बाइबल हम तक कैसे पहुँची—भाग एक
भाग २ और ३ क्रमशः सितंबर १५ व अक्तूबर १५ के अंकों में प्रकाशित किए जाएँगे।
एक छोटी-सी दुकान में, एक छपाई करनेवाला और उसके युवा नौसिखिये, ताल से अपनी लकड़ी की बनी छपाई-मशीन चला रहे थे, और टाइप-बोर्ड पर ध्यानपूर्वक कोरे काग़ज़ रख रहे थे। जैसे-जैसे वे इन्हें निकालते वैसे-वैसे मुद्रित पाठ की जाँच करते। इस दीवार से उस दीवार तक लगी हुई डोरियों पर, वे इन मोड़े हुए पन्नों को सूखने के लिए टाँग देते थे। अचानक, ज़ोर से दरवाज़ा पीटने की आवाज़ आती है। डर के मारे, छापनेवाला दरवाज़े की कुण्डी खोलता है, और सशस्त्र सिपाहियों का एक दल धड़ाधड़ अंदर घुस आता है। वे सबसे निंदित क़िस्म के अवैध साहित्य के लिए तलाशी लेने लगते हैं—आम लोगों की भाषा में बाइबल!
सिपाहियों ने आने में बहुत देर कर दी। ख़तरे की ख़बर पाकर, अनुवादक और एक सहयोगी पहले ही भाग कर दुकान तक गए, हाथों से जितने हो सके उतने पन्ने बटोरे, और अब राइन नदी से होते हुए पलायन कर रहे हैं। उन्होंने अपने कार्य का कम-से-कम कुछ भाग तो बचा ही लिया।
इस मामले में अनुवादक था विल्यम टिंडेल, जो १५२५ में कलोंन, जर्मनी में अपना प्रतिबंधित अंग्रेज़ी “नया नियम” प्रकाशित करने की कोशिश कर रहा था। उसकी आपबीती कोई अनोखी बात नहीं थी। बाइबल का लिखा जाना समाप्त होने से लेकर लगभग पूरे १,९०० सालों के दरमियान, अनेक पुरुषों और स्त्रियों ने परमेश्वर के वचन का अनुवाद करने और उसे वितरित करने में अपना सब कुछ जोख़िम में डाला। हम आज भी उनके कार्य से लाभ उठाते हैं। उन्होंने क्या किया था? आज जो बाइबल हमारे पास हैं, वे हम तक कैसे पहुँचीं?
बाइबल की प्रारंभिक प्रतियाँ और अनुवाद
परमेश्वर के सच्चे सेवकों ने उसके वचन को हमेशा उच्च सम्मान दिया है। न्यू कैथोलिक एन्साइक्लोपीडिया बताती है: “अपने यहूदी पूर्वजों की तरह, प्रारंभिक मसीहियों ने पवित्र पुस्तकों के पठन को मूल्यवान समझा है। यीशु के आदर्श का अनुकरण करते हुए (मत्ती ४.४; ५.१८; लूका २४.४४; यूह. ५.३९), प्रेरित पु[राने] नि[यम] से वाक़िफ़ थे, जो काफ़ी और ध्यानपूर्वक पठन व अध्ययन को सूचित करता है, और उसने अपने शिष्यों से ऐसा करने का आग्रह किया। (रोमि. १५.४; २ तीमु. ३.१५-१७)।”
इस लिए, बाइबल की प्रतियाँ बनायी जानी थीं। मसीही-पूर्व समयों में, इसका अधिकांश कार्य बहुत ही उच्च कोटी के पेशेवर ‘कुशल नक़लनवीस’ द्वारा किया गया था जो ग़लती करने से डरते थे। (एज्रा ७:६, NW; ११, १२) परिशुद्ध प्रतियाँ बनाने की कोशिश में, उन्होंने बाद के सभी बाइबल नक़लनवीसों के लिए एक ऊँचा स्तर तय कर दिया।
