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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2009
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क्या आप जानते थे?

प्रार्थना के आखिर में लोग “आमीन” क्यों कहते हैं?

“आमीन” का अँग्रेज़ी और यूनानी शब्द, हू-ब-हू इब्रानी शब्द एमन से लिया गया है। जब कोई प्रार्थना करता है, शपथ खाता है, आशीर्वाद या बददुआ देता है, तो सुननेवाले लोग आखिर में एक-साथ मिलकर आमीन कहते हैं। शब्द “आमीन” का मतलब है, “ऐसा ही हो” या “ज़रूर हो।” प्रार्थना के आखिर में आमीन कहना दिखाता है कि सुननेवाले भी उन सभी बातों और भावनाओं से सहमत हैं, जो प्रार्थना में ज़ाहिर की गयी हैं। एक किताब के मुताबिक, “आमीन” शब्द से ज़ाहिर होता है कि ‘कही गयी बात पक्की, सच्ची और विश्‍वासयोग्य है और इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं कि वह ज़रूर पूरी होगी।’ पुराने ज़माने में जब कोई व्यक्‍ति शपथ खाने या करार बाँधने के बाद आमीन कहता था, तो कानूनी तौर पर उसका फर्ज़ बन जाता था कि वह उसे पूरा करे। और अगर वह अपनी शपथ या करार की शर्तें पूरी नहीं कर पाता, तो उसे अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना होता।—व्यवस्थाविवरण 27:15-26.

प्रचार करते और सिखाते वक्‍त, यीशु ने कई बार अपनी बात “आमीन” कहकर शुरू की। इस तरह उसने ज़ोर दिया कि वह जो कहने जा रहा है, उस पर पूरा भरोसा किया जा सकता है। इन मामलों में यूनानी शब्द आमीन का अनुवाद “सच कहता हूँ” किया गया है। (मत्ती 5:18; 6:2, 5) यीशु ने खुशखबरी की किताब यूहन्‍ना में कई जगहों पर “आमीन-आमीन” कहा, जिसका अनुवाद “सच-सच कहता हूँ” किया गया है। (यूहन्‍ना 3:3) यीशु ने जिस तरह आमीन का इस्तेमाल किया है, वैसा इस्तेमाल बाइबल के दूसरे भागों या किसी दूसरे शास्त्र में नहीं हुआ है।

मसीही यूनानी शास्त्र में यीशु को “आमीन” की उपाधि दी गयी है। यह उपाधि दिखाती है कि उसकी गवाही ‘विश्‍वासयोग्य और सच्ची’ है।—प्रकाशितवाक्य 3:14. (w09 6/1)

यीशु ने प्रार्थना में परमेश्‍वर यहोवा को “हे अब्बा, हे पिता” क्यों कहा?

अरामी शब्द अब्बा का मतलब “पिता” या “हे पिता” है। यह शब्द बाइबल में तीन बार आया है। हर बार इसका इस्तेमाल प्रार्थना में यहोवा परमेश्‍वर के लिए हुआ है, जो स्वर्ग में रहता है। मगर यह शब्द इतना खास क्यों है?

दी इंटरनैशनल स्टैंडर्ड बाइबल इनसाइक्लोपीडिया कहती है: “यीशु के ज़माने में, शब्द अब्बा बोलचाल की भाषा में बहुत इस्तेमाल होता था। इससे पता चलता था कि एक बच्चा अपने पिता के कितने करीब है और उसके दिल में अपने पिता के लिए गहरा आदर है।” एक बच्चे की ज़बान से निकलनेवाले पहले शब्दों में से एक था अब्बा। बच्चा प्यार से अपने पिता को यही कहता था। यीशु ने भी अपने पिता यहोवा को अब्बा कहकर पुकारा, जब उसने दिल से प्रार्थना की। अपनी मौत से कुछ घंटों पहले जब यीशु गतसमनी के बाग में था, तब उसने प्रार्थना में यहोवा को “हे अब्बा, हे पिता” कहा।—मरकुस 14:36.

इनसाइक्लोपीडिया आगे बताती है: “जब यूनानी-रोमी सभ्यता फैल रही थी, तब यहूदियों के साहित्य में परमेश्‍वर के लिए अब्बा शब्द सिर्फ एकाध बार इस्तेमाल हुआ। क्योंकि माना जाता था कि परमेश्‍वर को इस तरह पुकारना, उसकी तौहीन करना है। लेकिन यीशु ने प्रार्थना में यह शब्द इस्तेमाल कर साबित किया कि वह वाकई परमेश्‍वर का बेटा है।” यीशु के अलावा, पहली सदी के मसीही भी प्रार्थना में परमेश्‍वर को “अब्बा” पुकारते थे। यह हम इसलिए कह सकते हैं, क्योंकि प्रेषित पौलुस ने अपनी लिखी किताबों में दो बार “अब्बा” शब्द का इस्तेमाल किया।—रोमियों 8:15; गलातियों 4:6. (w09 4/1)

[पेज 13 पर तसवीर]

“आमीन,” प्रकाशितवाक्य 3:14. द कोडेक्स ऐलेक्सज़ेनड्रिनस, ईसवी सन्‌ 5वीं सदी

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