हमारे “देश” पर यहोवा की आशीष
“जहां कहीं यह नदी पहुंचेगी वहां सब जन्तु जीएंगे।” —यहेजकेल ४७:९.
१, २. (क) पानी की अहमियत क्या है? (ख) यहेजकेल के दर्शन की नदी के जल का क्या मतलब है?
पानी भी क्या अजब चीज़ है। पृथ्वी पर हर तरह का जीवन इसी पर निर्भर करता है। हममें से कोई भी इसके बिना ज़्यादा देर तक ज़िंदा नहीं रह सकता। साफ-सफाई के लिए भी हमें इसकी ज़रूरत होती है क्योंकि मैल, पानी में घुलकर धुल जाता है। हम अपना शरीर, अपने कपड़े, यहाँ तक कि खाने की चीज़ें भी पानी से धोते हैं। ऐसा करने से हमारी ज़िंदगी बची रह सकती है।
२ यहोवा ने जीवन देने के लिए जो आध्यात्मिक इंतज़ाम किया है बाइबल उसकी तुलना जीवनदायक जल से करती है। (यिर्मयाह २:१३; यूहन्ना ४:७-१५) यहोवा के इस इंतज़ाम में दो बातें शामिल हैं। एक है मसीह के छुड़ौती बलिदान के आधार पर अपने लोगों को शुद्ध करना। और दूसरी उन्हें अपने वचन का ज्ञान भी देना। (इफिसियों ५:२५-२७) इसी जीवन देनेवाले इंतज़ाम को यहेजकेल के दर्शन में मंदिर से निकलनेवाली चमत्कारी नदी चित्रित करती है। लेकिन यह नदी कब बहती है और आज इसका हमारे लिए क्या मतलब है?
फिर से बसाए गए देश में एक नदी बहती है
३. जैसा यहेजकेल ४७:२-१२ में बताया गया है, यहेजकेल के क्या अनुभव किया?
३ यहेजकेल के जातिवाले बाबुल की बंधुआई में थे इसलिए उन्हें यहोवा के जीवन देनेवाले इंतज़ामों की सख्त ज़रूरत थी। इसलिए यहेजकेल को यह देखकर कितनी तसल्ली मिलती है कि दर्शन में दिखाए गए मंदिर के पवित्रस्थान से जल की धारा निकलने लगती है! एक स्वर्गदूत हज़ार-हज़ार हाथ के बाद धारा को नापता है। इसकी गहराई बढ़ती जाती है, पहले पानी टखनों तक आता है, फिर घुटनों तक, फिर कमर तक और फिर इतना गहरा हो जाता है कि इसे पार करने के लिए तैरना पड़ता है। इस नदी की वज़ह से जीवन फलने-फूलने लगता है। (यहेजकेल ४७:२-११) यहेजकेल को बताया जाता है: “नदी के दोनों तीरों पर भांति भांति के खाने योग्य फलदाई वृक्ष उपजेंगे।” (यहेजकेल ४७:१२क) जब यह नदी बेजान मृत सागर में जा मिलती है तो उसमें जीवन फलने-फूलने लगता है! मछलियों के झुंड के झुंड इसमें तैरने लगते हैं। मछुवाही का कारोबार फलने-फूलने लगता है।
४, ५. एक नदी के बारे में योएल की भविष्यवाणी किस तरह यहेजकेल की भविष्यवाणी से मेल खाती है और इसकी क्या अहमियत है?
४ इस सुंदर भविष्यवाणी से, बंधुआई में जी रहे उन यहूदियों कोदो सौ साल पहले लिखी गयी एक और भविष्यवाणी की याद आई होगी: “यहोवा के भवन से एक सोता फूट निकलेगा जो शित्तीम की घाटीa को सींचेगा।” (योएल ३:१८, NHT) यहेजकेल की भविष्यवाणी की तरह, योएल की भविष्यवाणी भी एक नदी के बारे में बताती है जो परमेश्वर के भवन यानी उसके मंदिर से बहेगी और बंजर भूमि को हरा-भरा कर देगी।
५ प्रहरीदुर्ग सालों से समझाती आयी है कि योएल की भविष्यवाणी हमारे समय में पूरी हो रही है।b तो फिर यह कहा जा सकता है कि इससे मेल खाता यहेजकेल का दर्शन भी हमारे समय में पूरा हो रहा है। जैसा प्राचीन इस्राएल में था वैसे ही, आज भी परमेश्वर के लोगों के फिर से बसाए गए देश में सचमुच यहोवा की आशीषों की धारा बह रही है।
आशीषों की एक महाधारा
६. दर्शन की वेदी पर लहू का छिड़का जाना इस्राएलियों को किस बात की याद दिलाता?
