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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
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बहिष्करण एक प्रेममय प्रबन्ध?

“पवित्र, पवित्र, पवित्र [यहोवा] परमेश्‍वर, सर्वशक्‍तिमान।” (प्रकाशितवाक्य ४:८) उस वर्णन के अनुसार, यहोवा पवित्र स्तरों का स्रोत है। ये स्तर “पवित्र शास्त्र” में दिए गए हैं और मसीही इन निर्देशनों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। निश्‍चित ही, उन्हें यहोवा की नज़र में अशुद्ध किसी भी बात से दूर रहने की ज़रूरत है।—२ तीमुथियुस ३:१५; यशायाह ५२:११.

बाइबल स्पष्टतः आज्ञा देती है: “जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।” (१ पतरस १:१५, १६) १९ शताब्दियाँ पहले जब मसीही कलीसिया अस्तित्व में आई, तब से सच्चे मसीहियों ने इसे आध्यात्मिक और नैतिक अशुद्धता से सुरक्षित रखने के लिए अत्यन्त परिश्रम किया है।—यहूदा ३.

सुरक्षा ज़रूरी क्यों है

परमेश्‍वर के सभी सेवक नैतिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध रहने की चुनौती का सामना करते हैं। अतः, तीन शक्‍तिशाली दुश्‍मनों का विरोध किया जाना चाहिए—शैतान, उसका संसार, और हमारी पापमय शारीरिक प्रवृत्तियाँ। (रोमियों ५:१२; २ कुरिन्थियों २:११; १ यूहन्‍ना ५:१९) शैतान का संसार आपको अनैतिक होने के लिए प्रलोभित करेगा, उसके तरीक़ों को अपनाने के लिए आपको प्रलोभित करेगा, तथा आपके सामने भौतिक दौलत, प्रसिद्धि, पद, प्रमुखता, और शक्‍ति पेश करेगा। लेकिन जो सच्ची उपासना में लगे रहने के लिए दृढ़संकल्प हैं वे शैतान जो प्रस्तुत करता है उसका विरोध करते हैं और “संसार से निष्कलंक” रहते हैं। क्यों? क्योंकि वे यहोवा के शुद्ध संगठन की सुरक्षात्मक और प्रेममय देखरेख के अधीन रहना चाहते हैं।—याकूब १:२७; १ यूहन्‍ना २:१५-१७.

यहोवा ने मसीही कलीसिया के ऐसे किसी भी सदस्य के लिए मदद प्रदान की है जो मानवीय कमज़ोरी की वजह से शैतान के प्रलोभनों का शिकार हो जाता है। आध्यात्मिक रूप से योग्य प्राचीन नियुक्‍त किए गए हैं ताकि वे कलीसिया को सुरक्षित रखें और ग़लती करनेवालों को अपने पाप का पछतावा करने तथा पुनःस्वस्थ होने के लिए ज़रूरी समंजन करने के लिए प्रेमपूर्ण रूप से मदद प्रदान करें। जो मसीही ग़लत कार्यों में उलझ जाते हैं उन्हें पछतावा करने और अपने मार्गों को बदलने में धीरता से मदद प्रदान की जानी चाहिए।—गलतियों ६:१, २; याकूब ५:१३-१६.

बहिष्करण प्रेममय कैसे है

यहोवा के वे बपतिस्मा प्राप्त सेवक जो जानबूझकर एक दुष्ट मार्ग अपनाते हैं और बदलने से इनकार करते हैं, उन्हें पश्‍चाताप-रहित और इस कारण मसीही संगति के अयोग्य समझा जाना चाहिए। (१ यूहन्‍ना २:१९ से तुलना कीजिए।) ऐसे व्यक्‍तियों को शुद्ध मसीही कलीसिया में रहने और इस प्रकार उसे संदूषित करने नहीं दिया जा सकता। उन्हें निष्कासित किया जाना चाहिए।

