अंत्येष्टि रीति-रिवाज़ों पर मसीही दृष्टिकोण
किसी प्रियजन की आकस्मिक, अनपेक्षित मौत खासकर दुःखद होती है। इससे सदमा तो पहुँचता ही है, साथ ही तीव्र भावात्मक पीड़ा भी होती है। किसी प्रियजन को लंबी और पीड़ादायक बीमारी झेलने के बाद मौत की नींद में सोते देखना अलग बात है, लेकिन फिर भी दुःख व भारी नुकसान की भावना रह जाती है।
प्रियजन की मौत चाहे कैसे भी क्यों न हुई हो, शोकाकुल व्यक्ति को सहारे व तसल्ली की ज़रूरत होती है। किसी शोकाकुल मसीही को ऐसे लोगों से शायद सताहट का सामना भी करना पड़े जो अंत्येष्टि के गैर-शास्त्रीय रीति-रिवाज़ों को मानने की ज़िद करते हैं। यह बात अफ्रीका के कई देशों में तथा दुनिया के कुछ दूसरे देशों में भी आम है।
अंत्येष्टि के गैर-शास्त्रीय रीति-रिवाज़ों से दूर रहने में एक शोकाकुल मसीही को कौन-सी बात मदद करेगी? परीक्षा की ऐसी घड़ी में संगी विश्वासी कैसे सहारा दे सकते हैं? इन सवालों के जवाब उन सभी लोगों की चिंता का विषय है जो यहोवा को खुश करना चाहते हैं, क्योंकि “हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें।”—याकूब १:२७.
विश्वास द्वारा जुड़ी हुई
अंत्येष्टि के अनेक रीति-रिवाज़ों में एक आम विश्वास होता है कि मृत जन पूर्वजों की अदृश्य दुनिया में रहने लगते हैं। उन्हें खुश करने के लिए, मातम मनानेवाले अनेक लोग अमुक विधियों का पालने करने के लिए बाध्य महसूस करते हैं। या फिर उन्हें अपने ऐसे पड़ोसियों को नाखुश करने का डर होता है, जो यह मानते हैं कि यदि ये विधियाँ पूरी नहीं की जातीं तो समाज पर कुछ अनिष्ट होगा।
एक सच्चे मसीही को मनुष्य के भय का शिकार नहीं होना चाहिए, ना ही उसे ऐसे रीति-रिवाज़ों में भाग लेना चाहिए जो परमेश्वर को खुश नहीं करते हैं। (नीतिवचन २९:२५; मत्ती १०:२८) बाइबल दिखाती है कि मृत जन अचेत हैं, क्योंकि यह कहती है: “जीवते तो इतना जानते हैं कि वे मरेंगे, परन्तु मरे हुए कुछ भी नहीं जानते, . . . अधोलोक में जहां तू जानेवाला है, न काम न युक्ति न ज्ञान और न बुद्धि है।” (सभोपदेशक ९:५, १०) इसीलिए, यहोवा परमेश्वर ने प्राचीन समय के अपने लोगों को चिताया कि वे मृत जनों को खुश करने या उनसे बातचीत करने की कोशिश न करें। (व्यवस्थाविवरण १४:१; १८:१०-१२; यशायाह ८:१९, २०) बाइबल की ये सच्चाइयाँ अंत्येष्टि के अनेक प्रचलित रीति-रिवाज़ों के विरोध में हैं।
“लैंगिक शुद्धीकरण” के बारे में क्या?
केंद्रीय अफ्रीका के कुछ देशों में, शोकाकुल विवाह-साथी से यह उम्मीद की जाती है कि वह मृत जन के किसी निकट रिश्तेदार से लैंगिक संबंध स्थापित करे। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो यह माना जाता है कि मृत व्यक्ति परिवार के जीवित सदस्यों को हानि पहुँचाएगा। इस विधि को लैंगिक शुद्धीकरण नाम दिया गया है। लेकिन बाइबल की नज़र से देखें तो विवाह के बाहर किसी भी लैंगिक संबंध को “व्यभिचार” कहा गया है। चूँकि मसीहियों को ‘व्यभिचार से बचे रहना’ है, वे ऐसे गैर-शास्त्रीय रीति-रिवाज़ का साहस से विरोध करते हैं।—१ कुरिन्थियों ६:१८.
