः घूस देते हैं ताकि वे दख़ल न दें।
जी हाँ, व्यापार में बेईमानी और धोखेबाज़ी संसार-भर में फैली हुई है। और इसमें शामिल लोगों को अकसर इसकी क़ीमत पद तथा सम्मान, और साथ ही पैसे से चुकानी पड़ती है।
आप के बारे में क्या? क्या आप व्यापार करते हैं? क्या आप एक व्यापार शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं? यह आपको कितना महँगा पड़ेगा? यह अनिवार्य है कि व्यापार में होने की कुछ तो क़ीमत चुकानी पड़ेगी। ज़रूरी नहीं कि यह आपत्तिजनक हो। बहरहाल, एक जोखिम-भरा व्यापार शुरू करने से पहले या पहले से जमे हुए व्यापार के सिलसिले में फ़ैसले करने से पहले ख़र्च जोड़ना बुद्धिमानी है। (लूका १४:२८) पृष्ठ ३१ पर कुछ क़ीमतें बतायी गयी हैं जिन पर आप ग़ौर करना चाहेंगे।
स्पष्टतया, व्यापार में होना आसान काम नहीं है। एक मसीही के लिए ऐसी आध्यात्मिक और नैतिक बाध्यताएँ हैं जिन पर उसे ग़ौर करना पड़ता है। क्या आप क़ीमत चुकाकर आध्यात्मिक रूप से संतुलित रह सकते हैं? क्या कोई क़ीमत, आप जो नैतिक रूप से स्वीकार कर सकते हैं उससे परे है? कौन-से ऐसे सिद्धान्त हैं जो आपको यह निर्धारित करने में मदद करेंगे की कौन-सी क़ीमत देना स्वीकार्य है और कौन-सी नहीं?
पैसे को उसकी जगह पर रखिए
एक व्यापार चलाने के लिए पैसे की ज़रूरत होती है, और यह आशा की जाती है कि एक व्यापार से किसी व्यक्ति के परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त पैसा प्राप्त होगा। बहरहाल, पैसे के बारे में लक्ष्य आसानी से विकृत हो सकते हैं। लालच शुरू हो सकती है। अनेक लोगों के लिए, जहाँ पैसे की बात आती है वहाँ बाक़ी की सब चीज़ें दूसरे स्थान पर हो जाती हैं। फिर भी, बाइबल पुस्तक नीतिवचन के एक लेखक, आगूर ने संतुलित दृष्टिकोण व्यक्त किया जब उसने कहा: “मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रति दिन की [मेरे भाग की, फुटनोट] रोटी मुझे खिलाया कर।” (नीतिवचन ३०:८) उसने भरण-पोषण के लिए पर्याप्त मात्रा से संतुष्ट होने के महत्त्व को समझा—वह नहीं चाहता था कि ‘ख़ुद के लिए बहुत धन कमाए,’ जैसे व्यापार में कुछ लोग कहते हैं।
लेकिन, जब वह तथाकथित सुनहरा मौक़ा आता है, तब लालच के कारण एक व्यक्ति यह सिद्धान्त भूल सकता है। एक विकासशील देश में यहोवा के साक्षियों के एक सफ़री सेवक ने एक ऐसे ही मामले पर रिपोर्ट की। किसी कम्पनी ने, जिसे लागत पूँजी की ज़रूरत थी, यह विश्वास दिलाया कि निवेशक जल्द ही अपने पैसे को दुगना कर सकेंगे, वह भी शायद कुछ ही महीनों में। आसानी से अधिक पैसा बनाने के अवसर के कारण अनेक लोगों ने निवेश किया। वह सफ़री सेवक कहता है: “कुछ लोग उसमें कूद पड़ने के लिए बहुत ही उत्सुक थे। उन्होंने इस माजरे की पूरी तरह छान-बीन नहीं की, और [निवेश करने के लिए] पैसे उधार लिए।”
इसकी विषमता में, दो व्यक्ति निवेश करने से पहले इस कम्पनी के दफ़्तर में छान-बीन करने गए। उत्पादन सुविधाओं को देखने के उनके निवेदन को ठुकराया गया। इससे उन्हें कम्पनी की प्रतिष्ठा पर शक हुआ। यह उनके लिए एक सुरक्षा साबित हुई, क्योंकि कुछ ही हफ़्तों के भीतर एक प्रतीयमानतः फ़रेबी योजना का पर्दाफ़ाश किया गया, और लोगों को गिरफ़्तार किया गया। ज़रा विचार कीजिए कि यह उन लोगों को कितना महँगा पड़ा जिन्होंने पहले छान-बीन नहीं की। उन्होंने पैसा ही नहीं बल्कि दोस्त भी खो दिए, क्योंकि जिन्होंने पैसा उधार दिया था उन्हें योजना के असफल हो जाने पर वह लौटाया नहीं जा सका। पैसों के मामले में, नीतिवचन २२:३ का सिद्धान्त लागू करना कितनी बुद्धिमानी है: “चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं”!
