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  • यहोवा की हुकूमत का साथ दीजिए!

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  • यहोवा की हुकूमत का साथ दीजिए!
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2017
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w17 जून पेज 27-31
यहोवा की राजगद्दी

यहोवा की हुकूमत का साथ दीजिए!

“हे यहोवा, हमारे परमेश्‍वर, तू महिमा, आदर और शक्‍ति पाने के योग्य है क्योंकि तू ही ने सारी चीज़ें रची हैं।”—प्रका. 4:11.

गीत: 2, 49

आप क्या जवाब देंगे?

  • सिर्फ यहोवा को ही सभी प्राणियों पर हुकूमत करने का हक क्यों है?

  • यहोवा ही पूरे जहान का सबसे अच्छा राजा क्यों है?

  • आज हम किन तरीकों से यहोवा की हुकूमत का साथ दे सकते हैं?

1, 2. हममें से हरेक को किस बात का यकीन होना चाहिए? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

पिछले लेख में हमने देखा था कि शैतान ने दावा किया है कि यहोवा को इंसानों पर हुकूमत करने का हक नहीं है। उसने कहा कि यहोवा सही तरीके से हुकूमत नहीं करता और इंसान अगर खुद हुकूमत करे तो ज़्यादा खुश रहेगा। क्या शैतान का दावा सही है? एक पल के लिए सोचिए कि इंसान हमेशा के लिए जी सकता है और खुद पर हुकूमत कर सकता है। ऐसे में क्या वह ज़्यादा खुश रहेगा? आपके बारे में क्या? अगर आपके पास हमेशा की ज़िंदगी हो और आपको परमेश्‍वर के अधीन रहने की ज़रूरत नहीं, तो क्या आप ज़्यादा खुश रहेंगे?

2 ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब सिर्फ आप ही दे सकते हैं। हममें से हरेक को इन सवालों के बारे में गहराई से सोचना चाहिए। तब यह साफ हो जाएगा कि यहोवा के हुकूमत करने का तरीका ही सबसे अच्छा है और हमें उसका पूरा साथ देना चाहिए। बाइबल भी हमें यह बात बताती है। आइए देखें कि बाइबल यहोवा के हुकूमत करने के हक के बारे में क्या बताती है।

यहोवा को हुकूमत करने का हक है

3. सिर्फ यहोवा को ही सभी प्राणियों पर हुकूमत करने का हक क्यों है?

3 यहोवा सारे जहान का मालिक है क्योंकि वही सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर और सृष्टिकर्ता है। (1 इति. 29:11; प्रेषि. 4:24) एक दर्शन में, स्वर्ग में मसीह के साथ राज करनेवाले 1,44,000 जनों ने कहा, “हे यहोवा, हमारे परमेश्‍वर, तू महिमा, आदर और शक्‍ति पाने के योग्य है क्योंकि तू ही ने सारी चीज़ें रची हैं और तेरी ही मरज़ी से ये वजूद में आयीं और रची गयीं।” (प्रका. 4:11) यहोवा ने सारी चीज़ें रची हैं इसलिए उसे सभी प्राणियों पर हुकूमत करने का हक है, फिर चाहे वे स्वर्ग में हों या धरती पर।

4. यहोवा के खिलाफ जाना क्यों अपनी आज़ादी का गलत इस्तेमाल करना है?

4 शैतान ने एक भी चीज़ नहीं बनायी, इसलिए उसे विश्‍व पर हुकूमत करने का कोई हक नहीं। शैतान और आदम-हव्वा ने यहोवा की हुकूमत के खिलाफ बगावत करके गुस्ताखी की। (यिर्म. 10:23) यह सच है कि उन्हें अपने फैसले खुद करने की आज़ादी थी। लेकिन क्या इस आज़ादी से उन्हें यह हक मिला कि वे यहोवा के खिलाफ जाएँ? नहीं। तो साफ है कि आज़ादी का यह मतलब नहीं कि कोई भी अपने सृष्टिकर्ता के खिलाफ जा सकता है। दरअसल ऐसा करना अपनी आज़ादी का गलत इस्तेमाल करना है। इंसानों को इस तरह बनाया गया है कि वे सिर्फ यहोवा की हुकूमत के अधीन रहें और उसके मार्गदर्शन को मानें।

5. यहोवा के फैसले क्यों हमेशा सही होते हैं?

