‘पहचानो कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं’
‘पहचानो कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं।’—फिलि. 1:10.
1, 2. आखिरी दिनों के बारे में की गयी किस भविष्यवाणी से यीशु के चेले हैरान हो गए होंगे? और क्यों?
यीशु ने हाल ही में अपने चेलों को यरूशलेम के मंदिर के नाश के बारे में बताया था। उसकी इस बात से पतरस, याकूब, यूहन्ना और अन्द्रियास चिंता में पड़ गए। (मर. 13:1-4) इसलिए जब आखिरकार वे यीशु के साथ अकेले थे, तो उन्होंने उससे पूछा: “हमें बता, ये सब बातें कब होंगी और तेरी मौजूदगी की और दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त की क्या निशानी होगी?” (मत्ती 24:1-3) यीशु ने उन्हें उन घटनाओं के बारे में बताना शुरू किया जो न सिर्फ यरूशलेम के विनाश से पहले घटतीं, बल्कि उन घटनाओं के बारे में भी बताया, जो शैतान की दुष्ट दुनिया के आखिरी दिनों में घटेंगी। उनमें से एक घटना के बारे में सुनकर यीशु के चेले वाकई हैरान रह गए होंगे। युद्ध, अकाल और बढ़ती दुष्टता जैसी बुरी घटनाओं के बारे में बताने के बाद यीशु ने भविष्यवाणी की कि आखिरी दिनों में कुछ अच्छी घटना भी घटेगी। उसने कहा: “राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों पर गवाही हो; और इसके बाद अंत आ जाएगा।”—मत्ती 24:7-14.
2 यीशु के चेलों ने उसके साथ राज की खुशखबरी का प्रचार करने में खुशी पायी थी। (लूका 8:1; 9:1, 2) उन्हें यीशु के ये शब्द याद आए होंगे: “कटाई के लिए फसल वाकई बहुत है, मगर मज़दूर थोड़े हैं। इसलिए खेत के मालिक से बिनती करो कि वह कटाई के लिए और मज़दूर भेज दे।” (लूका 10:2) लेकिन वे “सारे जगत में” प्रचार कैसे करते और “सब राष्ट्रों पर गवाही” कैसे देते? और इतने सारे मज़दूर कहाँ से आते? चेलों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि मत्ती 24:14 में दिए शब्द कैसे रोमांचक तरीके से पूरे होंगे!
3. लूका 21:34 के शब्द आज किस तरह पूरे हो रहे हैं? और हमें खुद-से क्या पूछना चाहिए?
3 आज हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब यीशु की यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है। हज़ारों-लाखों लोग इस धरती पर राज की खुशखबरी का प्रचार करने में लगे हुए हैं। (यशा. 60:22) लेकिन यीशु ने यह भी बताया था कि कुछ लोगों के लिए राज के काम को अपनी जिंदगी में पहली जगह देना मुश्किल होगा। वे गैर-ज़रूरी कामों में व्यस्त हो जाएँगे और ज़िंदगी की चिंताओं के भारी बोझ से “दब” जाएँगे। (लूका 21:34 पढ़िए।) हम इन शब्दों को भी पूरा होते देख रहे हैं। आज परमेश्वर के कुछ सेवकों का ध्यान भटक रहा है। नौकरी, ऊँची शिक्षा और पैसा बटोरने के मामलों में उनके फैसलों से यह साफ ज़ाहिर हो रहा है। कुछ ऐसे भी हैं जो खेल-कूद और मनोरंजन में बहुत ज़्यादा वक्त बिता रहे हैं। दूसरे लोग हर दिन की चिंताओं और दबावों के बोझ से थक रहे हैं। खुद से पूछिए: ‘मेरे बारे में क्या? क्या मैं यहोवा की सेवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दे रहा हूँ?’
4. (क) पौलुस ने फिलिप्पी के मसीहियों के लिए क्या प्रार्थना की? और क्यों? (ख) हम इस लेख और अगले लेख में क्या गौर करेंगे? इन लेखों से हमें कैसे मदद मिलेगी?
