युवजनों—यहोवा के हृदय को आनन्दित कीजिए
जब एक व्यक्ति युवावस्था की शक्ति और उत्साह को सही तरीक़े से प्रयोग करता है, जीवन वाक़ई आनन्ददायक हो सकता है। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने लिखा: “हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, और अपनी जवानी के दिनों में मगन रह।” (सभो. ११:९) युवजनों आप अपने कार्यों के लिए परमेश्वर को जवाबदेह हैं।
२ आप अपना जीवन कैसे जीते हैं इससे न सिर्फ़ आपको लेकिन आपके माता-पिता को भी फ़र्क पड़ता है। नीतिवचन १०:१ कहता है: “बुद्धिमान पुत्र से पिता आनन्दित होता है, परन्तु मूर्ख पुत्र के कारण माता उदास रहती है।” लेकिन इससे भी ज़्यादा महत्त्वपूर्ण, आप अपना जीवन कैसे जीते हैं इसका असर आपके सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्वर पर होता है। इसलिए नीतिवचन २७:११ में, यहोवा भी युवजनों को प्रोत्साहन देता है: “हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान होकर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करनेवाले को उत्तर दे सकूंगा।” आप युवजन आज यहोवा का हृदय कैसे आनन्दित कर सकते हैं? यह अनेक तरीक़ों से निष्पन्न किया जा सकता है।
३ उचित उदाहरण से: आप युवा लोग बाइबल में पूर्वबतलाए गए “कठिन समय” का अनुभव करते हैं। (२ तीमु. ३:१) आप शायद अविश्वासी सहपाठियों और उन शिक्षकों से भी आनेवाले दबावों के अधीन होंगे जो आपके बाइबल-आधारित दृष्टिकोण का उपहास करते हों। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक ने विकासवाद सिद्धान्त को तथ्य की तरह और बाइबल को एक काल्पनिक कथा की तरह प्रस्तुत किया। लेकिन, उस कक्षा में एक युवा प्रकाशक ने निष्ठा से बाइबल का समर्थन किया। परिणामस्वरूप, अनेक बाइबल अध्ययन आरम्भ किए गए। कुछ दिलचस्पी रखनेवालों ने सभाओं में उपस्थित होना शुरू किया। आप युवा भाइयों और बहनों का विश्वास इस भक्तिहीन संसार को दोषी ठहराता है और सत्हृदय लोगों को सत्य की ओर आकर्षित करता है।—इब्रा. ११:७ से तुलना कीजिए.
४ क्या आप कलीसिया में अपने हम उम्र साथियों को प्रोत्साहित कर सकते हैं, ताकि जो बुरा है उसके सामने वे झुक न जाएँ? स्कूल, घर और कलीसिया में एक अच्छा उदाहरण रखने के द्वारा, आप अन्य युवा प्रकाशकों के विश्वास को दृढ़ कर सकते हैं। (रोमि. १:१२) दूसरों के लिए एक उदाहरण रखने के द्वारा यहोवा के हृदय को आनन्दित कीजिए।
५ पहनावे और बनाव-श्रृंगार से: एक युवा बहन को उसके शालीन पहनावे के कारण छेड़ा और उपहास किया जाता था और उसे “अदूषित” का लेबल लगाया गया। इस बात ने उसे इस संसार के भक्तिहीन दर्जों के अनुरूप होने के लिए भयभीत नहीं किया। इसके बजाय, उसने समझाया कि वह एक यहोवा की गवाह है और वह गवाहों के उच्च दर्जों को मानती है। क्या आपके पास ऐसी धीरता है? या क्या आप शैतान के संसार को उसकी विचारधारा और आचरण के साँचे में अपने आप को ढालने देते हैं? यह देखना क्या ही आनन्द की बात है कि आप युवजनों में से अनेक जन यहोवा की शिक्षाओं को मान रहे हैं और संसार के बेहूदा ढंगों, सनकी फ़ैशन, प्रतिमाओं और शिक्षाओं को ठुकरा रहे हैं। वास्तव में जैसे यहोवा के संगठन ने हमें बताया है, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि जिन बातों का उद्गम संसार से है वे दुष्टात्माओं द्वारा प्रभावित होती हैं!—१ तीमु. ४:१.