अपना वचन निभाइए
जब व्यापार में उतना मुनाफ़ा नहीं होता जितनी अपेक्षा की गयी थी तब क्या? भजन १५:४ एक ऐसे व्यक्ति की सराहना करता है जो अपने समझौते निभाता है, चाहे ऐसा करना लाभदायक ना भी हो: ‘वह शपथ खाकर बदलता नहीं चाहे हानि उठानी पड़े।’ जब सब कुछ ठीक हो तब अपना वचन निभाना आसान है। लेकिन जब इससे एक व्यक्ति का आर्थिक रूप से नुक़सान होता है तब यह खराई की परीक्षा बन जाती है।
यहोशू के समय के एक बाइबलीय उदाहरण को याद कीजिए। गिबोनियों ने बातों को इस तरह योजित किया ताकि इस्राएल के प्रधान उनके साथ वाचा बान्धें और उन्हें नाश न करें। दरअसल वे एक ऐसी जाति का भाग थे जो इस्राएल के लिए एक ख़तरा समझी जाती थी। जब उनकी चाल सामने आयी, तब ‘इस्राएलियों ने उनको न मारा, क्योंकि मण्डली के प्रधानों ने उनके संग यहोवा की शपथ खाई थी।’ (यहोशू ९:१८) हालाँकि यह समूह दुश्मन इलाके से आया था, प्रधानों ने अपना वचन निभाना महत्त्वपूर्ण समझा। और इसके बाद की घटनाएँ दिखाती हैं कि इससे यहोवा प्रसन्न हुआ।—यहोशू १०:६-११.
क्या आप अपने व्यापार समझौतों और अनुबन्धों को निभाएँगे, चाहे बातें आपकी अपेक्षानुसार न भी हो रही हों?a ऐसा करना आपको और अधिक यहोवा की तरह बनाएगा, जो अपना वचन हमेशा निभाता है।—यशायाह ५५:११.
ईमानदार रहिए
आज के व्यापार जगत में ईमानदारी मानो एक ऐसी जाति के समान है, जो अगर लुप्त नहीं हुई तो उसके ख़तरे में ज़रूर है। आपके व्यापार के समान व्यापारों में अन्य लोग अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए शायद बेईमान तरक़ीबों का इस्तेमाल करें। वे इश्तेहार देने में शायद बेईमान हों। वे शायद किसी अन्य कम्पनी का नाम चुराकर अपने उत्पादन पर लगाएँ। या शायद वे घटिया उत्पादन को एक उत्कृष्ट क़िस्म के उत्पादन के रूप में प्रस्तुत करें। ये सभी बेईमानी के रूप हैं। ऐसा करनेवाले उन “दुष्ट” लोगों के समान हैं जो, आसाप के अनुसार, प्रतीयमानतः फ़रेब से “धन सम्पत्ति बटोरते रहते हैं।”—भजन ७३:१२.
