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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
w96 9/15 पेज 29-31

मिट्टी में वापस कैसे?

“तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।” जब पहले मनुष्य, आदम ने इन शब्दों को सुना, तो वह जानता था कि क्या अपेक्षा करे। उसे भूमि की मिट्टी से बनाया गया था और वह मात्र मिट्टी में फिर मिल जाता। वह मरता क्योंकि उसने अपने सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्‍वर की अवज्ञा की थी।—उत्पत्ति २:७, १५-१७; ३:१७-१९.

बाइबल दिखाती है कि मनुष्य मिट्टी से बने हैं। वह यह भी कहती है: “जो प्राण पाप करता है—वह स्वयं मर जाएगा।” (यहेजकेल १८:४ NW; भजन १०३:१४) मृत्यु ने करोड़ों लोगों को शोकित किया है और मानव शव की अंत्येष्टि के बारे में बार-बार सवाल उठाए हैं।

पुराने और वर्तमान अभ्यास

प्राचीन समय के परमेश्‍वर के लोगों के बीच मानव शवों की अंत्येष्टि कैसे की जाती थी? अपने आरंभिक पृष्ठों में, बाइबल मृत्तकों के साथ अनेक तरीक़ों से व्यवहार करने के बारे में ज़िक्र करती है, जिसमें भूमि में गाड़ना भी शामिल है। (उत्पत्ति ३५:८) कुलपिता इब्राहीम और उसकी पत्नी सारा, साथ-ही-साथ उसके बेटे इसहाक और पोते याकूब को मकपेलावाली गुफ़ा में गाड़ा गया था। (उत्पत्ति २३:२, १९; २५:९; ४९:३०, ३१; ५०:१३) इस्राएली न्यायी गिदोन और शिमशोन को ‘उनके पिता की कबर में’ गाड़ा गया। (न्यायियों ८:३२; १६:३१) यह दिखाता है कि परमेश्‍वर के प्राचीन लोगों के बीच पारिवारिक क़ब्रिस्तान का होना पसन्द किया जाता था। जब सा.यु. प्रथम शताब्दी में यीशु मसीह मरा, तो उसकी लोथ को चट्टान में खोदी गई एक नई क़ब्र में रखा गया। (मत्ती २७:५७-६०) तो फिर, आम तौर पर मानव शव भूमि में गाड़े जाते या मक़बरों में रखे जाते थे। संसार-भर के अधिकांश क्षेत्रों में अभी तक यही रीति है।

लेकिन, संसार के कुछ भागों में आज, जगह कि गंभीर कमी और ज़मीन की ऊँची क़ीमत क़ब्र के स्थानों को प्राप्त करना और अधिक कठिन बना रही हैं। इसलिए, कुछ लोग मानव शवों की दूसरे तरीक़ों से अंत्येष्टि करने पर विचार कर रहे हैं।

मानव शवों के शव-दाह के बाद राख़ को छितराना ज़्यादा आम होता जा रहा है। इंग्लैंड में लगभग ४० प्रतिशत शवों की अब इसी तरह से अंत्येष्टि की जाती है। स्वीडन में, जहाँ शहरी इलाकों में मरनेवालों के ८० प्रतिशत से ज़्यादा लोगों का शव-दाह किया जाता है, राख़ को छितराने के लिए ख़ास जंगल ठहराए गए हैं। और शैंघाई और चीन के कुछ अन्य तटवर्ती शहरों में, शहरी सरकारें साल में कई बार समुद्र में जन विसर्जन आयोजित करती हैं।

राख़ कहाँ छितरायी जा सकती है? हर जगह पर नहीं। कुछ लोग शायद डरें कि राख़ को छितराना पर्यावरण के लिए नुक़सानदेह है। फिर भी, वास्तव में, शव-दाह से किसी भी प्रकार की महामारी का संभाव्य ख़तरा ख़त्म हो जाता है। इंग्लैण्ड के कुछ क़ब्रिस्तानों ने और अमरीका में स्मृति वनों ने दलान या फूलों के बग़ीचे राख़ छितराव के लिए अलग रखे हैं। निश्‍चित ही, शव-दाह और राख के छितराने के विषय में मसीही ख़ास तौर पर शास्त्रीय दृष्टिकोण के बारे में परवाह करते हैं।

शास्त्रीय दृष्टिकोण क्या है?

