लुदिया पहुनाई दिखानेवाली परमेश्वर की भक्त
प्राचीन समय से, सच्चे परमेश्वर के सेवकों ने अपनी पहुनाई की वजह से ख़ुद की पहचान बनाई। (उत्पत्ति १८:१-८; १९:१-३) “अजनबियों के लिए प्रेम, चाहत, या कृपा” के तौर पर परिभाषित पहुनाई जो एक निष्कपट हृदय से उमड़ती है, आज भी सच्ची मसीहियत का एक चिन्ह है। वास्तव में, यह उन सब लोगों के लिए एक माँग है जो स्वीकृत रूप से परमेश्वर की सेवा करते।—इब्रानियों १३:२; १ पतरस ४:९.
एक व्यक्ति जिसने अनुकरणीय रूप से पहुनाई दिखाई वह लुदिया थी। उसने फिलिप्पी में भेंट कर रहे मसीही मिशनरियों को अपने घर पर ठहरने के लिए ‘मना’ लिया। (प्रेरितों १६:१५) हालाँकि शास्त्र में लुदिया के बारे में केवल संक्षिप्त में ज़िक्र किया गया है, लेकिन जो भी थोड़ा-बहुत उसके बारे में कहा गया है वह हमारे प्रोत्साहन के लिए हो सकता है। किस तरीक़े से? लुदिया कौन थी? हम उसके बारे में क्या जानते हैं?
“बैंजनी कपड़े बेचनेवाली”
लुदिया मकिदुनिया के मुख्य नगर फिलिप्पी में रहती थी। लेकिन, वह पश्चिमी एशिया माईनर में, लुदिया के क्षेत्र के एक शहर, थुआथीरा की थी। इस कारण कुछ लोग सुझाते हैं कि “लुदिया” उसका उपनाम था जो उसे फिलिप्पी में दिया गया था। दूसरे शब्दों में, वह उसी तरह से “लुदियानी” थी जिस तरह उस स्त्री को जिसे यीशु मसीह ने गवाही दी “सामरी स्त्री” कहा जा सकता था। (यूहन्ना ४:९) लुदिया “बैंजनी” या इस डाई से रंगा हुआ सामान बेचती थी। (प्रेरितों १६:१२, १४) थुआथीरा और फिलिप्पी दोनों में डाई बनानेवालों का अस्तित्व पुरातत्वविज्ञानियों द्वारा खोदकर निकाले गए अभिलेखों से प्रमाणित है। यह संभव है कि लुदिया अपने काम की वजह से स्थानांतरित हुई थी, या तो अपने ख़ुद के व्यापार के कारण या डाई बनानेवालों की थुआथीरी कम्पनी के एक प्रतिनिधि के तौर पर।
बैंजनी डाई अनेक स्रोतों से पाई जा सकती थी। सबसे ज़्यादा महँगी ख़ास प्रकार के समुद्री मृदुकवची से बनाई जाती थी। प्रथम-शताब्दी रोमी कवि मार्शल के अनुसार, सोर (दूसरा केन्द्र जहाँ यह पदार्थ उत्पन्न किया जाता था) के सर्वोत्तम बैंजनी वस्त्र की क़ीमत १०,००० सेस्टर्स [रोमी सिक्के], या २,५०० दीनार, एक मज़दूर की २,५०० दिन की मज़दूरी के बराबर तक हो सकती थी। स्पष्ट रूप से, ऐसे कपड़े विलासिता की चीज़ें थीं जिसे थोड़े लोग ही ख़रीद सकते थे। सो लुदिया आर्थिक रूप से धनवान रही होगी। चाहे जो भी हो, वह प्रेरित पौलुस और उसके साथी—लूका, सीलास, तीमुथियुस, और शायद अन्यों को पहुनाई जताने में समर्थ थी।
फिलिप्पी में पौलुस का प्रचार करना