६ मनोरंजन और मनबहलाव के चुनाव से: अपने बच्चों को सही क़िस्म के मनोरंजन और मनबहलाव को बुद्धिमानी से चुनाव करने में सहायता देने की ज़रूरत को माता-पिताओं को ध्यान में रखने की ज़रूरत है। एक भाई ने एक उत्कृष्ट परिवार की प्रशंसा की जिससे वह बेहद प्रेम करने लगा था। आध्यात्मिक मनोवृत्ति के होने के कारण, माता-पिता ने ऐसा मार्गदर्शन दिया जो परिवार के मनबहलाव में भी लागू किया गया। भाई ने कहा: “उनके इकट्ठे काम करने की मैं प्रशंसा करता हूँ। न सिर्फ़ माता-पिता बच्चों को सेवा के लिए तैयार होने में सहायता करते हैं, लेकिन जब मनबहलाव का समय होता है, वे पैदल सैर जाते वक़्त, अजायबघर जाते वक़्त मौज-मस्ती करते हैं, या घर में ही रहकर खेलते हैं या पारिवारिक परियोजनाओं पर काम करते हैं। उनका दूसरों के लिए और एक दूसरे के लिए प्रेम आपको विश्वस्त करता है कि चाहे जो भी हो ये भविष्य में सत्य में चलते रहेंगे।”
७ निश्चय ही, ऐसे समय भी होते हैं जब सारे परिवार के लिए मनबहलाव और मनोरंजन में भाग लेना संभव नहीं है। आप युवजनों को इस बारे में और अपने खाली समय के कुछ भाग को आप कैसे बिताएँगे इसका चुनाव करने की गंभीरता से अवगत होना चाहिए। शैतान जितने संभव हो सकें उतने लोगों को गुमराह करने के लिए दृढ़-निश्चयी है। युवा और अनुभवहीन विशेषकर उसकी धूर्त युक्तियों और कपटपूर्ण अनुनय की ओर भेद्य हैं। (२ कुरि. ११:३; इफि. ६:११) सो आज शैतान आपको एक विलासपूर्ण और अधर्म का जीवन जीने के लिए और बहक जाने में प्रभावित करने के लिए अनेकों तरीक़े इस्तेमाल करता है।
८ टेलीविज़न महा प्रलोभक है जो भौतिकवादी और अनैतिक जीवन-शैली को बढ़ावा देता है। फिल्में और वीडियो नियमित रूप से हिंसा और सुस्पष्ट लैंगिकता दिखाती हैं। लोकप्रिय संगीत अधिकाधिक भ्रष्ट और अश्लील हो गया है। शैतान के प्रलोभन शायद अहानिकर नज़र आएँ, लेकिन इन्होंने हज़ारों मसीही युवाओं को गलत विचारधारा और आचरण में फँसा दिया है। ऐसे दबावों का प्रतिरोध करने के लिए, आपको प्रबल रूप से धार्मिकता का पीछा करना ज़रूरी है। (२ तीमु. २:२२) यदि मनोरंजन और मनबहलाव के सिलसिले में आपकी विचारधारा और आचरण में समायोजन करने की ज़रूरत है, तो यह कैसे किए जा सकते हैं? भजनहार जवाब देता है: “मैं पूरे मन से तेरी खोज में लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!”—भज. ११९:१०.
