जवानो—यहोवा आपके काम को नहीं भूलेगा!
“परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की, और कर भी रहे हो।”—इब्रानियों 6:10.
1. बाइबल में इब्रानियों और मलाकी की किताब किस तरह दिखाती है कि यहोवा आपकी सेवा की कदर करता है?
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ कि आपने अपने दोस्त की मदद की मगर बदले में उसने धन्यवाद के दो शब्द भी नहीं कहे? जब हमारे भलाई के काम की कदर नहीं की जाती, यहाँ तक कि उसे भुला दिया जाता है, तब दिल को कितनी ठेस पहुँचती है। लेकिन जब हम यहोवा की सेवा तन-मन से करते हैं तो बात बिलकुल अलग होती है! बाइबल कहती है: “परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की, और कर भी रहे हो।” (इब्रानियों 6:10) ज़रा सोचिए कि इसका मतलब क्या है। आपने यहोवा की सेवा में जो भी किया और जो कर रहे हैं, अगर यहोवा उसे भुला देगा तो दरअसल वह इस बात को अपना अधर्म, या पाप समझेगा। तो इसमें शक नहीं कि यहोवा वाकई ऐसा परमेश्वर है जो हमारे कामों की कदर करता है!—मलाकी 3:10.
2. क्या बात यहोवा की सेवा करना खास बनाती है?
2 आपको इस एहसानमंद परमेश्वर की सेवा और उपासना करने का एक सुनहरा मौका मिला है। क्योंकि संसार के लगभग 6 अरब की आबादी में, आपके जैसे करीब 60 लाख विश्वासी ही परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं, तो है न यह आपके लिए एक अनोखा सुअवसर! इसके अलावा, यह सच्चाई कि आपने सुसमाचार के संदेश को सुना है और अब उसके मुताबिक काम कर रहे हैं, ज़ाहिर करती है कि यहोवा को आपमें निजी तौर पर दिलचस्पी है। आखिरकार यीशु ने ही कहा था: “कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले।” (यूहन्ना 6:44) जी हाँ, यहोवा हरेक इंसान की मदद करता है ताकि वह मसीह के बलिदान से फायदा उठाए।
अनोखे सुअवसर के लिए कदरदानी दिखाना
3. कोरह के बेटों को यहोवा की सेवा करने का जो सुअवसर मिला था, उसके लिए उन्होंने कैसे कदरदानी दिखायी?
3 जैसा कि पिछले लेख में चर्चा की गयी थी, आप यहोवा के मन को आनंदित करने में एक खास भूमिका निभा रहे हैं। (नीतिवचन 27:11) और आपको यह बात कभी हलकी नहीं समझनी चाहिए। कोरह के बेटों को यहोवा की सेवा करने का जो सुअवसर मिला था, उसके लिए उन्होंने कदरदानी दिखाते हुए परमेश्वर की प्रेरणा से एक भजन लिखा, जिसके बोल इस तरह हैं: “तेरे आंगनों में का एक दिन और कहीं के हजार दिन से उत्तम है। दुष्टों के डेरों में वास करने से अपने परमेश्वर के भवन की डेवढ़ी पर खड़ा रहना ही मुझे अधिक भावता है।”—भजन 84:10.
4. (क) कुछ लोग ऐसा क्यों सोच सकते हैं कि यहोवा की उपासना उनकी आज़ादी के आड़े आती है? (ख) किस तरीके से यहोवा दिखाता है कि वह अपने सेवकों के कामों को देखने और उन्हें इनाम देने के लिए उत्सुक है?
4 आपको भी स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता की सेवा करने का सुनहरा मौका मिला है, तो उसके बारे में क्या आप ऐसा ही महसूस करते हैं? माना कि आपको कभी-कभी लगे कि यहोवा की उपासना, आपकी आज़ादी के आड़े आती है। यह भी सच है कि आपको बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जीने के लिए कुछ हद तक अपनी इच्छाओं को त्यागना पड़ता है। लेकिन यहोवा आपसे जो भी माँगता है, वह आखिरकार आपके फायदे के लिए ही होता है। (भजन 1:1-3) इतना ही नहीं, यहोवा आपकी मेहनत को देखता है और आपकी वफादारी के लिए अपनी कदरदानी भी ज़ाहिर करता है। तभी तो पौलुस ने यह लिखा कि यहोवा “अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।” (इब्रानियों 11:6) यहोवा प्रतिफल देने के मौके ढूँढ़ता रहता है। प्राचीन इस्राएल में एक धर्मी भविष्यवक्ता ने कहा: “देख, यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए।”—2 इतिहास 16:9.
