क्या आप यहोवा के संगठन की कदर करते हैं?
“यहोवा यों कहता है, आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है।”—यशायाह ६६:१.
१, २. (क) यहोवा के संगठन के मौजूद होने का ज़ाहिर सबूत देने के लिए आप कौन-कौन सी बातें बता सकते हैं? (ख) यहोवा कहाँ रहता है?
क्या आप विश्वास करते हैं कि यहोवा का एक संगठन है? अगर हाँ, तो आपके विश्वास की वज़ह क्या है? आप शायद जवाब दें: ‘हमारा एक किंगडम हॉल है। ऐसी कलीसिया है जिसमें इंतज़ाम बहुत अच्छे हैं और प्राचीनों का एक दल भी है। एक सर्किट ओवरसियर है जिसे सोसाइटी ने हमसे नियमित रूप से मिलने के लिए नियुक्त किया है। हम सम्मेलनों और अधिवेशनों में हाज़िर होते हैं जिनके लिए बहुत अच्छा प्रबंध किया जाता है। हमारे देश में वॉच टावर सोसाइटी का एक ब्रांच ऑफिस है। बेशक, इन सब के साथ-साथ और भी बहुत-से सबूत साफ ज़ाहिर करते हैं कि यहोवा का एक संगठन है जो काम कर रहा है।’
२ जी हाँ, वाकई ये सब मिलकर एक संगठन के मौजूद होने का सबूत देते हैं। लेकिन, अगर हम यहाँ सिर्फ पृथ्वी के ही संगठन को देखकर चलते हैं, तो यहोवा के संगठन के बारे में हमारी समझ अधूरी है। यहोवा ने जो यशायाह को बताया उसके मुताबिक पृथ्वी उसके चरणों की सिर्फ चौकी है मगर आकाश उसका सिंहासन है। (यशायाह ६६:१) यह “आकाश” क्या है जिसका ज़िक्र यहोवा कर रहा था? हमारा वायुमंडल? अंतरिक्ष? या कोई और दुनिया? भजनहार इस आकाश को ‘[यहोवा के] निवास का स्थान’ बताता है। और यशायाह इसे “स्वर्ग” यानी यहोवा का “पवित्र और महिमापूर्ण वासस्थान” कहता है। इसलिए यशायाह ६६:१ का “आकाश” उस अदृश्य आत्मिक दुनिया यानी स्वर्ग को सूचित करता है जहाँ यहोवा सबसे बुलंद और परम प्रधान है।—भजन ३३:१३, १४; यशायाह ६३:१५.
३. हम शक कैसे दूर कर सकते हैं?
३ इसलिए अगर हम सचमुच यहोवा के संगठन को समझना और उसकी कदर करना चाहते हैं तो हमें स्वर्ग देखना होगा। और यहीं कुछ लोगों के लिए समस्या खड़ी हो जाती है क्योंकि यहोवा का स्वर्गीय संगठन अदृश्य है। तो फिर हम कैसे जानते हैं कि यह सचमुच अस्तित्व में है? कुछ लोग शायद शक की अँधेरी गुफा से भी गुज़र रहे हों और सोच रहे हों, ‘हम इस पर कैसे यकीन कर सकते हैं?’ विश्वास को और मज़बूत कैसे किया जा सकता है कि शक दूर हो जाए? दो मुख्य तरीके हैं, परमेश्वर के वचन का गहरा अध्ययन करना और मसीही सभाओं में नियमित रूप से हाज़िर होकर हिस्सा लेना। फिर हम सच्चाई की रोशनी के सहारे शक के अंधेरे से निकल सकते हैं। परमेश्वर के और भी कुछ सेवक थे जिन्हें कभी-कभी शंकाएँ हुईं। आइए, हम एक किस्से पर गौर करें जो एलीशा के सेवक का है। यह उस वक्त की बात है जब इस्राएल पर अराम के राजा ने हमला किया था।—यूहन्ना २०:२४-२९ से तुलना कीजिए; याकूब १:५-८.
उसने स्वर्गीय फौजों को देखा
४, ५. (क) एलीशा के सेवक की क्या समस्या थी? (ख) यहोवा ने एलीशा की प्रार्थना का किस तरह जवाब दिया?