4 पहली सदी में जीनेवाले मसीहियों को यहोवा की सेवा को अहमियत देने के लिए बहुत मेहनत करनी थी। इसलिए प्रेषित पौलुस ने फिलिप्पी के मसीहियों के लिए प्रार्थना की, ताकि वे ‘पहचान सकें कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं।’ (फिलिप्पियों 1:9-11 पढ़िए।) प्रेषित पौलुस की तरह, उस ज़माने में ज़्यादातर मसीही “निडर होकर और भी हिम्मत के साथ परमेश्वर का वचन सुना रहे” थे। (फिलि. 1:12-14) उसी तरह, आज हममें से ज़्यादातर मसीही हिम्मत के साथ परमेश्वर का वचन सुना रहे हैं। लेकिन फिर भी, यहोवा के संगठन में आज क्या-क्या काम हो रहा है, उस पर अगर हम गौर करें, तो हमें मदद मिलेगी कि हम सबसे ज़रूरी प्रचार काम पर अपना और भी ध्यान लगाएँ। आइए इस लेख में देखें कि यहोवा ने मत्ती 24:14 के शब्दों को पूरा करने के लिए क्या इंतज़ाम किया है। यहोवा का संगठन आज क्या कर रहा है, और यह जानकारी हमें और हमारे परिवारों को क्या करने के लिए उकसा सकती है? अगले लेख में हम देखेंगे कि क्या बात हमें यहोवा की सेवा में धीरज धरने और उसके संगठन के साथ-साथ चलने में मदद करेगी?
यहोवा के संगठन का अदृश्य भाग आगे बढ़ रहा है
5, 6. (क) यहोवा ने अपने स्वर्गीय संगठन की झलक क्यों दिखायी? (ख) यहेजकेल ने दर्शन में क्या देखा?
5 ऐसी बहुत-सी बातें हैं जो यहोवा ने अपने लिखित वचन में दर्ज़ नहीं करवायीं। उदाहरण के लिए, उसने अपने वचन में यह जानकारी नहीं दी कि हमारा दिमाग कैसे काम करता है या विश्वमंडल कैसे चलता है, हालाँकि उस बारे में पढ़ना कितना ही दिलचस्प क्यों न होता! इसके बजाए, यहोवा ने हमें ऐसी जानकारी दी जो उसके मकसदों को समझने और उनके मुताबिक अपनी ज़िंदगी जीने के लिए ज़रूरी है। (2 तीमु. 3:16, 17) इसलिए यह कितनी दिलचस्प बात है कि बाइबल की कुछ किताबों में यहोवा के संगठन के अदृश्य भाग की झलक दिखायी गयी है! यशायाह, यहेजकेल, दानिय्येल और प्रकाशितवाक्य की किताब में यहोवा के स्वर्गीय संगठन के बारे में जो बातें लिखीं हैं, उसे पढ़कर हम झूम उठते हैं। (यशा. 6:1-4; यहे. 1:4-14, 22-24; दानि. 7:9-14; प्रका. 4:1-11) यह ऐसा है मानो यहोवा ने परदा हटाकर हमें स्वर्ग में झाँकने का मौका दिया है! आखिर उसने यह जानकारी क्यों दी?
6 यहोवा चाहता है कि हम यह कभी न भूलें कि हम स्वर्ग और धरती पर फैले उसके संगठन का हिस्सा हैं। उसका यह स्वर्गीय संगठन भी, जिसे हम अपनी आँखों से नहीं देख सकते, उसके मकसदों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। उदाहरण के लिए, यहेजकेल ने यहोवा के संगठन के इस अदृश्य भाग को एक विशाल स्वर्गीय रथ के रूप में देखा। यह रथ बहुत तेज़ दौड़ सकता था और पलक झपकते ही अपनी दिशा बदल सकता था। (यहे. 1:15-21) दर्शन में यहेजकेल ने रथ पर सवार शख्स की भी एक झलक देखी। उसने कहा: ‘और मुझे झलकाया हुआ पीतल सा दिखाई पड़ा, और उसके चारों ओर आग सी दिखाई पड़ती थी। यहोवा के तेज का रूप ऐसा ही था।’ (यहे. 1:25-28) यहेजकेल यह दर्शन देखकर विस्मय से कैसा भर गया होगा! उसने देखा कि यह संगठन पूरी तरह से यहोवा के काबू में है और वह अपनी पवित्र शक्ति से उसका मार्गदर्शन कर रहा है। यहोवा का स्वर्गीय संगठन जिस तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, उसका यह क्या ही अद्भुत नज़ारा है!
