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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2016
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2016
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एक स्त्री अपनी बीमार माँ के बारे में सोच रही है और प्रार्थना कर रही है

पहले पेज का विषय | क्या प्रार्थना करने का कोई फायदा है?

प्रार्थना करने से आपको क्या फायदा होगा

कोई भी काम करने से पहले हर इंसान सोचता है, ‘इससे मुझे क्या फायदा होगा?’ क्या प्रार्थना के बारे में भी यह सवाल करना सही है? बिलकुल, क्योंकि हममें से हर कोई यह जानना चाहता है कि प्रार्थना करने से क्या फायदा होगा। सदियों पहले अय्यूब नाम के एक नेक इंसान ने भी पूछा था: “अगर मैं उसे पुकारूँ तो क्या वह मुझे जवाब देगा?”—अय्यूब 9:16, एन.डब्ल्यू.

पिछले लेखों में हमने कुछ सबूतों पर गौर किया था, जो दिखाते हैं कि प्रार्थना सिर्फ एक धार्मिक रस्म या अपना दिल हलका करने का एक तरीका नहीं है, बल्कि उससे कहीं बढ़कर है। परमेश्‍वर सच में हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है। अगर हम सही बातों के लिए और परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक प्रार्थना करें, तो वह हमारी ज़रूर सुनेगा। और वह खुद यह चाहता है कि हम उसके करीब आएँ। (याकूब 4:8) अगर हम हर रोज़ प्रार्थना करें, तो हमें क्या फायदा होगा? आइए प्रार्थना करने से मिलनेवाले कुछ फायदों पर ध्यान दें।

आपको मन की शांति मिलेगी।

जब आपके सामने कोई समस्या या चुनौती आती है, तो क्या आप बहुत चिंता करने लगते हैं? पवित्र शास्त्र हमें बढ़ावा देता है कि ऐसे मौकों पर हमें “लगातार प्रार्थना करते” रहना चाहिए और “अपनी बिनतियाँ परमेश्‍वर को बताते” रहना चाहिए। (1 थिस्सलुनीकियों 5:17; फिलिप्पियों 4:6) पवित्र शास्त्र हमें यकीन दिलाता है कि अगर हम प्रार्थना करें, तो ‘परमेश्‍वर की वह शांति जो हमारी समझने की शक्‍ति से कहीं ऊपर है, . . . हमारे दिल के साथ-साथ हमारे दिमाग की सोचने-समझने की ताकत की हिफाज़त करेगी।’ (फिलिप्पियों 4:7) जब हम ईश्‍वर को अपने दिल की बात बताते हैं, तो हमें राहत मिलती है। और ईश्‍वर चाहता है कि हम उसे अपनी सारी चिंताएँ बताएँ। पवित्र शास्त्र में लिखा है, “अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा।”—भजन 55:22.

“अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा।”—भजन 55:22

दुनिया-भर में लाखों लोगों ने पाया है कि प्रार्थना करने से उन्हें मन की शांति मिली है। इस बारे में दक्षिण कोरिया में रहनेवाली हारिका नाम की एक स्त्री कहती है, “मेरी ज़िंदगी में बहुत-सी मुश्‍किलें हैं, लेकिन जब मैं इनके बारे में प्रार्थना करती हूँ, तो मेरा मन हलका हो जाता है और मुझे उस मुश्‍किल का सामना करने की ताकत मिलती है।” फिलिपाईन्स की रहनेवाली सेसीलिया कहती है, “माँ होने के नाते, मुझे हमेशा अपनी बेटियों की चिंता सताती रहती है। मुझे अपनी बीमार माँ की भी चिंता होती है, जो अब मुझे पहचान भी नहीं पातीं। लेकिन प्रार्थना करने से मैं अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हद-से-ज़्यादा चिंता नहीं करती। मैं जानती हूँ कि यहोवा उनकी देखभाल करने में मेरी मदद ज़रूर करेगा।”

