“कहीं मैं ज़्यादा शराब तो नहीं पी रहा?”
टोनी नाम के आदमी की ज़िंदगी में कई परेशानियाँ थीं क्योंकि उसे शराब पीने की लत थी। वह बहुत शराब पीता था, फिर भी उसे नशा नहीं होता था। इसलिए वह मानने को तैयार ही नहीं था कि उसे शराब पीने की लत है। अगर वह मान लेता तो शायद आज ज़िंदा होता। पर वह यह क्यों नहीं मान पाया?
एक वजह थी कि जब टोनी बहुत ज़्यादा शराब पी लेता था, तो इसका उसकी सोचने-समझने की शक्ति पर असर होने लगता था। वह ना तो ठीक से सोच पाता था, ना सही फैसले ले पाता था। और जितना ज़्यादा वह पीता था, उतना ज़्यादा उसका एहसास कम होने लगता था कि शराब का उस पर असर हो रहा है।
दूसरी वजह थी कि टोनी में शराब पीने की इतनी ज़बरदस्त तलब उठती थी कि वह खुद को रोक ही नहीं पाता था। ऐलन नाम के एक और आदमी ने भी पहले यह मानने से इनकार किया कि उसे शराब पीने की लत है। उसने कहा, “मैं अपनी लत छिपाने की कोशिश करता था। मैं ज़्यादा शराब पीने का कोई-न-कोई बहाना ढूँढ़ ही लेता था। और फिर खुद को समझा लेता था कि मैंने इतनी भी नहीं पी है। मेरा बस एक ही मकसद था कि मैं शराब पीता रहूँ।” दूसरे देख सकते थे कि टोनी और ऐलन को पीने की समस्या है, पर उन दोनों को लग रहा था कि सब ठीक है। उन्हें अपनी लत छोड़ने के लिए ठोस कदम उठाने की ज़रूरत थी।
ठोस कदम उठाइए!
कई लोग हैं जो ज़्यादा शराब पीने की अपनी लत पर काबू कर पाए हैं। वे ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि उन्होंने यीशु की यह सलाह मानी, “अगर तेरी दायीं आँख तुझसे पाप करवा रही है, तो उसे नोंचकर निकाल दे और दूर फेंक दे। अच्छा यही होगा कि तू अपना एक अंग गँवा दे, बजाय इसके कि तेरा पूरा शरीर गेहन्ना में फेंक दिया जाए।”—मत्ती 5:29.
यीशु सचमुच में अंग काटने की बात नहीं कर रहा था। इसके बजाय वह कह रहा था कि हमें ऐसे काम करना बंद कर देना चाहिए, जिससे यहोवा के साथ हमारा रिश्ता टूट जाए। ऐसा करना मुश्किल हो सकता है। शायद हमें दर्द हो और हम बेचैनी महसूस करें। फिर भी अगर हम लत छोड़ने के लिए ठोस कदम उठाएँ, तो हम शराबी बनने से बच सकते हैं। अगर दूसरों ने आपको बताया है कि आप ज़्यादा पीने लगे हैं, तो शराब पीना कम कर दीजिए।a और अगर आपसे ऐसा नहीं हो पा रहा है, तो पीना ही छोड़ दीजिए। ऐसा करना चाहे कितना भी मुश्किल क्यों ना लगे, इससे आपकी ज़िंदगी बच सकती है।
शायद आपको पीने की लत ना हो, फिर भी मौका मिलने पर क्या आप ज़्यादा पी लेते हैं? अगर ऐसा है, तो खुद को रोकने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
कौन-से कदम?
1. यकीन रखिए कि अगर आप बार-बार दिल से प्रार्थना करेंगे, तो यहोवा आपकी मदद करेगा। जो कोई यहोवा परमेश्वर को खुश करना चाहता है, उसके लिए बाइबल में यह सलाह दी गयी है, “किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो, मगर हर बात के बारे में प्रार्थना और मिन्नतों और धन्यवाद के साथ परमेश्वर से बिनतियाँ करो। तब परमेश्वर की वह शांति जो समझ से परे है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल की और तुम्हारे दिमाग के सोचने की ताकत की हिफाज़त करेगी।” (फिलिप्पियों 4:6, 7) अगर आपको मन की शांति चाहिए, तो आपको किस बारे में प्रार्थना करनी चाहिए?