लेकिन, सा.यु.पू. चौथी शताब्दी के दौरान एक चुनौती सामने आई। सिकंदर महान चाहता था कि संसार के सभी लोग यूनानी संस्कृति के बारे में शिक्षित हों। उसकी फ़तह ने पूरे मध्य पूर्व में आम यूनानी, अर्थात् किनी को सामान्य भाषा बना दिया। परिणामस्वरूप, अनेक यहूदियों की परवरिश ऐसे हुई कि वे इब्रानी भाषा पढ़ना कभी नहीं सीखे और इस वज़ह से वे शास्त्र पढ़ने में असमर्थ थे। इसीलिए, क़रीबन सा.यु.पू. २८० में, इब्रानी विद्वानों का एक समूह इब्रानी बाइबल को प्रचलित किनी में अनुवाद करने के लिए सिकंदरिया, मिस्र में इकट्ठा हुआ। उनका अनुवाद “सत्तर” के लिए लातिन शब्द सॆप्टुअजॆंट के नाम से जाना जाने लगा। यह उन अनुवादकों की मोटा-मोटी संख्या को सूचित करता है जिन्होंने माना जाता है कि इसमें भाग लिया। यह सा.यु.पू. १५० के क़रीब पूरा हुआ।
यीशु के समय में, फिलिस्तीन में तब भी इब्रानी भाषा प्रयोग में थी। फिर भी वहाँ और रोमी जगत के अन्य दूरस्थ प्रांतों में किनी भाषा प्रमुख थी। इसीलिए, मसीही बाइबल लेखकों ने यूनानी के इस आम रूप का इस्तेमाल किया ताकि राष्ट्रों के लोगों तक यथासंभव पहुँचा जा सके। उन्होंने सॆप्टुअजॆंट से निस्संकोच उद्धृत किया और उसके कई पदों का प्रयोग किया।
चूँकि प्रारंभिक मसीही उत्साही मिशनरी थे, वे सॆप्टुअजॆंट के द्वारा यह साबित करने में बहुत जल्द माहिर हो गए कि यीशु ही काफ़ी समय से प्रतीक्षित मसीहा था। इससे यहूदी परेशान हो गए और यूनानी में नए अनुवाद और करने के लिए उत्तेजित हुए। और इन अनुवादों को ऐसे तैयार किया गया कि मसीही तर्क करने से चूक जाएँ क्योंकि उनके पसंदीदा प्रमाणवाले पाठों को बदल दिया गया था। मसलन, यशायाह ७:१४ में, सॆप्टुअजॆंट ने ऐसा यूनानी शब्द प्रयोग किया जिसका अर्थ “कुमारी” है, और जो भविष्यसूचक रूप से मसीहा की माँ को सूचित करता था। नए अनुवादों में एक भिन्न यूनानी शब्द का प्रयोग किया गया, जिसका अर्थ है “युवा स्त्री।” मसीहियों द्वारा सॆप्टुअजॆंट के लगातार प्रयोग ने आख़िरकार यहूदियों को अपनी पैंतरेबाज़ी त्यागने तथा इब्रानी पाठ की ओर वापस आने का बढ़ावा दिया। अंततः, यह कार्य बाद के बाइबल अनुवाद के लिए आशीष साबित हुआ क्योंकि इसने इब्रानी भाषा को ज़िंदा रखने में मदद की।
प्रथम मसीही पुस्तक प्रकाशक
उत्साही प्रारंभिक मसीही बाइबल की जितनी हो सके उतनी प्रतियाँ बनाने में लग गए और सब-की-सब प्रतियाँ हाथों से बनायी गयी थीं। ख़र्रो के प्रयोग को जारी रखने के बजाय, उन्होंने कोडॆक्स् के प्रयोग की शुरूआत भी की जिसमें आधुनिक पुस्तक की तरह पन्ने थे। तेज़ी से शास्त्रवचनों को ढूँढ़ निकालने में ज़्यादा सुविधाजनक होने के अलावा, एक ख़र्रे में जितना अभिलिखित किया जा सकता था, उससे ज़्यादा कोडॆक्स् के एक खंड में अभिलिखित किया जा सकता था—मसलन, पूरा यूनानी शास्त्र या यहाँ तक कि पूरी बाइबल भी।