5. (क) आपका मन पूरी तरह से यहोवा की तरफ है, यह दिखाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? (ख) अपने विश्वास के बारे में दूसरों से बात करना क्यों मुश्किल लग सकता है?
5 आपका मन पूरी तरह यहोवा की तरफ है, यह दिखाने का एक सबसे अच्छा तरीका है दूसरों से उसके बारे में बात करना। क्या आपको कभी अपने स्कूल के किसी साथी से अपने विश्वास के बारे में बात करने का मौका मिला है? शुरू-शुरू में शायद ऐसा करने की आपकी हिम्मत ही न हो, यहाँ तक कि गवाही देने की बात सोचकर ही आप थोड़ा घबरा जाएँ। आपके दिल में शायद यह खयाल आए, ‘अगर वे मुझ पर हँसने लगे तो? कहीं वे यह न सोचें कि मैं कैसे अजीबो-गरीब धर्म से हूँ?’ लेकिन याद रखिए यीशु ने यह बात पहले ही कह दी थी कि सभी लोग राज्य के संदेश को नहीं सुनेंगे। (यूहन्ना 15:20) फिर भी, इसका मतलब यह नहीं कि आप हमेशा बस लोगों की हँसी-मज़ाक का निशाना बनेंगे और लोग आपको दुतकारेंगे। इसके उलट कई जवान साक्षियों ने पाया है कि जब उन्होंने अपने विश्वास के बारे में बात की तो उनके कुछ साथियों ने उनकी सुनी है, यहाँ तक कि अपने विश्वास पर डटे रहने की वजह से उन्होंने उनका और भी सम्मान किया है।
“यहोवा आपकी मदद करेगा”
6, 7. (क) एक 17 साल की लड़की किस तरह अपनी क्लास के बच्चों को गवाही दे पायी? (ख) जेनिफर के अनुभव से आपने क्या सीखा है?
6 लेकिन अपने विश्वास के बारे में बात करने के लिए आप हिम्मत कैसे जुटाएँगे? जब कोई आपसे आपके धर्म के बारे में पूछता है तो क्यों न, उस समय ईमानदारी से और खुलकर अपने धर्म के बारे में बताएँ? सत्रह साल की जेनिफर को ही लीजिए। वह कहती है: “स्कूल में लंच का समय था। मेरे टेबल पर बैठी सभी लड़कियाँ धर्म के बारे में बात कर रही थीं, तभी उनमें से एक लड़की ने मुझसे पूछा कि मैं कौन-से धर्म से हूँ।” क्या जवाब देने में जेनिफर को झिझक महसूस हुई? वह कहती है: “हाँ, मुझे डर था, पता नहीं वे लोग क्या सोचेंगी।” तो फिर जेनिफर ने क्या किया? वह आगे कहती है: “मैंने लड़कियों से कहा कि मैं यहोवा की एक साक्षी हूँ। पहले-पहल तो वे अचरज में पड़ गयीं। क्योंकि उन्हें लगता था कि यहोवा के साक्षी अजीब लोग हैं। इसलिए उन्होंने मुझसे कई सवाल भी पूछे और मैं उनकी कुछ गलतफहमियाँ दूर कर पायी। इसके बाद भी कभी-कभार कुछ लड़कियों ने आकर मुझसे सवाल पूछे।”
7 जेनिफर ने मौके का फायदा उठाकर अपने विश्वास के बारे में जब बात की, तो क्या उसे पछतावा हुआ? हरगिज़ नहीं! वह कहती है: “लंच के बाद मुझे अच्छा लग रहा था कि मैंने बात की। दरअसल अब यहोवा के साक्षियों के बारे में उन लड़कियों का नज़रिया बदल गया है।” जेनिफर यह साधारण-सी सलाह देती है: “अगर आप अपनी क्लास के बच्चों या शिक्षकों को गवाही देना मुश्किल पाते हैं, तो तुरंत एक छोटी-सी प्रार्थना कीजिए। यहोवा आपकी मदद करेगा। और आप बेहद खुश होंगे कि आपने गवाही देने के मौके का अच्छा फायदा उठाया।”—1 पतरस 3:15.