६ अपने देश में फिर से बसे परमेश्वर के लोगों को आशीषें कहाँ से मिलती हैं? ध्यान दीजिए कि यह पानी परमेश्वर के मंदिर से निकलता है। उसी तरह आज, यहोवा अपने महान आत्मिक मंदिर, यानी शुद्ध उपासना के इंतज़ाम के ज़रिए आशीषें देता है। यहेजकेल के दर्शन में एक और खास बात बताई गई है। भीतरी आँगन में, पानी की धारा वेदी के दक्षिण से होती हुई बहती है। (यहेजकेल ४७:१) वेदी, दर्शन में दिखाए गए मंदिर के बीचोंबीच है। यहोवा, यहेजकेल को वेदी का पूरा-पूरा ब्योरा देता है और आदेश देता है कि वह बलि का लहू उस पर छिड़के। (यहेजकेल ४३:१३-१८, २०) सभी इस्राएलियों के लिए यह वेदी बहुत गहरा अर्थ रखती थी। कई साल पहले जब मूसा ने सीनै पहाड़ के नीचे एक वेदी पर लहू छिड़का तब यहोवा के साथ उनकी वाचा पक्की हुई थी। (निर्गमन २४:४-८) सो दर्शन की वेदी पर लहू का छिड़का जाना उन्हें यह याद दिलाता कि फिर से बसाए गए अपने देश में लौटने पर जब तक वे उस वाचा के मुताबिक चलते रहेंगे तब तक यहोवा की तरफ से उन्हें ढेर सारी आशीषें मिलती रहेंगी।—व्यवस्थाविवरण २८:१-१४.
७. दर्शन की वेदी मसीहियों के लिए क्या अहमियत रखती है?
७ उसी तरह, आज परमेश्वर के लोगों को एक बेहतर वाचा यानी नई वाचा के ज़रिए आशीषें मिलती हैं। (यिर्मयाह ३१:३१-३४) इस नई वाचा को भी कई साल पहले लहू के ज़रिए पक्का किया गया था और यह लहू यीशु मसीह का था। (इब्रानियों ९:१५-२०) आज, चाहे हम अभिषिक्त जनों में से हों, जो इस वाचा में शामिल हैं या अन्य भेड़ों में से हों, जिनको इस वाचा से फायदे मिलते हैं, दर्शन की यह वेदी हमारे लिए गहरा अर्थ रखती है। यह वेदी परमेश्वर की इच्छा को दर्शाती है जिसके मुताबिक मसीह का बलिदान होना था। (यूहन्ना १०:१६; इब्रानियों १०:१०) ठीक जिस तरह दर्शन की यह वेदी आत्मिक मंदिर के बीचोंबीच मुख्य स्थान पर है उसी तरह शुद्ध उपासना में मसीह का छुड़ौती बलिदान सबसे मुख्य स्थान रखता है। इसी छुड़ौती के आधार पर हमें अपने पापों की माफी मिलती है और इसी के साथ भविष्य की हमारी सारी उम्मीदें बँधी हुई हैं। (१ यूहन्ना २:२) इसलिए हम नयी वाचा के कानून, यानी “मसीह की व्यवस्था” के मुताबिक जीने की सख्त कोशिश करते हैं। (गलतियों ६:२) जब तक हम ऐसा करते रहते हैं, तब तक हम यहोवा के जीवन देनेवाले इंतज़ाम से फायदा उठाते रह सकते हैं।
८. (क) दर्शन के मंदिर के भीतरी आँगन में क्या नहीं है? (ख) दर्शन के मंदिर में याजक किस तरह खुद को शुद्ध कर सकते थे?