5 दूसरी वजह पर गौर कीजिए कि क्यों यहोवा को हुकूमत करने का हक है। वह हमेशा सही तरीके से और न्याय के मुताबिक अपने अधिकार का इस्तेमाल करता है। वह कहता है, “मैं यहोवा हूँ, जो अटल प्यार ज़ाहिर करता है, न्याय करता है और धरती पर नेकी करता है, क्योंकि मैं इन्हीं बातों से खुश होता हूँ।” (यिर्म. 9:24) यहोवा को इंसानों के बनाए नियमों की ज़रूरत नहीं। सही क्या है, इसके स्तर वह खुद ठहराता है। यहोवा का न्याय खरा है और इसी आधार पर उसने इंसानों को कानून दिए हैं। भजन के एक लेखक ने कहा, “नेकी और न्याय तेरी राजगद्दी की बुनियाद हैं।” इसलिए यहोवा का हर कानून, सिद्धांत और फैसला एकदम सही है। (भज. 89:14; 119:128) शैतान दावा तो करता है कि यहोवा सही तरह से हुकूमत नहीं करता मगर शैतान खुद इस दुनिया में इंसाफ कायम नहीं कर पाया है।

6. यहोवा को ही हुकूमत करने का हक है, इसकी एक और वजह क्या है?

6 यहोवा को हुकूमत करने का हक क्यों है, इसकी तीसरी वजह पर ध्यान दीजिए। उसके पास विश्‍व पर हुकूमत करने के लिए अपार ज्ञान और बुद्धि है। मिसाल के लिए, यहोवा ने अपने बेटे को चमत्कार करने की शक्‍ति दी। वह ऐसी बीमारियाँ ठीक कर पाया जिन्हें कोई डॉक्टर ठीक नहीं कर सकता था। (मत्ती 4:23, 24; मर. 5:25-29) हमारे लिए ये चमत्कार हैं लेकिन यहोवा के लिए ये चमत्कार नहीं थे। वह जानता है कि इंसान का शरीर किस तरह काम करता है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है। यही नहीं, वह कुदरती आफतों को रोक सकता है और मरे हुओं को ज़िंदा भी कर सकता है।

7. यहोवा किस तरह दुनिया के लोगों से कहीं ज़्यादा बुद्धिमान है?

7 शैतान की दुनिया में लोग शांति लाने की कोशिश में लगे हुए हैं। लेकिन वे किसी भी देश में शांति लाने में कामयाब नहीं हुए हैं। सिर्फ यहोवा के पास बुद्धि है और वही जानता है कि पूरी दुनिया में शांति कैसे लायी जा सकती है। (यशा. 2:3, 4; 54:13) यहोवा के बारे में हम प्रेषित पौलुस जैसा महसूस करते हैं, जिसने कहा, “वाह! परमेश्‍वर की दौलत और बुद्धि और ज्ञान की गहराई की कोई थाह नहीं! उसके फैसले हमारी सोच से परे हैं और उसकी राहें हमारी समझ से बाहर हैं!”—रोमि. 11:33.

यहोवा ही सबसे अच्छा राजा है

8. यहोवा के हुकूमत करने के तरीके के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

8 अब तक हमने बाइबल से देखा कि यहोवा को हुकूमत करने का हक है। बाइबल यह भी बताती है कि क्यों यहोवा सबसे बढ़िया राजा है। इसकी एक वजह है कि वह प्यार से हुकूमत करता है। वह “दयालु और करुणा से भरा है, क्रोध करने में धीमा और अटल प्यार और सच्चाई से भरपूर है।” (निर्ग. 34:6) इस बात पर मनन करने से हम यहोवा के और करीब महसूस करते हैं। परमेश्‍वर हमारे साथ गरिमा और आदर से पेश आता है। हमारी देखभाल वह हमसे बेहतर कर सकता है। शैतान का दावा है कि यहोवा अपने सेवकों को अच्छी चीज़ें नहीं देता लेकिन यह सरासर झूठ है। परमेश्‍वर ने हमारी खातिर अपना प्यारा बेटा कुरबान किया ताकि हमें हमेशा की ज़िंदगी मिल सके।—भजन 84:11; रोमियों 8:32 पढ़िए।

9. हम कैसे जानते हैं कि यहोवा हरेक इंसान की परवाह करता है?