लगभग सा.यु., ५० में, पौलुस ने पहली बार यूरोप में क़दम रखा और फिलिप्पी में प्रचार करना शुरू किया।a जब वह एक नए शहर में पहुँचता था, तो पौलुस की यह रीति थी कि वह आराधनालय में जाकर वहाँ जमा हुए यहूदियों और यहूदी-मत-धारकों को पहले प्रचार करता था। (प्रेरितों १३:४, ५, १३, १४; १४:१ से तुलना कीजिए।) लेकिन, कुछ लोगों के अनुसार, रोमी नियम यहूदियों को फिलिप्पी की “पवित्र चारदीवारी” के बीच अपने धर्म का अभ्यास करने से वर्जित करता था। इसलिए, वहाँ “कुछ दिन” बिताने के बाद, सब्त के दिन मिशनरियों ने नगर के बाहर नदी के किनारे एक स्थान पाया जहाँ ‘उन्होंने समझा कि प्रार्थना करने का स्थान होगा।’ (प्रेरितों १६:१२, १३) यह प्रत्यक्ष रूप से गॉनगीटीस नदी थी। वहाँ मिशनरियों ने केवल स्त्रियों को पाया, जिनमें से एक लुदिया थी।
“परमेश्वर की भक्त”
लुदिया “परमेश्वर की भक्त” थी, लेकिन शायद वह धार्मिक सत्य की खोज में एक यहूदी-मत-धारक थी। हालाँकि उसके पास एक अच्छा काम था, फिर भी लुदिया भौतिकवादी नहीं थी। इसके बजाय, उसने आध्यात्मिक बातों के लिए समय आरक्षित किया। “प्रभु ने उसका मन खोला कि वह पौलुस की बातों पर ध्यान लगाए,” और लुदिया ने सत्य को स्वीकार किया। वास्तव में, “उसने और उसके परिवार ने बपतिस्मा लिया।”—प्रेरितों १६:१४, १५, NHT.
बाइबल यह स्पष्ट नहीं करती कि लुदिया के परिवार के अन्य सदस्य कौन थे। क्योंकि उसके पति का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है, शायद वह कुँवारी या विधवा रही होगी। संभवतः ‘उसका परिवार’ रिश्तेदारों से मिलकर बना था, लेकिन यह अभिव्यक्ति दासों या सेवकों को भी सूचित कर सकती है। चाहे जो भी हो, लुदिया ने जिन बातों को सीखा था उन्हें उत्साहपूर्वक उनके साथ बाँटा जो उसके साथ रहते थे। और उसे क्या ही आनन्द हुआ होगा जब उन्होंने विश्वास किया और सच्चे विश्वास को स्वीकार किया!
“वह हमें मनाकर ले गई”
लुदिया से मिलने से पहले, शायद मिशनरियों को अपने ख़र्च पर लिए गए आवासों से ही सन्तुष्ट रहना पड़ा होगा। लेकिन वह उन्हें वैकल्पिक आवासों को प्रदान करने में समर्थ होने पर ख़ुश थी। फिर भी, यह तथ्य कि उसे मनाना पड़ा, यह सूचित करता है कि पौलुस और उसके साथियों ने कुछ विरोध प्रकट किया था। क्यों? पौलुस ‘सुसमाचार का मुफ़्त प्रचार करना, और अपने अधिकार को पूर्ण रीति से उपयोग में नहीं लाना’ चाहता था, और किसी पर भार नहीं बनना चाहता था। (१ कुरिन्थियों ९:१८; २ कुरिन्थियों १२:१४, NHT) लेकिन लूका आगे कहता है: “जब उस ने अपने घराने समेत बपतिस्मा लिया, तो उस ने बिनती की, कि यदि तुम मुझे प्रुभु की विश्वासिनी समझते हो, तो चलकर मेरे घर में रहो; और वह हमें मनाकर ले गई।” (प्रेरितों १६:१५) लुदिया यहोवा के प्रति विश्वासयोग्य होने के बारे में सबसे ज़्यादा चिन्तित थी, और पहुनाई की पेशकश रखना प्रत्यक्ष रूप से उसके विश्वास का एक प्रमाण था। (१ पतरस ४:९ से तुलना कीजिए।) क्या ही श्रेष्ठ उदाहरण! क्या हम भी सुसमाचार के हितों को बढ़ावा देने के लिए अपनी सम्पत्ति प्रयोग करते हैं?