मुश्‍किलों का सामना करते वक्‍त आपको तसल्ली और हिम्मत मिलेगी।

क्या आपको किसी वजह से हद-से-ज़्यादा चिंता हो रही है? क्या आपको कोई जानलेवा बीमारी है या फिर आप किसी हादसे के शिकार हुए हैं? अगर हाँ, तो ‘हर तरह का दिलासा देनेवाले परमेश्‍वर’ से प्रार्थना करके आपको बहुत सुकून मिल सकता है। पवित्र शास्त्र में लिखा है कि वह “सब दुःख-तकलीफों में हमें दिलासा देता है।” (2 कुरिंथियों 1:3, 4) मिसाल के लिए, एक मौके पर जब यीशु बहुत परेशान था, तो उसने “घुटने टेककर प्रार्थना” की। उसके बाद क्या हुआ? “स्वर्ग से एक दूत उसके सामने प्रकट हुआ और उसकी हिम्मत बँधायी।” (लूका 22:41, 43) पवित्र शास्त्र में नहेमायाह नाम के एक नेक इंसान का भी ज़िक्र किया गया है, जिसे कुछ बुरे लोगों ने ईश्‍वर का काम करने से रोकने की कोशिश की और उसे धमकी दी। इस पर उसने प्रार्थना की कि हे परमेश्‍वर मुझे हिम्मत दे। (नहेमायाह 6:9-16) घाना के रहनेवाले रेजिनाल्ड नाम के एक व्यक्‍ति को भी प्रार्थना करने से बहुत मदद मिली। वह बताता है, “जब मैं प्रार्थना करता हूँ, खासकर किसी मुश्‍किल की घड़ी में, तो मुझे ऐसा लगता है कि मैंने एक ऐसे व्यक्‍ति को अपनी समस्या के बारे में बताया है, जो मेरी मदद कर सकता है और वह मुझे यकीन दिलाता है कि चिंता करने की कोई बात नहीं है।” जी हाँ, जब हम ईश्‍वर से प्रार्थना करते हैं, तो हमें तसल्ली मिलती है।

ईश्‍वर आपको सही फैसला लेने में मदद करेगा।

कुछ फैसले ऐसे होते हैं, जिनका हम पर और हमारे परिवारवालों पर गहरा असर होता है। इस तरह के फैसले लेते वक्‍त, हम सही चुनाव कैसे कर सकते हैं? पवित्र शास्त्र में लिखा है, “अगर तुम में से किसी को बुद्धि की कमी हो [खास तौर से मुश्‍किलों का सामना करते वक्‍त] तो वह परमेश्‍वर से माँगता रहे क्योंकि परमेश्‍वर अपने सभी माँगनेवालों को उदारता से और बिना डाँटे-फटकारे बुद्धि देता है और माँगनेवाले को यह दी जाएगी।” (याकूब 1:5) अगर हम बुद्धि के लिए प्रार्थना करें, तो ईश्‍वर हमें सही राह दिखाएगा जिससे हम सही फैसले ले सकेंगे। हम ईश्‍वर से मदद माँगने के लिए उससे प्रार्थना कर सकते हैं, क्योंकि यीशु ने हमें इस बात का यकीन दिलाया था, ‘स्वर्ग में रहनेवाला पिता और भी बढ़कर, अपने माँगनेवालों को पवित्र शक्‍ति देगा!’—लूका 11:13.

एक आदमी प्रार्थना कर रहा है

“मैं यहोवा से लगातार प्रार्थना करता रहा कि वह सही फैसला लेने में मेरी मदद करे।”—घाना का रहनेवाला क्वाबेना

जब यीशु को ज़रूरी फैसले लेने होते थे, तो वह भी अपने पिता से मदद माँगता था। पवित्र शास्त्र में बताया है कि जब उसे अपने 12 शिष्यों को चुनना था, तो वह “सारी रात परमेश्‍वर से प्रार्थना करता रहा।”—लूका 6:12.

