शिष्य बनाने में आनन्द कैसे पाएँ
एक अगाध आनन्द जिसका अनुभव एक व्यक्ति ले सकता है, वह है परमेश्वर का एक सहकर्मी होना। आज, परमेश्वर के काम में मसीही कलीसिया में धार्मिक रूप से प्रवृत्त लोगों को इकट्ठा करना और अब मसीहियों के रूप में जीवन के लिए और साथ ही एक नए संसार में उत्तरजीविता के लिए उन्हें प्रशिक्षित करना शामिल है।—मीका ४:१-४; मत्ती २८:१९, २०; २ पतरस ३:१३.
लैटिन अमरीका में १९८० से दस लाख लोगों को यीशु मसीह के शिष्य बनते देखना, यहोवा के साक्षियों के लिए बड़े आनन्द का स्रोत रहा है। इस फलदायक क्षेत्र में, जहाँ अनेक लोग बाइबल का आदर करते और उस पर विश्वास करते हैं, कुछ पूर्ण-समय के सेवक दर्जनों लोगों को अपना जीवन यहोवा को समर्पित करने में मदद करने के लिए समर्थ हुए हैं। इतने सारे अनुभव के साथ, शायद वे हमें शिष्य बनाने के आनन्द के बारे में कुछ बता सकते हैं? जहाँ आप रहते हैं वहाँ शिष्य बनाने में आनन्द पाने के लिए उनके कुछ सुझाव शायद आपकी मदद करें।
संभव “भेड़” को पहचानना
“जिस किसी नगर या गांव में जाओ, तो पता लगाओ कि वहां कौन योग्य है,” यीशु ने कहा जब उसने अपने प्रेरितों को प्रचार करने के लिए भेजा। (मत्ती १०:११) जब आप लोगों से भेंट कर रहे हैं, तो आप उन लोगों को कैसे पहचान सकते हैं जिनकी आध्यात्मिक रूप से मदद की जा सकती है? ५० से भी अधिक वर्षों से एक पूर्ण-समय के सेवक, एड्वर्ड कहते हैं: “वे इसे अपने निष्कपट प्रश्नों द्वारा और अपनी संतुष्टि द्वारा प्रदर्शित करते हैं जब उनका उत्तर शास्त्र से दिया जाता है।” कैरल कहती हैं: “अगर एक व्यक्ति मुझे एक व्यक्तिगत समस्या या चिन्ता बताता है, तो वह वस्तुतः मदद के लिए एक पुकार है। मैं वॉच टावर संस्था के प्रकाशनों में सहायक जानकारी ढूँढने की कोशिश करती हूँ। ऐसी व्यक्तिगत दिलचस्पी अकसर एक बाइबल अध्ययन की ओर ले जाती है।” फिर भी, निष्कपट लोग हमेशा आसानी से नहीं पहचाने जाते। लूईस कहते हैं: “कुछ लोग जो बहुत ही दिलचस्पी दिखानेवाले लगे, बाद में ऐसे निकले कि उन्हें बिलकुल दिलचस्पी नहीं है, लेकिन अन्य लोग जो पहले-पहल विरोधी प्रतीत हुए, बदल गए जब उन्होंने सुना कि बाइबल वास्तव में क्या कहती है।” चूँकि अनेक लैटिन अमरीकी लोग बाइबल का आदर करते हैं, वो आगे कहते हैं, “मैं उन लोगों को पहचान लेता हूँ जिनकी आध्यात्मिक रूप से मदद की जा सकती है जब वे मेरे दिखाने के बाद उस बात को जल्दी से स्वीकार कर लेते हैं जो बाइबल सिखाती है।” ऐसे “योग्य” जनों को आध्यात्मिक रूप से प्रगति करने में मदद करना सच्चा आनन्द और संतुष्टि लाता है। आप यह कैसे कर सकते हैं?
