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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2001
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2001
w01 8/15 पेज 30

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ पढ़ने का आनंद लिया है? देखिए कि क्या आप नीचे दिए गए सवालों के जवाब जानते हैं या नहीं:

• अय्यूब के अध्याय 38 में पूछे गए सवालों पर आज हमें भी क्यों ध्यान देना चाहिए?

परमेश्‍वर ने जिन आश्‍चर्यकर्मों की ओर ध्यान दिलाया, उनमें से ज़्यादातर के बारे में आज के वैज्ञानिक भी पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं। इनमें से कुछ हैं, किस तरह गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी अपनी कक्षा में परिक्रमा करती रहती है, दरअसल प्रकाश क्या है, बर्फ के कण अनगिनित किस्म के क्यों हैं, बारिश की बूँदें कैसे बनती हैं और गरजदार तूफानों की ऊर्जा के बारे में क्या कहा जा सकता है।—4/15, पेज 4-11.

• बाइबल में दी गयी किन लोगों की मिसालों से हमें गहरी निराशा पर काबू पाने में मदद मिल सकती है?

बाइबल में आसाप, बारूक और नाओमी की मिसालें दर्ज़ हैं कि उन्होंने निराशा और ऐसी दूसरी भावनाओं पर कैसे काबू पाया। उनके बारे में पढ़ने से हमें भी ऐसे हालात का सामना करने में मदद मिलेगी।—4/15, पेज 22-4.

• मसीही विधवाओं की मदद करने के कुछ कारगर तरीके क्या हैं?

उनके दोस्त उन्हें प्यार से और साफ-साफ बता सकते हैं कि वे उनकी मदद करना चाहते हैं। अगर उन्हें सचमुच आर्थिक मदद की ज़रूरत हो तो परिवार के सदस्य या दूसरे लोग मदद कर सकते हैं। मसीही भाई-बहन भी दोस्त बनकर, उन्हें प्यार से आध्यात्मिक सहारा और सांत्वना दे सकते हैं।—5/1, पेज 5-7.

• पहला कुरिन्थियों 7:39 में दी गई सलाह के मुताबिक “केवल प्रभु में” विवाह करना क्यों ज़रूरी है?

अविश्‍वासियों से शादी करने का अंजाम अकसर बुरा ही हुआ है। इसके अलावा, शादी के बारे में यहोवा की सलाह मानना उसके प्रति वफादारी दिखाना है। जब हम परमेश्‍वर के वचन के अनुसार काम करते हैं, तो हमारा मन हमें दोषी नहीं ठहराता। (1 यूहन्‍ना 3:21,22)—5/15, पेज 20-1.

• जब हमारे पापों को माफ करने का अधिकार यहोवा को है, तो मसीहियों को अपने गंभीर पाप कलीसिया के प्राचीनों के सामने क्यों स्वीकार करने चाहिए?

यह सच है कि एक मसीही को अपने गंभीर पापों के लिए यहोवा से माफी पाने की ज़रूरत है। (2 शमूएल 12:13) लेकिन जिस तरह भविष्यवक्‍ता नातान ने दाऊद की मदद की थी, उसी तरह आज कलीसिया के प्रौढ़ पुरुष, पश्‍चाताप करनेवाले पापियों की मदद कर सकते हैं। प्राचीनों की मदद लेना, याकूब 5:14,15 में दी गई हिदायत के मुताबिक है।—6/1, पेज 31.

• किन सबूतों के आधार पर हम कह सकते हैं कि ज़रूरतमंद अनाथों और विधवाओं की देख-भाल करना हमारा फर्ज़ है?

इतिहास दिखाता है कि प्राचीन समय के इस्राएलियों में और शुरू के मसीहियों में भी अनाथों और विधवाओं की देखभाल करना सच्ची उपासना की एक निशानी थी। (निर्गमन 22:22,23; गलतियों 2:9,10; याकूब 1:27) बाइबल में प्रेरित पौलुस ने साफ हिदायतें दीं कि मसीहियों को ज़रूरतमंद विधवाओं की देखभाल करनी चाहिए। (1 तीमुथियुस 5:3-16)—6/15, पेज 9-11.

• ज़िंदगी में खुशी और मकसद पाने का राज़ क्या है?

हमें स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता, यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाने और उसे कायम रखने की ज़रूरत है। इसके लिए बाइबल अध्ययन से काफी मदद मिल सकती है।—7/1, पेज 4-5.

• क्या हर इंसान में अमर आत्मा होती है जो उसकी मौत के बाद भी ज़िंदा रहती है?

हालाँकि कुछ लोग मानते हैं कि इंसान में प्राण नहीं बल्कि एक आत्मा होती है और यह आत्मा अमर रहती है मगर बाइबल के मुताबिक यह धारणा सही नहीं है। बाइबल बताती है कि जब एक इंसान मर जाता है तो वह मिट्टी में मिल जाता है और उसका वजूद खत्म हो जाता है। मगर परमेश्‍वर के पास उसे दोबारा ज़िंदा करने की काबीलियत है इसलिए उस इंसान को पुनरुत्थान के ज़रिए दोबारा ज़िंदगी मिलेगी या नहीं, यह परमेश्‍वर पर निर्भर है। (सभोपदेशक 12:7)—7/15, पेज 3-6.

• दानिय्येल उस वक्‍त कहाँ था, जब दूरा के मैदान में तीन इब्रानियों की परीक्षा हुई?

बाइबल इस बारे में कुछ नहीं बताती। हो सकता है कि दानिय्येल का ओहदा ऊँचा होने की वजह से उसके लिए दूरा के मैदान में जाना ज़रूरी नहीं था या शायद वह सरकारी काम से कहीं और गया होगा। लेकिन हम यकीन रख सकते हैं कि वह हमेशा यहोवा का वफादार रहा और उसने उपासना के मामले में कभी कोई समझौता नहीं किया।—8/1, पेज 31.

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