9 यहोवा एक समूह के तौर पर अपने लोगों से प्यार करता है। मगर वह हर इंसान में भी गहरी दिलचस्पी लेता है। इसकी एक मिसाल पर गौर कीजिए। करीब 300 सालों से यहोवा न्यायियों के ज़रिए अपने राष्ट्र को राह दिखा रहा था और उनके दुश्‍मनों पर उन्हें जीत दिला रहा था। लेकिन उसी दौरान उसने व्यक्‍तिगत तौर पर भी लोगों का ध्यान रखा। उनमें से एक थी रूत। वह गैर-इसराएली थी और उसने यहोवा की एक उपासक बनने के लिए कई त्याग किए थे। बदले में यहोवा ने उसे एक पति और बेटा दिया। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि वह मसीहा की पुरखिन बनी। और-तो-और यहोवा ने उसकी जीवन कहानी उसी के नाम पर लिखी एक किताब में दर्ज़ करवायी, जो आज बाइबल का हिस्सा है। ज़रा सोचिए, जब रूत नयी दुनिया में ज़िंदा होगी तो उसे ये सारी बातें जानकर कैसा लगेगा!—रूत 4:13; मत्ती 1:5, 16.

10. हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा एक कठोर राजा नहीं है?

10 यहोवा एक कठोर राजा नहीं है। उसकी हुकूमत के अधीन रहनेवाले आज़ाद महसूस करते हैं और खुश रहते हैं। (2 कुरिं. 3:17) दाविद ने यहोवा के बारे में कहा, “उसके सामने प्रताप और वैभव है, उसके निवास-स्थान में शक्‍ति और आनंद है।” (1 इति. 16:7, 27) भजन के एक रचनाकार एतान ने लिखा, “सुखी हैं वे लोग जो खुशी से तेरी जयजयकार करते हैं। हे यहोवा, वे तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं। तेरे नाम के कारण वे सारा दिन आनंद मनाते हैं, तेरी नेकी के ज़रिए वे ऊँचे उठाए जाते हैं।”—भज. 89:15, 16.

11. हम किस तरह अपना यकीन बढ़ा सकते हैं कि यहोवा ही सबसे अच्छा राजा है?

11 हम यहोवा की भलाई के गुण पर जितना ज़्यादा मनन करते हैं उतना ही हमारा यकीन बढ़ता है कि वही सबसे अच्छा राजा है। हम भजन के एक रचनाकार जैसा महसूस करते हैं जिसने परमेश्‍वर से कहा, “तेरे आँगनों में एक दिन बिताना, कहीं और हज़ार दिन बिताने से कहीं बेहतर है!” (भज. 84:10) यहोवा ने हमें रचा है। वह ठीक-ठीक जानता है कि किस बात से हमें खुशी मिलती है और वह दिल खोलकर हमें वे चीज़ें भी देता है। वह हमसे जो भी करने को कहता है उसमें हमारी ही भलाई है। इसके लिए चाहे हमें जो भी त्याग करने पड़े, हम भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा की आज्ञा मानने से हम हमेशा खुश रहेंगे।—यशायाह 48:17 पढ़िए।

12. यहोवा की हुकूमत का साथ देने की सबसे बड़ी वजह क्या है?

12 बाइबल बताती है कि मसीह के हज़ार साल के शासन के बाद कुछ लोग यहोवा की हुकूमत के खिलाफ हो जाएँगे। (प्रका. 20:7, 8) क्या बात उन्हें ऐसा करने के लिए उकसाएगी? वे शायद शैतान की बातों में आकर सिर्फ खुद के बारे में सोचने लगे। शैतान ने हमेशा से यही चाल अपनायी है। वह शायद यह कहकर लोगों को भरमाए, “तुम्हें यहोवा की आज्ञा मानने की ज़रूरत नहीं, तुम उसके बिना हमेशा जी सकते हो।” हमें मालूम है कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं। लेकिन हमें खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मैं इस झूठ पर यकीन करूँगा?’ अगर हम यहोवा से प्यार करते हैं और हमें यकीन है कि वह भला है और उसे हुकूमत करने का हक है, तो हम शैतान के इस झूठ से घिन करेंगे। हम सिर्फ यहोवा की हुकूमत के अधीन रहेंगे जो प्यार से हुकूमत करता है।

पूरी वफादारी से यहोवा की हुकूमत का साथ दीजिए

13. हम किस तरह यहोवा की हुकूमत का साथ देते हैं?