8. (क) जब नहेमायाह ने अचानक एक स्थिति का सामना किया तो प्रार्थना ने किस तरह उसकी मदद की? (ख) स्कूल में ऐसे कौन-से हालात उठ सकते हैं जब आपको यहोवा से मन-ही-मन प्रार्थना करनी पड़े?
8 ज़रा जेनिफर की सलाह पर ध्यान दीजिए कि जब कभी अपने विश्वास के बारे में गवाही देने का मौका सामने आए तो यहोवा को “तुरंत एक छोटी-सी प्रार्थना कीजिए।” फारस के राजा अर्तक्षत्र के पिलानेहारा, नहेमायाह ने ठीक यही किया था जब उसने एक ऐसी स्थिति का सामना किया, जिसकी उसने उम्मीद नहीं की थी। यह साफ दिखायी दे रहा था कि नहेमायाह चिंता में है क्योंकि उसे खबर मिली थी कि यहूदियों की हालत बहुत खराब है और यरूशलेम की दीवारें और फाटक उजड़े पड़े हैं। राजा ने देखा कि नहेमायाह परेशान है, इसलिए उसने उससे पूछा कि बात क्या है। लेकिन नहेमायाह ने जवाब देने से पहले मार्गदर्शन के लिए तुरंत प्रार्थना की। फिर उसने हिम्मत जुटाते हुए राजा से यरूशलेम जाने और उजड़ा हुआ नगर फिर से बसाने की इजाज़त माँगी। राजा ने नहेमायाह की बिनती कबूल कर ली। (नहेमायाह 2:1-8) इससे हमें क्या सबक मिलता है? अगर अपने विश्वास के बारे में अचानक गवाही देने का मौका आए और आप घबराया हुआ महसूस करें तो मन-ही-मन प्रार्थना करना मत भूलिए। पतरस ने लिखा, “अपनी सारी चिन्ता [यहोवा] पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।”—1 पतरस 5:7; भजन 55:22.
‘उत्तर देने के लिये तैयार रहो’
9. तेरह साल की लिआ युवाओं के प्रश्न किताब की 23 कॉपियाँ कैसे बाँट पायी?
9 एक और अनुभव पर गौर कीजिए। तेरह साल की लिआ स्कूल में लंच के दौरान युवाओं के प्रश्न—व्यावहारिक उत्तरa किताब पढ़ रही थी। वह कहती है, “उस वक्त दूसरे मुझे देख रहे थे और जल्द ही उन्होंने मुझे आ घेरा। और पूछने लगे कि यह कौन-सी किताब है।” उस दिन स्कूल खत्म होते-होते चार लड़कियों ने लिआ से युवाओं के प्रश्न किताब की एक कॉपी माँगी। फिर जब इन लड़कियों ने दूसरों को इस किताब के बारे में बताया तो उन्होंने भी अपने लिए इसकी एक कॉपी माँगी। अगले कुछ हफ्तों में लिआ ने अपने स्कूल के साथियों और उनके दोस्तों में युवाओं के प्रश्न किताब की 23 कॉपियाँ बाँटीं। मगर शुरू में जब लिआ यह किताब पढ़ रही थी और लोगों ने आकर किताब के बारे में सवाल पूछे तो क्या उसके लिए जवाब देना आसान था? बेशक नहीं! वह मानती है: “पहले तो मैं थोड़ा-सा घबरायी। लेकिन मैंने प्रार्थना की और मैं जानती थी कि यहोवा मेरे साथ है।”
10, 11. किस तरह एक छोटी लड़की यहोवा के बारे में सीखने में अरामी सेनापति की मदद कर पायी, और इसकी वजह से सेनापति ने क्या बदलाव किए?
10 लिआ का अनुभव शायद आपको उस इस्राएली लड़की की परिस्थिति याद दिलाए जिसे बंदी बनाकर अराम देश ले जाया गया था। अराम के सेनापति नामान को कोढ़ हुआ था। शायद उसकी पत्नी ने ही लड़की से बातचीत शुरू की हो, जिसकी वजह से लड़की को अपने विश्वास के बारे में बताने का मौका मिला। उसने कहा, “जो मेरा स्वामी शोमरोन के भविष्यद्वक्ता के पास होता, तो क्या ही अच्छा होता! क्योंकि वह उसको कोढ़ से चंगा कर देता।”—2 राजा 5:1-3.