८ एक फायदा हमें यह मिलता है कि यहोवा हमें शुद्ध समझता है। निवासस्थान के तंबू के आँगन में एक हौदी थी और बाद में सुलैमान के मंदिर में भी एक बड़ा हौज़ था जिसमें याजक हाथ-पाँव धोया करते थे जबकि दर्शन के मंदिर में ऐसा कुछ नहीं था। (निर्गमन ३०:१८-२१; २ इतिहास ४:२-६) तो फिर यहेजकेल के दर्शन के मंदिर में याजक खुद को कैसे शुद्ध कर सकते थे? उसी चमत्कारी जलधारा से जो भीतरी आँगन से बहती हुई जा रही है! जी हाँ, यहोवा याजकों के लिए एक ऐसा इंतज़ाम करेगा जिसके ज़रिए वे उसके सामने शुद्ध या पवित्र ठहरें।
९. आज अभिषिक्त जन और बड़ी भीड़ के लोग परमेश्वर की नज़रों में कैसे शुद्ध हो सकते हैं?
९ उसी तरह आज, अभिषिक्त जनों को यहोवा शुद्ध समझता है। यहोवा उन्हें पवित्र मानता है और उन्हें धर्मी करार देता है। (रोमियों ५:१, २) तो फिर, उस बड़ी भीड़ के बारे में क्या जिन्हें दर्शन में गैर-याजकीय गोत्रों के रूप में दिखाया गया है? ये गोत्र बाहरी आँगन में उपासना करते हैं और वही जलधारा, दर्शन के मंदिर के इस भाग से भी बहती हुई जाती है। तो फिर प्रेरित यूहन्ना का दर्शन में यह देखना कितना सही था कि बड़ी भीड़ साफ-सुथरे श्वेत वस्त्र पहने इस आत्मिक मंदिर के आँगन में उपासना कर रही है! (प्रकाशितवाक्य ७:९-१४) इस अशुद्ध दुनिया ने उनके साथ कैसा भी व्यवाहार क्यों न किया हो वे इस बात का भरोसा रख सकते हैं कि अगर वे मसीह के छुड़ौती बलिदान पर अपना विश्वास जताते हैं तो यहोवा उन्हें शुद्ध और पवित्र समझता है। वे अपना विश्वास कैसे जताते हैं? यीशु के नक्शे-कदम पर चलते हुए और उसके द्वारा दी गई छुड़ौती पर पूरा-पूरा भरोसा रखते हुए।—१ पतरस २:२१.
१०, ११. जीवनदायक जल के इंतज़ाम में शामिल दूसरी बात क्या है और नदी के लगातार गहरे होने और बढ़ने से इसका क्या संबंध है?
१० जैसे पहले बताया जा चुका है, जीवनदायक जल के इंतज़ाम में जो दूसरी बात शामिल है, वह है ज्ञान। फिर से बसाए गए इस्राएल देश में, यहोवा ने याजकवर्ग के द्वारा अपने लोगों को शास्त्र से हिदायतें दीं। (यहेजकेल ४४:२३) उसी तरह, आज भी यहोवा, ‘राज-पदधारी, याजकों के समाज’ के ज़रिए अपने लोगों को बाइबल की ढेर सारी सच्चाइयाँ सिखा रहा है। (१ पतरस २:९) इन अंतिम दिनों में यहोवा परमेश्वर के बारे में ज्ञान और इंसानों के लिए उसके मकसद की जानकारी लगातार बढ़ती जा रही है। खासकर यीशु मसीह और उसके मसीही राज्य का ज्ञान लोगों को एक बड़ी जलधारा की तरह मिल रहा है। दिनोंदिन गहरी होती और बढ़ती ज्ञान की इस महाधारा से हम आध्यात्मिक रूप से क्या ही तरो-ताज़ा होते हैं!—दानिय्येल १२:४.
