बाइबल का अध्ययन बनाइए असरदार और मज़ेदार
यहोशू को यह ज़िम्मेदारी मिली थी कि वह इसराएल राष्ट्र को वादा किए गए देश ले जाए। यह बहुत मुश्किल ज़िम्मेदारी थी। लेकिन यहोवा ने उससे कहा, ‘तू हिम्मत से काम ले और हौसला रख।’ उसने यहोशू को सलाह दी कि वह उसका कानून पढ़े और उसे माने, तो वह अच्छे फैसले कर पाएगा और कामयाब होगा।—यहो. 1:7, 8.
हम ‘संकटों से भरे वक्त’ में जी रहे हैं, इसलिए हमारी ज़िंदगी में कई मुश्किलें आ सकती हैं। (2 तीमु. 3:1) यहोशू की तरह कामयाब होने के लिए हमें भी वह सलाह माननी होगी, जो यहोवा ने उसे दी थी। हमें नियमित तौर पर बाइबल पढ़नी होगी और जो बातें हम सीखते हैं, उनके आधार पर फैसले करने होंगे।
पर शायद हममें से कुछ लोगों को बाइबल का अध्ययन करना न आता हो या अध्ययन करने में इतना मज़ा न आता हो, फिर भी निजी बाइबल अध्ययन करना बहुत ज़रूरी है। ज़रा “कुछ सुझाव आज़माइए” नाम के बक्स पर ध्यान दीजिए। वहाँ ऐसे सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें अपनाने से आपको बाइबल के अध्ययन से फायदा होगा और पहले से ज़्यादा मज़ा आएगा।
एक भजन के लिखनेवाले ने यहोवा से कहा, “अपनी आज्ञाओं की डगर पर मुझे ले चल, क्योंकि मुझे उससे खुशी मिलती है।” (भज. 119:35) आपको भी परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने से खुशी मिल सकती है। बाइबल का अध्ययन करते रहिए। आप बहुत-सी अच्छी बातें सीखेंगे।
हालाँकि आपको यहोशू की तरह किसी राष्ट्र की अगुवाई नहीं करनी है, लेकिन आपकी अपनी मुश्किलें हो सकती हैं। इस वजह से यहोशू की तरह परमेश्वर के वचन का अध्ययन कीजिए और उस पर चलिए। अगर आप ऐसा करें, तो आप अच्छे फैसले कर पाएँगे और कामयाब होंगे।