दुष्ट कार्यों का अभ्यास करनेवालों को निष्कासित करने का औचित्य निम्नलिखित परिस्थिति से सचित्रित किया जा सकता है: टोरण्टो, कनाडा का एक समाचार पत्र द ग्लोब एण्ड मेल (अंग्रेज़ी) रिपोर्ट करता है कि विद्यार्थियों पर हमलों और हिंसात्मक अपराधों की बढ़ोतरी की वजह से कुछ स्कूलों ने एक नीति अपनायी है जो “माँग करती है कि वे विद्यार्थी जो शस्त्रों का प्रयोग करते हैं या उन्हें प्रयोग करने की धमकी देते हैं, उनको जीवनभर के लिए स्कूल से निकाल दिया जाना चाहिए।” यह निष्कासन उन विद्यार्थियों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है जो हिंसात्मक क्रियाओं के शिकार हुए बग़ैर शिक्षा कार्यक्रम से फ़ायदा प्राप्त करना चाहते हैं।

एक पश्‍चाताप-रहित कुकर्मी को कलीसिया से निष्कासित करना प्रेममय क्यों है? ऐसा करना यहोवा और उसके मार्गों के प्रति प्रेम की एक अभिव्यक्‍ति है। (भजन ९७:१०) यह कार्य उन लोगों के प्रति प्रेम प्रदर्शित करता है जो एक धर्मी मार्ग पर चल रहे हैं क्योंकि यह उनके बीच से ऐसे व्यक्‍ति को निकाल देता है जो उन पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। यह कलीसिया की शुद्धता को भी सुरक्षित रखता है। (१ कुरिन्थियों ५:१-१३) यदि घोर अनैतिकता या आध्यात्मिक अशुद्धता को कलीसिया में रहने दिया जाता, तो कलीसिया संदूषित हो जाती और यहोवा, जो पवित्र है, को पवित्र सेवा अर्पित करने के अयोग्य हो जाती। इसके अतिरिक्‍त, कुकर्मी का निष्कासन अपने भ्रष्ट मार्ग की गंभीरता को समझने, पछताने, और ज़रूरी बदलाव करने और इस प्रकार कलीसिया में वापस स्वीकार किए जाने में शायद उसकी मदद करेगा।

दूसरों पर असर

जब कलीसिया का एक सदस्य परस्त्रीगमन जैसा एक गंभीर पाप करता है तब वह यहोवा के हृदय को आनन्दित नहीं कर रहा है। (नीतिवचन २७:११) कोई भी मसीही जो लैंगिक अनैतिकता का शिकार बन जाता है यक़ीनन उस तरह नहीं सोच रहा है जैसे यूसुफ ने सोचा जब पोतीपर की पत्नी ने उसे अपने साथ लैंगिक सम्बन्ध रखने के लिए विवश करने की कोशिश की। यूसुफ की प्रतिक्रिया थी: “मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्‍वर का अपराधी क्योंकर बनूं?” (उत्पत्ति ३९:६-१२) यूसुफ ने यहोवा के पवित्र स्तरों का आदर किया और उस परिस्थिति से भाग निकला। दूसरी ओर, ऐसा प्रतीत होता है कि एक परस्त्रीगामी को परमेश्‍वर के प्रति उतना प्रेम नहीं है कि वह अपनी शारीरिक कामवासना को संतुष्ट करने से दूर रह सके।—गलतियों ५:१९-२१.

एक बपतिस्मा-प्राप्त व्यक्‍ति जो परमेश्‍वर की आज्ञाओं का उल्लंघन करता है उस हानि और आघात की परवाह नहीं प्रदर्शित करता जो उसके कारण उसके विश्‍वासी रिश्‍तेदारों को होगा। भावात्मक प्रभाव कुछ लोग जो सहन कर सकते हैं उससे अधिक होता है। यह पता चलने पर कि उसका पुत्र अनैतिक था, एक मसीही स्त्री ने शोक व्यक्‍त किया: “कोई नहीं समझता, या तो लगता है कि बहुत ही कम भाई और बहन यह समझते हैं कि हम कितने दुःखी और बर्बाद हैं। . . . हमारा दिल टूट गया है।” पूरे परिवार की नेकनामी पर संदेह किया जा सकता है। हताशा और कुछ हद तक दोष की भावना परिवार के वफ़ादार सदस्यों को पीड़ित कर सकती है। इस प्रकार कुकर्मी का दुष्ट मार्ग परिवार के लिए मनोव्यथा लाता है।