“बाबुल के राजा” के विरुद्ध उद्‌घोषणाओं में, भविष्यवक्‍ता यशायाह ने कहा: “तू . . . कबर में से फेंका गया।” (यशायाह १४:४, १९) क्या राख़ को छितराने की तुलना अपमान के ऐसे मामले से की जा सकती है? नहीं, क्योंकि यहाँ पर न तो शव-दाह का और न ही उससे प्राप्त राख़ को सुरक्षित रखने या छितराने का कोई ज़िक्र है।

यीशु मसीह ने मृतकों के उस पार्थिव पुनरुत्थान के बारे में बताया जो उसके सहस्राब्दिक शासन के दौरान होगा, जब उसने कहा: “जितने कब्रों में हैं, [मेरा] शब्द सुनकर निकलेंगे।” (यूहन्‍ना ५:२८, २९) लेकिन, पुनरुत्थान के एक अन्य भविष्यसूचक वृत्तान्त में इसकी पुष्टि की गई है कि यह ज़रूरी नहीं कि एक व्यक्‍ति का पुनरुत्थान करने के लिए एक ख़ास कब्र की माँग की जाती है। प्रकाशितवाक्य २०:१३ कहता है: “समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया।” तो, ख़ास बात यह नहीं कि कहाँ या कैसे एक व्यक्‍ति ‘मिट्टी में फिर मिल जाता है।’ इसके बजाय, यह है कि क्या उसे परमेश्‍वर द्वारा याद किया जाता और पुनरुत्थित किया जाता है या नहीं। (अय्यूब १४:१३-१५; लूका २३:४२, ४३ से तुलना कीजिए।) निश्‍चित रूप से यहोवा को लोगों की याद दिलाने के लिए शानदार मक़बरों की ज़रूरत नहीं है। शव-दाह एक व्यक्‍ति के पुनरुत्थान को नहीं रोकता। और यदि राख़ को छितराना उचित कारण और झूठे धर्म की रस्मों के बिना किया जाता है, तो यह शास्त्र की असहमति में नहीं होगा।

जो राख़ को छितराने के पक्ष में निर्णय करते हैं, उन्हें उस देश के क़ानून पर ध्यान देने की ज़रूरत होगी। उनके लिए शोकित लोगों और दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखना भी उचित होगा। यहोवा के सेवकों को इस बारे में सचेत रहना अच्छा होगा कि इस बारे में अपनी शास्त्रीय स्वतंत्रता का इस्तेमाल करना उस अच्छे नाम पर कलंक नहीं लगाता जो मसीही धारण करते हैं। यह ख़ास तौर पर उन देशों में महत्त्वपूर्ण है जहाँ शव-दाह और राख़ को छितराना क़ानूनी रूप से अनुमति प्राप्त है लेकिन अभी-भी समाज में पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं है। निश्‍चित ही, एक मसीही मानव प्राण की अमरता पर आधारित किसी भी रस्म या रीति-रिवाज़ों से दूर रहेगा।

क़ब्र से पूरी आज़ादी!

जो लोग राख़ के छितराने का समर्थन करते हैं यह कहते हैं कि इसका अर्थ क़ब्रों में गाड़े जाने से आज़ादी है। लेकिन, बाइबल की इस प्रतिज्ञा की पूर्ति सबसे ज़्यादा राहत लानेवाली होगी कि “सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।”—१ कुरिन्थियों १५:२४-२८.

इसका अर्थ यह है कि क़ब्रें, मक़बरे, यहाँ तक कि शव-दाह और राख़ को छितराना बीती बातें हो जाएँगी। जी हाँ, मृत्यु न रहेगी। ईश्‍वरीय उत्प्रेरणा के अधीन प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखा: “मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते हुए सुना, कि देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्‍वर होगा। और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।”—प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.

यह सब तब होगा जब आदम के पाप की वजह से होनेवाली मानव मृत्यु को परमेश्‍वर के राज्य के अधीन पूरी रीति से नष्ट कर दिया जाएगा। उस समय आज्ञाकारी मानवजाति को मिट्टी में फिर मिल जाने की प्रत्याशा का सामना नहीं करना होगा।

[पेज 29 पर तसवीरें]

मानव शव की अंत्येष्टि करने के साधारण तरीक़े

[पेज 31 पर तसवीरें]

सागामी खाड़ी, जापान में राख़ बिखेरते हुए

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