11 इस लड़की ने हिम्मत के साथ बात की थी, जिसकी वजह से नामान यह जान पाया कि “समस्त पृथ्वी में इस्राएल को छोड़ और कहीं परमेश्वर नहीं हैं!” उसने यह भी फैसला कर लिया कि वह “यहोवा को छोड़ और किसी ईश्वर को होमबलि वा मेलबलि न चढ़ाएगा।” (2 राजा 5:15, 17) यहोवा ने उस लड़की को हिम्मत दिखाने के लिए बेशक आशीष दी। आज भी वह जवानों को आशीष दे सकता है और देगा। लिआ ने अपने मामले में यह सच पाया है। कुछ समय बाद उसके स्कूल के कुछ साथी उसके पास आए और उन्होंने कहा कि युवाओं के प्रश्न किताब ने उन्हें अपना चालचलन सुधारने में काफी मदद दी है। लिआ कहती है, “मैं बहुत खुश हुई क्योंकि मैं जानती थी कि मैं यहोवा के बारे में सीखने में और उनकी ज़िंदगी बदलने में उनकी मदद कर रही हूँ।”
12. अपने विश्वास की खातिर उत्तर देने के लिए आप हिम्मत कैसे जुटा सकते हैं?
12 आपके अनुभव भी, जेनिफर और लिआ की तरह हो सकते हैं। पतरस की इस सलाह को मानिए, जिसने लिखा कि मसीही होने के नाते “जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।” (1 पतरस 3:15) आप यह कैसे कर सकते हैं? पहली सदी के मसीहियों की मिसाल पर चलिए जिन्होंने “बड़े हियाव” या हिम्मत से प्रचार करने के लिए यहोवा से प्रार्थना की। (प्रेरितों 4:29) और फिर साहस के साथ अपने विश्वास के बारे में बताइए। इसके नतीजे देखकर आप हैरान रह जाएँगे। सबसे बड़ी बात यह कि ऐसा करके आप यहोवा के दिल को खुश कर रहे होंगे।
वीडियो और खास प्रोजेक्ट
13. कुछ साक्षियों ने गवाही देने के लिए किस तरह मौके का फायदा उठाया है? (पेज 20 और 21 पर बक्स देखिए।)
13 कई युवाओं ने वीडियो की मदद से अपने स्कूल के बच्चों और शिक्षकों को अपने विश्वास के बारे में समझाया है और इससे उन्हें अच्छे नतीजे मिले हैं। कुछ लोगों को स्कूल के किसी प्रोजेक्ट के ज़रिए यहोवा की स्तुति करने का मौका मिला है। मसलन, 15 साल के दो लड़के जो यहोवा के साक्षी थे, उन्हें संसार के इतिहास के एक भाग में किसी एक धर्म के बारे में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। इन दोनों ने मिलकर यहोवा के साक्षी—परमेश्वर के राज्य की घोषणा करनेवाले (अँग्रेज़ी) किताब की मदद से यहोवा के साक्षियों के बारे में रिपोर्ट तैयार की।b उन्हें पाँच मिनट के लिए अपनी रिपोर्ट के बारे में बोलना भी था। इसके बाद टीचर और विद्यार्थियों ने इतने सारे सवाल किए कि उन्हें क्लास में 20 मिनट तक और बोलना पड़ा। इसके कुछ हफ्तों बाद भी उसकी क्लास के बच्चों ने यहोवा के साक्षियों के बारे में सवाल पूछना जारी रखा!
14, 15. (क) इंसान का भय खाना फंदा क्यों है? (ख) आपको क्यों पूरे भरोसे के साथ दूसरों को अपने विश्वास के बारे में बताना चाहिए?
14 ये सारे अनुभव दिखाते हैं कि यहोवा का एक साक्षी होने के नाते अगर आप अपने विश्वास के बारे में दूसरों को बताएँगे, तो आपको भी बढ़िया आशीषें मिल सकती हैं। इसलिए ऐसा कभी न हो कि इंसानों का भय आपको यहोवा के बारे में बताने से रोके क्योंकि उसके बारे में बताना तो दरअसल एक सम्मान की बात है और जिससे खुशी मिलती है। बाइबल बताती है: “मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है।”—नीतिवचन 29:25.