अंतिम प्रेरित यूहन्ना की पुस्तकों के साथ मसीही यूनानी शास्त्र का संग्रह सा.यु. ९८ के क़रीब पूरा हो गया। राईलॆंड्ज़ पपाइरस ४५७ (P52) नामक यूहन्ना की सुसमाचार-पुस्तक की एक प्रति का एक भाग मौजूद है, जो सा.यु. १२५ से पहले की है। सामान्य युग १५० से १७० तक, जस्टिन मार्टर के एक विद्यार्थी, टेशॆन ने दियातेस्सॆरॉन प्रकाशित किया, जो कि यीशु के जीवन का संयुक्त वृत्तांत है जिसे उन्हीं चार सुसमाचार-पुस्तकों में से संकलित किया गया है जिन्हें हम अपनी वर्तमान बाइबलों में देखते हैं।a यह सूचित करता है कि उसने केवल उन सुसमाचार-पुस्तकों को वास्तविक माना और कि वे पहले ही प्रचलन में थीं। सा.यु. १७० के क़रीब, ‘नए नियम’ पुस्तकों की सबसे पुरानी ज्ञात सूची बनायी गयी थी जिसे म्यूरेटोरी खंड कहा जाता है। इसमें मसीही यूनानी शास्त्र की अधिकांश पुस्तकों की सूची दी गयी है।
मसीही विश्वासों के फैलाव ने जल्द ही मसीही यूनानी शास्त्र साथ ही इब्रानी शास्त्र के अनुवाद की माँग पैदा की। अंततः आर्मीनियाई, कोप्ट, जॉर्जियन, और सिरियाई जैसी भाषाओं में अनेक अनुवाद किए गए। अकसर बस इसी मक़सद के लिए वर्णमाला का आविष्कार करना पड़ा। मसलन, रोमन चर्च के चौथी-शताब्दी के एक बिशप, उल्फिलास के बारे में कहा जाता है कि उसने बाइबल का अनुवाद करने के लिए गोथ वर्णमाला का आविष्कार किया। लेकिन उसने राजाओं की पुस्तकों को छोड़ दिया क्योंकि उसने सोचा कि ये पुस्तकें गोथ लोगों की लड़ने की प्रवृत्तियों को बढ़ावा देंगी। लेकिन, इस कार्य ने “मसीहीकृत” गोथ लोगों को सा.यु. ४१० में रोम की लूटमार करने से नहीं रोका!
लातिनी और स्लेवोनियाई बाइबल
इस दरमियान, लातिन भाषा का महत्त्व बढ़ने लगा, और कई पुराने-लातिन अनुवाद दिखने लगे। लेकिन वे शैली और यथार्थता में एक दूसरे से भिन्न थे। सो सा.यु. ३८२ में, पोप डैमसस ने अपने सचिव, जेरोम को एक आधिकारिक लातिन बाइबल तैयार करने के लिए नियुक्त किया।
सबसे पहले जेरोम ने मसीही यूनानी शास्त्र के लातिन अनुवादों को संशोधित किया। लेकिन, इब्रानी शास्त्र के लिए उसने मूल इब्रानी से अनुवाद करने की ठानी। अतः सा.यु. ३८६ में, वह इब्रानी भाषा का अध्ययन करने और एक रब्बी से मदद प्राप्त करने की मंशा से बेथलेहम गया। ऐसा करने की वजह से, उसने चर्च समूह में काफ़ी वाद-विवाद उत्पन्न किया। कुछ लोग, जिनमें जेरोम का समकालीन अगस्तीन शामिल है, मानते थे कि सॆप्टुअजॆंट ईश्वर-प्रेरित रचना है, और उन्होंने जेरोम पर “यहूदियों के पास जाने” का इल्ज़ाम लगाया। आगे बढ़ते हुए, जेरोम ने सा.यु. ४०० के क़रीब अपना कार्य पूरा किया। मौलिक भाषाओं व दस्तावेज़ों के स्रोत के क़रीब जाने के द्वारा और उनका उस समय की आम बोली में अनुवाद करने के द्वारा, जेरोम अनुवाद के आधुनिक तरीक़ों से कुछ हज़ार साल आगे निकला। उसकी रचना वलगेट, या आम अनुवाद के नाम से जानी जाने लगी, और सदियों तक लोगों को इससे लाभ प्राप्त हुआ।