११ जैसे स्वर्गदूत द्वारा नापी गई यह नदी लगातार गहरी होती चली गयी, वैसे ही आज यहोवा की जीवन देनेवाली आशीषें लगातार बढ़नेवाली महाधारा बनती चली जा रही हैं ताकि हमारे आध्यात्मिक देश में आनेवाले लोगों की भीड़ की भीड़ इनका फायदा उठा सके। बहाली के बारे में की गई एक और भविष्यवाणी में बताया गया था: “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा।” (यशायाह ६०:२२) ये शब्द सच निकले हैं—लाखों की तादाद में लोग हमारे साथ शुद्ध उपासना करने लगे हैं! यहोवा ने अपने पास आनेवाले सभी लोगों के लिए अपार “जल” का इंतज़ाम किया है। (प्रकाशितवाक्य २२:१७) वह इस बात का खयाल रखता है कि पृथ्वी पर उसका संगठन, सारी दुनिया के लोगों को सैकड़ों भाषाओं में बाइबलें और बाइबल को समझानेवाली किताबें दे। उसी तरह, सारी दुनिया में मसीही सभाएँ और अधिवेशन चलाए जाते हैं ताकि सभी को सच्चाई का शुद्ध जल दिया जा सके। ऐसे इंतज़ाम का लोगों पर क्या असर होता है?
पानी जीवन देता है!
१२. (क) यहेजकेल के दर्शन में पेड़ अनोखे तरीके से क्यों फलते-फूलते हैं? (ख) अंतिम दिनों में इन फलने-फूलनेवाले पेड़ किसे चित्रित करते हैं?
१२ यहेजकेल के दर्शन की नदी तंदरुस्ती और ज़िंदगी देती है। यहेजकेल को बताया जाता है कि नदी के तीर पर ऐसे पेड़ उपजेंगे “जिनके पत्ते न मुर्झाएंगे और उनका फलना भी कभी बन्द न होगा, . . . उनके फल तो खाने के, और पत्ते औषधि के काम आएंगे।” ये पेड़ इस अनोखे तरीके से क्यों फलते-फूलते हैं? “क्योंकि उनको सींचने वाला पानी पवित्रस्थान से बहता है।” (NHT) (यहेजकेल ४७:१२ख) दर्शन के ये पेड़, मानवजाति को सिद्ध बनाने के लिए परमेश्वर के उन सभी इंतज़ामों को चित्रित करते हैं जो यीशु के छुड़ौती बलिदान के आधार पर किये गये हैं। आज पृथ्वी पर बचे हुए अभिषिक्त जन आध्यात्मिक आहार और चंगाई का इतंज़ाम करने में बढ़त लेते हैं। जब सभी १,४४,००० जन अपना स्वर्गीय इनाम पा चुके होंगे तब मसीह के साथ राजाओं और याजकों की हैसियत से उनका काम तब तक चलता रहेगा जब तक आदम से आई मौत को पूरी तरह से खत्म न कर दिया जाए।—प्रकाशितवाक्य ५:९, १०; २१:२-४.
१३. हमारे समय में चंगाई का कौन-सा काम किया जा रहा है?
१३ दर्शन की नदी बेजान मृत सागर में जाती है और जिधर-जिधर से गुज़रती है वहाँ जान फूँक देती है। यह मृत सागर आध्यात्मिक रूप से बेजान वातावरण को दर्शाता है। लेकिन ‘जहां जहां यह नदी बहती है,’ वहाँ वहाँ जीवन फलने-फूलने लगता है। (यहेजकेल ४७:९) उसी तरह, इन अंतिम दिनों में जहाँ कहीं जीवन का जल पहुँचा है वहाँ लोग आध्यात्मिक रूप से जीने लगे हैं। इससे ताज़ा-दम होनेवालों में सबसे पहले थे इस धरती पर बचे अभिषिक्त जन। वे आध्यात्मिक रूप से बेजान और ठंडे हो चुके थे मगर सन् १९१९ में वे इस हालत से उबर आए और उनमें दोबारा जान आ गई। (यहेजकेल ३७:१-१४; प्रकाशितवाक्य ११:३, ७-१२) तब से जीवन देनेवाला यह जल आध्यात्मिक रूप से मरे हुए और भी लोगों तक पहुँचा है और वे भी जीने लगे हैं। यही लोग अन्य भेड़ों की बड़ी भीड़ का एक हिस्सा हैं जो दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। ये लोग यहोवा से प्यार करते हैं और उसकी सेवा करते हैं। जल्द ही, इस इंतज़ाम का फायदा नई दुनिया में जी उठनेवाले लाखों लोगों को भी मिलेगा।
१४. मृत सागर के तट पर फलने-फूलनेवाला मछुवाही का कारोबार आज किस बात को दर्शाता है?