मर्सी नामक एक विधवा पर गौर फरमाइए।a सन् १९८९ में जब उसका पति चल बसा, तब रिश्तेदार चाहते थे कि वह एक पुरुष रिश्तेदार के साथ “लैंगिक शुद्धीकरण” करे। उसने इनकार किया, और समझाया कि यह विधि परमेश्वर के नियम के खिलाफ है। थक-हार कर, रिश्तेदारों ने उसे बुरा-भला कहा और चले गए। महीने भर बाद उन लोगों ने उसके घर में लूटखसोट की और उसकी छत से लोहे के पतरे निकाल दिए। उन्होंने कहा, “तुम्हारे धर्म के लोग तुम्हारी फिक्र कर लेंगे।”
कलीसिया ने मर्सी को तसल्ली दी और उसके लिए एक नया घर भी बनाकर दिया। इससे पड़ोसियों पर इतना प्रभाव पड़ा कि उनमें से कुछ ने इस परियोजना में हिस्सा लेने का फैसला किया। हिस्सा लेनेवाले इन लोगों में मुखिया की पत्नी जो कैथलिक थी, छत के लिए घास लानेवाली सबसे पहली व्यक्ति थी। मर्सी के वफादार आचरण ने उसके बच्चों को प्रोत्साहित किया। तब से उनमें से चार बच्चों ने यहोवा परमेश्वर के प्रति समर्पण किया है और एक बेटा हाल ही में मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल में हाज़िर भी हुआ।
लैंगिक शुद्धीकरण की रस्म की वज़ह से, कुछ मसीही गैर-विश्वासी के साथ विवाह-बंधन में बंध जाने के दबाव में आ गए हैं। मसलन, ७० आदि की उम्र के एक विधुर ने अपनी मृत पत्नी के रिश्ते की एक युवा लड़की से झटपट विवाह रचा लिया। ऐसा करने के द्वारा, वह यह दावा कर सकता था कि उसने लैंगिक शुद्धीकरण की विधि को पूरा किया है। लेकिन ऐसा करना बाइबल की सलाह के विरोध में है जो कहती है कि मसीहियों को “केवल प्रभु में” विवाह करना चाहिए।—१ कुरिन्थियों ७:३९.
रात भर जगे रहने के रीति-रिवाज़
अनेक देशों में, मातम मनानेवाले लोग मृतक के घर पर इकट्ठा होते हैं और पूरी रात जगे रहते हैं। इस प्रकार जगे रहने के साथ-साथ दावत-भोज व तेज़ गाना-बजाना भी होता है। ऐसा माना जाता है कि इससे मृत व्यक्ति खुश होता है और परिवार के जीवित सदस्यों को जादू-टोने से सुरक्षा मिलती है। मृत व्यक्ति का दिल जीतने के लिए खुशामद करनेवाले भाषण दिए जा सकते हैं। भाषण के बाद मातम मनानेवाले लोग शायद भजन गाएँ और उसके बाद कोई व्यक्ति भाषण देने के लिए खड़ा होगा। ऐसा सिलसिला भोर होने तक चालू रह सकता है।b
एक सच्चा मसीही पूरी रात जगे रहने की ऐसी रस्मों में भाग नहीं लेता क्योंकि बाइबल दिखाती है कि मृत जन जीवितों की मदद करने या उन्हें हानि पहुँचाने में असमर्थ हैं। (उत्पत्ति ३:१९; भजन १४६:३, ४; यूहन्ना ११:११-१४) शास्त्र प्रेतात्मवाद के अभ्यास की निंदा करता है। (प्रकाशितवाक्य ९:२१; २२:१५) फिर भी, जब दूसरे लोग प्रेतात्मवाद अभ्यास शुरू कर दें, तो इसे रोकने में शायद एक मसीही विधवा को कठिनाई हो। वे शायद उसके घर पर पूरी रात जगे रहने की विधि पूरी करने की ज़िद करें। इस प्रकार के अतिरिक्त क्लेश का सामना करनेवाले शोकाकुल मसीहियों की मदद करने में संगी विश्वासी क्या कर सकते हैं?