15 याद रखिए कि एक मसीही जवान होने के नाते आपके पास कुछ ऐसा है जो आपके साथी पाने के लिए तरसते हैं। जी हाँ, आपके पास अभी एक सबसे बेहतरीन जीवन है और भविष्य में भी अनंतकाल तक जीने की आशा है। (1 तीमुथियुस 4:8) अमरीका के बारे में आप शायद सोचें कि आम तौर पर वहाँ के लोग धर्म में रुचि नहीं लेते और संसार के कामों में मस्त रहते हैं। लेकिन दिलचस्पी की बात है, वहाँ लिए एक सर्वे से ज़ाहिर हुआ कि कुल जवानों में से करीब आधे नौजवान धर्म को बड़ी गंभीरता से लेते हैं और उसके एक तिहाई कहते हैं कि उनका विश्वास, उनके जीवन पर “बहुत गहरा असर” डालता है। दुनिया के दूसरे कई देशों में भी नौजवान शायद इसी तरह सोचते हों। तो हो सकता है कि आपके स्कूल के साथी भी बाइबल के बारे में आपकी बात खुशी-खुशी सुनें।
नौजवानो, यहोवा के करीब आओ
16. यहोवा को खुश करने के लिए दूसरों से उसके बारे में बात करने के अलावा और क्या करना ज़रूरी है?
16 बेशक यहोवा के दिल को खुश करने के लिए सिर्फ उसके बारे में लोगों से बात करना ही काफी नहीं है। आपका चालचलन भी उसके स्तरों के मुताबिक होना चाहिए। प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं।” (1 यूहन्ना 5:3) आप इस बात को सच पाएँगे अगर आप यहोवा के करीब आएँगे। आप यह कैसे कर सकते हैं?
17. आप यहोवा के करीब कैसे आ सकते हैं?
17 बाइबल और बाइबल पर आधारित प्रकाशनों को पढ़ने के लिए समय निकालिए। आप जितना ज़्यादा यहोवा के बारे में सीखेंगे, उतना ज़्यादा उसकी बात मानना और उसके बारे में दूसरों को बताना आपके लिए आसान होगा। यीशु ने कहा: “भला मनुष्य अपने मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; . . . क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुंह पर आता है।” (लूका 6:45) इसलिए अपना मन या हृदय अच्छी बातों से भरिए। क्यों न इस मामले में कुछ लक्ष्य रखें? आप अगले हफ्ते अपनी कलीसिया की सभा के लिए अच्छी तैयारी करने में और मेहनत कर सकते हैं। आपका दूसरा लक्ष्य यह हो सकता है कि आप सभा में छोटा ही सही मगर दिल से जवाब दें। बेशक यह भी ज़रूरी है कि आप अपनी ज़िंदगी में सीखी हुई बातों पर अमल भी करें।—फिलिप्पियों 4:9.
18. चाहे आप विरोध का सामना ही क्यों न करें, मगर फिर भी आप किस बात का भरोसा रख सकते हैं?
18 यहोवा की सेवा करने से जो आशीषें मिलती हैं, उनका फायदा वाकई हमें ज़िंदगी भर के लिए, जी हाँ, अनंतकाल के लिए होता है। यह सच है कि यहोवा के साक्षी होने के नाते कभी-कभी आपका विरोध किया जाए या मज़ाक उड़ाया जाए। ऐसे में मूसा को याद कीजिए। बाइबल कहती है: “उस की आंखें फल पाने की ओर लगी थीं।” (इब्रानियों 11:24-26) आप भी भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा के बारे में सीखने और उसके बारे में दूसरों को बताने के लिए आप जो मेहनत करते हैं, यहोवा उसके लिए आपको ज़रूर इनाम देगा। बेशक वह ‘तुम्हारे काम, और उस प्रेम को जो तुम ने उसके नाम के लिये किए हैं, कभी नहीं भूलेगा।’—इब्रानियों 6:10.
[फुटनोट]
a इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
b इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
क्या आपको याद है?
• आप क्यों निश्चित हो सकते हैं कि यहोवा आपकी सेवा की कदर करता है?
• कुछ लोगों ने स्कूल में किन तरीकों से गवाही देने में कामयाबी पायी है?
• अपनी क्लास के बच्चों को गवाही देने के लिए आप हिम्मत कैसे जुटा सकते हैं?
