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बाइबल से जुड़े सवालों के जवाब

क्या यही है ज़िंदगी?

एक बुज़ुर्ग आदमी और एक बच्चा कुछ देख रहे हैं

क्या आपको कभी-कभी यह लगता है कि ज़िंदगी बहुत छोटी है?

क्या आपके मन में कभी यह खयाल आया है कि क्या हम बस इसलिए जीते हैं कि हम खेलें-कूदें, नौकरी करें, शादी करें, बच्चों की परवरिश करें और आखिर में बूढ़े हो जाएँ? (अय्यूब 14:1, 2) पवित्र शास्त्र में लिखा है कि बहुत-से बुद्धिमान लोगों के मन में भी यह सवाल आया।—सभोपदेशक 2:11 पढ़िए।

हमारी ज़िंदगी का क्या मकसद है? इसका जवाब जानने से पहले हमें यह जानना होगा कि आखिर जीवन की शुरूआत कैसे हुई। हमारे दिमाग और शरीर की शानदार बनावट देखकर कई लोगों को इस बात का यकीन हो गया है कि हमारा बनानेवाला वाकई बुद्धिमान है। (भजन 139:14 पढ़िए।) अगर ऐसा है, तो हमें बनाने की उसके पास कोई-न-कोई वजह ज़रूर रही होगी। और अगर हम यह जान लें, तो हमारी ज़िंदगी को एक मकसद मिल जाएगा।

इंसानों को क्यों बनाया गया?

ईश्‍वर ने पहले आदमी और औरत को आशीष दी और उन्हें एक दिलचस्प काम करने के लिए दिया। ईश्‍वर चाहता था कि वे इस धरती को आबाद करें, इसे एक खूबसूरत बगीचा बनाएँ और हमेशा तक जीएँ।—उत्पत्ति 1:28, 31 पढ़िए।

ईश्‍वर का यह मकसद उस वक्‍त पूरा नहीं हो पाया, क्योंकि इंसानों ने उसकी आज्ञा नहीं मानी। लेकिन ईश्‍वर ने हम इंसानों को यूँ ही नहीं छोड़ दिया और न ही धरती और इंसानों के लिए उसका मकसद बदला। पवित्र शास्त्र हमें इस बात का यकीन दिलाता है कि ईश्‍वर अपने वफादार लोगों और धरती के लिए अपना मकसद पूरा करने के लिए लगातार काम करता आ रहा है। इसका मतलब है कि ईश्‍वर चाहता है कि हम वह ज़िंदगी जीएँ, जो उसने हमारे लिए चाही थी। (भजन 37:29 पढ़िए।) पवित्र शास्त्र से आप यह सीख सकते हैं कि आपकी ज़िंदगी को वह मकसद कैसे मिल सकता है, जो ईश्‍वर ने आपके लिए चाहा था। (w15-E 08/01)

ज़्यादा जानकारी के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 3 देखिए, जिसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है

इसे www.pr2711.com से भी डाउनलोड किया जा सकता है

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