कलीसिया के प्राचीन रिश्तेदारों व पड़ोसियों के साथ तर्क करने के द्वारा अकसर शोकाकुल मसीही परिवार को सहारा देने में समर्थ हुए हैं। इस प्रकार तर्क-वितर्क करने के बाद, ऐसे लोग शांतिपूर्वक उस घर से चले जाने तथा किसी और दिन अंत्येष्टि सभा के वास्ते इकट्ठा होने के लिए शायद राज़ी हो जाएँ। लेकिन तब क्या जब कुछ जन हाथा पाई पर उतर आते हैं? ऐसी स्थिति में यदि बार-बार तर्क-वितर्क करने की कोशिश की जाए तो यह शायद हिंसा में बदल सकती है। “प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर . . . सहनशील” होना चाहिए। (२ तीमुथियुस २:२४) सो यदि असहयोगी रिश्तेदार ज़बरदस्ती हावी होते हैं, तो मसीही विधवा और उसके बच्चे शायद इसे रोक न पाएँ। लेकिन वे अपने घर में हो रही किसी भी झूठी धार्मिक रस्म में कोई हिस्सा नहीं लेते, क्योंकि वे बाइबल के आदेश का पालन करते हैं: “अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो।”—२ कुरिन्थियों ६:१४.
यही सिद्धांत दफनाई के समय में भी लागू होता है। यहोवा के साक्षी झूठे धर्म के किसी प्रतिनिधि द्वारा चलाए जा रहे गीत, प्रार्थना, या रस्मों में हिस्सा नहीं लेते। यदि ऐसे मसीही, जो नज़दीकी पारिवारिक सदस्य हैं, ऐसी अंत्येष्टि सभा में उपस्थित होना ज़रूरी समझते हैं, तो वे इसमें हिस्सा नहीं लेते।—२ कुरिन्थियों ६:१७; प्रकाशितवाक्य १८:४.
गौरवपूर्ण अंत्येष्टि सभाएँ
यहोवा के साक्षियों द्वारा की गयी अंत्येष्टि सभाओं में ऐसे कोई रीति-रिवाज़ नहीं होते जो मृत जन को खुश करने की मंशा से किए जाते हैं। राज्यगृह या फिर फ्यूनरल पारलर में, या मृतक के घर पर, या कब्रिस्तान में बाइबल आधारित भाषण दिया जाता है। भाषण का मकसद शोकाकुल को यह समझाने के द्वारा तसल्ली देना होता है कि बाइबल मृत्यु और फिर से ज़िंदा होने की आशा के बारे में क्या कहती है। (यूहन्ना ११:२५; रोमियों ५:१२; २ पतरस ३:१३) शास्त्र पर आधारित एक गीत गाया जा सकता है, और अंत्येष्टि सभा दिलासा देनेवाली प्रार्थना से समाप्त होती है।
हाल की बात है, यहोवा की एक साक्षी के लिए, जो दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति, नेलसन मंडेला की सबसे छोटी बहन थी, इस प्रकार की अंत्येष्टि सभा चलायी गयी। अंत्येष्टि सभा के बाद, राष्ट्रपति ने वक्ता को तहेदिल से शुक्रिया अदा किया। अनेक बड़ी-बड़ी हस्तियाँ और उच्च पदाधिकारी मौजूद थे। एक कैबिनॆट मिनिस्टर ने कहा, “मैंने इस तरह की गौरवपूर्ण अंत्येष्टि कभी नहीं देखी है।”
क्या मातम के लिबास स्वीकार्ययोग्य हैं?