९ खेलकूद और मनोरंजन के सितारों को आराध्य बनाना एक आम बात है। यहोवा का भय आपको अपरिपूर्ण मानवों को आराध्य बनाने से रोकेगा। लैंगिक अनैतिकता भी आज अनेक लोगों द्वारा आराध्य है। अश्लील चित्रों और भ्रष्ट करनेवाले संगीत से दूर रहने से आप ऐसी प्रवृत्ति के विरुद्ध चौकस रह सकते हैं। संगीत के बारे में, स्किप्ड स्टडी आर्टिकल्स् (Skipped Study Articles) ब्रोशर, जो हाल ही में हमारी कलीसिया पुस्तक अध्ययन में अध्ययन किया गया था, में कहा गया: “संगीत एक ईश्वरीय देन है। यद्यपि, अनेकों के लिए यह एक अस्वास्थ्यकर मुख्य कार्य बन जाता है। . . . संगीत को अपने स्थान पर रखने और यहोवा के कार्य को अपनी मुख्य चिन्ता बनाने का लक्ष्य रखिए। चयनात्मक बनिए और अपने चुने हुए संगीत के बारे में सावधान रहिए। इस प्रकार आप इस ईश्वरीय देन का उपयोग करेंगे—दुरुपयोग नहीं।”
१० जो बुरा है उसके लिए पूर्ण घृणा पैदा कीजिए। (भज. ९७:१०) जब बुरा करने के लिए प्रलोभित हों, सोचिए कि यहोवा इस मामले को किस नज़र से देखता है, और परिणामों पर विचार कीजिए: अनचाही गर्भावस्थाएँ, लैंगिक रूप से फैलनेवाले रोग, भावात्मक तबाही, आत्म-सम्मान खोना, और कलीसिया में विशेषाधिकारों को खोना। अपने आप को ऐसे टी.वी. प्रदर्शनों, फ़िल्मों, वीडियो, गीत या वार्तालापों से जो दुष्टता को प्रोत्साहन देते हैं अरक्षित छोड़ देने से दूर रहिए। बाइबल जिन्हें “मूर्खों” के वर्ग में डालती है उनकी संगति से दूर रहिए। (नीति. १३:१९) चयनात्मक बनिए; निकटतम संगति के लिए कलीसिया में उनको चुनिए जो यहोवा और उसके धार्मिक दर्जों से प्रेम करते हैं।
११ जी हाँ, युवजन जो वाक़ई यहोवा के हृदय को आनन्दित करना चाहते हैं, इफिसियों ५:१५, १६ में दी गई अच्छी सलाह को मानेंगे: “ध्यान से देखो (कड़ी नज़र रखो, NW), कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं।” इन अन्तिम दिनों में अपनी प्रगति पर “कड़ी नज़र रखने” के लिए क्या चीज़ आपको सहायता करेगी?
१२ आध्यात्मिक ज़रूरतों पर ध्यान देना: मत्ती ५:३ (NW) में, यीशु ने टिप्पणी की: “ख़ुश हैं वे जो अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत हैं।” आप भी अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत रहकर आनन्दित हो सकते हैं। उस ज़रूरत को पूरा करने में सुसमाचार को प्रचार करने में एक उत्साहपूर्ण हिस्सा लेना शामिल है, क्योंकि यह सीखी हुई बातों में हमारे विश्वास को बढ़ाता है।—रोमि. १०:१७.
१३ व्यक्तिगत अनुभव से आप जानते हैं कि सेवकाई में नियमित रूप से हिस्सा लेना हमेशा आसान नहीं होता। यह अधिकतर आत्मविश्वास की कमी के कारण होता है। इस तरह, आपकी ओर से दृढ़ निश्चय की आवश्यकता है। सेवकाई में नियमित रूप से हिस्सा लेने के द्वारा, आप गवाही कार्य में अपनी निपुणता को और प्रचार करने की अपनी क़ाबलियत में आत्मविश्वास को बढ़ाएँगे।
१४ कलीसिया में अधिक अनुभवी प्रकाशकों, जैसे कि नियमित पायनियर और प्राचीनों के साथ काम करने के प्रबंध कीजिए। उनकी प्रस्तुतियों को और दरवाज़े पर आपत्तियों से वे कैसे निपटते हैं इसे ध्यानपूर्वक सुनिए। रीज़निंग पुस्तक और हमारी राज्य सेवकाई में प्रस्तुत की गई सलाहों का अच्छा उपयोग कीजिए। जल्द ही आप सेवकाई से अधिक आनन्द प्राप्त करेंगे क्योंकि आप अपना सबकुछ यहोवा को दे रहे हैं।—प्रेरितों २०:३५.