फिलिप्पी के भाई
दुष्टात्मा-ग्रस्त दासी को लेकर होनेवाली घटना के बाद, जब पौलुस और सीलास को बन्दीगृह से छोड़ दिया गया था, वे लुदिया के घर वापस गए, जहाँ उन्होंने कुछ भाइयों को पाया। (प्रेरितों १६:४०) फिलिप्पी की नयी-नयी स्थापित कलीसिया के विश्वासियों ने शायद लुदिया के घर को नियमित सभा स्थान के रूप में इस्तेमाल किया हो। यह सोचना तर्कसंगत है कि उसका घर उस नगर में लगातार ईश्वरशासित गतिविधियों का केन्द्र रहा होगा।
लुदिया द्वारा दिखायी गई प्रारम्भिक हार्दिक पहुनाई बाद में पूरी कलीसिया की ख़ासियत साबित हुई। अपनी ग़रीबी के बावजूद, अनेक अवसरों पर फिलिप्पी के मसीहियों ने पौलुस को उसकी ज़रूरत की वस्तुएँ भेजी थीं, और वह प्रेरित कृतज्ञ था।—२ कुरिन्थियों ८:१, २; ११:९; फिलिप्पियों ४:१०, १५, १६.
सामान्य युग ६०-६१ के लगभग पौलुस द्वारा फिलिप्पियों के नाम भेजी गई पत्री में लुदिया का ज़िक्र नहीं है। शास्त्र यह प्रकट नहीं करता कि प्रेरितों के अध्याय १६ में लिखित घटनाओं के बाद उसका क्या हुआ। फिर भी, इस सशक्त स्त्री का संक्षिप्त उल्लेख हममें ‘पहुनाई में लगे रहने’ की इच्छा पैदा करता है। (रोमियों १२:१३) हमारे बीच लुदिया जैसी मसीहियों के होने के लिए हम कितने आभारी हैं! उनकी भावना, यहोवा परमेश्वर की महिमा के लिए, कलीसियाओं को स्नेही और दोस्ताना बनाने में काफ़ी कुछ करती है।
[फुटनोट]
a मकिदुनिया के सबसे प्रमुख नगरों में, फिलिप्पी तुलनात्मक रूप से समृद्ध यॉस इटॉलीकुम (इतालवी नियम) द्वारा शासित सैन्य बस्ती थी। इस क़ानून ने फिलिप्पी नागरिकों को वैसे ही अधिकारों का आश्वासन दिया जिनका आनन्द रोमी नागरिक उठाते थे।—प्रेरितों १६:९, १२, २१.
[पेज 28 पर बक्स]
फिलिप्पी में यहूदी जीवन
यहूदियों और यहूदी-मत-धारकों के लिए फिलिप्पी में जीवन आसान नहीं रहा होगा। शायद वहाँ कुछ यहूदी-विरोधी भावनाएँ रही हों, क्योंकि पौलुस की भेंट से थोड़े ही समय पहले, सम्राट क्लॉडिअस ने यहूदियों को रोम से देशनिकाला दे दिया था।—प्रेरितों १८:२ से तुलना कीजिए।
उल्लेखनीय रूप से, उस दासी को चंगा करने के बाद जिसमें भविष्य बतानेवाली आत्मा थी, पौलुस और सीलास को प्रधानों के पास खींचकर ले जाया गया। उसके स्वामियों ने, जिनका अब बड़ी कमाई का स्रोत छिन चुका था, दावे के साथ यह कहने के द्वारा अपने संगी नागरिकों की पूर्वधारणा का दुरुपयोग किया: “ये लोग जो यहूदी हैं, हमारे नगर में बड़ी हलचल मचा रहे हैं। और ऐसे व्यवहार बता रहे हैं, जिन्हें ग्रहण करना या मानना हम रोमियों के लिए ठीक नहीं।” (तिरछे टाइप हमारे।) परिणामस्वरूप, पौलुस और सीलास को बेत मारे गए और वे बन्दीगृह में डाल दिए गए। (प्रेरितों १६:१६-२४) ऐसे माहौल में, यहूदियों के परमेश्वर, यहोवा की खुले आम उपासना करना, साहस की माँग करता था। लेकिन स्पष्ट रूप से लुदिया ने अलग होने में एतराज़ नहीं किया।
[पेज 27 पर तसवीरें]
फिलिप्पी में खण्डर