यहोवा के साक्षी अज़ीज़ों की मौत पर शोकित होते हैं। यीशु की तरह वे भी शायद आँसू बहाएँ। (यूहन्ना ११:३५, ३६) लेकिन वे किसी बाहरी दिखावे के द्वारा अपना दुःख चार लोगों के सामने प्रकट करना ज़रूरी नहीं समझते। (मत्ती ६:१६-१८ से तुलना कीजिए।) अनेक देशों में, विधवाओं से उम्मीद की जाती है कि मृत व्यक्ति को खुश करने के लिए मातम के लिबास पहने। ऐसे परिधानों को अंत्येष्टि के बाद कई महीनों तक या फिर साल भर पहनना पड़ता है और इसके हटाए जाने पर एक बार फिर दावत होती है।
शोक व्यक्त करने में कमी दिखाने का मतलब मृत व्यक्ति को नाराज़ करना समझा जाता है। इस कारण, स्वाज़ीलैंड के अनेक भागों में बस्तियों के मुखियाओं ने यहोवा के साक्षियों को उनके ही घरों व ज़मीन से खदेड़ दिया है। लेकिन, अन्य जगह पर रह रहे उनके आध्यात्मिक भाइयों ने ऐसे वफादार मसीहियों की देखरेख हमेशा की है।
स्वाज़ीलैंड के हाई कोर्ट ने यहोवा के साक्षियों के पक्ष में न्याय सुनाया और कहा कि उन्हें अपने-अपने घरों व ज़मीन पर वापस आने दिया जाना चाहिए। एक और मामले में, एक मसीही विधवा को उसकी संपत्ति में रहने की अनुमति दी गयी क्योंकि उसने एक खत दिखाया और एक टेप रिकॉर्डिंग सुनायी जिसमें उसके मरहूम पति ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उसकी पत्नी को मातम के लिबास नहीं पहनने चाहिए। इस प्रकार, वह यह साबित करने में समर्थ हुई कि वाकई वह अपने पति के प्रति आदर दिखा रही है।
व्यक्ति की मौत होने से पहले ही अंत्येष्टि के निर्देश स्पष्ट रूप से कह/लिख कर देना बहुत मूल्यवान होता है, खासकर ऐसी जगहों पर जहाँ गैर-शास्त्रीय अभ्यास आम है। विकटोर की मिसाल पर विचार कीजिए जो कैमरून का रहवासी है। उसने अपनी अंत्येष्टि में होनेवाले कार्यक्रम को लिखकर बता दिया। उसके परिवार में ऐसी संस्कृति के अनेक प्रभावशाली लोग थे जिसमें मृतकों के प्रति आदर से संबंधित सख्त परंपराएँ थीं। ऐसी परंपरा में मानव खोपड़ियों की पूजा भी शामिल थी। चूँकि विकटोर परिवार का एक आदरणीय सदस्य था, वह जानता था कि उसकी खोपड़ी के साथ संभवतः इसी प्रकार सलूक किया जाएगा। इसीलिए उसने स्पष्ट रूप से निर्देश दे दिए कि किस प्रकार से यहोवा के साक्षियों को उसकी अंत्येष्टि करनी चाहिए। इससे उसकी विधवा व बच्चों को आसानी हो गयी, और समाज को अच्छी गवाही भी दी गयी।
गैर-शास्त्रीय रीति-रिवाज़ों की नकल करने से दूर रहिए
बाइबल का ज्ञान रखनेवाले कुछ लोग अलग दिखने से डर गए हैं। सताहट से बचने के लिए, उन लोगों ने अपने पड़ोसियों को खुश करने की कोशिश की है और मृत जन के लिए जगे रहने की परंपरा को मानने का दिखावा किया है। जबकि निजी तसल्ली देने के लिए शोकाकुल जन से मिलना सराहनीय बात है, पर वास्तव में अंत्येष्टि होने से पहले हर रात को मृतक के घर पर छोटी-सी अंत्येष्टि सभा आयोजित करना ज़रूरी नहीं है। ऐसा करने से देखनेवाले ठोकर खा सकते हैं, क्योंकि इससे उनको यह लगेगा कि मृत जनों की दशा के बारे में बाइबल जो कहती है, भाग लेनेवाले लोग उस पर वास्तव में विश्वास नहीं करते।—१ कुरिन्थियों १०:३२.