यीशु की तरह, आज बहुत-से लोगों ने सही फैसले लेने के लिए ईश्‍वर से मदद माँगी है और उन्हें अपनी प्रार्थनाओं का जवाब मिला है। फिलिपाईन्स की रहनेवाली रेजीना बताती है कि उसने बहुत-सी परेशानियों का सामना किया। जैसे, अपने पति की मौत के बाद उसे खुद को और अपने परिवार को सम्भालना पड़ा, उसकी नौकरी छूट गयी और बच्चों की परवरिश करते वक्‍त भी उसने चुनौतियों का सामना किया। किस बात ने उसे सही फैसले लेने में मदद की? वह कहती है, “मैं प्रार्थना करके यहोवा से मदद माँगती हूँ।” अब ज़रा क्वाबेना की बात पर ध्यान दीजिए, जो घाना का रहनेवाला है। वह बताता है कि उसने ईश्‍वर से मदद क्यों माँगी, “मैं निर्माण का काम करता था और मुझे अच्छी-खासी तनख्वाह मिलती थी। लेकिन फिर मेरी नौकरी छूट गयी।” उसे फैसला लेना था कि अब वह कौन-सी नौकरी करेगा। इस बारे में वह कहता है, “मैं यहोवा से लगातार प्रार्थना करता रहा कि वह सही फैसला लेने में मेरी मदद करे।” फिर वह कहता है, “मुझे इस बात का पूरा यकीन है कि यहोवा ने मुझे एक ऐसी नौकरी चुनने में मदद की जिससे मैं अब अपनी सभी ज़रूरतों को पूरा कर सकता हूँ और उसके साथ एक मज़बूत रिश्‍ता भी बनाए रख सकता हूँ।” अगर आपको कोई ऐसा फैसला लेना हो, जिससे ईश्‍वर के साथ आपकी दोस्ती पर असर पड़ सकता है, तो उससे इस बारे में प्रार्थना कीजिए और वह ज़रूर आपको सही राह दिखाएगा।

प्रार्थना करने से हमें और भी बहुत-से फायदे हो सकते हैं। (इस बारे में और जानने के लिए “प्रार्थना करने के क्या फायदे हैं?” नाम का बक्स देखिए।) लेकिन अगर आप ये फायदे पाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको ईश्‍वर को जानना होगा और यह भी जानना होगा कि उसकी मरज़ी क्या है। अगर आप इस बारे में जानना चाहते हैं, तो हम आपको बढ़ावा देते हैं कि आप यहोवा के साक्षियों से इस बारे में बात कीजिए।a “प्रार्थना के सुननेवाले” परमेश्‍वर के साथ दोस्ती करने के लिए यह आपका पहला कदम होगा।—भजन 65:2. ▪ (w15-E 10/01)

a ज़्यादा जानकारी के लिए यहोवा के साक्षियों से संपर्क कीजिए या हमारी वेबसाइट www.pr2711.com पर जाइए।

प्रार्थना करने के क्या फायदे हैं?

हमें मन की शांति मिलती है “किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो, मगर हर बात में प्रार्थना और मिन्‍नतों और धन्यवाद के साथ अपनी बिनतियाँ परमेश्‍वर को बताते रहो। और परमेश्‍वर की वह शांति जो हमारी समझने की शक्‍ति से कहीं ऊपर है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल के साथ-साथ तुम्हारे दिमाग की सोचने-समझने की ताकत की हिफाज़त करेगी।”—फिलिप्पियों 4:6, 7.

परेशानियों के दौर में हमें तसल्ली मिलती है “हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्‍वर और पिता धन्य हो। वह कोमल दया का पिता है और हर तरह का दिलासा देनेवाला परमेश्‍वर है। वह हमारी सब दुःख-तकलीफों में हमें दिलासा देता है।”—2 कुरिंथियों 1:3, 4.

हम सही फैसले ले पाते हैं “अगर तुम में से किसी को बुद्धि की कमी हो तो वह परमेश्‍वर से माँगता रहे क्योंकि परमेश्‍वर अपने सभी माँगनेवालों को उदारता से और बिना डाँटे-फटकारे बुद्धि देता है और माँगनेवाले को यह दी जाएगी।”—याकूब 1:5.

हमें गलत कामों को ठुकराने की हिम्मत मिलती है “प्रार्थना में लगे रहो ताकि तुम परीक्षा में न पड़ो।”—लूका 22:40.

हमें गलतियों की माफी मिलती है “तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनकर उनका पाप क्षमा करूँगा।”—2 इतिहास 7:14.

हम दूसरों की मदद कर पाते हैं “जब नेक इंसान प्रार्थना में मिन्‍नतें करता है और जब ये प्रार्थनाएँ सुनी जाती हैं, तो उनका ज़बरदस्त असर हो सकता है।”—याकूब 5:16.

जब प्रार्थनाओं का जवाब मिलता है, तो हमारा हौसला बढ़ता है “यहोवा ने उससे [सुलैमान से] कहा, ‘जो प्रार्थना गिड़गिड़ाहट के साथ तू ने मुझ से की है, उसको मैं ने सुना है।’”—1 राजा 9:3.

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