४ अराम के राजा ने एलीशा को पकड़ने के लिए दोतान में रात के वक्त एक बड़ी फौज भेजी। सुबह के वक्त जब एलीशा का सेवक बाहर निकलकर आया, शायद अपनी छत पर ठंड़ी हवा खाने, तो वह एकदम चौंक गया। क्यों? क्योंकि अरामियों की बड़ी फौज घोड़ों और रथों समेत परमेश्वर के नबी को पकड़ने के लिए शहर को घेरे हुए थी। सेवक ने चिल्लाकर एलीशा से कहा: “हाय! मेरे स्वामी, हम क्या करें?” लेकिन एलीशा ने इतमीनान और यकीन के साथ कहा “मत डर; क्योंकि जो हमारे साथ हैं वे उनसे अधिक हैं जो उनके साथ हैं।” सेवक शायद सोच में पड़ गया हो कि ‘वह किनकी बात कर रहा है? मुझे तो कोई भी दिखाई नहीं दे रहा!’ कभी-कभी शायद हमारी यही समस्या हो—हम भी इन स्वर्गीय फौजों को मन की आँखों से देखने और समझने से चूक सकते हैं।—२ राजा ६:८-१६, NHT; इफिसियों १:१८.
५ एलीशा ने अपने सेवक के लिए प्रार्थना की कि उसकी आँखें खुल जाएँ और वह देख सके। फिर क्या हुआ? “तब यहोवा ने सेवक की आंखें खोल दीं, और जब वह देख सका, तब क्या देखा, कि एलीशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भरा हुआ है।” (२ राजा ६:१७) जी हाँ, उसने देखा कि परमेश्वर के दास की हिफाज़त के लिए स्वर्गीय फौज, यानी स्वर्गदूतों की सेना तैयार थी। अब उसे समझ में आया कि एलीशा के यकीन की वज़ह क्या थी।
६. हम यहोवा के स्वर्गीय संगठन के बारे में अंदरूनी समझ कैसे हासिल कर सकते हैं?
६ एलीशा के सेवक की तरह, क्या हमारे लिए भी कभी-कभी कुछ बातों को समझना मुश्किल होता है? कुछ देशों में मसीही सेवकाई को या हमारे सामने आनेवाले खतरों को ऊपरी तौर पर देखकर ही क्या हम डर जाते हैं? अगर हाँ, तो क्या हम भी समझ हासिल करने के लिए किसी खास दर्शन की उम्मीद रख सकते हैं? जी नहीं, क्योंकि हमारे पास एक ऐसी चीज़ है जो एलीशा के सेवक के पास नहीं थी—एक ऐसी बड़ी किताब जिसमें बहुत सारे दर्शन पाए जाते हैं। यह किताब बाइबल है जो हमें स्वर्गीय संगठन के बारे में अंदरूनी समझ देती है। यह ईश्वर-प्रेरित वचन हमें अपने सोच-विचार और जीवनशैली को सुधारने के लिए हिदायतें भी देता है। मगर समझ हासिल करने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए और यहोवा के इंतज़ामों के लिए कदर बढ़ानी चाहिए। और ऐसा हम अध्ययन के साथ-साथ प्रार्थना और मनन करने के द्वारा कर सकते हैं।—रोमियों १२:१२; फिलिप्पियों ४:६; २ तीमुथियुस ३:१५-१७.
मन की आँखों से देखने के लिए अध्ययन करना
७. (क) निजी तौर पर बाइबल अध्ययन करने में कुछ लोगों के लिए कौन-सी समस्या हो सकती है? (ख) निजी तौर पर अध्ययन करने में लगी मेहनत बेकार क्यों नहीं जाती?