13 हमने देखा कि यहोवा को हुकूमत करने का हक है और हुकूमत करने का उसका तरीका ही सबसे अच्छा है। यही वजह है कि हमें उसकी हुकूमत का पूरा साथ देना चाहिए। यह हम कैसे कर सकते हैं? उसके वफादार रहकर और उसकी मिसाल पर चलकर। जब हम किसी मामले को यहोवा की नज़र से देखते हैं और उसके मुताबिक काम करते हैं तो हम दिखाते हैं कि हमें यहोवा की हुकूमत से लगाव है और हम उसका साथ देते हैं।—इफिसियों 5:1, 2 पढ़िए।

14. प्राचीन और परिवार के मुखिया कैसे यहोवा की मिसाल पर चल सकते हैं?

14 बाइबल से हमें पता चलता है कि यहोवा हमेशा अपने अधिकार का इस्तेमाल प्यार से करता है। उसकी हुकूमत से प्यार करनेवाले प्राचीन और परिवार के मुखिया भी उसकी मिसाल पर चलेंगे। वे अपने अधिकार का इस्तेमाल दूसरों को काबू में रखने के लिए नहीं करेंगे, न ही उनके साथ कठोरता से पेश आएँगे। प्रेषित पौलुस ने परमेश्‍वर और उसके बेटे की मिसाल पर चलने की कोशिश की। (1 कुरिं. 11:1) उसने न तो दूसरों से ज़बरदस्ती करके, न ही उन्हें शर्मिंदा करके उनसे सही काम करवाया। इसके बजाय, उसने प्यार से गुज़ारिश की कि वे सही काम करें। (रोमि. 12:1; इफि. 4:1; फिले. 8-10) पौलुस की तरह जब हम भी दूसरों के साथ प्यार से पेश आते हैं तो हम यहोवा की हुकूमत का साथ देते हैं।

15. यहोवा की हुकूमत का साथ देने का एक और तरीका क्या है?

15 यहोवा की हुकूमत का साथ देने का एक और तरीका है, उन लोगों का आदर करना और उन्हें सहयोग देना जिन्हें परमेश्‍वर की तरफ से अधिकार मिला है। हो सकता है, वे कोई ऐसा फैसला करें जो हमें समझ न आए या जिससे हम सहमत न हों। फिर भी हम उन्हें सहयोग देंगे। दुनिया के लोग ऐसी अधीनता न दिखाएँ लेकिन हम दिखाते हैं क्योंकि हम यहोवा को अपना राजा मानते हैं। (इफि. 5:22, 23; 6:1-3; इब्रा. 13:17) यहोवा हमारी भलाई चाहता है इसलिए जब हम अधीनता दिखाते हैं तो हम खुश रहते हैं।

16. हम कैसे अपने फैसलों से दिखा सकते हैं कि हम यहोवा की हुकूमत का साथ दे रहे हैं?

16 हम अपने फैसलों से भी दिखा सकते हैं कि हम यहोवा की हुकूमत का साथ देते हैं। यहोवा ने ज़िंदगी के हर मामले के बारे में नियम नहीं दिए। इसके बजाय वह हमें बताता है कि किसी मामले पर उसकी सोच क्या है। इससे हम जान पाते हैं कि क्या करना सही होगा। मिसाल के लिए, हमारे पहनावे के बारे में यहोवा ने कोई लंबी-चौड़ी सूची नहीं दी है। वह चाहता है कि हम सलीकेदार कपड़े पहनें जैसा उसके सेवकों को शोभा देता है। (1 तीमु. 2:9, 10) वह चाहता है कि हम यह भी सोचें कि हमारे फैसलों का दूसरों पर क्या असर होगा। (1 कुरिं. 10:31-33) जब हम यहोवा की सोच को ध्यान में रखकर फैसले लेते हैं तो हम दिखाते हैं कि हमें उसकी हुकूमत से लगाव है और हम उसका साथ देते हैं।

एक जवान बहन कपड़े चुन रही है; एक पति-पत्नी आपस में बात कर रहे हैं

अपने फैसलों में और परिवार में परमेश्‍वर की हुकूमत का साथ दीजिए (पैराग्राफ 16-18 देखिए)

17, 18. शादीशुदा जोड़े कैसे दिखा सकते हैं कि वे यहोवा की हुकूमत का साथ देते हैं?