१५ कुछ युवाओं ने स्कूल में गवाही देने के मौकों का फ़ायदा उठाया है और शिष्य बनाने में काफ़ी सफलता पायी है। (मत्ती २८:१९, २०) एक मसीही युवा कहता है: “कक्षा में खाली समय के दौरान, विशेषकर सांसारिक छुट्टियों के दिनों के आस-पास, मुझे गवाही देने के अनेक मौक़े मिले। जब मैं अपनी डेस्क पर ऐसी जगह बाइबल प्रकाशन रखता था जहाँ अन्य लोग उसे देख सकें, अनेक दिलचस्पी रखनेवाले विद्यार्थी मेरे पास आए।” आख़िरकार, अनेक विद्यार्थी और स्वयं शिक्षिका भी मसीही सभाओं में उपस्थित होने लगी। वास्तव में, शिक्षिका ने एक समर्पित गवाह बनने की हद तक प्रगति की है। यहोवा अत्यधिक आनन्दित होता है जब आप जैसे युवा उपासक उसके नाम को महिमा लाते हैं।
१६ अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत को पूरा करने का एक और तरीक़ा है, व्यक्तिगत अध्ययन। यहोवा के हृदय को आनन्दित करने के लिए हमें उसके बारे में, उसके उद्देश्यों और हमारे लिए उसकी माँगों के बारे में ज्ञान लेना ज़रूरी है। क्या आप व्यक्तिगत अध्ययन के लिए अलग से समय रखते हैं? जैसे आप नियमित रूप से खाना खाने के लिए समय देते हैं, क्या आप नियमित रूप से अध्ययन करते हैं? (यूहन्ना १७:३) थियोक्रैटिक मिनिस्ट्री स्कूल के बाइबल पठन तालिका के अनुसार पढ़ाई करने के प्रयास के अतिरिक्त बाइबल पठन के लिए क्या आपकी व्यक्तिगत सारणी है? क्या आप सभाओं के लिए अच्छी तरह तैयारी करते हैं? क्या आप वॉचटॉवर और अवेक! पत्रिकाएँ नियमित रूप से पढ़ते हैं? विशेषकर, क्या आप “युवा लोग पूछते हैं . . . ” श्रृंखला में हर लेख को पढ़ने और ध्यानपूर्वक हर शास्त्रवचन को निकालकर पढ़ने के लिए समय निकालते हैं? और उस पुस्तक को न भूलिए जो संस्था ने विशेषकर आपकी आध्यात्मिक ज़रूरतों के लिए बनायी है, क्वेसचन्स् यंग पीपल आस्क—आन्सर्स् दैट वर्क। सारी दुनिया से मसीही युवाओं और उनके माता-पिता ने पत्र लिखे हैं, यह कहने के लिए कि इस पुस्तक ने उन्हें यहोवा के और क़रीब आने में कैसे सहायता दी है।
१७ जब आप बाइबल और ईश्वरशासित बाइबल अध्ययन सहायक पढ़ते हैं, वे आपको यहोवा, उसकी विचारधारा, और उसके उद्देश्यों के बारे में बताते हैं। विचार कीजिए कि यह जानकारी आपको कैसे सहायक होगी। आप जो पढ़ते हैं उसकी तुलना, आपने जो पहले पढ़ा है उससे कीजिए। इसमें मनन शामिल है। मनन जानकारी को हृदय तक पहुँचने और आपको प्रेरित करने के लिए सहायता करता है।—भज. ७७:१२.