७ ज़रूरी नहीं कि निजी तौर पर अध्ययन करना सभी लोगों को अच्छा लगे, खासकर उन लोगों को जिन्होंने कभी स्कूल में पढ़ना पसंद नहीं किया या जिनको कभी पढ़ने का मौका नहीं मिला। लेकिन, अगर हम अपनी मन की आँखों से यहोवा के संगठन को देखना और उसकी कदर करना चाहते हैं, तो हमें अध्ययन करने की ख्वाहिश पैदा करनी होगी। क्या आप बिना काम किए खाना बना सकते हैं? किसी भी रसोइए से पूछिए तो वह आपको बताएगा कि स्वादिष्ट खाना बनाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। मगर खाना खाने में ज़्यादा वक्त नहीं लगता है। वहीं निजी तौर पर अध्ययन करने में लगी मेहनत से मिलने वाले लाभ ज़िंदगी भर रहते हैं। इससे होनेवाली तरक्की को देखकर हमें अध्ययन करना अच्छा लगने लगता है। प्रेरित पौलुस ने ठीक कहा कि हमें अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रखनी चाहिए और पढ़ने में लौलीन रहना चाहिए। जी हाँ, लगातार मेहनत करनी पड़ती है, मगर इसके लाभ हमेशा के लिए हो सकते हैं।—१ तीमुथियुस ४:१३-१६.
८. नीतिवचन की किताब हमें कैसा नज़रिया रखने की सलाह देती है?
८ बहुत पहले एक बुद्धिमान इंसान ने कहा: “हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरी बातों को ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में संचित करे, और अपना कान बुद्धि की ओर तथा अपना मन समझ की ओर लगाए, और यदि तू अन्तर्दृष्टि के लिए पुकारे और समझ के लिए ज़ोर से चिल्लाए, यदि तू उसे चांदी के समान ढूँढ़े, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे, तो तू यहोवा के भय को पहचान सकेगा, और तुझे परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त होगा।”—नीतिवचन २:१-५, NHT.
९. (क) ‘परमेश्वर के ज्ञान’ की तुलना में सोने का मूल्य क्या है? (ख) सही ज्ञान पाने के लिए हम कौन-से औज़ार इस्तेमाल कर सकते हैं?
९ क्या आप देख रहे हैं कि यहाँ ज़िम्मेदारी किसकी है? यहाँ पद “यदि तू” बार-बार दोहराया गया है। इस पद पर ध्यान दीजिए: “यदि तू . . . गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे।” खान में काम करनेवाले उन लोगों के बारे में सोचिए जिन्होंने बोलिविया, मॆक्सिको, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में सदियों से सोने और चाँदी के लिए खुदाई की है। इन अनमोल खज़ानों को पाने के लिए कुदाल और फावड़ा लेकर उन्होंने चट्टानों को खोदने में सख्त मेहनत की है। कुछ लोगों ने सोने को इतनी अहमियत दी कि अमरीका में कैलिफोर्निया की एक खान में उन्होंने कुल मिलाकर ५९१ किलोमीटर लंबाई की सुरंगें खोदीं जिनकी गहराई १.५ किलोमीटर तक थी—सिर्फ सोना पाने के लिए। मगर, क्या आप सोने को खा सकते हैं? उसे पी सकते हैं? मान लीजिए, आप रेगिस्तान में भूख और प्यास से छटपटा रहे हैं, तो क्या यह आपको ज़िंदा रख सकता है? नहीं, इसकी कीमत इंसानों की नज़र में ही है और हर रोज़ बदलती रहती है जैसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में देखा जा सकता है। फिर भी लोगों ने इसकी वज़ह से अपनी जान तक दे दी है। तो आध्यात्मिक सोना यानी “परमेश्वर का ज्ञान” पाने के लिए हमें और भी कितनी ज़्यादा मेहनत करनी चाहिए? ज़रा सोचिए, इस विश्वमंडल के महाराजा और मालिक के बारे में ज्ञान, उसके संगठन और उसके उद्देश्यों के बारे में ज्ञान! इसके लिए हम आध्यात्मिक कुदाल और फावड़े का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये हैं बाइबल पर आधारित किताबें, जो परमेश्वर के वचन में खोजने और उसके अर्थ को समझने में हमारी मदद करती हैं।—अय्यूब २८:१२-१९.
अंदरूनी समझ हासिल करने के लिए खोदना
१०. दानिय्येल ने दर्शन में क्या देखा?
