आपका रिवाज क्या है?
मसीही सभाएं यहोवा की हमारी उपासना का अत्यावश्यक भाग हैं। उचित रीति से प्रेरित पौलुस हमें आग्रह करते हैं कि हम एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति (रिवाज) हैं।”—इब्रा. १०:२५.
२ मसीही सभाओं में अपने भाइयों के साथ संगति करने के बारे में क्या आपकी तुल्य भावनाएं हैं? इस मामले में आपका रिवाज क्या प्रकट करता हैं? क्या कलीसिया पुस्तक अध्ययन सहित आप सारे सभाओं में नियमित उपस्थिति देते हैं? या क्या आप पाते हैं कि सभाओं को चूकना आपका रिवाज हो गया है? आपके जीवन में सभाओं का क्या स्थान है? क्या आप दूसरों को नियमित रीति से सभाओं में उपस्थित रहने की उत्साह दे रहे हैं? क्या आप स्मारक दिन पर उपस्थित रहने वालों को यह प्रोत्साहन दे रहे हैं कि वे सभाओं में अपनी उपस्थिति को नियमित बना दे?
३ हमारा दैनिक कार्यक्रम चाहे जो भी हो, पौलुस की सलाह को सूक्ष्म नहीं माना जा सकता है। हालाँकि यह समझा जाता है कि कभी-कभी अस्वास्थ्य या अपने नियंत्रण से बाहर किसी परिस्थितियों के कारण एक मसीही को एक सभा चूकना पड़े, निश्चित रूप से यह उनका रिवाज नहीं होना चाहिये। (रोमि. २:२१) सम्हालने के लिए इतने दायित्वों के होते हुए, जिनमें शायद कई इश्वरशासित कार्यो भी शामिल हो, एक मसीही के लिए आवश्यक हैं कि वे अति महत्त्वपूर्ण बातों को सुनिश्चित करें। (फिलि. १:१०) एक मसीही के लिए सभाएं अति महत्त्वपूर्ण बातों में शामिल हैं और वे हमारे आत्मिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
एक दूसरे को प्रोत्साहित करो
४ जब पौलुस ने रोमियों को लिखा, उन्होंने कहा कि वे उनसे मिलने की लालसा रखते थे। क्यों? किसी आत्मिक वरदान देने के लिए जिस से वे “स्थिर बनाये जाए।” (रोमि. १:११) वे उन्हें मात्र एक पत्री, उनके पढने के लिए लिखी हुई सूचना, भेजने से सन्तुष्ट नहीं थे, परन्तु उन्हें लगा कि संधिबद्ध होना महत्त्वपूर्ण था, हाँ, आवश्यक, क्योंकि वे आगे कहते हैं: “जिस से कि प्रोत्साहन का आदान-प्रदान हो।” या जैसे रेफ्रन्स बाइबल में फुटनोट कहता है: “एक साथ प्रोत्साहित होने के लिए।” (रोमि. १:१२) पौलुस, एक प्रेरित, भी मसीही संगति के द्वारा प्रोत्साहन की अपनी आवश्यकता को पहचानते थे।
५ उसी रीति से, हमारी सभाओं में हमे एक दूसरे को प्रेम और भले कामों के लिए उकसाने चाहिये। एक मित्र-भावी मुस्कान और उत्साही नमस्कार का दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव हो सकता है। उत्साही करनेवाले टिप्पणियाँ, अच्छी तरह से तैयार किये गये कार्यक्रम के अंश, दूसरों को आत्मिक रीति से उन्नति करते हुए देखना, और वहाँ सभा में उपस्थित भाइयों के मध्य होना ही बहुत प्रोत्साहन कारक हो सकता है। यदि हम दिन के अन्त तक थके भी होंगे, सामान्य रीति से हम पाएंगे कि सभाओं में उपस्थित होने के बाद हमें ताज़गी प्राप्त होती हैं। मसीही मैत्री और जो प्रेम हमारे भाइयों हमे दिखाते हैं, वह “जो हमारे आगे रखा है उस दौड़ का सहनशक्ति से दौड़ने” के लिए हमें प्रोत्साहित करेंगे। (इब्रा. १२:१) परमेश्वर के वचन को ध्यान से सुनने के द्वारा हम अपनी आशा के आम अंगीकार को दृढ़ता के साथ थामे रहने के लिए तैयार बन सकते हैं। सच ही, सभाओं में उपस्थित रहने से कई आर्शीवाद प्राप्त होते हैं।
६ अब, जैसे पहेले कभी नहीं, हमे अपने विश्वास को दृढ़ता से थामे रखना हैं और दूसरों को प्रेम और भले कामों के लिए उकसाने चाहिये। कलीसिया की सभी सभाओं में उपस्थित रहने के लिए हमें अपने प्रयासों में लगा रहना चाहिये। हम नहीं चाहते कि हमें एक दूसरे के साथ इकट्ठा होने से चूकने का रिवाज या आदत पड़ जाए। दूसरों को, जिनमें स्मारक दिन पर उपस्थित रहनेवाले शामिल हैं, नियमित रीति से सभाओं में उपस्थित होने के लिए उत्साह और सहायता देने के लिए हमें विवेकात्मक प्रयास करने चाहिये। इस रीति से हम दूसरों के लिए प्रेम और मसीही सभाओं के लिए हमारा मूल्यांकन दिखाएंगे।