बाइबल मसीहियों से आग्रह करती है कि वे परमेश्वर की उपासना को जीवन में पहला स्थान दें और अपने समय का सदुपयोग करें। (मत्ती ६:३३; इफिसियों ५:१५, १६) लेकिन कुछ जगहों में, किसी की अंत्येष्टि की वज़ह से, एकाध सप्ताह के लिए कलीसिया की गतिविधि लगभग ठप-सी पड़ जाती है। यह समस्या केवल अफ्रीका में ही नहीं होती। एक अंत्येष्टि के संबंध में दक्षिण अमरीका की एक रिपोर्ट कहती है: “तीन मसीही सभाओं में बहुत ही कम लोग उपस्थित हुए। करीब-करीब दस दिनों तक क्षेत्र सेवा में लोग नज़र नहीं आए। यहाँ तक कि कलीसिया के बाहर के लोग व बाइबल विद्यार्थी यह देखकर हैरान व निराश हो गए कि हमारे कुछ भाई-बहन अंत्येष्टि की गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं।”
कुछ समाजों में, शोकाकुल परिवार अंत्येष्टि के बाद शायद कुछ नज़दीकी दोस्तों को अपने घर हलके-फुलके नाश्ते के लिए आमंत्रित करे। लेकिन अफ्रीका के अनेक भागों में, अंत्येष्टि में हाज़िर होनेवाले सैकड़ों लोग मृतक के घर चले आते हैं, इस उम्मीद से कि उन्हें वहाँ दावत मिलेगी। ऐसी दावतों में अकसर पशुओं की बलि चढ़ायी जाती है। मसीही कलीसिया से संगति करनेवाले कुछ लोगों ने इस रस्म का पालन किया है, और दूसरों पर ऐसा प्रभाव पड़ने दिया है मानो वे मृत जनों को खुश करने के लिए पारंपरिक दावत आयोजित कर रहे हैं।
यहोवा के साक्षियों द्वारा की गयी अंत्येष्टि सभा से शोकाकुल जनों पर आर्थिक रूप से ज़्यादा भार नहीं पड़ता। सो मौजूद लोगों के लिए कोई खास प्रबंध करने की ज़रूरत नहीं आन पड़नी चाहिए जिससे कि अंत्येष्टि के फज़ूल खर्चों को पूरा करने के लिए उन्हें पैसे देने पड़ें। यदि गरीब विधवाएँ ज़रूरी खर्चा नहीं उठा पाती हैं, तो इसमें कोई दो राय नहीं कि कलीसिया के अन्य लोग खुशी-खुशी मदद करेंगे। यदि ऐसी मदद कम पड़ जाती है, तो प्राचीन योग्य जनों के लिए भौतिक मदद का प्रबंध करेंगे।—१ तीमुथियुस ५:३, ४.
ऐसी बात नहीं कि अंत्येष्टि के रीति-रिवाज़ हमेशा बाइबल सिद्धांत के विरोध में होते हैं। लेकिन जब ऐसा होता है, तब शास्त्र के सामंजस्य में कार्य करने के लिए मसीही दृढ़-संकल्पित होते हैं।c (प्रेरितों ५:२९) हालाँकि इससे और भी परेशानी हो सकती है, परमेश्वर के अनेक सेवक इस बात का सबूत दे सकते हैं कि वे ऐसी परीक्षाओं से सफलतापूर्वक गुज़रे हैं। उन्होंने ‘सब प्रकार की शान्ति [सांत्वना] के परमेश्वर,’ यहोवा से शक्ति पाकर और संगी विश्वासियों की प्रेममय मदद से ऐसा किया है, जिन्होंने उनके क्लेश में उन्हें सांत्वना दी है।—२ कुरिन्थियों १:३, ४.
[फुटनोट]
a इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।
b कुछ-कुछ भाषा समूहों व संस्कृतियों में पद “जगे रहना” शोकाकुल जन को तसल्ली देने के लिए की गयी छोटी भेंट के लिए लागू होता है। इसमें शायद कोई भी गैर-शास्त्रीय बात शामिल न हो। मई २२, १९७९ की सजग होइए! (अंग्रेज़ी), पृष्ठ २७-८ देखिए।
c जिन जगहों पर अंत्येष्टि के रीति-रिवाज़ों की वज़ह से एक मसीही पर गंभीर परीक्षाएँ आ सकती हैं, वहाँ प्राचीन बपतिस्मे के उम्मीदवारों को इसके लिए तैयार कर सकते हैं। ऐसे नए जनों के साथ अपनी सेवकाई को पूरा करने के लिए संगठित (अंग्रेज़ी) पुस्तक के सवालों पर चर्चा करने के लिए मिलते वक्त, “प्राण, पाप व मृत्यु” और “अंतरधर्म” जैसे भागों पर ज़्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। इन दोनों की चर्चा के लिए वैकल्पिक सवाल दिए गए हैं। इस भाग में प्राचीन, अंत्येष्टि के गैर-शास्त्रीय रीति-रिवाज़ों के बारे में जानकारी दे सकते हैं ताकि बपतिस्मा लेनेवाला उम्मीदवार यह जान ले कि ऐसी स्थितियों का सामना करते वक्त परमेश्वर का वचन उससे क्या माँग करता है।