7. दानिय्येल ने जो दर्शन देखा, वह कैसे यहोवा और यीशु पर हमारा भरोसा बढ़ाता है?
7 दानिय्येल ने भी एक दर्शन देखा था जिससे यहोवा और यीशु पर हमारा भरोसा बढ़ता है। उसने यहोवा को “अति प्राचीन” के रूप में देखा, जो सिंहासन पर विराजमान था और उसका सिंहासन अग्निमय था। इस सिंहासन के पहिये थे। (दानि. 7:9) इससे पता चलता है कि यहोवा, दानिय्येल को दिखाना चाहता था कि उसका संगठन आगे बढ़ रहा है और यहोवा का मकसद पूरा कर रहा है। दानिय्येल ने यह भी देखा कि “मनुष्य के सन्तान सा कोई” यानी यीशु को धरती पर मौजूद यहोवा के संगठन की निगरानी करने की ज़िम्मेदारी दी गयी। यीशु इंसानों पर सिर्फ कुछ सालों के लिए शासन नहीं करेगा बल्कि “उसकी प्रभुता सदा तक अटल, और उसका राज्य अविनाशी” ठहरेगा। (दानि. 7:13, 14) यह दर्शन हमें उभारता है कि हम यहोवा पर भरोसा करें और वह अपना मकसद पूरा करने के लिए आज जो कर रहा है, उसकी कदर करें। यहोवा ने “प्रभुता, महिमा और राज्य” अपने बेटे यीशु को दे दिया, जो हर परीक्षा में खरा उतरा। यहोवा को अपने बेटे पर पूरा भरोसा है। इसलिए हम भी यीशु को अपना नेता या अगुवा मानकर उस पर भरोसा कर सकते हैं।
8. यहेजकेल और यशायाह ने यहोवा की तरफ से जो दर्शन देखे, उसका उन पर क्या असर हुआ? और इसका हम पर क्या असर होना चाहिए?
8 यहोवा के संगठन के अदृश्य भाग के इन दर्शनों का हम पर क्या असर होना चाहिए? यहेजकेल की तरह, जब हम यह देखते हैं कि यहोवा किस तरह अपने मकसद को पूरा कर रहा है, तो हमारा दिल विस्मय से भर जाता है। (यहे. 1:28) यहोवा के संगठन पर मनन करने से हमें भी उसकी सेवा में और ज़्यादा करने का बढ़ावा मिलेगा, जैसे यशायाह को मिला था। जब यशायाह को यह मौका मिला कि वह दूसरों को जाकर बताए कि यहोवा क्या-क्या कर रहा है, तो उसने वह मौका हाथ से जाने नहीं दिया। (यशायाह 6:5, 8 पढ़िए।) यशायाह को भरोसा था कि यहोवा की मदद से वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है। उसी तरह, क्या यहोवा के संगठन के अदृश्य भाग की बस एक झलक ही हमें विस्मय से नहीं भर देती और क्या हम उसकी सेवा में और ज़्यादा करने के लिए उभारे नहीं जाते? यह जानकर हमारा कितना हौसला बढ़ता है कि हम एक ऐसे संगठन का हिस्सा हैं, जो लगातार आगे बढ़ता जा रहा है और यहोवा की मरज़ी पूरी करने में दिन-रात लगा हुआ है!
धरती पर मौजूद यहोवा का संगठन
9, 10. धरती पर यहोवा के संगठन की ज़रूरत क्यों है?