सबसे पहले कबूल कीजिए कि आपको पीने की समस्या है और आप समझते हैं कि इसे पार करने के लिए आपको कुछ कदम उठाने हैं। फिर आपने जो कदम उठाने की सोची है, उनके बारे में यहोवा को बताइए। तब यहोवा आपकी कोशिशों पर आशीष देगा। नतीजा, आपको मन की शांति मिलेगी और आप और भी बड़ी मुश्किल में पड़ने से बच जाएँगे। बाइबल में लिखा है, “जो अपने अपराध छिपाए रखता है वह सफल नहीं होगा, लेकिन जो इन्हें मान लेता है और दोहराता नहीं, उस पर दया की जाएगी।” (नीतिवचन 28:13) यीशु ने कहा कि हम प्रार्थना में यह भी कह सकते हैं, “जब हम पर परीक्षा आए तो हमें गिरने न दे, मगर हमें बुराई से बचा।” (मत्ती 6:13; फुटनोट) प्रार्थना करने के बाद आपको क्या करना चाहिए?
2. हिम्मत पाने के लिए बाइबल पढ़िए। “परमेश्वर का वचन जीवित है और ज़बरदस्त ताकत रखता है . . . और दिल के विचारों और इरादों को जाँच सकता है।” (इब्रानियों 4:12) कई लोग जिन्हें ज़्यादा पीने की आदत थी, उन्हें हर दिन बाइबल पढ़ने और उस पर मनन करने से मदद मिली। एक भजन के लिखनेवाले ने कहा, “सुखी है वह इंसान जो दुष्टों की सलाह पर नहीं चलता, . . . मगर वह यहोवा के कानून से खुशी पाता है, दिन-रात उसका कानून धीमी आवाज़ में पढ़ता है। . . . वह आदमी अपने हर काम में कामयाब होगा।”—भजन 1:1-3.
ऐलन ने जब यहोवा के साक्षियों से बाइबल के बारे में सीखा, तो उसे शराब की लत छोड़ने की हिम्मत मिली। उसने कहा, “बाइबल सीखने और उसके सिद्धांत मानने की वजह से ही मैं पीना छोड़ पाया। इसी वजह से मैं आज ज़िंदा हूँ!”
3. खुद पर काबू रखिए। बाइबल में बताया गया है कि मसीही मंडली के कुछ लोग पहले पियक्कड़ थे, पर “परमेश्वर की पवित्र शक्ति से” उन्हें शुद्ध किया गया। (1 कुरिंथियों 6:9-11) यानी यहोवा की पवित्र शक्ति ने उन्हें संयम का गुण बढ़ाने में मदद दी, जिस वजह से वे ज़्यादा शराब पीना बंद कर पाए। वे यह सलाह मान पाए, “दाख-मदिरा पीकर धुत्त न हो जो नीच हरकतों की तरफ ले जाता है, मगर पवित्र शक्ति से भरपूर होते जाओ।” (इफिसियों 5:18; गलातियों 5:21-23) यीशु मसीह ने भी कहा कि ‘पिता माँगनेवालों को पवित्र शक्ति [ज़रूर] देगा।’ इसलिए “माँगते रहो तो तुम्हें दिया जाएगा।”—लूका 11:9, 13.
जो लोग यहोवा को खुश करना चाहते हैं, उन्हें संयम का गुण बढ़ाने के लिए बाइबल पढ़नी होगी और उसका अध्ययन करना होगा। उन्हें बार-बार दिल से प्रार्थना भी करनी होगी। शायद कभी-कभी आप चूक जाएँ, पर हार मत मानिए। बाइबल में लिखा यह वादा याद रखिए, “जो पवित्र शक्ति के लिए बोता है वह पवित्र शक्ति से हमेशा की ज़िंदगी की फसल काटेगा। इसलिए आओ हम बढ़िया काम करने में हार न मानें क्योंकि अगर हम हिम्मत न हारें, तो वक्त आने पर ज़रूर फल पाएँगे।”—गलातियों 6:8, 9.
