आध्यात्मिक रूप से दृढ़ रहें, यहोवा की सेवा के लिए शुद्ध रहें
यशायाह ६०:२२ में, यहोवा ने एक वादा किया जो हमारी आँखों के सामने पूरा हो रहा है: “छोटे से छोटा एक हज़ार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूँ, ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूँगा।” जब हम एक राष्ट्र के बारे में सोचते हैं, हम लोगों का एक बड़ा समूह को चित्रित करते हैं जो साधारण रुचियों से आकर्षित हुए हैं और जो एक संस्थापित शासन का अधिकार के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं।
२ वर्ष १९९१ का क्षेत्र सेवा रिपोर्ट दुनिया भर में ४२,७८,८२० प्रचारकों का शिखर दिखाती है, पिछले साल से ६.५-प्रतिशत की वृद्धि। यहोवा ने सचमुच निष्कपट लोगों का एक बड़ी भीड़ को एकत्रित किया है जो इस अत्याचारी व्यवस्था से अलग रहना चाहते हैं और उनके पुत्र, यीशु मसीह, के मसीही राज्य शासन के वफादार नागरिक बनना चाहते हैं। हर साल एकत्रित किए हुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। हम इस राष्ट्र का एक हिस्सा बनने में ख़ुशी महसूस करते हैं जिसका अक्षरशः वर्णन एक नया विश्व संस्था किया जा सकता है। १९९१ में स्मारक समारोह पर, कुल हाज़िरी १,०६,५०,१५८ थी, १९९० से ७-प्रतिशत की वृद्धि। राज्य के नागरिकों की हैसियत से हम से मिल जाने का यह संख्या एक ज़बरदस्त संभावना का अर्थ रखता है।
३ बेशक, हम जानते हैं कि ऊपर दिए गए स्मारक हाज़िरी संख्या में सम्मिलित सभी जन उस हद तक इस संसार से अपने आप को अलग नहीं कर लिया है जितना यहोवा के लोग होने के नाते ज़रूरी है। सभी राष्ट्रों से लोग ‘धारा की नाईं यहोवा के भवन की ओर चल रहे हैं,’ पर उन्हें पूरी तरह ‘उनके मार्ग सिखने’ की ज़रूरत है ताकि वे ‘उसके पथों पर चल सकें।’ (यशा. २:२-४) स्मारक के लिए मौज़ूद लोगों में से चालीस लाख से भी ज़्यादा व्यक्तियों ने परमेश्वर के आदेशों को स्वीकार कर लिया है, जिससे उन्होंने आध्यात्मिक शक्ति पाया है जो उन्हें शुद्ध आचरण क़ायम करने और अभी पूरा किया गया राज्य-प्रचार कार्य में हिस्सा लेने के योग्य बनने में प्रेरित करेगा। (मत्ती २४:१४) ऐसे जनों को यहोवा के नज़रों में एक अच्छा स्थिति है और उनको उपलब्ध किए गए सभी अद्भुत प्रबंधों का फ़ायदा उठा रहे हैं। साठ लाख से ज़्यादा बाकी संख्या ने उसी प्रकार यहोवा की सेवा में आध्यात्मिक रूप से दृढ़ और शुद्ध होने के लिए क्या करना चाहिए?
४ उन्हें “विश्वास के लिए यत्न” करना होगा। (यहूदा ३) यहोवा के मार्गों में चलने की चुनाव के बाद, वे परीक्षाएँ, प्रलोभन, और बुरे प्रभावों के ज़रिये इबलीस से दबाव के तले आ जाते हैं। पौलुस के जैसे, उन्होंने यहोवा से झेलने की शक्ति के लिए देखना चाहिए। (फिलि. ४:१३) ऐसे जनों को यहोवा शक्ति विश्वास में पहले से ही मज़बूत लोगों के ज़रिये प्रदान करते हैं। पौलुस समझाते हैं, “हम बलवानों को चाहिए कि निर्बलों की निर्बलताओं को सहें।” (रोमियों १५:१, २) जब बलवान और निर्बल मिल जाते हैं, दृढ खड़े रहने में शक्ति है। “एक से दो अच्छे हैं, . . . यदि कोई अकेले पर प्रबल हा तो हो, परन्तु दो उसका सामना कर सकेंगे।”—सभोपदेशक ४:९, १२.