१८ हम उन युवजनों को कलीसिया की सभाओं में उपस्थित होते देखकर आनन्दित होते हैं जो अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों के बारे में सचेत हैं। आप मसीही युवा सभाओं के दौरान नियमित रूप से अर्थपूर्ण टिप्पणियाँ देकर दूसरों को प्रोत्साहन दे सकते हैं। हर सभा में कम से कम एक टिप्पणी देने का लक्ष्य रखिए। सभाओं के पहले और सभाओं के बाद, प्रोत्साहक संगति में हिस्सा लेने के द्वारा कलीसिया में सभी उम्र के लोगों के साथ स्नेही संबंधों को विकसित कीजिए। (इब्रा. १०:२४, २५) एक युवा भाई ने टिप्पणी की कि उसके माता-पिता ने उसे हर सभा में कम से कम एक वृद्ध भाई या बहन से बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया। आज वह कलीसिया के वृद्ध सदस्यों से संगति रखने के द्वारा प्राप्त अनुभव की क़दर करता है।
१९ आध्यात्मिक लक्ष्यों का पीछा कीजिए: यह दुःख की बात है कि अनेक युवाओं के जीवन में उद्देश्य और निर्देशन की कमी है। लेकिन, ईश्वरशासित लक्ष्य रखने और सफलतापूर्वक उन्हें हासिल करने से जो भावना उत्पन्न होती है उसे अनुभव करना क्या अच्छा नहीं है? ईश्वरीय शिक्षा के प्रबोधन के साथ इन लक्ष्यों का पीछा करना, अब व्यक्तिगत रूप से संतोषजनक होगा और आख़िरकार अनन्तकाल के उद्धार की ओर ले जाएगा।—सभो. १२:१, १३.
२० लक्ष्य रखते वक़्त, इसे प्रार्थना का विषय बनाइए। अपने माता-पिता और प्राचीनों से बात कीजिए। अपने आप को और अपनी योग्यताओं को जाँचिए, और जो आप निष्पन्न कर सकते हैं उसके अनुसार व्यावहारिक लक्ष्य रखिए ना कि किसी और से तुलना करते हुए। हरेक की बनावट—शारीरिक, मानसिक, भावात्मक, और आध्यात्मिक रूप से भिन्न है। इसलिए हरेक बात जो कोई और करता है उसे निष्पन्न करने की अपेक्षा नहीं कीजिए।
२१ कुछ लक्ष्य क्या हैं जिन्हें आप प्राप्त कर सकते हैं? यदि आप अब तक एक प्रकाशक नहीं हैं या अब तक आपने बपतिस्मा नहीं लिया है, क्यों न उन्हें अपने लक्ष्य बनाएँ? यदि आप एक प्रकाशक हैं, आप हर सप्ताह सेवकाई में निश्चित समय देने का लक्ष्य रख सकते हैं। पुनः भेंट करते वक़्त एक योग्य शिक्षक बनने का लक्ष्य रखिए, और बाइबल अध्ययन संचालित करने का एक लक्ष्य बनाइए। यदि आप स्कूल जानेवाले बपतिस्मा-प्राप्त युवा हैं, तो क्यों न गर्मी के महीनों में सहायक पायनियर करने का लक्ष्य रखें? “प्रभु के काम” में करने के लिए बहुत कुछ है।—१ कुरि. १५:५८.