बाइबल अध्ययन आरम्भ करना
“विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” द्वारा तैयार किए गए बाइबल अध्ययन के साधनों को इस्तेमाल करना, लोगों को बाइबल सच्चाई समझने में मदद करने का सामान्यतः सर्वोत्तम तरीक़ा है। (मत्ती २४:४५) आप ऐसे बाइबल अध्ययन साधनों के महत्त्व के लिए क़दर कैसे बढ़ा सकते हैं? एड्वर्ड कहते हैं: “क्योंकि लोगों की परिस्थितियों, व्यक्तित्वों, और मतों में काफ़ी फ़र्क होता है, मैं अध्ययन आरम्भ करने में नम्य होने की कोशिश करता हूँ।” आप सभी के साथ वही तरीक़ा नहीं अपना सकते।
कुछ लोगों के साथ, एक बाइबल अध्ययन पाठ्य-पुस्तक प्रस्तुत करने से पहले शास्त्र की शायद कई अनौपचारिक चर्चाओं की ज़रूरत हो। फिर भी, एक मिशनरी दम्पति रिपोर्ट करता है: “हम सामान्यतः पहली ही भेंट में अध्ययन प्रस्तुत करते हैं।” उसी तरह एक साक्षी, जिन्होंने ५५ लोगों को समर्पण तक पहुँचने में मदद की है, कहती हैं: “बाइबल अध्ययन आरम्भ करने का मेरा मुख्य तरीक़ा सीधे आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं पुस्तक की जानकारी पर विचार करना रहा है।” हालाँकि कुछ लोग किसी भी बात का अध्ययन करने के विचार को नापसन्द करते हैं, अन्य लोग उन सभी बातों का अध्ययन करने के लिए उत्सुक होते हैं जो वे मानते हैं कि उन्हें जीवन में मदद करेंगी। इन्हें घर पर मुफ़्त बाइबल कक्षाओं की पेशकश अकसर आकर्षक लगती है। कुछ मिशनरी इस पेशकश को समझाते हैं और फिर कहते हैं: “मैं आपको दिखाना चाहता हूँ कि हम इसे कैसे करते हैं। अगर आपको पसन्द आए तो आप इसे जारी रख सकते हैं। अगर आपको पसन्द नहीं आए, तो फिर आपकी मर्ज़ी।” जब इसे इस तरह प्रस्तुत किया जाता है, तो लोग इसे स्वीकार करने से नहीं घबराते।
एक और साक्षी, जिन्होंने अनेक ग़रीब और कम शिक्षित लोगों की मदद की है, कहती हैं: “मैंने बाइबल अध्ययन आरम्भ करने में ट्रैक्टों को ख़ासकर सहायक पाया है।” चाहे वे किसी भी प्रकाशन का इस्तेमाल करें, पूर्ण-समय के शिक्षक बाइबल पर मुख्य ज़ोर देने की कोशिश करते हैं। कॉरोलॉ कहती हैं: “पहले अध्ययन में मैं केवल चित्रों और क़रीब पाँच शास्त्रवचनों का प्रयोग करती हूँ, ताकि मुख्य मुद्दे विशिष्ट हों और बाइबल कठिन न लगे।”
दिलचस्पी को सजीव रखना
लोग प्रगति करने की भावना का आनन्द लेते हैं, सो जॆनिफर सुझाती हैं: “अध्ययन को सजीव बनाइए। आगे बढ़िए।” किसी भी सप्ताह चूके बिना नियमित रूप से अध्ययन संचालित करना भी उन्हें यह महसूस करने में मदद करता है कि वे प्रगति कर रहे हैं। एक ख़ास पायनियर, जो गाँव में पले-बढ़े थे, व्याख्याओं को सरल बनाने और मुख्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के महत्त्व को समझाते हैं, ताकि थोड़ी-सी शिक्षा पाए हुए लोग भी प्रगति कर सकें। वो कहते हैं: “मेरे गाँव में बीज बोने के बाद हमें ज़मीन पर पानी छिड़कना पड़ता था। अगर हम खेत को पानी से तर-बतर कर देते, तो मिट्टी की ऊपरी परत सख़्त बन जाती जिसमें से अंकुरित होनेवाले बीज बाहर नहीं आ सकते थे, और वे मर जाते थे। उसी तरह, अगर आप नयी-नयी दिलचस्पी दिखानेवाले लोगों को अनेक मुद्दे एक साथ बताएँ, तो यह शायद उन्हें बहुत ही कठिन लगे और वे हार मान जाएँ।” अगर उन्हें समझ में प्रगति करनी है, तो जिज्ञासु मनवाले लोगों को भी एक समय पर एक ही विषय पर ध्यान केंद्रित करना सीखना चाहिए। यीशु ने अपने प्रेरितों को कहा: “मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।”—यूहन्ना १६:१२.