4. सही दोस्त चुनिए। “बुद्धिमानों के साथ रहनेवाला बुद्धिमान बनेगा, लेकिन मूर्खों के साथ मेल-जोल रखनेवाला बरबाद हो जाएगा।” (नीतिवचन 13:20) अपने दोस्तों को बताइए कि आपने ज़्यादा शराब ना पीने की ठान ली है। लेकिन जैसे बाइबल में बताया गया है, हो सकता है कि जब आप ‘हद-से-ज़्यादा शराब पीना, रंगरलियाँ मनाना और शराब पीने की होड़ लगाना’ छोड़ देंगे, तो आपके कुछ पुराने दोस्त ‘ताज्जुब करेंगे और आपके बारे में बुरा-भला कहेंगे।’ (1 पतरस 4:3, 4) ऐसे में आप उन लोगों से दोस्ती तोड़ दीजिए, वरना वे ज़्यादा शराब ना पीने का आपका इरादा कमज़ोर कर सकते हैं।
5. तय कीजिए कि आप कितना पीएँगे। “इस दुनिया की व्यवस्था के मुताबिक खुद को ढालना बंद करो, मगर नयी सोच पैदा करो ताकि तुम्हारी कायापलट होती जाए। तब तुम परखकर खुद के लिए मालूम करते रहोगे कि परमेश्वर की भली, उसे भानेवाली और उसकी परिपूर्ण इच्छा क्या है।” (रोमियों 12:2) आप कितना पीएँगे, यह “दुनिया की व्यवस्था के मुताबिक” तय मत कीजिए। यानी ऐसे दोस्तों की बातों में मत आइए, जो यहोवा की सेवा नहीं करते। इसके बजाय सोचिए कि बाइबल में क्या लिखा है। अगर आप ऐसा करें तो यहोवा आपसे बहुत खुश होगा। पर आप कैसे तय कर सकते हैं कि कितना पीना आपके लिए सही रहेगा?
शराब की जितनी मात्रा पीने से आपका दिमाग सुस्त होने लगे और सोचने-समझने की आपकी शक्ति पर असर होने लगे, तो उतनी मात्रा आपके लिए ज़्यादा है। यह मत सोचिए कि पीते-पीते आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि नशा चढ़ रहा है और अब रुक जाना चाहिए। ईमानदारी से खुद की जाँच कीजिए और एक ऐसी सीमा तय कीजिए जिससे आप कभी-भी हद-से-ज़्यादा ना पीएँ।
6. मना करना सीखिए। “तुम्हारी ‘हाँ’ का मतलब हाँ हो और ‘न’ का मतलब न।” (मत्ती 5:37) आपने जितना पीने का फैसला किया है, अगर कोई आपसे उससे ज़्यादा पीने के लिए कहे तो अदब से मना कर दीजिए। बाइबल में लिखा है, “तुम्हारे बोल हमेशा मन को भानेवाले और सलोने हों। तब तुम्हें हर किसी को सही तरह से जवाब देना आ जाएगा।”—कुलुस्सियों 4:6.
7. परिवारवालों और दोस्तों की मदद लीजिए। ऐसे दोस्तों की मदद लीजिए, जो यहोवा से प्यार करते हैं और आपको अपने फैसले पर बने रहने में मदद देंगे। बाइबल में लिखा है, “एक से भले दो हैं क्योंकि उनकी मेहनत का उन्हें अच्छा फल मिलता है। अगर उनमें से एक गिर जाए, तो उसका साथी उसे उठा लेगा।” (सभोपदेशक 4:9, 10; याकूब 5:14, 16) अमरीका में ज़्यादा शराब पीने के मामलों में खोजबीन करनेवाले राष्ट्रीय इंस्टिट्यूट ने भी यही सलाह दी, “कई बार कम शराब पीना शायद मुश्किल लगे। ऐसे में अपने परिवारवालों और दोस्तों से मदद माँगिए।”
8. अपने फैसले पर डटे रहिए। “वचन पर चलनेवाले बनो, न कि सिर्फ सुननेवाले जो झूठी दलीलों से खुद को धोखा देते हैं। मगर जो इंसान आज़ादी दिलानेवाले खरे कानून को करीब से जाँचता है और उसमें लगा रहता है, ऐसा इंसान सुनकर भूलता नहीं मगर उस पर चलता है और इससे वह खुशी पाता है।”—याकूब 1:22, 25.