परिवार के सदस्यों के लिए प्रेमपूर्ण मदद

निष्कासित व्यक्‍तियों के परिवार के वफ़ादार मसीही सदस्यों को याद रखने की ज़रूरत है कि बहिष्करण दोनों, प्रेमपूर्ण और सुरक्षात्मक है। कुकर्मी की मदद करने की हर संभव कोशिश की जाती है। लेकिन यदि वह परमेश्‍वर के प्रति अवज्ञाकारी साबित होता है और हठपूर्वक पश्‍चाताप-रहित है, तो कलीसिया को सुरक्षित रखने की ज़रूरत है तथा उसके पास परमेश्‍वर के वचन के निर्देशन के अनुसार करने के सिवाय और कोई चारा नहीं: “कुकर्मी को अपने बीच में से निकाल दो।” (१ कुरिन्थियों ५:१३) जैसे एक साक्षी ने कहा, “बहिष्करण यहोवा के प्रति निष्ठा का मामला है।”

जब परिवार का एक सदस्य बहिष्कृत किया जाता है, मसीही रिश्‍तेदार दुःख का अनुभव करते हैं। इसलिए उनको आध्यात्मिक रूप से ताज़गी देनेवाले बनने के लिए नियुक्‍त प्राचीनों को अपना भरसक प्रयास करना चाहिए। (१ थिस्सलुनीकियों ५:१४) प्राचीन उनके लिए और उनके साथ प्रार्थना कर सकते हैं। अकसर उनके साथ प्रोत्साहक आध्यात्मिक विचारों की चर्चा करने के लिए इन विश्‍वासी मसीहियों से भेंट करना संभव है। इन प्रिय व्यक्‍तियों को आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए झुंड के रखवालों को सभाओं के पहले और बाद में हर अवसर का फ़ायदा उठाना चाहिए। उनके साथ क्षेत्र सेवकाई में कार्य करने से अतिरिक्‍त प्रोत्साहन दिया जा सकता है। (रोमियों १:११, १२) आध्यात्मिक रखवालों को यहोवा के इन वफ़ादार सेवकों के प्रति वह प्रेम और विचारशीलता दिखाने की ज़रूरत है जिसके वे योग्य हैं।—१ थिस्सलुनीकियों २:७, ८.

एक व्यक्‍ति की पापमय जीवन-रीति उसके परिवार में जो कोई यहोवा के प्रति वफ़ादार है उनकी उपेक्षा करने का कोई कारण नहीं है। इस्राएल का दुष्ट राजा शाऊल परमेश्‍वर द्वारा त्यागा गया था, लेकिन दाऊद ने इस बात को शाऊल के पुत्र योनातान के प्रति अपनी प्रीति में दख़ल नहीं देने दिया। वास्तव में, दाऊद और योनातान के बीच का बंधन बहुत ही मज़बूत बन गया। (१ शमूएल १५:२२, २३; १८:१-३; २०:४१) अतः, कलीसिया के सभी सदस्यों को उन मसीहियों के प्रति सहायक और प्रेममय होना चाहिए जिनके रिश्‍तेदार यहोवा के विरुद्ध पाप करते हैं।