१४ आध्यात्मिक रूप से जान आने का नतीजा होता है फलना-फूलना और बढ़ोतरी होना। मृत सागर में भी जान आने के बाद वहाँ सागर के तट पर मछुवाही का कारोबार फलने-फूलने लगा। यीशु ने अपने शिष्यों से कहा: “मैं तुम को मनुष्यों के पकड़ने वाले मछुए बनाऊंगा।” (मत्ती ४:१९, रिवाइज़्ड ओल्ड वर्शन) अंतिम दिनों में, मछुवाही के इस काम की शुरूआत, बचे हुए अभिषिक्त मसीहियों को इकट्ठा करने से हुई। लेकिन यह काम वहीं खत्म नहीं हुआ। यहोवा के आत्मिक मंदिर से आनेवाला जीवनदायक जल दुनिया की सभी जाति के लोगों को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान जैसी कई आशीषें पहुँचाता है। जहाँ कहीं यह जलधारा पहुँची है, वहाँ आध्यात्मिक जीवन फला-फूला है और बढ़ोतरी हुई है।
१५. क्या बात दिखाती है कि हर कोई जीवन पाने के लिए परमेश्वर के इंतज़ाम को स्वीकार नहीं करेगा और ऐसे लोगों का क्या अंजाम होगा?
१५ बेशक, आज सभी लोग जीवन के संदेश को सुनना नहीं चाहते, न ही मसीह के हज़ार साल के राज्य के दौरान जी उठनेवालों में से सभी लोग इसे सुनना चाहेंगे। (यशायाह ६५:२०; प्रकाशितवाक्य २१:८) स्वर्गदूत ऐलान करता है कि सागर के कुछ भागों की चंगाई नहीं होती। ये बेजान जगहें या दलदल, “खारे ही रहेंगे।” (यहेजकेल ४७:११) हमारे समय में, जिन लोगों को यहोवा का जीवन देनेवाला जल दिया जाता है उनमें से सभी लोग इसे स्वीकार नहीं करते। (यशायाह ६:१०) ऐसे सभी लोग जो आध्यात्मिक रूप से बेजान और बीमार रहना पसंद करते हैं, अरमगिदोन में खारे ही रहेंगे यानी हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे। (प्रकाशितवाक्य १९:११-२१) लेकिन, इस जल को लगातार पीनेवाले लोग यह उम्मीद रख सकते हैं कि वे बच निकलेंगे और इस भविष्यवाणी को आखिरी बार पूरा होता हुआ देखेंगे।
नयी दुनिया में नदी बहती है
१६. यहेजकेल का दर्शन आखिरी बार कब और कैसे पूरा होगा?
१६ बहाली के बारे में बाकी भविष्यवाणियों की तरह, यहेजकेल का दर्शन भी आखिरी बार मसीह के हज़ार साल के राज्य के दौरान पूरा होगा। उस वक्त याजकवर्ग यहाँ पृथ्वी पर नहीं होगा। “वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ [स्वर्ग में] हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।” (प्रकाशितवाक्य २०:६) स्वर्ग में रहनेवाले ये याजक, मसीह के साथ मिलकर, लोगों तक छुड़ौती बलिदान के सभी फायदे पहुँचाएँगे। इस तरह धर्मी लोगों का उद्धार होगा और आखिरकार वे सिद्ध हो जाएँगे!—यूहन्ना ३:१७.