दिलचस्पी को सजीव रखने का एक और तरीक़ा है उन लोगों को, जिनकी आपने भेंट की है, आपके चले जाने के बाद परमेश्वर के वचन के बारे में सोचना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना। योलांडा सुझाती हैं: “एक सवाल छोड़कर आइए। उन्हें कुछ गृहकार्य करने के लिए दीजिए, जैसे बाइबल का एक भाग पढ़ना या उनसे सम्बन्धित किसी विषय पर छान-बीन करना।”
यहोवा के लिए प्रेम विकसित करना
आपका आनन्द बढ़ेगा जब आप अपने विद्यार्थियों की “वचन पर चलनेवाले” बनने में मदद करते हैं “और केवल सुननेवाले ही नहीं।” (याकूब १:२२) आप यह कैसे कर सकते हैं? सच्चे मसीही यहोवा के लिए प्रेम से प्रेरित होते हैं। पेद्रो, जो मॆक्सिको से हैं, समझाते हैं: “लोग उस व्यक्ति से प्यार नहीं कर सकते जिसे वे नहीं जानते, सो अध्ययन के बिलकुल आरम्भ से ही, मैं उन्हें बाइबल से परमेश्वर का नाम सिखाता हूँ, और मैं यहोवा के गुणों पर ज़ोर देने के लिए अवसरों को ढूँढ़ता हूँ।” वार्तालाप में, आप यहोवा के लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के द्वारा उसके लिए क़दर बढ़ा सकते हैं। एलिज़ाबॆथ कहती हैं: “मैं हमेशा यहोवा की भलाई का उल्लेख करने की कोशिश करती हूँ। मेरे अध्ययनों के दौरान अगर मैं एक सुंदर फूल, एक मनोहर पंछी, या एक प्रमुदित बिलौटा देखती हूँ, तो मैं हमेशा बताती हूँ कि यह यहोवा की रचना है।” “जिस वास्तविकता के तौर पर आप परमेश्वर के प्रतिज्ञात नए संसार के बारे में जानते हैं, उसके बारे में वैसे ही बात कीजिए,” जॆनिफर सुझाती हैं। “पूछिए कि वे लोग नए संसार में क्या करना चाहेंगे।”
जब एक व्यक्ति उस पर क़दरदानीपूर्वक मनन करता है जो वह यहोवा के बारे में सीखता है, तो वह उसके दिल में समा जाता है और उसे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। किन्तु वह मनन नहीं कर सकता जब तक उसे वे बातें याद नहीं रहतीं। प्रत्येक अध्ययन के बाद तीन या चार मुख्य मुद्दों का एक संक्षिप्त पुनर्विचार, याद रखने के लिए एक साधन है। अनेक बाइबल शिक्षक नए लोगों को एक टिप्पणी के साथ मुख्य शास्त्रवचनों को उनकी बाइबल के पीछे लिखवाते हैं। इंग्लैंड से एक मिशनरी पुनर्विचारों का एक और फ़ायदा समझाती हैं: “मैं पूछती हूँ कि इस जानकारी ने उनकी कैसे मदद की है। इससे वे यहोवा के मार्गों और नियमों पर क़दरदानीपूर्वक मनन करने लगते हैं।”
गिलियड की तीसरी कक्षा से स्नातक होनेवाली एक वफ़ादार साक्षी कहती हैं: “हमें उत्साही होना चाहिए। हमारे विद्यार्थियों को एहसास होना चाहिए कि हम जो सिखाते हैं उस पर हम विश्वास करते हैं।” वह विश्वास जिसने आपको एक आनन्दित ‘काम करनेवाला’ बनाया है, फैल सकता है अगर आप उसे व्यक्त करें।—याकूब १:२५.
“मैंने पाया कि लोग परमेश्वर के अधिक निकट महसूस करते हैं अगर मैं उन्हें उनकी प्रार्थनाओं के जवाब समझने में उनकी मदद करती हूँ,” एक साक्षी कहती हैं जिन्होंने अनेक लोगों की यहोवा की उपासना करने के लिए मदद की है। “मैं उन्हें अपने अनुभव से उदाहरण देती हूँ, जैसा कि यह: जब मैं और मेरी साथी पायनियरों के तौर पर एक नई नियुक्ति पर पहुँचे, तो हमारे पास केवल कुछ सब्ज़ियाँ, और मारजरीन का एक पैकेट था, और एक भी फूटी कौड़ी नहीं थी। हमने रात का खाना खाया और कहा, ‘अब हमारे पास कल के लिए कुछ नहीं है।’ हमने इसके बारे में प्रार्थना की, और सो गए। अगली सुबह प्रातः एक स्थानीय साक्षी आयी और अपना परिचय देते हुए कहा, ‘मैंने प्रार्थना की कि यहोवा पायनियरों को भेजेगा। अब मैं आपके साथ लगभग पूरा दिन रह सकती हूँ, लेकिन क्योंकि मैं गाँव में रहती हूँ, मुझे दोपहर का भोजन आपके साथ करना होगा, सो मैं हम सब के लिए अपने साथ यह खाना लायी हूँ।’ वह ढेर सारा माँस और सब्ज़ियाँ थीं। मैं हमेशा अपने विद्यार्थियों से कहती हूँ कि अगर हम यहोवा के राज्य को प्रथम स्थान देते हैं तो वह हमें कभी नहीं छोड़ता है।”—मत्ती ६:३३.