लत से छुटकारा
ज़रूरी नहीं कि हर कोई जो ज़्यादा शराब पीता है, उसे इसकी लत हो। पर अगर वह ज़्यादा पीने लगे या बार-बार पीने लगे, तो उसे शराब की लत लग सकती है। यह लत इतनी ज़बरदस्त होती है कि एक व्यक्ति का शरीर इसके बिना रह ही नहीं पाता। उसका दिमाग भी इसका आदी हो जाता है। इसलिए इस लत से छुटकारा पाने के लिए पक्का इरादा करना और बाइबल अध्ययन करना ही काफी नहीं होता। उसे डॉक्टर की भी ज़रूरत पड़ती है, क्योंकि अगर वह अचानक शराब पीना छोड़ दे तो उसकी तबियत खराब हो सकती है। ऐलन बताता है, “जब मैं शराब छोड़ने की कोशिश कर रहा था, तो मेरी तबियत बहुत बिगड़ जाती थी और दर्द सहन से बाहर हो जाता था। तब मुझे एहसास हुआ कि बाइबल अध्ययन करने के अलावा, मुझे डॉक्टर के पास भी जाना पड़ेगा।”
कई लोग जो यहोवा को खुश करने के लिए शराब की लत छोड़ना चाहते हैं, उन्हें शायद अलग-अलग तरह के इलाज की ज़रूरत पड़े।b जैसे, उन्हें शायद अस्पताल में भरती होना पड़े क्योंकि शराब छोड़ने की वजह से उनकी तबियत बहुत खराब हो सकती है। या फिर उन्हें ऐसी दवाइयाँ लेनी पड़ें जिनसे वे शराब पीने की अपनी तलब कम कर सकें या शराब पूरी तरह छोड़ सकें। खुद यीशु ने भी कहा, “जो भले-चंगे हैं उन्हें वैद्य की ज़रूरत नहीं होती, मगर बीमारों को होती है।”—मरकुस 2:17.
यहोवा की बात मानने के फायदे
शराब के बारे में बाइबल में जो बढ़िया सलाह दी गयी है, वह सच्चे परमेश्वर की तरफ से है। और वह हमेशा हमारी भलाई चाहता है। वह चाहता है कि हम ना सिर्फ आज बल्कि हमेशा के लिए खुश रहें। ऐलन को शराब छोड़े हुए 24 साल हो गए हैं। वह बताता है, “मैं पहले जैसा था और आज जैसा हूँ, उसमें बहुत फर्क है। मुझे खुद यकीन नहीं होता कि मैं बदल गया हूँ। और इस सबके पीछे यहोवा का हाथ है। . . . यहोवा मुझे समझता है, मेरी परवाह और मदद करता है, यह बात मेरे दिल को छू गयी . . . ।” ऐलन खुद के आँसुओं को रोकते हुए कहता है, “मैं . . . मैं बता नहीं सकता कि मैं उसका कितना एहसानमंद हूँ।”
अगर आपको भी ज़्यादा शराब पीने की समस्या है या उसकी लत है, तो हार मत मानिए। आप इससे छुटकारा पा सकते हैं। ज़िंदगी के जिस मोड़ पर आप आज खड़े हैं, उस मोड़ से ऐलन और दूसरे कई लोग गुज़र चुके हैं। उनमें से कई अपने पीने पर काबू रख पाए हैं, तो कुछ ने पूरी तरह शराब छोड़ दी है। और आज वे बहुत खुश हैं। आप भी बदल सकते हैं और उनकी तरह खुश हो सकते हैं!
चाहे आप थोड़ी शराब पीने या बिलकुल भी ना पीने का फैसला करें, यहोवा की यह प्यार-भरी सलाह ज़रूर मानिए, “मेरी आज्ञाओं को ध्यान से सुन, उन्हें मान! तब तेरी शांति नदी के समान और तेरी नेकी समुंदर की लहरों के समान होगी।”—यशायाह 48:18.
[फुटनोट]
a पेज 8 पर दिया बक्स “क्या मुझे पीने की समस्या है?” पढ़ें।
b ऐसे कई नशा-मुक्ति केंद्र, अस्पताल और कार्यक्रम हैं जिनसे मदद मिल सकती है। प्रहरीदुर्ग पत्रिका किसी एक किस्म के इलाज का बढ़ावा नहीं देती। हर व्यक्ति को खुद पता लगाना है कि कौन-कौन-से इलाज उपलब्ध हैं, ध्यान से बाइबल के सिद्धांतों की जाँच करनी है और फिर फैसला करना है।
[बक्स/तसवीर]
क्या मुझे पीने की समस्या है?
खुद से पूछिए:
• क्या मैं पहले से ज़्यादा पीने लगा हूँ?
• क्या मैं अकसर पीने लगा हूँ?
• क्या मैं ऐसी शराब पीने लगा हूँ जिसमें ज़्यादा नशा होता है?
• अपना तनाव दूर करने या अपनी परेशानी भुलाने के लिए क्या मैं शराब का सहारा लेता हूँ?
• क्या मेरे किसी दोस्त या परिवारवाले ने कहा है कि मैं ज़्यादा पीता हूँ?