१० आइए, यहोवा के स्वर्गीय संगठन का ज्ञान पाने के लिए आध्यात्मिक खुदाई करें। अंदरूनी समझ के लिए दानिय्येल के दर्शन पर ध्यान दें, जहाँ उसने अति प्राचीन को सिंहासन पर विराजमान देखा। दानिय्येल यूँ लिखता है: “मैं ने देखते देखते अन्त में क्या देखा, कि सिंहासन रखे गए और कोई अति प्राचीन विराजमान हुआ; उसका वस्त्र हिम सा उजला, और सिर के बाल निर्मल ऊन सरीखे थे; उसका सिंहासन अग्निमय और उसके पहिये धधकती हुई आग के से देख पड़ते थे। उस प्राचीन के सम्मुख से आग की धारा निकलकर बह रही थी; फिर हजारों हजार लोग उसकी सेवा टहल कर रहे थे, और लाखों लाख लोग उसके साम्हने हाज़िर थे; फिर न्यायी बैठ गए, और पुस्तकें खोली गईं।” (दानिय्येल ७:९, १०) ये हज़ारों हज़ार लोग कौन थे जो यहोवा की सेवा-टहल कर रहे थे? न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन के हाशिए के हवाले, जो मानो हमारे “कुदाल” और “फावड़े” हैं, हमें भजन ६८:१७ और इब्रानियों १:१४ की ओर ले जाते हैं। जी हाँ, इनसे पता चलता है कि सेवा-टहल करनेवाले स्वर्गदूत थे!
११. दानिय्येल का दर्शन एलीशा के शब्दों को समझने में हमारी किस तरह मदद करता है?
११ दानिय्येल का वर्णन यह नहीं कहता कि उसने परमेश्वर के सभी वफादार स्वर्गदूतों को देखा। शायद करोड़ों और भी होंगे। लेकिन, अब हम समझ सकते हैं कि क्यों एलीशा कह सका था: “जो हमारे साथ हैं वे उनसे अधिक हैं जो उनके साथ हैं।” हालाँकि गद्दार स्वर्गदूत यानी पिशाच उनका साथ दे रहे थे फिर भी अराम के राजा की फौज यहोवा की स्वर्गीय फौजों के सामने तिनके के समान थी!—भजन ३४:७; ९१:११.
१२. आप स्वर्गदूतों के बारे और ज़्यादा कैसे जान सकते हैं?
१२ शायद आप इन स्वर्गदूतों के बारे में और ज़्यादा जानना चाहें, जैसे ये यहोवा की सेवा में क्या भूमिका अदा करते हैं। यूनानी में स्वर्गदूत के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द से पता चलता है कि वे “संदेशवाहक” हैं क्योंकि इस शब्द का मतलब है संदेश पहुँचानेवाला। लेकिन ये और भी बहुत सारे काम करते हैं। मगर इन्हें जानने के लिए आपको खोजना पड़ेगा। अगर आपके पास इन्साइट ऑन द स्क्रिपचर्स है तो आप “स्वर्गदूत” (Angels) पर दिए गए लेख का अध्ययन कर सकते हैं या फिर आप प्रहरीदुर्ग पत्रिकाओं में स्वर्गदूतों पर लिखे गए पुराने लेखों को देख सकते हैं। आप परमेश्वर के इन स्वर्गीय सेवकों के बारे में और कितना कुछ जान सकते हैं यह देखकर आप दंग रह जाएँगे और फिर आप उनकी मदद की कदर करने लगेंगे। (प्रकाशितवाक्य १४:६, ७) लेकिन परमेश्वर के स्वर्गीय संगठन में और भी कुछ आत्मिक प्राणी हैं जो खास तरह का काम करते हैं।
यशायाह का दर्शन
१३, १४. यशायाह ने दर्शन में क्या देखा और इसका उस पर क्या असर हुआ?
१३ अब आइए, यशायाह के दर्शन की खोजबीन करें। जब आप अध्याय ६ की १ से ७ आयतें पढ़ते हैं तब आप पर इसका गहरा असर होना चाहिए। यशायाह कहता है कि उसने ‘यहोवा को सिंहासन पर विराजमान देखा’ और “उस से ऊंचे पर साराप दिखाई दिए।” वे यहोवा के वैभव और ऐश्वर्य का ऐलान कर रहे थे और उसकी पवित्रता का गुणगान कर रहे थे। इस बयान को पढ़ने से ही हम पर गहरा असर होना चाहिए। यशायाह पर क्या असर हुआ? “तब मैं ने कहा, हाय! हाय! मैं नाश हुआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठवाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठवाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है!” उस दर्शन का उस पर क्या ही गहरा असर हुआ! क्या आप पर इसका असर हुआ है?