व्यावहारिक मदद दीजिए
मसीह के शिष्य बनाने में एक बाइबल अध्ययन संचालित करने से ज़्यादा शामिल है। एक मिशनरी जिन्होंने अनेक सालों तक एक सफ़री ओवरसियर के रूप में सेवा की, कहते हैं: “उन्हें समय दीजिए। अध्ययन समाप्त होने पर फ़ौरन मत भागिए। अगर उचित हो, तो कुछ देर तक रुकिए और बात कीजिए।” एलिज़ाबॆथ कहती हैं: “मैं उनमें दिलचस्पी लेती हूँ क्योंकि इसमें जीवन अन्तर्ग्रस्त है। कई बार मैं उनके बारे में ऐसे चिन्ता करती हूँ मानो वे मेरे बच्चे हों।” अन्य साक्षियों ने ये सुझाव दिए: “जब वे बीमार हों तो उनसे भेंट कीजिए।” “अगर आप उनके घर के क़रीब हैं, उदाहरण के लिए क्षेत्र सेवकाई में, तो उनसे अन्य साक्षियों का परिचय करवाने के लिए उन्हें छोटी भेंट दीजिए।” ईवा कहती हैं: “जीवन में उस व्यक्ति की पृष्ठभूमि और परिस्थिति को समझने के लिए ध्यानपूर्वक सुनिए। इसका असर, लोग सच्चाई के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं उस पर होता है और उनकी प्रगति में बाधा डाल सकता है। उनके मित्र बनिए, ताकि उनके पास अपनी समस्याओं के बारे में बात करने के लिए भरोसा हो।” कैरल आगे कहती हैं: “उस व्यक्ति में असली दिलचस्पी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि सच्चाई उसके जीवन में जो परिवर्तन लाएगी कभी-कभी उसका अर्थ होता है परिवार और दोस्तों को खोना। सामान्यतः, यह अच्छा है कि विद्यार्थी जानता हो कि हम कहाँ रहते हैं और उसमें किसी भी वक़्त हमारे पास आने का विश्वास हो।” कलीसिया को अपने नए परिवार के तौर पर देखने के लिए उसकी मदद कीजिए।—मत्ती १०:३५; मरकुस १०:२९, ३०.
“व्यावहारिक मदद देने के लिए सचेत रहिए। सभाओं में उनके साथ बैठिए, और उनके बच्चों को सम्भालने में उनकी मदद कीजिए,” योलांडा कहती हैं। नए लोगों को यह दिखाना कि अपने बच्चों को प्रशिक्षित कैसे करें, स्वच्छता के अपने स्तर को कैसे सुधारें, सभाओं के लिए टिप्पणियाँ कैसे तैयार करें, और ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल में भाषण कैसे दें, यह सब कुछ शिष्य-बनाने के कार्य का एक भाग है। एक और बहन आगे कहती हैं: “नए लोगों को सेवकाई के लिए प्रशिक्षित करना महत्त्वपूर्ण है। जब प्रशिक्षण के इस पहलू को नज़रअंदाज़ किया जाता है, तो कुछ लोग प्रचार कार्य के बारे में भयभीत रहते हैं, यहोवा की सेवा करने में अपना आनन्द खो देते हैं, और धीरज धरने से चूक जाते हैं।” सो घर-घर के कार्य में, पुनःभेंट करने में, और बाइबल अध्ययन आरम्भ करने में ध्यानपूर्ण प्रशिक्षण दीजिए। आपका आनन्द बड़ा होगा जब आप अपने विद्यार्थी को आपकी मदद और मार्गदर्शन से प्रगति करते देखते हैं।
धीरज धरने के लिए उन्हें मज़बूत कीजिए
“विद्यार्थी के बपतिस्मा प्राप्त कर लेने के बाद अध्ययन की उपेक्षा करने की प्रवृत्ति होती है,” एक अनुभवी शिष्य बनानेवाली आगाह करती हैं। दोनों, शिक्षक और विद्यार्थी को याद रखना चाहिए कि नव बपतिस्मा-प्राप्त मसीही आध्यात्मिक रूप से प्रौढ़ होने से कोसों दूर है। उसे अपने विश्वास में, परमेश्वर के नियम के लिए अपनी क़दरदानी में, और यहोवा के लिए अपने प्रेम में उसे बहुत बढ़ना है। उसे व्यक्तिगत अध्ययन की अच्छी आदतों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना अत्यावश्यक है ताकि वह उन्नति करना जारी रखेगा।—१ तीमुथियुस ४:१५.