५ इसका मतलब है कि नए व्यक्ति उचित रीति से हम पर परमेश्वर से शक्ति पाने का ज़रिया के रूप में निर्भर होते हैं। अगर हमें नए व्यक्तियों की मदद करना है तो हम में से समर्पित मसीहियों ने ख़ुद को बलवान बनाना चाहिए। मसीही जो बलवान हैं ‘आध्यात्मिक बरदान दे’ सकते हैं, जिसका परिणाम ‘प्रोत्साहन का अदला-बदली’ होता है। (रोमियों १:११, १२, NW) हमें एकत्रित और ‘स्थिर और बलवन्त’ करने का यह एक मुख्य तरीका है।—१ पतरस ५:९-११.
६ हमारा यह लक्ष्य होना चाहिए कि इन नए व्यक्तियों की मदद करें और उसी समय हमारी अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों से अवगत रहना। (मत्ती ५:३) हमारी शक्ति की कुंजी आध्यात्मिकता है। यह ऐसा गुण है जिसे आध्यात्मिक भोजन का नियमित ग्रहण से पोषित तथा दृढ़ किया जाना चाहिए। उनके संगठन के ज़रिये, यहोवा अपने वचन का अध्ययन के लिए संतुलित कार्यक्रम प्रदान करते हैं। साप्ताहिक पाँच कलीसिया के सभाओं का हमें बलवन्त, ‘और प्रेम और भले कामों में उस्काने’ में एक अहम भूमिका है।—इब्रानियों १०:२४.
७ इन सभाओं का फ़ायदा बढ़ता है जब इन्हें निजी और पारिवारिक अध्ययन के अच्छे आदतों से जुड़ा जाता है। न्युनतम लक्ष्य के रूप में, हम सब ने दैनिक पाठ को पढ़ना और उस पर विचार करना चाहिए, थियोक्रैटिक मिनिस्ट्रि स्कूल तालिका में दिए बाइबल पठन कार्यक्रम से जारी रहें, और कलीसिया के पुस्तक अध्ययन तथा प्रहरीदुर्ग अध्ययन के लिए तैयारी करते रहें। हर परिवार ने यह तै करना है कि इसे कैसे व्यवस्थित किया जाए, यह ध्यान में रखते हुए कि इसे नियमित तौर पर किया जाए। इसके अलावा, परिवार का प्रधान ने यह देख लेना चाहिए कि अध्ययन कार्यक्रम परिवार के ख़ास आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा करता है। इस प्रकार “घर बनता है, . . . और स्थिर होता है।” (नीति. २४:३) परिवार और व्यक्ति की हैसियत से अगर हम हमारे अध्ययन आदतों से कर्तव्यनिष्ठ हैं, हम आश्वस्त हो सकते हैं कि यहोवा हमें आशिष देंगे और उनका आत्मा कामयाबी से विभिन्न परिक्षाओं को झेलने में हमारी मदद करेगा।—याकूब १:२, ३; १ पतरस ४:११.
८ शुद्ध और निन्दा के परे रहना: जबकि यहोवा हमें उनके करीब आने का न्योता देते हैं, उसी समय पर, वे स्पष्ट करते हैं कि यह यीशु के बहाए लहू, जो “हमें पापों से शुद्ध करता है,” में विश्वास करने के ज़रिये किया जा सकता है। (१ यूहन्ना १:७; इब्रानियों ९:१४ भी देखें.) परमेश्वर के वचन का निजी अध्ययन से और सीखी हुई बातों को अमल में लाने से हम हमारे विश्वास में मज़बूत रह सकते हैं। बाद में कुछ व्यक्ति हार जाते हैं क्योंकि वे आध्यात्मिक भोजन लेने में विफल हैं और उसे अपनी ज़िंदगी में लागू करने में प्रयास नहीं करते। यह उनको शैतान के हमलों से असुरक्षित छोड़ देता है। कई जन आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर बन गए हैं, जिससे वे निष्क्रिय हुए हैं। दुःख की बात है कि अनेक व्यक्तियों ने अपने आप को गंभीर पाप का शिकार बनने छोड़ा है, जिससे उन्हें जाति-बहिष्कृत किया गया। पौलुस चेतावनी देता है: “जो समझता है कि मैं स्थिर हूँ, वह चौकस रहे कि कहीं गिर न पड़े।” (१ कुरि. १०:१२) अगर हम जानबूझकर अभ्यास, सभाओं में हाज़िरी, और सेवा, को तुच्छ समझते हैं, हम आसानी से अपवित्र प्रभाव और प्रलोभनों में फँस सकते हैं।—इब्रानियों २:१; २ पतरस २:२०-२२.