१७, १८. (क) प्रकाशितवाक्य २२:१, २ में जीवन देनेवाली नदी का वर्णन किस तरह किया गया है और यह दर्शन खासकर कब पूरा होगा? (ख) नयी दुनिया में जीवन के जल की नदी क्यों और ज़्यादा चौड़ी और गहरी हो जाएगी?
१७ तो इसका मतलब है कि उस वक्त यहेजकेल के दर्शन की जीवन के जल की यह महाधारा अपने पूरे ज़ोरों पर उमड़ रही होगी। यही वह समय होगा जब प्रकाशितवाक्य २२:१, २ की भविष्यवाणी खासकर पूरी होगी: “उस ने मुझे बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की एक नदी दिखाई, जो परमेश्वर और मेम्ने के सिंहासन से निकलकर, उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी। और नदी के इस पार; और उस पार, जीवन का पेड़ था: उस में बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस पेड़ के पत्तों से जाति जाति के लोग चंगे होते थे।”
१८ मसीह के हज़ार साल के राज्य में तन-मन की सारी बीमारियाँ और तकलीफें दूर की जाएँगी। यह बात दर्शन में पेड़ों से ‘जाति जाति के लोगों के चंगा होने’ से दिखाई गई है। मसीह और १,४४,००० जन परमेश्वर द्वारा किए गये इंतज़ाम का फायदा हम तक पहुँचाएँगे जिसका नतीजा यह होगा कि “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” (यशायाह ३३:२४) और उस वक्त यह नदी की धारा अपनी आखिरी सीमा तक फैल जाएगी। तब इसका और ज़्यादा चौड़ा और गहरा होना ज़रूरी हो जाएगा ताकि नई दुनिया में जी उठनेवाले करोड़ों या शायद अरबों लोग इसमें से जीवन का शुद्ध जल पी सकें। दर्शन में, नदी ने मृत सागर को चंगा किया और जहाँ कहीं उसका पानी पहुँचा वहाँ जीवन फलने-फूलने लगा। उसी तरह नयी दुनिया में स्त्री और पुरुष सही मायनों में जीने लगेंगे, क्योंकि छुड़ौती से मिलनेवाले फायदों पर विश्वास जताने की वज़ह से उन्हें आदम से विरासत में मिली मौत से चंगा किया जाएगा। प्रकाशितवाक्य २०:१२ में भविष्यवाणी बताती है कि तब “पुस्तकें” खोली जाएँगी जिनसे उस वक्त जी उठनेवालों को ज़्यादा समझ और रोशनी मिलेगी। अफसोस की बात है कि उस नयी दुनिया में भी कुछ लोग चंगा नहीं होना चाहेंगे। ये विद्रोही “खारे ही रहेंगे,” यानी हमेशा के लिए नाश कर दिए जाएँगे।—प्रकाशितवाक्य २०:१५.
१९. (क) नई दुनिया में ज़मीन के बँटवारे की भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी? (ख) दर्शन का नगर नई दुनिया में क्या है? (ग) नगर का मंदिर से कुछ दूरी पर होने का क्या मतलब है?
१९ इस हज़ार साल के दौरान यहेजकेल के दर्शन में बताए गए ज़मीन के बँटवारे की भविष्यवाणी की अंतिम पूर्ति होगी। यहेजकेल ने दर्शन में देखा कि ज़मीन का सही तरीके से बँटवारा किया गया है; वैसे ही हर वफादार मसीही इस बात का यकीन रख सकता है कि वह नई दुनिया में अपनी निज भूमि पर रहेगा। अपना घर होने की हर इंसान की तमन्ना उस वक्त पूरी की जाएगी जब सबके लिए व्यवस्था से घरों का इंतज़ाम किया जाएगा। (यशायाह ६५:२१; १ कुरिन्थियों १४:३३) यहेजकेल ने जो नगर देखा वह उस शासन-प्रबंध को दर्शाता है जिसे यहोवा ने नयी पृथ्वी के लिए तय किया है। अभिषिक्त याजकवर्ग इंसानों के साथ पृथ्वी पर नहीं रहेगा। दर्शन में यह बात इस तरह दिखाई गई है कि यह नगर साधारण ज़मीन के बीच मंदिर से कुछ दूरी पर बसा है। (यहेजकेल ४८:१५) जबकि १,४४,००० जन मसीह के साथ स्वर्ग से राज करेंगे, इस पृथ्वी पर भी यीशु मसीह के प्रतिनिधि होंगे। प्रधान वर्ग के ये लोग यीशु के राज्य में ज़मीन पर जीनेवाली उसकी प्रजा को प्यार से हिदायतें देकर रास्ता दिखाएँगे। मगर सरकार असल में स्वर्ग से राज करेगी, पृथ्वी से नहीं। पृथ्वी पर हर इंसान, जिसमें प्रधान वर्ग भी शामिल है, मसीह के इस राज्य के अधीन होगा।—दानिय्येल २:४४; ७:१४, १८, २२.