एक मसीही की हैसियत से, क्या आप अवैध तरीक़ों का इस्तेमाल करेंगे? या इसके बजाय क्या आप बाइबल सिद्धान्तों द्वारा निर्देशित होंगे, जैसे कि: “हम ने न किसी से अन्याय किया, न किसी को बिगाड़ा, और न किसी को ठगा”; “हम ने लज्जा के गुप्त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते”; “घटती बढ़ती बटखरों से यहोवा घृणा करता है, और छल का तराजू अच्छा नहीं”? (२ कुरिन्थियों ४:२; ७:२; नीतिवचन २०:२३) याद रखिए, बेईमानी के आरंभक शैतान, अर्थात् इब्लीस के अलावा और कोई नहीं है, जो “झूठ का पिता है।”—यूहन्ना ८:४४.
शायद कुछ लोग विरोध करें और कहें: ‘जब तक एक व्यक्ति अन्य लोगों की तरह बेईमान तरीक़े नहीं अपनाता, तब तक व्यापार में बने रहना मुश्किल है।’ यहीं पर एक मसीही, यहोवा पर अपना विश्वास प्रदर्शित कर सकता है। ईमानदारी की परख तब होती है जब उसकी कुछ क़ीमत देनी पड़ती है। यह कहना कि बिना बेईमानी किए एक व्यक्ति रोटी नहीं कमा सकता, यह कहने के समान है कि परमेश्वर उन लोगों की परवाह नहीं करता जो उससे प्रेम करते हैं। यहोवा पर सच्चा विश्वास रखनेवाला व्यक्ति यह जानता है कि परमेश्वर अपने सेवकों का किसी भी देश में और किसी भी परिस्थिति में भरण-पोषण कर सकता है। (इब्रानियों १३:५) यह सच है कि एक व्यक्ति को जितना बेईमानों के पास है, शायद उससे थोड़ी कम आमदनी से संतुष्ट होना पड़ता होगा, लेकिन क्या परमेश्वर की आशिष पाने के लिए यह क़ीमत चुकाने योग्य नहीं है?
याद रखिए, बेईमानी एक बूमरैंग की तरह है जो फेंके जाने पर फेंकनेवाले के पास ही लौट आता है। अगर यह पता लगता है कि एक व्यापारी बेईमान है, तो ग्राहक और सप्लाई करनेवाले अकसर उसे त्याग देंगे। वह उन्हें एक बार बुद्धू बना सकता है, लेकिन शायद वह आख़री बार हो। दूसरी ओर, एक ईमानदार व्यापारी आम तौर पर दूसरों से सम्मान पाता है। इस झूठे तर्क से प्रभावित न होने के लिए सावधान रहिए, ‘हर कोई करता है, सो चलेगा।’ बाइबल का सिद्धान्त है, ‘बुराई करने के लिए बहुतों के पीछे न हो लेना।’—निर्गमन २३:२.
मान लीजिए आपका पुराना व्यापार साथी एक संगी मसीही नहीं है और बाइबल सिद्धान्तों का हमेशा पालन नहीं करता। जब कुछ ग़ैरशास्त्रीय काम किया जा रहा है तब अपनी ज़िम्मेदारी को टालने के लिए क्या इसे एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करना उचित होगा? आदम और शाऊल जैसे उदाहरणों को याद कीजिए। पाप को टालने के बजाय, वे दूसरों के दबाव के आगे झुक गए और फिर उन्होंने अपने साथियों पर इसका दोष लगाया। यह उन्हें कितना महँगा पड़ा!—उत्पत्ति ३:१२, १७-१९; १ शमूएल १५:२०-२६.