• क्या मेरे शराब पीने की वजह से घर में, काम की जगह पर या सफर के दौरान मुश्किलें खड़ी हो रही हैं?
• क्या मैं एक हफ्ता भी बिना शराब के नहीं रह पाता?
• अगर दूसरे नहीं पीते तो क्या उनके बीच रहना मुझे मुश्किल लगता है?
• मैं कितना पीता हूँ, क्या यह बात मैं दूसरों से छिपाता हूँ?
अगर आपने एक या उससे ज़्यादा सवालों के जवाब ‘हाँ’ में दिए हैं, तो इसका मतलब आपको अपने पीने पर काबू करने के लिए कुछ कदम उठाने की ज़रूरत है।
[बक्स/तसवीर]
शराब के मामले में सही फैसले कैसे लें?
शराब पीने से पहले सोचिए:
• क्या मेरा पीना सही रहेगा या मुझे पीनी ही नहीं चाहिए?
सुझाव: अगर कोई व्यक्ति एक बार पीने लगता है और खुद को रोक नहीं पाता, तो उसे नहीं पीनी चाहिए।
• मुझे कितनी पीनी चाहिए?
सुझाव: शराब पीने के बाद एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता। इसलिए पीने से पहले तय कीजिए कि आप कितनी पीएँगे।
• मैं कब पी सकता हूँ?
सुझाव: आपको कब नहीं पीनी चाहिए: गाड़ी चलाने से पहले, ऐसे काम करने से पहले जिन्हें पूरे ध्यान से करने की ज़रूरत होती है, उपासना से जुड़े काम करने से पहले, गर्भावस्था के दौरान और अगर आप कुछ दवाइयाँ ले रहे हों।
• मैं कहाँ पी सकता हूँ?
सुझाव: ऐसी जगहों पर मत पीजिए जहाँ गलत काम होते हैं या पियक्कड़ होते हैं। छिप-छिपकर मत पीजिए और ना ही ऐसे लोगों के सामने पीजिए जिन्हें शराब पीने से एतराज़ है।
• मुझे किन लोगों के साथ पीनी चाहिए?
सुझाव: ऐसे लोगों के साथ नहीं जिन्हें शराब पीने की समस्या है। इसके बजाय ऐसे दोस्तों या परिवारवालों के साथ पीजिए, जो आपको हद में रहकर पीने में मदद दें।
[बक्स/तसवीर]
बाइबल की मदद से शराब की लत छोड़ी
थायलैंड का रहनेवाला सूपोट एक शराबी था। पहले तो वह सिर्फ शाम को पीता था। पर धीरे-धीरे वह सुबह और दोपहर में भी पीने लगा। वह अकसर इसलिए पीता था कि उसे नशा चढ़ जाए। बाद में वह यहोवा के साक्षियों से बाइबल के बारे में सीखने लगा। जब उसने जाना कि यहोवा परमेश्वर की नज़र में ज़्यादा शराब पीना गलत है, तो उसने पीना छोड़ दिया। पर कुछ समय बाद वह फिर से पहले की तरह पीने लगा। यह देखकर उसके परिवार का दिल टूट गया।
सूपोट अब भी यहोवा से प्यार करता था और उसकी उपासना करना चाहता था। उसके दोस्त उसकी मदद करते रहे। उन्होंने उसके बीवी-बच्चों को भी बढ़ावा दिया कि वे हिम्मत ना हारें बल्कि उसके साथ ज़्यादा वक्त बिताएँ। उसी दौरान सूपोट ने 1 कुरिंथियों 6:10 पढ़ा जहाँ साफ लिखा है कि ‘पियक्कड़ परमेश्वर के राज के वारिस नहीं होंगे।’ इससे उसे एहसास हुआ कि उसकी पीने की समस्या कितनी बड़ी है और उसे शराब छोड़ने के लिए पूरा ज़ोर लगाना होगा।
इस बार सूपोट ने ठान लिया कि वह शराब छोड़कर ही रहेगा। यहोवा की पवित्र शक्ति, बाइबल, परिवार और मंडली की मदद से सूपोट अपनी यह आदत पूरी तरह छोड़ पाया। जब उसने बपतिस्मा लिया तो उसके परिवार को बहुत खुशी हुई। सूपोट हमेशा से यहोवा के करीब आना चाहता था और ऐसा ही हुआ। यही नहीं, वह दूसरों को भी यहोवा के करीब आने में मदद देता है।