२०, २१. (क) नगर का नाम उचित क्यों है? (ख) यहेजकेल के दर्शन को समझ लेने के बाद हमें अपने आप से कौन-से सवाल पूछने चाहिए?
२० यहेजकेल की भविष्यवाणी के आखिरी शब्दों पर ध्यान दीजिए: “उस दिन से आगे को नगर का नाम ‘यहोवा शाम्मा’ रहेगा।” (यहेजकेल ४८:३५) यह नगर इंसानों को हुकूमत या अधिकार देने के लिए नहीं बना है; न ही यह किसी इंसान की मरज़ी पर चलेगा। यह यहोवा का नगर है। यहाँ हमेशा यहोवा के विचार, प्यार और कोमलता से काम करने के उसके तरीके नज़र आएँगे। (याकूब ३:१७) इससे हमारे दिल को कितनी तसल्ली मिलती है कि यहोवा “नई पृथ्वी” यानी व्यवस्थित मानव समाज को सदा सर्वदा आशीष देता रहेगा।—२ पतरस ३:१३.
२१ भविष्य की इस शानदार आशा से क्या हमारा रोम-रोम खुशी से भर नहीं जाता? तो फिर, हममें से हरेक को अपने आपसे ये सवाल करने चाहिए: ‘यहेजकेल के दर्शन में बतायी गयी शानदार आशीषों के बारे में जानकर मैं क्या कर रहा हूँ? क्या मैं वफादारी से उस काम में हाथ बँटा रहा हूँ जो आज हमसे प्रेम करनेवाले ओवरसियर कर रहे हैं चाहे ये बचे हुए अभिषिक्त जन हों या भविष्य के प्रधान वर्ग के भाई हों? क्या मैंने अपनी ज़िंदगी में शुद्ध उपासना को सबसे पहला और मुख्य स्थान दिया है? जीवन के जल की तेज़ी से बहती नदी का क्या मैं पूरा-पूरा फायदा उठा रहा हूँ?’ आइए हममें से हरेक जन ऐसा ही करता रहे और इस तरह यहोवा के इंतज़ामों से हमेशा-हमेशा तक आशीष पाता रहे!
[फुटनोट]
a यह घाटी शायद किद्रोन की घाटी थी, जो यरूशलेम के दक्षिणपूर्व से लेकर मृत सागर तक है। खासकर इसके मृत सागर के पासवाले भाग में पानी नहीं होता और बारहों महीने यह सूखा पड़ा रहता है।
b मई १, १८८१ और जून १, १९८१ के वॉचटावर देखिए।
आपका जवाब क्या होगा?
◻ मंदिर से बहती जलधारा किसे चित्रित करती है?
◻ दर्शन में बताई गई नदी के ज़रिए यहोवा ने कौन-सी चंगाई करवाई है और क्यों यह नदी लगातार बढ़ती जा रही है?
◻ नदी के तीर पर लगे पेड़ किसे चित्रित करते हैं?
◻ नगर, मसीह के हज़ार साल के राज्य के दौरान किसे चित्रित करता है, इस नगर का नाम उचित क्यों है?
[पेज 23 पर तसवीर]
जीवन के जल की नदी हमारे छुटकारे के लिए परमेश्वर के इंतज़ाम को चित्रित करती है