२२ माता-पिता से सहायता अत्यावश्यक: कलीसिया में युवजनों को कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि जीवन को पाने के उनके प्रयासों में वे अकेले हैं। यहोवा ने अपने संगठन के ज़रिए प्रतिदिन निर्णय लेने और जीवन की बाधाओं को पार करने में इन युवजनों की सहायता के लिए सलाह दी है। निश्चय ही, अपने बच्चों को उचित निर्णय लेने में सहायता करने की मूलभूत ज़िम्मेदारी समर्पित माता-पिताओं की है। पहला कुरिन्थियों ११:३ में, बाइबल पति को परिवार का सिर नियुक्त करती है। इसलिए, एक मसीही परिवार में, बच्चों को परमेश्वर की आज्ञाएँ सिखाने के लिए पिता अगुवाई लेता है और पत्नी उसके साथ-साथ काम करती है। (इफि. ६:४) यह विवेकशील प्रशिक्षण द्वारा किया जाता है जो बालकपन से ही शुरू होता है। क्योंकि एक बच्चे के दिमाग़ का आकार जीवन के पहले वर्ष में तिगुना हो जाता है, माता-पिता को अपने शिशु के सीखने की योग्यता को कभी भी कम नहीं समझना चाहिए। (२ तीमु. ३:१५) जैसे बच्चे बढ़ते हैं, माता-पिताओं को उन्हें यहोवा से प्रेम करने और उसके साथ एक अच्छा संबंध विकसित करने के लिए प्रगतिशील रूप से सिखाना चाहिए।
२३ माता-पिताओं को अकसर ऐसे व्यावहारिक तरीक़े दिखाए गए हैं जिनमें वे अपने बच्चों की सहायता कर सकते हैं। शुरू करने का सबसे उत्तम तरीक़ा है, एक अच्छा जनकीय उदाहरण रखना। उन्हें क्या करना चाहिए या क्या नहीं इस पर बहुत ज़्यादा बोलने के बजाय आपका उदाहरण उन्हें आध्यात्मिक रीति से ज़्यादा मदद करेगा। घर में, अपने साथी की ओर और अपने बच्चों की ओर पवित्र आत्मा के फल प्रदर्शित करना उचित जनकीय उदाहरण में शामिल है। (गल. ५:२२, २३) अनेक लोगों ने अनुभव से देखा है कि परमेश्वर की आत्मा अच्छे के लिए एक शक्तिशाली प्रभाव है। यह आपको अपने बच्चों के मन और हृदयों को ढालने में सहायता कर सकती है।
२४ माता-पिताओं को व्यक्तिगत अध्ययन आदतों, सभाओं में उपस्थिति और क्षेत्र सेवकाई में नियमित हिस्सा लेने के बारे में भी एक अच्छा उदाहरण रखने की ज़रूरत है। यदि आप सत्य के बारे में घर पर उत्साहपूर्ण रूप से बात करते हैं, सेवकाई में उत्साही अगुवाई करते हैं, और व्यक्तिगत अध्ययन के बारे में सकारात्मक हैं, आपके बच्चे आध्यात्मिक विषयों में वास्तविक दिलचस्पी लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
२५ जब सोच समझकर तैयार किया जाता है, तो एक नियमित, अर्थपूर्ण पारिवारिक बाइबल अध्ययन दिलचस्प और आनन्ददायक हो सकता है, एक आश्वस्त करनेवाले पारिवारिक मेल-जोल के लिए समय। अपने बच्चों के हृदय तक पहुँचने का समय लीजिए। (नीति. २३:१५) जबकि अनेक परिवार इस अवसर को साप्ताहिक प्रहरीदुर्ग अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, समय-समय पर परिवार की विशेष ज़रूरत पर विचार करना भी प्रोत्साहक हो सकता है। दृष्टिकोण सवाल पूछना और परिवार के हर सदस्य की टिप्पणियों को सुनना प्रबोधक और स्फूर्तिदायक हो सकता है। एक ऐसा अध्ययन संचालित करना जो परिवार के हर सदस्य के लिए लाभदायक है परिवार के सिर के लिए एक वास्तविक चुनौती है। लेकिन यह कितना लाभप्रद है जब सभी आध्यात्मिक रीति से प्रगति करते हैं! हरेक को शामिल करने से, एक ख़ुशी की भावना क़ायम रहेगी।
२६ अभी आपका प्रेममय, और विशिष्ट प्रशिक्षण आपकी संतान के जीवन बचाने के लिए अत्यावश्यक है। (नीति. २२:६) इसे ध्यान में रखते हुए, यह समझना आसान है कि यह शायद सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्षण है जो आप कभी देंगे। यह कभी नहीं सोचिए कि इस विशेष और महत्त्वपूर्ण कार्य में आप अकेले हैं। अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को निभाने में मार्गदर्शन के लिए यहोवा पर पूर्णतया भरोसा रखिए। लेकिन इतना ही सबकुछ नहीं है। दूसरे भी हैं जो काफ़ी सहायता दे सकते हैं।