संगी-विश्वासियों के साथ उचित रूप से व्यवहार कीजिए
क्या ऐसी कुछ क़ीमतें हैं जिन पर यहोवा के संगी-उपासकों के साथ व्यापार में व्यवहार करने से पहले ग़ौर किया जाना चाहिए? जब भविष्यवक्ता यिर्मयाह ने अपने गृहनगर, अनातोत में अपने चचेरे भाई से एक खेत ख़रीदा, तब उसने उसे सिर्फ़ पैसे देकर अलिखित करार नहीं किया। इसके बजाय, उसने कहा: “मैं ने दस्तावेज़ में दस्तख़त और मुहर हो जाने पर, गवाहों के साम्हने वह चान्दी कांटे में तौलकर उसे दे दी।” (यिर्मयाह ३२:१०) इस तरह के लिखित समझौते करना उन ग़लतफ़हमियों को रोक सकता है जो बाद में हालात बदल जाने पर पैदा हो सकती हैं।
लेकिन जब ऐसा प्रतीत होता है कि व्यापार में एक मसीही भाई ने आपके साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया है तब क्या किया जाना चाहिए? क्या आपको उसे अदालत में ले जाना चाहिए? इस मामले में बाइबल बहुत स्पष्ट है। पौलुस ने पूछा, “जब तुम्हारे मध्य आपस में झगड़ा होता है तो क्या तुम में से ऐसा कोई है जो पवित्र लोगों के पास जाने के बदले अधर्मियों से न्याय करवाने का दुस्साहस करता है?” अगर एक समस्या का संतोषप्रद रीति से फ़ौरन समाधान नहीं हुआ है तब क्या? पौलुस ने आगे लिखा: “तुम्हारी पहली हार यही है कि तुम्हारे आपस में मुकद्दमे चलते हैं। इसकी अपेक्षा तुम अन्याय क्यों नहीं सह लेते? तुम ही छल क्यों नहीं सह लेते?” ज़रा विचार कीजिए कि यह मसीही संगठन पर कितना बड़ा धब्बा होगा अगर बाहरवालों ने सुन लिया कि सच्चे मसीही अपने विवादों को अदालत में सुलझाते हैं! क्या ऐसा हो सकता है कि ऐसे मामलों में पैसे का प्रेम भाई के लिए प्रेम से ज़्यादा प्रबल हो गया है? या क्या यह हो सकता है कि एक व्यक्ति की प्रतिष्ठा को कलंकित किया गया है और प्रतिकार करना मन पर हावी है? पौलुस की सलाह दिखाती है कि ऐसे मामलों में अदालत में जाने से नुक़सान उठाना बेहतर होगा।—१ कुरिन्थियों ६:१, ७, (NHT); रोमियों १२:१७-२१.
निःसंदेह, कलीसिया के बीच में ऐसे विवादों से निपटने के लिए एक शास्त्रीय तरीक़ा भी है। (मत्ती ५:३७; १८:१५-१७) इसमें शामिल भाइयों को सुझाए गए क़दमों पर चलने में मदद देने के लिए, मसीही ओवरसियर इससे सम्बन्धित सभी लोगों को सहायक सलाह दे सकते हैं। ऐसी चर्चाओं के दौरान बाइबल सिद्धान्तों से सहमत होना शायद आसान प्रतीत हो, लेकिन इसके बाद क्या आप दी गयी सलाह को लागू करने के द्वारा सचमुच दिखाएँगे कि आपने उसे माना है? परमेश्वर के लिए और हमारे संगी मसीहियों के लिए प्रेम हमें ऐसा करने के लिए विवश करेगा।