१४ तो फिर कैसे यशायाह इस ऐश्वर्य और वैभव भरे दर्शन के सामने खड़ा रह सका? वह बताता है कि एक साराप उसकी मदद के लिए आया जिसने कहा: “तेरा अधर्म दूर हो गया और तेरे पाप क्षमा हो गए।” (यशायाह ६:७) यहोवा परमेश्वर की दया पर भरोसे के सहारे यशायाह ठहर सका और उसके वचनों पर ध्यान दे सका। क्या आप इन ऊँचे पदवाले आत्मिक प्राणियों के बारे में ज़्यादा जानना नहीं चाहेंगे? इसके लिए आपको क्या करना चाहिए? अधिक जानकारी हासिल करने के लिए खोजबीन करें। एक औज़ार जिसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं वह वॉच टावर पब्लिकेशन्स इंडेक्स है जिसके हवालों के सहारे अनेक किताबों से सही जानकारी पाई जा सकती है।
यहेजकेल ने क्या देखा?
१५. कौन-सी बातें दिखाती हैं कि यहेजकेल का दर्शन भरोसे के काबिल है?
१५ आइए अब हम एक और प्रकार के आत्मिक प्राणी पर ध्यान दें। जब यहेजकेल बाबुल में बँधुआ था तब वहाँ उसे एक सजीव दर्शन देखने का खास अधिकार मिला। यहेजकेल के अध्याय १ और उसकी पहली तीन आयतों की तरफ ध्यान दें। दर्शन कैसे शुरू होता है? क्या यह कहते हुए कि ‘बहुत साल पहले, सात समुंदर पार . . . ’? जी नहीं, यह सपनों की दुनिया में रहनेवाली परियों की कहानी नहीं है। आयत १ कहती है: “तीसवें वर्ष के चौथे महीने के पांचवें दिन, मैं बंधुओं के बीच कबार नदी के तीर पर था, तब स्वर्ग खुल गया, और मैं ने परमेश्वर के दर्शन पाए।” इस आयत में आप कौन-सी खास बात देखते हैं? यह एकदम सही तारीख और सचमुच की जगह का बयान करती है। ये वर्णन राजा यहोयाकीन (हिंदी बाइबल में यहोयाकीम) के बँधुआई में जाने के पाँचवें साल यानी सा.यु.पू. ६१३ की तरफ इशारा करते हैं।
१६. यहेजकेल ने क्या देखा?
१६ यहोवा की शक्ति यहेजकेल पर प्रकट हुई और उसने एक हैरतअंगेज़, चमत्कारिक दर्शन देखा जिसमें यहोवा एक बहुत बड़े स्वर्गीय रथ में एक सिंहासन पर विराजमान था, इस रथ के बड़े-बड़े पहिए थे और इन पहियों के घेरे में आँखें ही आँखें थीं। हम उन चार जीवधारियों के विवरण पर ध्यान देंगे जो एक एक पहिए पर खड़े हैं। “उनका रूप मनुष्य के समान था, परन्तु उन में से हर एक के चार चार मुख और चार चार पंख थे। . . . उनके साम्हने के मुखों का रूप मनुष्य का सा था; और उन चारों के दहिनी ओर के मुख सिंह के से, बाईं ओर के मुख बैल के से थे, और चारों के पीछे के मुख उकाब पक्षी के से थे।”—यहेजकेल १:५, ६, १०.
१७. करूबों के चार मुख किन बातों की पहचान कराते हैं?
१७ ये चार जीवधारी कौन थे? यहेजकेल खुद बताता है कि ये करूब थे। (यहेजकेल १०:१-३, १४) इनके चार मुख क्यों थे? महाराजाधिराज यहोवा परमेश्वर के चार खास गुणों की पहचान कराने के लिए। उकाब का मुख दूरदर्शिता यानी बुद्धि को दिखाता है। (अय्यूब ३९:२७-२९) बैल का मुख किस गुण की पहचान कराता है? लड़ाकू बैल अपनी गरदन और कँधे की ज़बरदस्त ताकत से घोड़े समेत घुड़सवार को हवा में उछालते हुए देखे गए हैं। वाकई, बैल यहोवा की असीम शक्ति के गुण की पहचान कराता है। सिंह निडरता से न्याय करने की पहचान कराता है। और आखिर में मनुष्य का मुख उचित ही यहोवा के प्रेम के गुण की पहचान कराता है क्योंकि धरती पर मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो बुद्धिमानी के साथ बखूबी इस गुण को दिखा सकता है।—मत्ती २२:३७, ३९; १ यूहन्ना ४:८.