२७ दूसरे मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं: प्राचीनों, राज्य गृह की सफ़ाई करने में, उनके माता-पिताओं के साथ बच्चों को भी शामिल कीजिए। कलीसिया सभाओं में बच्चों को प्रोत्साहन दीजिए। सेवा सभा में कार्यक्रम संभालने के लिए नियुक्त किए गए प्राचीनों और सहायक सेवकों को, जब श्रोतागण के हिस्सा लेने के भाग होते हैं, तब जो छोटे हाथ उठते हैं उन पर निगाह रखनी चाहिए। अनुकरणीय युवजनों को उनके माता-पिता के साथ प्रदर्शनों में इस्तेमाल करने के अवसरों को ढूँढिए। कुछ युवजनों का इन्टरव्यू लेकर उनसे संक्षिप्त टिप्पणियाँ ली जा सकती हैं।
२८ उनके प्रयासों को तुच्छ न समझिए। युवा लोग कलीसिया के लिए एक वास्तविक संपत्ति साबित हुए हैं। अपने उत्कृष्ट आचरण से, अनेक युवाओं ने ‘हमारे उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के उपदेश को शोभा दी’ है। (तीतुस २:६-१०) युवजन जो छोटे तरीक़े से भी हिस्सा लेते हैं उनकी सराहना करने की ज़रूरत की ओर सचेत रहिए। यह उन्हें भविष्य में फिर से ऐसा करने में इच्छुक होने और तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित करता है। बड़ों की ओर से ऐसी दिलचस्पी का मूल्य आँका नहीं जा सकता; यह अमूल्य है। आपने एक प्राचीन या सहायक सेवक होने के नाते, कितनी बार कलीसिया के युवा सदस्यों के पास जाकर उनके द्वारा दिए गए भाषण या सभा में दी गई एक प्रस्तुति के लिए सराहना की है?
२९ पायनियर, आप सहायता देने के लिए क्या कर सकते हैं? दोपहर के समय और सप्ताहांतों के अपने प्रबंधों में स्कूल के बच्चों को शामिल करने के लिए क्यों न अपनी सारणी पर पुनर्विचार करें? पूर्ण-समय सेवा के अपने चुनाव के बारे में क्या आप सकारात्मक रूप से बोलते हैं? क्या आप अपने चेहरे के भावों से दिखाते हैं कि आप अपनी सेवकाई में आनन्द पा रहे हैं? क्या आप तत्परता से इसकी सिफ़ारिश दूसरों को विशेषकर युवजनों को करते हैं? जब आप घर-घर की सेवा में कार्य कर रहे हैं, क्या आपकी बातचीत प्रोत्साहक और सकारात्मक है? यदि ऐसा है, तो एक पायनियर की हैसियत से आप भी इस सबसे महत्त्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्य में हिस्सा ले रहे हैं।
३० कलीसिया में सभी को युवजनों को प्रशिक्षण देने के इस महत्त्वपूर्ण कार्य के बारे में उत्सुकता से अवगत होना चाहिए। क्या आप क्षेत्र सेवकाई में उनके साथ काम करने के सुनिश्चित प्रबंध कर सकते हैं? क्या आप उनके साथ घर-घर कार्य की तैयारी करते हुए एक प्रस्तुति का अभ्यास कर सकते हैं? सेवकाई में साथ-साथ काम करते वक़्त भविष्य में आध्यात्मिक कार्यवाइयों के बारे में प्रोत्साहित करने के मौक़ों के प्रति क्या आप सतर्क हैं? हरेक प्रकाशक को इस बात से अवगत होना चाहिए कि एक छोटी-सी टिप्पणी भी आजीवन आध्यात्मिक लक्ष्यों की ओर ले जाने वाले सकारात्मक विचारों को पैदा कर सकती है, जिससे एक युवा का अनन्तकालिक फ़ायदा होगा।
३१ युवा लोग अपनी सहायता कर सकते हैं: युवजनों, हम आप में से हरेक को प्रोत्साहन देते हैं कि यहोवा की शिक्षाओं को मानते रहो और जो संसार प्रस्तुत करता है उसे ठुकराओ। निरंतर रूप से अपने आचरण और आंतरिक भावनाओं को जाँचने के द्वारा अपनी परीक्षा लेते रहो। यहोवा के बारे में और वह जो आपसे प्रतिदिन के जीवन में अपेक्षा करता है उसके बारे में आपकी अभिवृत्ति कैसी है? क्या आप शैतान के विचारों के प्रभाव के विरुद्ध कड़ा संघर्ष कर रहे हैं? (१ तीमु. ६:१२) चूँकि मानव, विशेषकर युवजन, अपने हम उम्र लोगों की स्वीकृति प्राप्त करना चाहते हैं, क्या आप बुरा करने के लिए भीड़ के पीछे हो लेने में अपने आप को प्रलोभित पाते हैं? (निर्ग. २३:२) प्रेरित पौलुस ने यह बात समझी कि संसार के तरीकों के अनुरूप होने का बहुत बड़ा दबाव है।—रोमियों ७:२१-२३.