बेशक, व्यापार करने की आपको कुछ तो क़ीमत चुकानी पड़ेगी। यह आशा की जाती है कि आप जो क़ीमत चुकाएँगे वह उचित होगी। फ़ैसलों का या किसी संदिग्ध परिस्थिति का सामना करते समय, यह याद रखिए कि ज़िन्दगी में पैसे से ज़्यादा बहुमूल्य और भी चीज़ें हैं। पैसे को उसके स्थान पर रखने के द्वारा, अपना वचन निभाने के द्वारा, ईमानदार रहने के द्वारा, और व्यापार साथियों के साथ मसीही तरीक़े से व्यवहार करने के द्वारा, हम यह निश्चित कर सकते हैं कि एक व्यापार ज़रूरत से ज़्यादा समय और पैसा नहीं लेता। और उसी समय, हम दोस्ती, एक अच्छा अंतःकरण, और यहोवा के साथ एक उत्तम रिश्ते को बनाए रख सकते हैं।
[फुटनोट]
a व्यापार में अपना वचन निभाने के एक आधुनिक-दिन के उदाहरण के लिए, मई ८, १९८८ की अवेक!, पृष्ठ ११-१३ पर लेख “मेरा वचन मेरा बन्धन” देखिए।
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ऐसी बातें जिनमें आपका व्यापार आपको महँगा पड़ सकता है
समय: अपना ख़ुद का व्यापार चलाना, एक कम्पनी के लिए एक कर्मचारी के रूप में काम करने से लगभग हमेशा ज़्यादा समय लेता है। क्या यह आपकी तालिका में दख़ल देगा, जिससे महत्त्वपूर्ण आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए कम समय बचेगा? सकारात्मक रूप से कहें तो, क्या आप परमेश्वर की इच्छा करने में ज़्यादा समय बिताने के लिए अपने कार्यों को व्यवस्थित कर सकेंगे? अगर ऐसा है, तो अच्छा है। लेकिन सावधान रहिए! यह आसान नहीं है।
पैसा: पैसा बनाने के लिए पैसे की ज़रूरत होती है। आपके व्यापार के लिए कितने निवेश की ज़रूरत है? क्या आपके पास पहले से ही निधि है? या क्या आपको उधार लेना पड़ेगा? क्या आप कुछ पैसों का नुक़सान उठा सकते हैं? या जब बात वैसे नहीं बनती जैसे अपेक्षा की गयी थी, तब क्या इसकी क़ीमत आपकी औक़ात के बाहर होगी?
दोस्त: दैनंदिन कार्रवाई में समस्याओं के पैदा होने की वजह से, अनेक व्यापारियों को अपने व्यापार के कारण अपने दोस्तों को खोना पड़ा है। हालाँकि दोस्त बनाने की सम्भावना है, मनमुटाव की भी काफ़ी हद तक सम्भावना है। अगर ये दोस्त हमारे मसीही भाई हैं तब क्या?
एक अच्छा अंतःकरण: आज के संसार में व्यापार करने का तरीक़ा है “कुत्ता कुत्ते को खाता है” या “इसमें मेरे लिए क्या रखा है?” एक यूरोपीय सर्वेक्षण में ७० प्रतिशत विद्यार्थियों ने दावे के साथ कहा कि व्यापारिक जीवन में नैतिक नियमों का बहुत कम या कोई स्थान नहीं है। इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है कि फ़रेब, बेईमानी, और संदिग्ध व्यापार अभ्यास सामान्य बन चुके हैं। क्या आप दूसरों की तरह ही करने के लिए प्रलोभित होंगे?
यहोवा के साथ आपका रिश्ता: व्यापार में कोई भी कार्य जो परमेश्वर के नियमों और सिद्धान्तों के विरुद्ध है, चाहे वह व्यापारिक मामलों में सामान्य क्यों न हो, एक व्यक्ति का उसके बनानेवाले के साथ रिश्ता ख़राब कर सकता है। इससे वह अनन्त जीवन की अपनी प्रत्याशा खो सकता है। स्वाभाविक रूप से, क्या यह एक निष्ठावान मसीही के लिए बहुत महँगा नहीं है, चाहे इसका भौतिक लाभ जो भी हो?
[पेज 31 पर तसवीरें]
कौन-सी बात बाद में ग़लतफ़हमियों को रोकेगी? एक अलिखित करार या एक लिखित समझौता?