१८. किस तरह प्रेरित यूहन्ना स्वर्गीय संगठन के बारे में हमारी समझ को और बढ़ाता है?
१८ इस दर्शन को पूरी तरह से समझने में और भी दर्शन हैं जो हमारी मदद कर सकते हैं। इनमें से एक है, यूहन्ना द्वारा देखा गया दर्शन जो बाइबल की प्रकाशितवाक्य की किताब में है। यहेजकेल की तरह यूहन्ना भी यहोवा को ऐश्वर्य और वैभव के सिंहासन पर विराजमान देखता है, जहाँ करूब उसके साथ हैं। ये करूब क्या कर रहे हैं? यशायाह अध्याय ६ में सारापों की तरह वे भी ऐलान कर रहे हैं: “पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, जो था, और जो है, और जो आनेवाला है।” (प्रकाशितवाक्य ४:६-८) यूहन्ना सिंहासन के पास एक मेम्ने को भी देखता है। वह किसकी पहचान कराता है? परमेश्वर के मेम्ने, यीशु मसीह की।—प्रकाशितवाक्य ५:१३, १४.
१९. इस अध्ययन से आपने यहोवा के संगठन के बारे में क्या समझ हासिल की है?
१९ सो इन दर्शनों से हमने क्या समझा? यही कि स्वर्गीय संगठन में यहोवा परमेश्वर सबसे ऊँचे स्थान पर है, अपने सिंहासन पर विराजमान है जिसके साथ मेम्ना, यीशु मसीह है जो कि वचन या लोगोस है। उनके बाद हमने सारापों और करूबों के साथ-साथ स्वर्गदूतों की स्वर्गीय फौजों को देखा। ये सब बहुत बड़े और विशाल संगठन का भाग हैं जो यहोवा के उद्देश्यों को पूरा करने में एकजुट हैं। इनमें से एक उद्देश्य है, अंत के इस समय में दुनिया भर में सुसमाचार का प्रचार करना।—मरकुस १३:१०; यूहन्ना १:१-३; प्रकाशितवाक्य १४:६, ७.
२०. अगले लेख में किन सवालों का जवाब दिया जाएगा?
२० इनके बाद इस पृथ्वी पर यहोवा के साक्षी आते हैं जो अपने-अपने किंगडम हॉल में जमा होते हैं ताकि इस जहान के मालिक और प्रभु की मरज़ी पूरी करना सीखें। वाकई, अब हम समझ सकते हैं कि हमारे साथ जितने हैं उनकी गिनती सच्चाई के दुश्मनों और शैतान का साथ देनेवाले लोगों की गिनती से ज़्यादा है। अब सवाल यह उठता है कि स्वर्गीय संगठन का राज्य के सुसमाचार के प्रचार से क्या संबंध है? अगला लेख इस पर और दूसरी बातों पर चर्चा करेगा।
फिर से विचार करने के लिए सवाल
◻ यहोवा के संगठन की कदर करने के लिए हमें क्या समझने की ज़रूरत है?
◻ एलीशा के सेवक को क्या अनुभव हुआ और एलीशा नबी ने कैसे उसकी हिम्मत बंधाई?
◻ निजी तौर पर अध्ययन करने के बारे में हमारा नज़रिया कैसा होना चाहिए?
◻ दानिय्येल, यशायाह और यहेजकेल स्वर्गीय संगठन के बारे में क्या-क्या जानकारी देते हैं?
[पेज 13 पर तसवीर]
मेहनत से बनाए गए भोजन से मिलनेवाले लाभों के मुकाबले निजी तौर पर अध्ययन करने के लाभ ज़िंदगी भर रहते हैं
[पेज 15 पर तसवीर]
स्वर्गीय फौजों का दर्शन यहोवा की तरफ से एलीशा की प्रार्थना का जवाब था