अपनी आत्मिक आवश्यकता को सन्तुष्ट करना
१ यीशु ने कहा: “आनन्दित हैं वे जो अपनी आत्मिक आवश्यकता की ओर सचेत हैं।” (मत्ती ५:३, न्यू. व.) यह इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है कि हम अपनी आत्मिक आवश्यकता की ओर सचेत रहे? हम कैसे प्रकट कर सकते हैं कि हम उस की ओर सचेत हैं? कौनसी फ़सानेवाली वस्तुओं से हमें दूर रहना चाहिए, और हमारी आत्मिक आवश्यकता की ओर सचेत रहने से कौनसे आर्शीवाद प्राप्त होंगे?
२ निःसन्देह हम में से हरेक हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और उचित भोजन के बीच के संबन्ध से परिचित हैं। एक व्यक्ति निरंतर अपनी शारीरिक आवश्कताओं की उपेक्षा करते हुए दिन प्रतिदिन अच्छा काम करने की प्रत्याशा नहीं कर सकता। यदि हम अपने आप को आत्मिक भोजन खिलाने की उपेक्षा करेंगे तो यही सिद्धान्त लागू होता है।—मत्ती ४:४; यूहन्ना १७:३.
सभाएं आवश्कताओं को सन्तुष्ट करने में सहायता देती हैं
३ हमारे आत्मिक स्वास्थ्य और हमारे आत्मिक भोजन लेने के कार्यक्रम के बीच सीधा संबन्ध हैं। हमारी सभाओं में “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” हमारी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए उत्तम भोजन का प्रबन्ध करते हैं। (मत्ती २४:४५-४७) हर सभा एक खास हेतु को पूर्ण करती है और किसी भी एक की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। क्या आप सभी सभाओं के लिए तैयारी करते हैं और उनमें नियमित रूप से उपस्थित रहते हैं?
४ चलिए हम संक्षिप्त में हमारी पांच सभाओं में से मात्र तीन पर विचार करें। वॉचटावर अध्ययन हमें उन्नतिशील सत्य के बराबर रखने के लिए तैयार की गई प्रमुख सभा है। थीयोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल हमें सेवकों के नाते प्रवीण बनने में सहायता दे सकती है। कलीसिया का पुस्तक अध्ययन अनेक बाइबल विषयों का स्पष्ट अध्ययन उपलब्ध कराता है।
५ क्या आप कलीसिया की सभाओं के लिए तैयारी करते हैं? कुछेक अध्ययन सामग्री को शायद ऊपर-ऊपर से देख लेते हैं, जल्दी से प्रश्नों के उत्तरों को रेखांकित करते हुए, परन्तु उद्धरण किये हुए शास्त्रवचनों को नहीं निकालते। वे शायद टीका करने के लिए थोड़े से तैयार होंगे, पर क्या वे उपलब्ध आत्मिक पौष्टिकता की पूरी मात्रा को पाते हैं? जिस तरह से आप और आपका परिवार सभाओं के लिए तैयारी करते हैं, क्या उस में सुधार लाने के लिए कोई अवसर है?
समय को मोल लो
६ जब आप सभाओं की तैयारी के लिए समय निकालते हैं तो टेलिविजन या किसी अन्य कम आवश्यक कार्य को आपकी योजना में हस्तक्षेप करने की अनुमति न दें। खास करके परिवार के प्रधानों को अपने परिवारों को सहायता देनी चाहिए कि वे बाइबल अध्ययन, सभाओं की तैयारी और क्षेत्र सेवा में भाग लेने के लिए एक नियमित कार्यक्रम पर दृढ़ रह सकें। सभों को गम्भीरता से प्रेरित पौलुस की सलाह माननी चाहिए कि ‘अनुकूल समय को मोल लो’ और हमारी आत्मिकता को प्राथमिकता देनी चाहिए।—इफि. ५:१५-१७.
७ हमारी आत्मिक आवश्यकता की ओर सचेत रहने से, हम आत्मतृप्ति या अहंकार में फ़सने से बच जाएंगे। व्यक्तियों और परिवारों के नाते हमारी वास्तविक आत्मिक आवश्यकताएं हैं। हमारी आत्मिक आवश्यकता को सन्तुष्ट करने के लिए हम जो परिश्रम करते हैं उस पर हमारा अनन्त आनन्द निर्भर है।