पूर्वी यूरोप के मसीहीजगत में अनेक लोग तब भी सॆप्टुअजॆंट और मसीही यूनानी शास्त्र को [यूनानी में] पढ़ सकते थे। लेकिन बाद में, आज की स्लेविक भाषाओं की अग्रदूत, पुरानी स्लेवोनियाई भाषा यूरोप के उत्तर-पूर्वी भाग में मुख्य भाषा बन गयी। सामान्य युग ८६३ में, यूनानी भाषा बोलनेवाले दो भाई, सिरिल व मिथोडीअस मोरेविया को गए, जो अब चॆक गणराज्य में है। उन्होंने बाइबल को पुरानी स्लेवोनियाई भाषा में अनुवाद करना शुरू किया। ऐसा करने के लिए, उन्होंने ग्लेगॆलिती वर्णमाला का आविष्कार किया, जिसकी जगह आख़िरकार सिरिलिक वर्णमाला ने ले ली, जो सिरिल के नाम से है। यह वर्तमान-दिन रूसी, यूक्रेनी, सरबियन, और बल्गेरियन लिपियों का स्रोत थी। स्लेवोनियाई बाइबल पीढ़ियों तक उस क्षेत्र के लोगों के काम आई। लेकिन, समय के साथ जैसे-जैसे भाषाएँ बदलीं, इसे समझना आम व्यक्ति के लिए असंभव बन गया।
इब्रानी बाइबल बच गई
इस अवधि के दरमियान, सा.यु. छठवीं से लेकर दसवीं शताब्दी के क़रीब, मसोरा नामक यहूदियों के एक समूह ने इब्रानी शास्त्र पाठ को बचाए रखने के लिए प्रतिलिपि बनाने के योजनाबद्ध तरीक़ों को विकसित किया। उन्होंने हस्तलिपियों में भिन्नताओं को लिखते हुए सभी पंक्तियों-लकीरों और यहाँ तक कि हरेक अक्षर की गिनती करने की कोशिश की। और यह सब उन्होंने वास्तविक पाठ को बचाए रखने के प्रयास में किया। उनके प्रयास बेकार नहीं गए। एक उदाहरण के लिए, आधुनिक मसोरा लेख को मृत सागर ख़र्रो के साथ, जिन्हें सा.यु.पू. २५० व सा.यु. ५० के दरमियान लिखा गया था, तुलना करने पर, १,००० से ज़्यादा साल गुज़रने के बावजूद कोई धर्म-सैद्धांतिक बदलाव नहीं दिखता है।b
यूरोप में मध्य युग सामान्यतः अंधकार युग के समान ही था। जनता में पढ़ना व सीखना कम हो रहा था। अंततः, पादरी भी, अधिकांशतः, चर्च की लातिन भाषा को पढ़ पाने में असमर्थ हो गए और वे अकसर अपनी खुद की भाषा भी नहीं पढ़ पाते थे। यूरोप में यह वही समय था जब यहूदियों को उनकी बस्तियों में हाँक दिया गया था। कुछ हद तक इस एकाकीकरण की वज़ह से, बाइबलीय इब्रानी ज्ञान को बनाए रखा जा सका। लेकिन, पूर्वधारणा और अविश्वास के कारण, यहूदियों का ज्ञान अकसर यहूदी बस्ती के बाहर नहीं पहुँचता था। पश्चिमी यूरोप में, यूनानी भाषा का ज्ञान भी घटता जा रहा था। जेरोम के लातिन वलगेट के प्रति पश्चिमी चर्च की श्रद्धा से यह स्थिति और भी बिगड़ गयी। इसे सामान्यतः एकमात्र आधिकृत अनुवाद माना जाता था, हालाँकि मसोरा अवधि की समाप्ति तक लातिन भाषा का नामो-निशान मिटता जा रहा था। अतः, जैसे-जैसे बाइबल को जानने की इच्छा धीरे-धीरे पनपने लगी, बहुत बड़े संघर्ष के लिए मंच तैयार हो चुका था।
बाइबल अनुवाद का विरोध