ऐसे वफ़ादार व्यक्‍तियों की उपेक्षा करना या उनके प्रति निर्दयी होना कितना प्रेम-रहित होगा! परिवार के वफ़ादार सदस्यों को प्रोत्साहन की ख़ास ज़रूरत है। वे शायद अकेले महसूस करें और अपनी स्थिति को बहुत कठिन पाएँ। शायद आप टेलीफ़ोन पर उनके साथ एक आध्यात्मिक सुखद-समाचार या एक प्रोत्साहक अनुभव बाँट सकते हैं। यदि निष्कासित व्यक्‍ति फ़ोन उठाता है तो बस इतना कहिए कि आप मसीही रिश्‍तेदार से बात करना चाहते हैं। आप ऐसे एक घराने के वफ़ादार सदस्यों को एक सामाजिक समूहन या आपके घर में भोजन के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। यदि आप उनसे ख़रीदारी करते वक़्त मिलते हैं, तो कुछ प्रोत्साहक संगति के लिए आप उस अवसर का उपयोग कर सकते हैं। याद रखिए, वे वफ़ादार मसीही जिनके बहिष्कृत रिश्‍तेदार हैं अब भी यहोवा के शुद्ध संगठन के भाग हैं। वे आसानी से वियुक्‍त और निरुत्साहित हो सकते हैं। अतः अपनी कृपा और प्रेम दिखाने के लिए हमेशा सचेत रहिए। अपने “विश्‍वासी भाइयों के साथ” भलाई करते रहिए।—गलतियों ६:१०.

यहोवा के प्रबन्ध का मूल्यांकन कीजिए

हम कितने कृतज्ञ हो सकते हैं कि यहोवा परमेश्‍वर अपने विश्‍वव्यापी उपासकों के परिवार के हर एक सदस्य के प्रति कोमल परवाह प्रदर्शित करता है। उसके सामने धर्मी रीति से चलने में हमें मदद देने के लिए उसने अपने संगठन के ज़रिए प्रेमपूर्ण रूप से प्रबन्ध किया है। यदि परिवार का एक सदस्य जानबूझकर पाप का अभ्यास करता है और उसे कलीसिया से निष्कासित किया जाता है, तो भी यदि वह वास्तव में पछताता है तो वापस कलीसिया में आने का रास्ता है। यह निम्नलिखित उदाहरण से सचित्रित किया गया है:

प्राचीनों ने एक स्त्री की मदद करने की कोशिश की थी जिसे हम ऎना कहेंगे, लेकिन वह धूम्रपान, शराब, और नशीले पदार्थों का सेवन करने लगी। वह पश्‍चाताप-रहित थी और कलीसिया में नहीं रही। लेकिन, जल्द ही ऎना यहोवा के शुद्ध संगठन की प्रेममय संगति की कमी महसूस करने लगी और उसने यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना की। वह स्वीकार करती है कि उसने इस बात का पूर्णतः मूल्यांकन नहीं किया था कि प्राचीन भटकनेवालों के बारे में कितनी परवाह करते हैं। ऎना सभाओं में फिर से उपस्थित होने लगी और यह उसे पश्‍चाताप की ओर ले गया। तत्पश्‍चात्‌, उसे प्रेममय और सुरक्षात्मक कलीसिया में वापस स्वीकार किया गया। एक बार फिर, ऎना यहोवा के नैतिकता के उच्च स्तरों का पालन कर रही है। प्राचीनों द्वारा दिखाए गए प्रेम के लिए वह आभारी है और यह टिप्पणी भी करती है: “आप नहीं जानते कि मसीही प्रकाशनों ने मेरी कितनी मदद की है। यहोवा हमारी ज़रूरतों को वास्तव में पूरा करता है।”

जी हाँ, परमेश्‍वर ने कलीसिया से निष्कासित लेकिन बाद में पछतानेवालों के लिए वापस आने का एक रास्ता प्रदान किया है। हम ने देखा है कि बहिष्करण भी एक प्रेममय प्रबन्ध है। लेकिन हमारे पवित्र परमेश्‍वर के धर्मी मार्गों पर चलते रहने के द्वारा इस दुःखद अनुभव से बचे रहना कितना बेहतर है! ऐसा हो कि हम उसके शुद्ध, प्रेममय और सुरक्षात्मक संगठन के भाग के तौर पर यहोवा की स्तुति करने के विशेषाधिकार के लिए हमेशा आभारी रहें।

[पेज 26 पर तसवीरें]

कलीसिया से निष्कासित लोगों के वफ़ादार रिश्‍तेदारों के प्रति क्या आप प्रेम प्रदर्शित कर रहे हैं?

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