17 मसीही पति-पत्नी भी यहोवा की हुकूमत का साथ दे सकते हैं। कैसे? हो सकता है एक जोड़े की शादीशुदा ज़िंदगी वैसी न हो जैसी उन्होंने उम्मीद की थी। शायद उनके बीच कुछ गंभीर समस्याएँ भी चल रही हों। ऐसे में वे यहोवा की मिसाल पर मनन कर सकते हैं कि वह किस तरह इसराएल राष्ट्र के साथ पेश आया। ध्यान दीजिए कि यहोवा ने खुद को उनका पति कहा। (यशा. 54:5; 62:4) उन लोगों ने कई बार यहोवा को निराश किया। उनके साथ रिश्‍ता निभाना आसान नहीं था। मगर यहोवा ने हार मानकर उनके साथ अपना रिश्‍ता नहीं तोड़ दिया। इसके बजाय, उसने बार-बार उन्हें माफ किया और अपने वादों को निभाता रहा।—भजन 106:43-45 पढ़िए।

18 जो शादीशुदा मसीही यहोवा से प्यार करते हैं वे उसकी मिसाल पर चलते हैं। वे जानते हैं कि यहोवा शादी की शपथ को बहुत गंभीरता से लेता है और वह चाहता है कि पति-पत्नी एक-दूसरे से ‘जुड़े’ रहें। बाइबल के मुताबिक सिर्फ एक ही आधार पर तलाक लिया जा सकता है और दूसरी शादी की जा सकती है और वह आधार है, नाजायज़ यौन-संबंध रखना। (मत्ती 19:5, 6, 9) इस बात को ध्यान में रखते हुए मसीही जोड़े किसी और आधार पर अपना रिश्‍ता तोड़ने का बहाना नहीं ढूँढ़ते, फिर चाहे उनकी शादीशुदा ज़िंदगी में कितनी ही मुश्‍किलें क्यों न हों। जब मसीही अपनी शादीशुदा ज़िंदगी को सफल बनाने की पूरी कोशिश करते हैं तो वे यहोवा की हुकूमत का साथ देते हैं।

19. गलती करने पर हमें क्या करना चाहिए?

19 हम सब अपरिपूर्ण हैं और कभी-कभी अपने कामों से यहोवा को निराश करते हैं। यहोवा भी इस बात को समझता है इसलिए उसने मसीह के फिरौती बलिदान का इंतज़ाम किया। जब हम कोई गलती करते हैं तो ज़रूरी है कि हम यहोवा से माफी माँगें। (1 यूह. 2:1, 2) लेकिन अपनी गलती पर अफसोस करना काफी नहीं, हमें उस गलती से सीखना भी चाहिए। अगर हम यहोवा के करीब बने रहें तो वह हमें माफ करेगा और हमारे पापों को हमसे दूर करेगा जिससे हम उसकी सेवा करते रह सकेंगे।—भज. 103:3.

20. हमें क्यों अभी से यहोवा की हुकूमत का साथ देना चाहिए?

20 नयी दुनिया में हम सब यहोवा की हुकूमत के अधीन रहेंगे और उसकी नेक राहों के बारे में सीखेंगे। (यशा. 11:9) लेकिन आज भी हम जान सकते हैं कि यहोवा की सोच क्या है और किसी मामले में वह हमसे क्या करने की उम्मीद करता है। जल्द ही ऐसा वक्‍त आएगा जब कोई भी परमेश्‍वर के हुकूमत करने के हक पर सवाल नहीं उठाएगा। इसलिए आइए हम उसकी आज्ञा मानें, वफादारी से उसकी सेवा करें और उसकी मिसाल पर चलें। इस तरह हम दिखाएँगे कि आज हम यहोवा की हुकूमत का साथ दे रहे हैं।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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