[पेज 23 पर बक्स]
दृढ़ स्थिति अपनाने के लिए आशीष पाना
सीबोंगीली स्वाज़ीलैंड में रहनेवाली एक दिलेर मसीही विधवा है। हाल ही में जब उसके शौहर की मौत हो गयी, तब उसने ऐसे रीति-रिवाज़ों का पालन करने से इनकार कर दिया। वहाँ के कई लोग मानते थे कि ये रीति-रिवाज़ मृत जन को खुश करने के लिए किए जाते हैं। मसलन, उसने अपना सिर नहीं मुँड़वाया। (व्यवस्थाविवरण १४:१) परिवार के आठ सदस्य इससे बहुत ही क्रोधित हो गए और उन्होंने उसके केश ज़बरदस्ती मूँड़ दिए। सीबोंगीली को तसल्ली देने के लिए उसके घर पर आनेवाले यहोवा के साक्षियों पर भी रोक लगा दी गयी। लेकिन, राज्य संदेश में रुचि दिखानेवाले अन्य लोग खुशी-खुशी उससे भेंट करने जाते और वे अपने साथ प्राचीनों द्वारा लिखी गयी प्रोत्साहन की चिट्ठियाँ ले जाते। जिस दिन सीबोंगीली को मातम के खास लिबास पहनने थे, उस दिन कुछ आश्चर्यजनक घटना हुई। परिवार के एक प्रभावशाली व्यक्ति ने इस बात पर चर्चा करने के लिए एक सभा आयोजित की कि वह मातम मनाने के पारंपरिक रीति-रिवाज़ों को क्यों नहीं मानना चाहती।
सीबोंगीली ने बताया: “उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मेरे धार्मिक विश्वास मुझे अपना गम व्यक्त करने के लिए मातम के काले लिबास पहनने की अनुमति देते हैं या नहीं। मैंने अपनी स्थिति उन्हें समझा दी, तब उन्होंने मुझसे कहा कि वे मेरे साथ ज़बरदस्ती नहीं करेंगे। मुझे आश्चर्य हुआ जब उन सभी लोगों ने मेरे साथ बदसलूकी करने व मेरी मर्ज़ी के खिलाफ मेरे बाल मूँड़ देने के लिए मुझसे माफी माँगी। उन सभी ने बिनती की कि मैं उन्हें माफ कर दूँ।” बाद में, सीबोंगीली की छोटी बहन ने विश्वास से कहा कि यहोवा के साक्षियों के पास ही सच्चा धर्म है, और उसने बाइबल अध्ययन का निवेदन किया।
एक और मिसाल पर गौर फरमाइए: बॆनजामिन नाम का एक दक्षिण अफ्रीकी पुरुष २९ वर्ष का था जब उसे खबर मिली कि उसके पिता अचानक चल बसे। उस वक्त उसके परिवार में बस बॆनजामिन ही अकेला साक्षी था। दफन करते समय, सबसे उम्मीद की जाती थी कि वे कब्र के पास से गुज़रते हुए जाएँ और ताबूत पर मुट्ठी भर मिट्टी डालें।d दफन करने के बाद, परिवार के सभी निकटतम सदस्यों ने अपने बाल मूँड़ाए। चूँकि बॆनजामिन ने इन रीति-रिवाज़ों में हिस्सा नहीं लिया, पड़ोसियों और परिवार के सदस्यों ने पूर्वकथन किया कि उसके मृत पिता की आत्मा उसे सज़ा देगी।
“क्योंकि मैंने अपना भरोसा यहोवा पर रखा था, मुझे कुछ भी नहीं हुआ,” बॆनजामिन कहता है। यह बात परिवार के लोगों की नज़रों में पड़ी कि उसे कुछ भी नहीं हुआ है। समय के गुज़रते, उनमें से कइयों ने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन शुरू किया और परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण के प्रतीक में बपतिस्मा लिया। और बॆनजामिन? उसने पूर्ण-समय का प्रचार कार्य शुरू किया। पिछले कुछ सालों से, उसे सफरी ओवरसियर के तौर पर यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं में सेवा करने का उत्तम विशेषाधिकार मिला है।
[फुटनोट]
d कब्र में फूल या मुट्ठी भर मिट्टी डालना कुछ लोगों को शायद गलत न लगे। लेकिन, एक मसीही ऐसे रीति-रिवाज़ का पालन नहीं करेगा यदि उसके समाज में इसे मृत जन को खुश करने का एक तरीका समझा जाता है या यदि यह किसी रीति-रिवाज़ का भाग है जिसकी अध्यक्षता झूठे धर्म का कोई प्रतिनिधि कर रहा हो।—सजग होइए! (अंग्रेज़ी), मार्च २२, १९७७, पृष्ठ १५ देखिए।