३२ संसार के प्रभाव का विरोध करने, सांसारिक हम उम्र लोगों से भिन्न मार्ग लेने और परमेश्वर की शिक्षाओं को मानने के लिए साहस की ज़रूरत होती है। प्राचीन समय के लोगों ने काफ़ी सफलतापूर्वक ऐसा किया। नूह के साहस पर विचार कीजिए। अपने विश्वास और अपने समय के दुराचारी लोगों से अलग रहने के द्वारा उसने समस्त संसार को दोषी ठहराया। (इब्रा. ११:७) कड़ा संघर्ष कीजिए क्योंकि यह प्रयास के योग्य है। शैतान की भीड़ का अनुकरण करने वाले निर्बल, डरपोक और भयभीत लोगों के पीछे मत जाइए। इसके विपरीत, ऐसे लोगों की संगति को ढूँढिए जो यहोवा की नज़रों में अनुग्रह पा रहे हैं। (फिलि. ३:१७) अपने आप को ऐसे साथियों से घेरिए जो आपके साथ-साथ परमेश्वर के प्रतिज्ञात नए संसार में प्रवेश करेंगे। (फिलि. १:२७) याद रखिए कि अनन्त जीवन की ओर ले जाने वाला सिर्फ़ एक ही मार्ग है।—मत्ती ७:१३, १४.
३३ यदि हम युवाओं को हमारे परमेश्वर को स्तुति और आदर लाते हुए देखकर आनन्द पाते हैं, तो यह उसे कितना आनन्द लाता होगा! इसमें कोई शक नहीं है कि यहोवा युवा लोगों को उसके महान उद्देश्यों को घोषित करने में पूरा हिस्सा लेते हुए देखकर आनन्दित होता है। वे उसकी ओर से प्राप्त “भाग हैं,” और वह उनके लिए केवल सर्वोत्तम की ही चाहत रखता है। (भज. १२७:३-५; १२८:३-६) अपने पिता की दिलचस्पी को प्रतिबिम्बित करते हुए, यीशु मसीह ने छोटे बच्चों के साथ संगति रखने में बहुत आनन्द पाया, और उसने यहोवा की उपासना में उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए समय निकाला। उसने उनके लिए कोमल स्नेह प्रदर्शित किया। (मरकुस ९:३६, ३७; १०:१३-१६) क्या आप हमारे युवजनों को उसी दृष्टि से देखते हैं जैसे यहोवा और मसीह यीशु देखते हैं? क्या हमारे युवजन अवगत हैं कि यहोवा और स्वर्गदूत उनकी निष्ठा और अच्छे उदाहरण को किस दृष्टि से देखते हैं? आध्यात्मिक लक्ष्यों की ओर बढ़ने का प्रयास करने के द्वारा यहोवा को आनन्दित करने के लिए उनकी सराहना की जानी चाहिए और उन्हें प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। युवजनों, ऐसे लक्ष्यों का पीछा कीजिए जिनका परिणाम अब और भविष्य में भी आपके लिए आशिषें होंगी।