बाइबल विद्यार्थियों को सेवकाई के लिए तैयार कीजिए
बाइबल अध्ययन संचालित करने का अंतिम लक्ष्य नए शिष्य बनाना है, ऐसे कार्यकर्त्ता जो दूसरों को सिखाने में हमारे साथ शामिल होंगे। (मत्ती २८:१९, २०) इसलिए अध्ययन का उद्देश्य मात्र ज्ञान देना नहीं है; इससे हमारे विद्यार्थियों में हार्दिक विश्वास उत्पन्न होना चाहिए और इसके द्वारा उन्हें अपनी आशा को दूसरों के साथ बाँटने के लिए तैयार होना चाहिए। (२ कुरि. ४:१३) कौनसे व्यावहारिक तरीक़ों से हम उनकी मदद कर सकते हैं ताकि वे दूसरों को सिखाने के योग्य बन सकें?—२ तीमु. २:२.
२ सेवकाई को एक लक्ष्य बनाइए: शुरूआत से ही, यह स्पष्ट कीजिए कि सच्ची उपासना में “उद्धार के लिए सार्वजनिक घोषणा” शामिल है। (रोमि. १०:१०, NW) यहोवा के गवाह, हमारा यह नाम ही सूचित करता है कि हमें दूसरों से बोलना है। उन्हें यह देखने में मदद कीजिए कि उनका सिखाया जाना मात्र उनके अपने उद्धार के लिए नहीं है। जब वे स्वयं शिक्षक बनते हैं, तो उनकी बात सुननेवाले व्यक्तियों को भी उद्धार का अवसर मिलता है।—१ तीमु. ४:१६.
३ सीखी हुई बातों पर पुनर्विचार कीजिए: सीखी हुई बातों के समय-समय पर पुनर्विचार, सिखाने के लिए मूल्यवान सहायक हैं। जैसे-जैसे हाल ही में सीखी हुई सच्चाइयों को उसके मन और हृदय में गहराई से बिठा दिया जाता है, ये पुनर्विचार विद्यार्थी को आध्यात्मिक रूप से बढ़ने में मदद करते हैं। प्रहरीदुर्ग अध्ययन में शामिल किए गए पुनर्विचार प्रश्नों का उत्तर देते वक्त यह हमने स्वयं अनुभव किया है। अपने विद्यार्थी के लिए सरल और सीधे सवाल तैयार कीजिए ताकि वह अपने शब्दों में इनका जवाब दे सके।
४ आपका पुनर्विचार एक क्षेत्र सेवा स्थिति का रूप ले सकता है। एक ऐसा सवाल पूछिए या एक ऐसी स्थिति का वर्णन कीजिए जो सामान्य तौर पर दूसरों को गवाही देते वक्त सामने आती है। अपने आप को गृहस्वामी के स्थान पर रखिए और अपने विद्यार्थी को प्रदर्शित करने दीजिए कि वह क्या कहेगा। जो उसने अच्छा किया उसके लिए उसकी सराहना कीजिए, और व्यावहारिक सुझाव दीजिए जो उसे अगली बार और भी अधिक प्रभावकारी होने के लिए मदद करेंगे। यह प्रशिक्षण उसे सीखी हुई बातों का प्रयोग कैसे करे सिखाएगा और बाइबल के प्रयोग में उसकी कुशलता को विकसित करेगा।
५ रीज़निंग किताब: यह निश्चित कीजिए कि आपके विद्यार्थी के पास रीज़निंग किताब की एक प्रति है, और उसका प्रयोग करने के लिए उसे प्रशिक्षण दीजिए। दिखाइए कि यह किताब कैसे वार्तालाप शुरू करने, बाइबल के सवालों का जवाब देने, या आपत्तियों से निपटने के लिए सुझाव प्रदान करती है। दूसरों से विश्वासोत्पादक तरीक़े से बात करने के तरीक़ों को प्रदर्शित करने के लिए अध्ययन में किताब का प्रयोग कीजिए। यह किताब उसका आत्म-विश्वास बढ़ा सकती है, जो राज्य संदेश की घोषणा करने में उसकी पहल शक्ति को बढ़ाएगा।
६ सभाओं के महत्त्व पर ज़ोर दीजिए: कलीसिया सभाएँ, विशेषकर सेवा सभा और ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल, हमें क्षेत्र सेवा के लिए तैयार करने के लिए बनाए गए हैं। प्रभावकारी गवाही कार्य के लिए सभी मूल तत्त्वों को अनुभवी और कुशल जनों के द्वारा दोहराया और प्रदर्शित किया जाता है। सभाओं के महत्त्व पर ज़ोर दीजिए, और उपस्थित होने में उसकी मदद के लिए जो कुछ आप कर सकते हैं कीजिए। नियमित उपस्थिति आपके विद्यार्थी को यीशु का एक सच्चा शिष्य बनने के लिए आवश्यक प्रेरणा प्रदान करेगी।
७ आपके अपने व्यक्तिगत उदाहरण को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। प्रचार कार्य में आपकी तत्परता और नियमितता सच्चाई के लिए आपकी गहरी क़दर को दिखाती है। ऐसी जीवन-शैली आपके विद्यार्थी को अपने विश्वास का प्रदर्शन करने के लिए ज़्यादा करने का प्रोत्साहन देती है। (लूका ६:४०) यह सब एक नए व्यक्ति को सेवकाई को एक विशेषाधिकार के तौर पर देखने के लिए और उसमें भाग लेने के लिए कृतज्ञ होने में मदद कर सकता है।—१ तीमु. १:१२.