3 यीशु के बारे में सच्चाई सीखिए
“परमेश्वर ने दुनिया से इतना ज़्यादा प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास दिखाता है, वह नाश न किया जाए बल्कि हमेशा की ज़िंदगी पाए।”—यूहन्ना 3:16.
रुकावट: कई लोग आपको यकीन दिलाने की कोशिश कर सकते हैं कि यीशु एक असल शख्स नहीं था। दूसरे मानते हैं कि यीशु इस धरती पर जीया था, पर वह सिर्फ एक आम इंसान था और उसे मरे हुए कई साल बीत चुके हैं।
आप इस रुकावट को कैसे पार कर सकते हैं? यीशु के एक चेले नतनएल की मिसाल पर चलकर।a एक बार नतनएल के दोस्त फिलिप्पुस ने उससे कहा कि उसे मसीहा मिल गया है। वह “नासरत का रहनेवाला यीशु है, जो यूसुफ का बेटा है।” लेकिन नतनएल ने फिलिप्पुस पर यकीन नहीं किया। उसने शक करते हुए कहा: “भला नासरत से भी कुछ अच्छा निकल सकता है?” फिर भी, उसने फिलिप्पुस के इस न्यौते को स्वीकार किया कि वह खुद ‘आकर देख ले।’ (यूहन्ना 1:43-51) नतनएल की तरह, अगर आप भी खुद यीशु की ज़िंदगी के बारे में मिले सबूतों की जाँच करें, तो आपको फायदा होगा। वे सबूत क्या हैं?
यीशु एक असल व्यक्ति था, इस बारे में इतिहास से मिले सबूतों की जाँच कीजिए। जोसीफस और टेसिटस पहली सदी के जाने-माने इतिहासकार थे। वे मसीही नहीं थे। उन्होंने यीशु मसीह को एक असल शख्स बताया। टेसिटस ने कहा कि ईसवी सन् 64 में रोम में जो आग लगी थी, उसका इलज़ाम रोमी सम्राट नीरो ने मसीहियों के सिर मढ़ दिया। टेसिटस ने लिखा: “नीरो ने शहर में लगी आग के लिए एक ऐसे समूह को कसूरवार ठहराया, जिनके धार्मिक रिवाज़ों के लिए उनसे नफरत की जाती थी। उसने उन पर बहुत-से भयानक ज़ुल्म ढाए। इस समूह को आम जनता मसीहियों के नाम से जानती थी। यह नाम क्रिस्तुस [मसीह] के नाम से निकला है, जिसे तिबिरियुस के राज्य में हमारे ही एक गवर्नर, पुन्तियुस पीलातुस ने मौत की सज़ा दी थी।”
पहली और दूसरी सदी के इतिहासकारों ने यीशु और शुरू के मसीहियों का जो हवाला दिया, उस बारे में सन् 2002 की दी इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका कहती है: “अलग-अलग लेखकों के इन ब्यौरों से साबित होता है कि प्राचीन समय में, मसीहियों के दुश्मनों ने भी कभी यीशु के वजूद पर शक नहीं किया। अठारहवीं सदी के आखिर में, पहली बार और बिना किसी ठोस आधार के यीशु के वजूद पर सवाल उठाया गया। फिर यह विवाद पूरी 19वीं सदी के दौरान और 20वीं सदी की शुरूआत तक चलता रहा।” सन् 2002 में द वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार में एक लेख छपा, जिसमें कहा गया: “कुछ नास्तिक विद्वानों को छोड़, बाकी सब ने कबूल किया कि नासरत का रहनेवाला यीशु एक ऐसा शख्स है, जो इतिहास में सचमुच जीया था।”
यीशु को फिर से ज़िंदा किया गया, इसके सबूतों पर गौर कीजिए। जब यीशु को उसके दुश्मनों ने पकड़ लिया, तो उसके सबसे करीबी दोस्त यानी उसके चेले उसे अकेला छोड़ भाग गए। यहाँ तक कि उनमें से एक, जिसका नाम पतरस था, डर के मारे यीशु को पहचानने से साफ मुकर गया। (मत्ती 26:31, 55, 56, 69-75) मगर फिर अचानक, उसके चेलों में जोश भर आया। पतरस और यूहन्ना ने हिम्मत के साथ उन आदमियों का सामना किया, जिन्होंने यीशु की मौत की साज़िश रची थी। यीशु के चेलों में इतना उत्साह भर आया कि उन्होंने यीशु की शिक्षाओं को पूरे रोमी साम्राज्य में फैला दिया। उन्हें अपने विश्वास से कोई भी समझौता करने के बजाय मौत को गले लगाना मंज़ूर था।
आखिर उनमें इतनी हिम्मत और जोश कहाँ से आया? पौलुस बताता है कि जब यीशु को मरे हुओं में से जिंदा किया गया, तब “वह कैफा [पतरस] को और फिर बारहों को दिखायी दिया।” पौलुस आगे लिखता है: “उसके बाद वह एक ही वक्त पर पाँच सौ से ज़्यादा भाइयों को दिखायी दिया।” जब पौलुस ने ये शब्द लिखे, तब उनमें से ज़्यादातर लोग ज़िंदा थे। (1 कुरिंथियों 15:3-7) अगर एक-दो गवाहों की बात होती, तो आलोचक आसानी से उनकी गवाही झुठला सकते थे। (लूका 24:1-11) लेकिन पाँच सौ से ज़्यादा लोगों की गवाही इस बात का ठोस सबूत था कि यीशु को मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया है।
यीशु के बारे में सच्चाई सीखने के नतीजे: जो लोग यीशु पर विश्वास करते हैं और उसकी आज्ञाएँ मानते हैं, उन्हें अपने पापों की माफी मिलेगी और वे साफ ज़मीर बनाए रख सकेंगे। (मरकुस 2:5-12; 1 तीमुथियुस 1:19; 1 पतरस 3:16-22) अगर वे मर भी जाएँ, तो यीशु ने वादा किया है कि वह उन्हें “आखिरी दिन में” फिर से ज़िंदा करेगा।—यूहन्ना 6:40. (w09 5/1)
ज़्यादा जानकारी के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है?b किताब में ये अध्याय देखिए: अध्याय 4, “यीशु मसीह कौन है?” और अध्याय 5, “छुड़ौती—परमेश्वर का सबसे नायाब तोहफा।”
[फुटनोट]
a खुशखबरी की किताबों के लेखक, मत्ती, मरकुस और लूका ने नतनएल के लिए बरतुलमै नाम इस्तेमाल किया।
b इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
[पेज 7 पर तसवीर]
नतनएल की तरह, यीशु की ज़िंदगी के बारे में सबूतों की जाँच कीजिए