उस नए व्यक्ति को प्रगति करने और भाइयों की संगति का एक सत्कारशील सदस्य बनने के लिए शायद मदद की ज़रूरत हो। जैसे-जैसे वह भाइयों के क़रीब आता है, उसे उनकी अपरिपूर्णताओं से व्यवहार करने में शायद मार्गदर्शन की ज़रूरत हो। (मत्ती १८:१५-३५) उसे एक निपुण शिक्षक बनने के लिए शायद मदद की ज़रूरत हो, जो अपना अनुसंधान ख़ुद करने में समर्थ हो। एक मिशनरी कहती हैं: “बपतिस्मे के बाद एक विद्यार्थी शिक्षक के रूप में अपनी क्षमता को सुधारना चाहती थी, सो उसने मुझसे कहा, ‘मुझे अगले सप्ताह एक नया अध्ययन संचालित करना है, लेकिन मुझे उन प्रारम्भिक अध्यायों की अपनी याद को ताज़ा करने की ज़रूरत है जिनका मैंने अध्ययन किया। कृपया क्या आप एकेक करके, इन अध्यायों की चर्चा मेरे साथ फिर एक बार करेंगी, ताकि मैं शास्त्रवचनों और चित्रों की व्याख्या को लिख सकूँ, और फिर जब मैं अपने अध्ययन को जाऊँगी तो उनका प्रयोग कर सकती हूँ?’ वह एक उत्कृष्ठ शिक्षक बन गयी है, जिसके चार विद्यार्थियों ने एक ही सम्मेलन में बपतिस्मा प्राप्त किया।”
शिष्य बनाना प्रयास के योग्य क्यों है
“शिष्य बनाने का अर्थ है यहोवा के अधिक स्तुतिकर्ता। सच्चाई को स्वीकार करनेवालों के लिए इसका अर्थ जीवन होता है,” पामॆलॆ कहती हैं। “मुझे दूसरों को सच्चाई सिखाना बहुत पसन्द है—यह कितनी सुंदर अनुभूति है! व्यक्ति उस विद्यार्थी को आहिस्ते-आहिस्ते बढ़ते हुए, अपने जीवन में परिवर्तन करते हुए और उन बाधाओं को पार करते हुए देखता है जो यहोवा की आत्मा के बग़ैर अलंघ्य लगतीं। वे अनेक लोग जो यहोवा से प्रेम करने लगे हैं, मेरे बहुत प्रिय दोस्त बन गए हैं।”
“जब मैं उन लोगों के बारे में सोचती हूँ जिन्हें मैंने शिष्य बनने में मदद दी है,” जर्मनी से एक मिशनरी कहती हैं, “तो मैं कुछ बहुत ही संकोची लोगों को देखती हूँ जिन्होंने परमेश्वर के सेवकों के तौर पर इतनी प्रगति की है कि मैं शायद ही इस बात पर यक़ीन कर सकती हूँ। मैं लोगों को देखती हूँ जो अलंघ्य बाधाओं को पार करते हैं, ज़ाहिर है यहोवा की मदद से। मैं ऐसे परिवारों को देखती हूँ जो कभी टूटे हुए थे लेकिन अब एक हैं —आनन्दित बच्चों के साथ ज़िम्मेदार माता-पिता। मैं लोगों को अर्थपूर्ण जीवन का आनन्द लेते हुए, यहोवा की स्तुति करते हुए देखती हूँ। शिष्य बनाने का यही आनन्द है।”
जी हाँ, शिष्य-बनाने के कार्य में यहोवा परमेश्वर का एक सहकर्मी होना, अतुल्य आनन्द का एक स्रोत है। मिशनरियों और पायनियरों के अनुभवों ने यह साबित किया है। आप भी यही आनन्द और संतुष्टि पा सकते हैं अगर आप इन सुझावों को लागू करेंगे और इन पर अमल करने में पूरे हृदय से कार्य करेंगे। यहोवा की आशिष के साथ, आपका आनन्द पूरा होगा।—नीतिवचन १०:२२; १ कुरिन्थियों १५:५८.