• आप यहोवा के करीब कैसे आ सकते हैं?
[पेज 20 पर बक्स/तसवीरें]
नन्हे-मुन्ने बच्चे भी यहोवा का गुणगान करते हैं!
तेरह बरस से कम उम्र के बच्चे भी अपने स्कूल में गवाही दे पाए हैं। यहाँ दिए चंद अनुभवों पर गौर कीजिए।
दस साल की अंबर पाँचवीं कक्षा में पढ़ती है। एक बार उसकी क्लास में एक किताब से दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान यहूदियों पर किए नात्ज़ियों के हमले के बारे में पढ़ाया जा रहा था। उस समय अंबर ने सोचा कि वह अपनी टीचर को पर्पल ट्राइंगल्स वीडियो ज़रूर लाकर देगी। टीचर को यह जानकर हैरानी हुई कि नात्ज़ियों के राज्य में यहोवा के साक्षियों को भी बुरी तरह से सताया गया था। टीचर ने पूरी क्लास को यह वीडियो दिखायी।
एलेक्सा आठ साल की थी जब उसने अपनी क्लास को एक खत लिखकर यह समझाया कि वह क्रिसमस के त्योहार में भाग क्यों नहीं ले सकती। टीचर इससे इतनी प्रभावित हुई कि उसने एलेक्सा को न सिर्फ अपनी क्लास में, बल्कि दूसरी दो क्लासों में भी वह खत ज़ोर से पढ़कर सुनाने को कहा! खत के आखिर में एलेक्सा ने कहा, “मुझे सिखाया गया है कि जिनका विश्वास मेरे विश्वास से अलग है, मैं उनका आदर करूँ और बदले में, मैं आपका धन्यवाद करती हूँ कि आप मेरे क्रिसमस न मनाने के फैसले का आदर करते हैं।”
एरिक पहली कक्षा का विद्यार्थी था। साल की शुरूआत में ही वह अपने साथ बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक किताब स्कूल लेकर गया और उसने अपनी टीचर से क्लास के बच्चों को यह किताब दिखाने की इजाज़त माँगी। लेकिन उसकी टीचर ने कहा: “मेरे पास और भी बढ़िया सुझाव है। क्यों न तुम पूरी क्लास को इसमें से एक कहानी पढ़कर सुनाओ?” एरिक ने वैसा ही किया। इसके बाद उसने सभी से पूछा कि जो अपने लिए इस किताब की एक कॉपी चाहता है, वह अपना हाथ उठाए। अठारह लोगों ने हाथ उठाया, जिसमें उसकी टीचर भी एक थी! एरिक अब महसूस करता है कि उसे गवाही देने के लिए एक खास इलाका मिल गया है।
नौ साल की व्हिटनी यहोवा के साक्षी और शिक्षाc ब्रोशर के लिए एहसानमंद है। वह कहती है, “हर साल मेरी मम्मी मेरे टीचर को यह ब्रोशर देती थी, लेकिन इस साल यह काम मैंने खुद किया। इस ब्रोशर की मैं बहुत आभारी हूँ जिसकी वजह से मेरी टीचर ने मुझे ‘हफ्ते का उत्तम विद्यार्थी’ घोषित किया।”
[फुटनोट]
c यहाँ बताए सभी प्रकाशन यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किए हैं।
[पेज 21 पर बक्स/तसवीरें]
ऐसी परिस्थितियाँ जिनका फायदा उठाकर कुछ जवानों ने अपने विश्वास के बारे में बात की
जब स्कूल में उन्हें कोई रिपोर्ट तैयार करने या किसी प्रोजेक्ट पर काम दिया गया, तो कुछ जवानों ने एक ऐसा विषय चुना जिससे उन्हें गवाही देने का मौका मिला
कई नौजवानों ने अपने टीचर को ऐसा वीडियो या प्रकाशन दिया है जो क्लास में चर्चा किए जानेवाले विषय से संबंधित था
स्कूल में ब्रेक के दौरान कुछ जवान बाइबल या बाइबल पर आधारित प्रकाशन पढ़ते हैं और यह देखकर दूसरे जवान खुद ही आकर उनसे सवाल पूछते हैं
[पेज 18 पर तसवीर]
तजुर्बेकार लोग, नौजवानों को यहोवा की सेवा करने की तालीम दे सकते हैं