9 अपने बेटे के ज़रिए, यहोवा ने धरती पर एक इंतज़ाम ठहराया है, जो उसके संगठन के अदृश्य भाग के साथ मिलकर काम करता है। मत्ती 24:14 में बताए काम को पूरा करने के लिए धरती पर संगठन की ज़रूरत क्यों है? इसकी तीन वजहों पर गौर कीजिए।
10 पहली वजह, यीशु ने कहा था कि उसके चेले “दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में” गवाही देंगे। (प्रेषि. 1:8) दूसरी वजह, जो गवाही देने के काम में लगे हैं, उन्हें आध्यात्मिक भोजन देने और उनकी हौसला-अफज़ाई करने के लिए एक इंतज़ाम की ज़रूरत होगी। (यूह. 21:15-17) तीसरी वजह, जो खुशखबरी का प्रचार कर रहे हैं उनके लिए इंतज़ाम करने होंगे, ताकि वे साथ मिलकर यहोवा की उपासना कर सकें और प्रचार करने की तालीम पा सकें। (इब्रा. 10:24, 25) ये लक्ष्य अपने आप हासिल नहीं किए जा सकते। इसके लिए यीशु के चेलों को संगठित होने की ज़रूरत है।
11. हम यहोवा के संगठन का साथ कैसे दे सकते हैं?
11 हम यहोवा के संगठन का साथ कैसे दे सकते हैं? एक खास तरीका है, प्रचार काम में अगुवाई लेनेवाले भाइयों पर भरोसा दिखाकर। यहोवा और यीशु मसीह इन भाइयों पर भरोसा करते हैं, इसलिए हमें भी करना चाहिए। ये भाई चाहें तो दुनिया के कामों में अपना ध्यान और समय लगा सकते हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं करते। आइए चर्चा करें कि धरती पर मौजूद यहोवा के संगठन का हमेशा से किस बात पर खास ध्यान रहा है।
वे ‘ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों’ पर ध्यान दे रहे हैं
12, 13. मसीही प्राचीन अपनी ज़िम्मेदारी कैसे निभाते हैं? और इससे आपका हौसला क्यों बढ़ता है?
12 दुनिया-भर में तजुरबेकार मसीही प्राचीनों को यह ज़िम्मेदारी मिली है कि जिन देशों में वे सेवा करते हैं, वहाँ के प्रचार काम की निगरानी और अगुवाई करें। जब ये भाई फैसले लेते हैं, तो वे यहोवा के वचन से मार्गदर्शन माँगते हैं, और इस तरह वे इसे अपने ‘पांव के लिये दीपक, और अपने मार्ग के लिये उजियाला’ बनाते हैं। इसके अलावा, वे प्रार्थना में उससे मदद भी माँगते हैं।—भज. 119:105; मत्ती 7:7, 8.
13 पहली सदी में अगुवाई लेनेवाले भाइयों की मिसाल पर चलते हुए, ये मसीही प्राचीन आज “वचन सिखाने की सेवा में लगे” हैं। (प्रेषि. 6:4) उनके अपने देश में और दुनिया-भर में प्रचार काम में हो रही तरक्की देखकर उन्हें बेहद खुशी होती है। (प्रेषि. 21:19, 20) नियम-कायदों की लंबी-चौड़ी सूची बनाने के बजाए, वे पवित्र शक्ति की मदद और बाइबल के निर्देशन से, राज की खुशखबरी को दूर-दूर तक फैलाने के लिए ज़रूरी इंतज़ाम करते हैं। (प्रेषितों 15:28 पढ़िए।) ऐसा करके ये ज़िम्मेदार भाई मंडली में सभी के आगे एक अच्छी मिसाल रखते हैं।—इफि. 4:11, 12.
14, 15. (क) दुनिया-भर में प्रचार काम को आगे बढ़ाने के लिए क्या इंतज़ाम किए गए हैं? (ख) आप प्रचार काम में सहयोग देने के लिए जो कर रहे हैं, उस बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?