९ यह अत्यावश्यक है कि हम ख़ुद को शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और नैतिक रूप में शुद्ध रखें। (२ कुरि. ७:१) संसार, जो हमें घेरती है, हर दिन और ज़्यादा दुष्ट और भ्रष्ट होता जा रहा है। हमें फँसाने के लिए इबलीस अनेक भ्रामक तरीकों से पास आते रहता है। ख़ुद को आध्यात्मिक रूप से बलवन्त रखने से निश्चित कर लेता है कि हम ‘उसकी युक्तियों से अनजान’ नहीं रहेंगे। (२ कुरि. २:११) यहोवा के संगठन से प्राप्त आदेश और सलाह हमें इन बुरे प्रभावों को पहचानने और मुकाबला करने के योग्य बनाता है।
१० कलीसिया में अगुआई लेनेवालों को यह ज़िम्मेदारी है कि वे दृढ़ और शुद्ध रहने में दुसरों के लिए एक बढ़िया मिसाल क़ायम करें। पौलुस ने यह कहते हुए इस ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया: “जो तुम्हारे अगुवे हैं, . . . उन्हें स्मरण रखो। और ध्यान से उनके चाल-चलन का अंत देखकर उनके विश्वास का अनुकरण करो।” (इब्रानियों १३:७) यह ज़रूरी है कि नियुक्त किए गए प्राचीन और सेवकाई सेवक अपने निजी आचरण और परिवार के प्रधान होने के नाते अपने ज़िम्मेदारियों को निभाने में अनुकरणीय हो। वे जवान तीमुथियुस के जैसे बनने में प्रयास करें, जिसे “वचन, और चाल-चलन, और विश्वास, और पवित्रता में . . . आदर्श बनने” उकसाया गया। (१ तीमु. ४:१२; १ पतरस ५:३) हम सब सच्चा चाल-चलन क़ायम रखने से अच्छे मिसाल बनने की ज़िम्मेदारी में भाग लेते हैं। जो कुछ वे देख लेते हैं, उससे अक़सर नए व्यक्ति सच्चाई और साथ ही यहोवा के संगठन को आँकते हैं। हम यक़ीन करना चाहते हैं कि जो कुछ वे देखते हैं उससे वे यहोवा के शुद्ध संगठन में अपना स्थान लेने में उनको प्रोत्साहन देगा।
११ “बड़े क्लेश” से बचाव के लिए संचयन रफ़्तार लेता जा रहा है। (प्रका. ७:१४) सिर्फ़ वही जो आध्यात्मिक रूप से दृढ़ और ख़ुद को शुद्ध रखते हैं आखिरकार बच जाएँगे। इन तत्त्वों पर बहुत कुछ अवलम्बित है: (१) अच्छे निजी अभ्यास आदतें क़ायम रखना और परमेश्वर के वचन पर मनन करना; (२) प्रोत्साहन करने का चाह के साथ एक दुसरे में सच्चा निजी दिलचस्पी दिखाना; और (३) शुद्ध आचरण बरकरार रखने एक साथ एकता से काम करना जो यहोवा के नाम को आदर देगा। इन बातों को करने से हम आश्वस्त होंगे कि इस संसार का अंत के समय यहोवा का आशिष और सुरक्षा हम पर होगा। हम यक़ीन हो सकते हैं कि हम उन “सच्चे लोगों” में से होंगे जिन्हें “यहोवा . . . रक्षा करता है।—भजन ३१:२३.