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  • “संग्राम तो यहोवा का है”

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  • “संग्राम तो यहोवा का है”
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2006
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2006
w06 5/15 पेज 8-9

“मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है”

“संग्राम तो यहोवा का है”

घाटी की दोनों तरफ दो दुश्‍मन सेनाएँ एक-दूसरे का सामना करने के लिए खड़ी हैं। एक तरफ, इस्राएली सेना है तो दूसरी तरफ पलिश्‍ती सेना। पलिश्‍ती सेना अपना एक सूरमा भेजती है जिसका नाम गोलियत है। वह 40 दिन लगातार इस्राएलियों की बेइज़्ज़ती करता है। यह सुनकर इस्राएलियों का मन कच्चा होने लगता है।—1 शमूएल 17:1-4,16.

गोलियत चिल्लाकर इस्राएलियों को ललकारता है: “अपने में से एक पुरुष चुनो, कि वह मेरे पास उतर आए। यदि वह मुझ से लड़कर मुझे मार सके, तब तो हम तुम्हारे अधीन हो जाएंगे; परन्तु यदि मैं उस पर प्रबल होकर मारूं, तो तुम को हमारे अधीन होकर हमारी सेवा करनी पड़ेगी। . . . मैं आज के दिन इस्राएली पांतियों को ललकारता हूं, किसी पुरुष को मेरे पास भेजो, कि हम एक दूसरे से लड़ें।”—1 शमूएल 17:8-10.

पुराने ज़माने में अकसर सेनाओं की हार-जीत का फैसला इसी तरह से तय होता था। यानी दो दुश्‍मन सेनाओं से एक-एक सूरमा आपस में मुकाबला करते थे और जो दूसरे को मार गिराता था, उसी की सेना की जीत होती थी। लेकिन इस्राएलियों को ललकारनेवाला गोलियत कोई मामूली सैनिक नहीं है। वह बहुत ही ऊँचे कद का आदमी है और देखने में बड़ा खूँखार और डरावना है। मगर यहोवा के लोगों की सेना को ललकारकर उसने अपनी मौत को दावत दी है।

यह सिर्फ दो सेनाओं के बीच की लड़ाई नहीं बल्कि यहोवा और पलिश्‍तियों के देवताओं के बीच की लड़ाई है। इसलिए, इस्राएल के राजा शाऊल को चाहिए था कि वह अपनी सेना को लेकर हिम्मत से दुश्‍मनों पर धावा बोले। मगर ऐसा करने के बजाय वह दुश्‍मनों को देखकर डर गया।—1 शमूएल 17:11.

एक जवान यहोवा पर भरोसा रखता है

इस बीच एक जवान लड़का, शाऊल की सेना में अपने भाइयों से मिलने आता है। उसका नाम दाऊद है जिसे इस्राएल का अगला राजा होने के लिए चुना गया है। गोलियत की बातें सुनकर वह पूछता है: “यह ख़तना-रहित पलिश्‍ती होता कौन है जो जीवित परमेश्‍वर की सेना को ललकारे?” (1 शमूएल 17:26, NHT) दाऊद की नज़र में गोलियत यहोवा की तौहीन कर रहा था और पलिश्‍तियों और उनके देवताओं की तरफ से यहोवा को ललकार रहा था। इसलिए दाऊद का क्रोध भड़क उठता है और वह यहोवा की बेइज़्ज़ती का मुँहतोड़ जवाब देने और इस्राएलियों की तरफ से उस पलिश्‍ती से मुकाबला करने के लिए खुद को पेश करता है। मगर राजा शाऊल उससे कहता है: “तू जाकर उस पलिश्‍ती के विरुद्ध नहीं युद्ध कर सकता; क्योंकि तू तो लड़का ही है।”—1 शमूएल 17:33.

शाऊल और दाऊद का नज़रिया एक-दूसरे से कितना अलग था! शाऊल सोच रहा था कि भेड़ों को चरानेवाला एक छोटा लड़का भला उस बड़े और खूँखार पलिश्‍ती से कैसे लड़ पाएगा। जबकि दाऊद के लिए गोलियत बस एक मामूली इंसान था जिसने सारे जहान के महाराजाधिराज को ललकारा है। दाऊद को यकीन था कि परमेश्‍वर अपने नाम और अपने लोगों का अपमान करनेवालों को ज़रूर सज़ा देगा। इसलिए उसने इतनी हिम्मत दिखायी। गोलियत का भरोसा अपनी ताकत पर है, जबकि दाऊद का भरोसा यहोवा पर है और वह मामले को परमेश्‍वर के नज़रिए से देखता है।

‘मैं यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं’

दाऊद का यहोवा पर विश्‍वास बेबुनियाद नहीं था। वह याद करता है कि इससे पहले भी परमेश्‍वर ने उसकी मदद की थी और वह अपनी भेड़ों को एक भालू और एक सिंह से बचा पाया था। इस बार भी उसे पूरा यकीन है कि यहोवा उस डरावने पलिश्‍ती से लड़ने में उसकी ज़रूर मदद करेगा। (1 शमूएल 17:34-37) फिर दाऊद एक गोफन और पाँच चिकने पत्थर लेकर गोलियत से लड़ने निकल पड़ता है।

दाऊद इस भरोसे से गोलियत से लड़ने की मुश्‍किल चुनौती कबूल करता है कि यहोवा उसे ज़रूरी ताकत देगा। वह बड़ी दिलेरी के साथ उस पलिश्‍ती से कहता है: “तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्‍वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, . . . समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्‍वर है। और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार वा भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है।”—1 शमूएल 17:45-47.

इस लड़ाई का अंजाम क्या निकला? बाइबल बताती है: “दाऊद ने पलिश्‍ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल होकर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी।” (1 शमूएल 17:50) दाऊद के हाथ में कोई तलवार नहीं थी, फिर भी वह प्रबल हुआ क्योंकि सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर, यहोवा उसके साथ था!a

उस जंग में दाऊद के विश्‍वास की क्या ही जीत हुई! हमारे बारे में क्या? जब हमारे सामने आज़माइशें आती हैं, तो क्या हम इंसान से डर जाते हैं या फिर परमेश्‍वर पर भरोसा रखते हैं कि वह हमें उन मुश्‍किल हालात से बचाएगा? ऐसे में हमने यही करने की ठानी है: “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है।” (प्रेरितों 5:29) इसके अलावा, जब हम मुश्‍किल हालात को यहोवा परमेश्‍वर की नज़र से देखेंगे, तो चाहे समस्या कितनी बड़ी क्यों न हो, हम कभी नहीं घबराएँगे।

[फुटनोट]

a 2006 यहोवा के साक्षियों का कैलेंडर, मई/जून देखिए।

[पेज 9 पर बक्स/तसवीर]

गोलियत कितना लंबा-चौड़ा था?

पहला शमूएल 17:4-7 की घटना हमें बताती है कि गोलियत का कद छः हाथ से ज़्यादा था, यानी उसकी ऊँचाई नौ फुट [करीब 3 मीटर] से भी ज़्यादा थी। गोलियत की ऊँचाई और ताकत का अंदाज़ा हमें उसके ताँबे के कवच से मिलता है। कवच का वज़न 57 किलो था! उसके भाले का डंडा एक बल्ली की तरह चौड़ा था और भाले की नोक 7 किलो से ज़्यादा वज़नदार थी। और-तो-और, आपको शायद यह जानकर ताज्जुब हो कि गोलियत के कवच का वज़न खुद दाऊद से भी ज़्यादा था!

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