14 हमारे साहित्यों, सभाओं और अधिवेशनों के लिए आध्यात्मिक भोजन तैयार करने में हमारे कई भाई दिन-रात एक कर देते हैं। उदाहरण के लिए, हज़ारों स्वयंसेवक 600 से भी ज़्यादा भाषाओं में हमारे साहित्यों का अनुवाद करने में कड़ी मेहनत करते हैं। इस वजह से, ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग अपनी भाषा में “परमेश्वर के शानदार कामों” के बारे में सीख पा रहे हैं। (प्रेषि. 2:7-11) कुछ जवान भाई-बहन साहित्यों की छपाई और जिल्द चढ़ाने के काम में बहुत मेहनत करते हैं। फिर ये साहित्य अलग-अलग मंडलियों में पहुँचाए जाते हैं, यहाँ तक कि दूर-दराज़ इलाके की मंडलियों में भी।
15 हमारे इलाके में भी, बहुत-से ऐसे इंतज़ाम किए गए हैं जिससे हम अपना ध्यान राज की खुशखबरी सुनाने पर लगा पाते हैं। उदाहरण के लिए, हज़ारों स्वंयसेवक अलग-अलग कामों में हाथ बँटाते हैं, जैसे नए राज-घर और सम्मेलन भवन बनाना, जिन्हें इलाज की सख्त ज़रूरत है उनकी और कुदरती आफतों के शिकार हुए लोगों की मदद करना, सम्मेलनों और अधिवेशनों का इंतज़ाम करना और बाइबल की शिक्षा देनेवाले स्कूल चलाना, वगैरह। ये सारे काम इसलिए किए जा रहे हैं ताकि प्रचार काम आगे बढ़ सके, इस काम में शामिल लोग सच्चाई में तरक्की कर सकें और ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को यहोवा के उपासक बनने में मदद दी जा सके। तो क्या हम कह सकते हैं कि धरती पर मौजूद यहोवा का संगठन ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों पर ध्यान दे रहा है? बेशक!
यहोवा के संगठन की मिसाल पर चलिए
16. बाइबल के किस विषय पर खोजबीन करना आपके या आपके परिवार के लिए फायदेमंद साबित होगा?
16 क्या हम कभी-कभी समय निकालकर मनन करते हैं कि यहोवा का संगठन आज कैसे काम कर रहा है? कुछ भाई-बहन अपनी पारिवारिक उपासना या अपने निजी अध्ययन के दौरान इन विषयों पर खोजबीन और मनन करने के लिए समय निकालते हैं। उदाहरण के लिए, यशायाह, यहेजकेल, दानिय्येल और यूहन्ना को मिले दर्शनों का अध्ययन करना बहुत ही रोचक हो सकता है। किताब जेहोवाज़ विटनेसेज़—प्रोक्लेमर्स ऑफ गॉड्स किंगडम और दूसरे साहित्य या आपकी भाषा में उपलब्ध कोई डीवीडी, यहोवा के संगठन के बारे में बहुत-सी दिलचस्प जानकारी देती हैं।
17, 18. (क) इस चर्चा से आपको क्या फायदा हुआ है? (ख) हमें खुद से क्या पूछना चाहिए?
17 प्रचार काम को आगे बढ़ाने के लिए यहोवा अपने संगठन का किस तरह इस्तेमाल कर रहा है, उस पर मनन करना हमारे लिए अच्छा है। आइए हम ठान लें कि इस लाजवाब संगठन के साथ-साथ हम भी ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों पर ध्यान देते रहेंगे। ऐसा करने से हम पौलुस की तरह महसूस करेंगे, जिसने लिखा: “जब हम पर ऐसी दया की गयी कि हमें यह सेवा सौंपी गयी तो हम हिम्मत नहीं हारते।” (2 कुरिं. 4:1) पौलुस ने अपने भाइयों को भी उकसाया: “आओ हम बढ़िया काम करने में हार न मानें, क्योंकि अगर हम हिम्मत न हारें, तो वक्त आने पर ज़रूर फल पाएँगे।”—गला. 6:9.
18 क्या खुद हमें या हमारे परिवार को कुछ फेरबदल करने की ज़रूरत है, ताकि हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों पर ध्यान दें सकें? क्या हम अपनी ज़िंदगी को सादा बना सकते हैं या ध्यान भटकानेवाली बातों से दूर रह सकते हैं, ताकि हम प्रचार काम में और ज़्यादा कर सकें, जो आज सबसे ज़रूरी काम है? अगले लेख में, हम ऐसी पाँच बातों पर गौर करेंगे जो हमें यहोवा के संगठन के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलने में मदद देंगी।