सन् १०७९ में, पोप ग्रेगरी सप्तम ने उन अनेक मध्ययुगीन चर्च-आदेशों में से पहले आदेश को जारी किया जिसने देशी बोली अनुवाद के उत्पादन और कभी-कभी इसे साथ रखने पर भी प्रतिबंध लगाया। उसने इस बिना पर स्लेवोनियाई भाषा में मिस्सा मनाने की अनुमति को रद्द करवाया कि इसके लिए पवित्र शास्त्र के कुछ भागों को अनुवाद करना ज़रूरी होता। प्रारंभिक मसीहियों की स्थिति से बिलकुल विपरीत, उसने लिखा: “यह बात सर्वशक्तिमान परमेश्वर की इच्छा है कि पवित्र शास्त्रवचन अमुक स्थानों पर गोपनीय रहे।” इसे गिरजे की अधिकारिक स्थिति मानते हुए, बाइबल पठन को बढ़ावा देनेवाले लोगों को अधिकाधिक ख़तरनाक समझा जाता था।
प्रतिकूल माहौल के बावजूद, आम भाषाओं में बाइबल की प्रतिलिपि बनाना और अनुवाद करना जारी रहा। यूरोप में अनेक भाषाओं में अनुवाद गुप्त रूप से वितरित किए जाते थे। ये सभी हाथ से लिखी हुई प्रतियाँ थीं, क्योंकि मध्य १४०० तक यूरोप में वियोज्य-टाइप मुद्रण का आविष्कार नहीं हुआ था। लेकिन, क्योंकि प्रतिलिपियाँ महँगी और सीमित संख्या में थीं, बाइबल की एक पुस्तक का मात्र एक भाग या बस कुछ पन्ने हासिल करने पर एक साधारण नागरिक शायद अपने आपको ख़ुशहाल समझता। कुछ लोगों ने तो बड़े-बड़े भागों को, यहाँ तक कि पूरे मसीही यूनानी शास्त्र को भी कंठस्थ कर लिया था!
लेकिन समय के बीतते, चर्च के सुधार के लिए व्यापक आंदोलन की हलचल हुईं। ये आंदोलन कुछ हद तक दैनिक जीवन में परमेश्वर के वचन के महत्त्व के बारे में नई जागृति द्वारा प्रेरित थे। ये आंदोलन और मुद्रण का विकास बाइबल को कैसे प्रभावित करते? और विल्यम टिंडेल और उसके अनुवाद का क्या हुआ, जिनके बारे में शुरूआत में ज़िक्र किया गया था? इस मनोहर कहानी को हम भावी अंकों में हमारे समय तक पहुँचते देखेंगे।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा, चार सुसमाचार-पुस्तकों के सामंजस्य की एक आधुनिक मिसाल है।
b वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित शास्त्रवचनों पर अंतर्दृष्टि (अंग्रेज़ी), खंड २, पृष्ठ ३१५ देखिए।
[पेज 8, 9 पर चार्ट]
बाइबल संचारण की मुख्य तिथियाँ
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
सामान्य युग पूर्व (सा.यु.पू.)
इब्रानी शास्त्र की समाप्ति लगभग सा.यु.पू. ४४३
सा.यु.पू. ४००
सिकंदर महान (मृत्यु सा.यु.पू. ३२३)
सा.यु.पू. ३००
सॆप्टुअजॆंट की शुरूआत लगभग सा.यु.पू. २८०
सा.यु.पू. २००
अधिकांश मृत सागर ख़र्रे लगभग सा.यु.पू. १०० से सा.यु. ६८ तक
सा.यु.पू. १००
यरूशलेम का विनाश सा.यु. ७०
यूनानी शास्त्र की समाप्ति सा.यु. ९८
सामान्य युग (सा.यु.)
सा.यु. १००
यूहन्ना का राईलॆंड्ज़ पपाइरस (सा.यु. १२५ से पहले)
सा.यु. २००
सा.यु. ३००
जेरोम का लातिन वलगेट लगभग सा.यु. ४००
सा.यु. ४००
सा.यु. ५००
मसोरा लेख की तैयारी
सा.यु. ६००
सा.यु. ७००
सा.यु. ८००
मोरेविया में सिरिल सा.यु. ८६३
सा.यु. ९००
सा.यु. १०००
देशी बोली बाइबल के ख़िलाफ़ चर्च-आदेश सा.यु. १०७९
सा.यु. ११००
सा.यु. १२००
सा.यु. १३००
[पेज 9 पर तसवीर]
प्रारंभिक मसीहियों ने कोडॆक्स् के इस्तेमाल की शुरूआत की
[पेज 10 पर तसवीर]
जेरोम इब्रानी भाषा का अध्ययन करने बेथलेहम गया