“अनन्त जीवन यह है”
यूहन्ना १७:३ में अभिलिखित यीशु के शब्दों को गंभीरतापूर्वक लिया जाना है। उसने जो कहा उसमें वह सच्चा था—परमेश्वर और मसीह का ज्ञान लेने का अर्थ है अनन्त जीवन! लेकिन क्या सिर्फ़ हमारे पास यहोवा और यीशु का ज्ञान होने से ही हमें सर्वदा के जीवन का प्रतिफल दिया जाएगा? जी नहीं। इस्राएली जानते थे कि यहोवा उनका परमेश्वर था, लेकिन उनकी जीवन-शैली ने उस विश्वास को प्रतिबिंबित नहीं किया। फलतः, उन्होंने उसका अनुग्रह खो दिया। (होशे ४:१, २, ६) आज शायद लाखों लोगों को “परमेश्वर के लिये धुन रहती [हो], परन्तु बुद्धिमानी [“यथार्थ ज्ञान,” NW] के साथ नहीं।” (रोमि. १०:२) उन्हें यहोवा, अर्थात् “अद्वैत सच्चे परमेश्वर” को जानने की, और यह सीखने की ज़रूरत है कि उचित रूप से उसकी सेवा कैसे करें। इस उद्देश्य से, नवम्बर के दौरान हम पुस्तक ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है पेश करेंगे। ज्ञान पुस्तक प्रस्तुत करने के लिए आप किस प्रस्तुति का इस्तेमाल करेंगे? यहाँ कुछ सुझाव हैं जो शायद आपकी मदद करें।
२ यहाँ एक ऐसी प्रस्तुति है जो आप अपने क्षेत्र में अनेक लोगों के साथ बात करते समय शायद इस्तेमाल करना चाहें:
◼“हम अपने पड़ोसियों से इस बारे में बात कर रहे हैं कि दुनिया में इतने सारे विभिन्न धर्म क्यों हैं। इस देश में ही इतने सारे विभिन्न धार्मिक पंथ हैं, और दुनिया-भर में १०,००० से ज़्यादा धार्मिक सम्प्रदाय हैं। आपकी राय में, धर्मों में इतनी विविधता क्यों है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए। ज्ञान पुस्तक का अध्याय ५ खोलकर अनुच्छेद १ पढ़िए।] इस अध्याय को पढ़ने के द्वारा आप उन सवालों के संतुष्टिप्रद जवाब पाएँगे। अगर आप इसकी जाँच करना चाहें, तो इस पुस्तक को आपके पास छोड़ने में मुझे ख़ुशी होगी।” यदि उसे स्वीकारा जाता है, तो लौटने के निश्चित प्रबन्ध कीजिए, और कहिए: “जब मैं लौटूँ, तब शायद हम इस बात पर चर्चा कर सकते हैं कि क्या सभी धर्म एक ही जगह जानेवाले सिर्फ़ अलग-अलग रास्ते हैं।”
३ इतने सारे धर्म क्यों हैं, इस बारे में चर्चा को जारी रखने के लिए जब आप लौटते हैं, तब आप यह कह सकते हैं:
◼“जब मैंने आपके साथ पिछली बार बात की थी, तब मैंने यह सवाल उठाया था कि क्या सभी धर्म एक ही जगह जानेवाले सिर्फ़ अलग-अलग रास्ते ही हैं। आप इसके बारे में क्या सोचते हैं? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] जो पुस्तक मैंने आपके पास छोड़ी थी उसमें से मैं आपको बताना चाहूँगा कि इस विषय पर यीशु ने क्या कहा। [ज्ञान पुस्तक के अध्याय ५ की ओर मुड़िए, और अनुच्छेद ६-७ पढ़िए, जिनमें मत्ती ७:२१-२३ भी शामिल है।] आप शायद सोचें कि परमेश्वर की जो इच्छा है उसे ठीक-ठीक जानना इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है। आप पाएँगे कि अगले अनुच्छेद जानकारी से भरे हुए हैं। कृपया इस अध्याय के शेष भाग को पढ़िए। जब मैं अगली बार आऊँगा, तब आपको उपासना के मामलों के बारे में यथार्थ ज्ञान रखने के महत्त्व को दिखाने में मुझे ख़ुशी होगी।”
४ क्योंकि पृथ्वी पर सर्वदा जीने का ख़्याल उन अधिकांश लोगों के लिए भी नया है जो मसीही होने का दावा करते हैं, यह प्रस्तावना उनकी दिलचस्पी को शायद आकर्षित करे:
◼“हम अपने पड़ोसियों से एक सवाल पूछ रहे हैं। अगर आपको इस प्रकार की दुनिया में रहने के लिए आमंत्रित किया जाता, तो क्या आप उस आमंत्रण को स्वीकार करते? [ज्ञान पुस्तक के पृष्ठ ४-५ का चित्र दिखाइए। प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] यह जीवन में सचमुच आपका ख़ुशी का अनुभव बन सकता है। लेकिन आप क्या सोचते हैं, इसे आपके लिए एक हक़ीक़त बनते हुए देखने के लिए आपको क्या करना होगा? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] ग़ौर कीजिए कि यूहन्ना १७:३ के अनुसार किस क़दम की माँग की जाती है। [पढ़िए।] यह पुस्तक अनेक लोगों को यह ख़ास क़िस्म का ज्ञान हासिल करने में मदद दे रही है। क्या आप पढ़ने के लिए एक व्यक्तिगत प्रति रखना चाहेंगे? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] मेरी अगली भेंट में, हम इस बात पर चर्चा कर सकते हैं कि यह विश्वास करना तर्कसंगत क्यों है कि हम इसी पृथ्वी पर अनन्त जीवन पा सकते हैं।”
५ जिनके साथ आपने यूहन्ना १७:३ की चर्चा की उनसे भेंट करने के लिए जब आप लौटते हैं, तो आप शायद इस प्रकार शुरू करें:
◼“अपनी पिछली भेंट में, मैंने आपके लिए यूहन्ना १७:३ में पाए जानेवाले यीशु के मनमोहक शब्द पढ़े, जहाँ उसने हमें आश्वस्त किया कि परमेश्वर का और स्वयं उसका ज्ञान लेने का अर्थ अनन्त जीवन है। लेकिन अनेक लोग विश्वास करते हैं कि एक बेहतर जीवन केवल स्वर्ग में ही पाया जा सकता है। इसके बारे में आपको कैसा लगता है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] यदि वह पुस्तक जो मैंने आपके पास छोड़ी थी, कहीं पास ही रखी है, तो मैं आपको कुछ बाइबल आयतें दिखाना चाहूँगा जो साबित करती हैं कि परादीस को पृथ्वी पर पुनःस्थापित किया जाना है। [ज्ञान पुस्तक के पृष्ठ ९-१० से अनुच्छेद ११-१६ पर चर्चा कीजिए।] अपनी अगली भेंट में, मैं आपको दिखाना चाहूँगा कि क्यों आप इन प्रतिज्ञाओं पर भरोसा रख सकते हैं जो बाइबल में पायी जाती हैं। इस बीच, आप पुस्तक की अपनी प्रति में से अध्याय २ पढ़ सकते हैं।”
६ बाइबल में थोड़ा-बहुत विश्वास करनेवाले व्यक्तियों के साथ एक सीधी प्रस्तुति बाइबल अध्ययन आरम्भ करने में अकसर सफल होती है। यहाँ पर एक सुझायी गयी प्रस्तावना है जो ‘बाइबल चर्चाएँ’ पुस्तिका के पृष्ठ ४ पर है:
◼“मैं आपको एक मुफ़्त गृह बाइबल कोर्स पेश करने के लिए भेंट कर रहा हूँ। अगर अनुमति दें, तो मैं कुछ मिनटों में प्रदर्शित करना चाहूँगा कि कैसे कुछ २०० देशों में पारिवारिक समूहों के तौर पर लोग घर में बाइबल पर चर्चा करते हैं। हम इन विषयों में से किसी एक को चर्चा के आधार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। [ज्ञान पुस्तक से विषय-सूची को दिखाइए।] कौन-सा विषय आपको ख़ास तौर पर दिलचस्प लगता है?” व्यक्ति के चुनने तक रुकिए। जो अध्याय चुना गया है उसकी ओर मुड़िए, और पहले अनुच्छेद से अध्ययन आरम्भ कीजिए।
७ यहाँ पर एक ऐसी सफल सीधी प्रस्तुति है जिसे आप ऐसे लोगों के साथ अध्ययन शुरू करने के लिए आज़मा सकते हैं जो बाइबल से परिचित नहीं हैं:
◼“अनेक लोग विश्वास करते हैं कि बाइबल एक पवित्र पुस्तक है जिसमें काफ़ी बुद्धिमानी की बातें हैं, फिर भी उन्हें उसमें से कुछ भी सीखने का मौक़ा नहीं मिला है। मैं मुफ़्त में बाइबल शिक्षा देता हूँ और अतिरिक्त विद्यार्थियों के लिए मेरे पास समय है। यह बाइबल अध्ययन सहायक है जिसे हम इस्तेमाल करते हैं। [ज्ञान पुस्तक दिखाइए।] यह कोर्स केवल चंद महीनों का है और दिखाता है कि कैसे बाइबल ऐसे सवालों का जवाब देती है जैसे: परमेश्वर दुःख को अनुमति क्यों देता है? हम क्यों बूढ़े होते और मरते हैं? हमारे मृत प्रिय जनों को क्या होता है? क्या मैं आपको वह अध्ययन प्रदर्शित करके दिखाऊँ?” अगर अध्ययन का प्रस्ताव ठुकराया जाता है, तो ज्ञान पुस्तक पेश कीजिए और व्यक्ति को उसे अपने-आप पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कीजिए।
८ परमेश्वर और मसीह का यथार्थ ज्ञान रखनेवाले उस हरेक व्यक्ति के लिए यह एक क्या ही खज़ाना है! इसे लेने का वास्तव में अर्थ है परिपूर्ण स्थितियों में अनन्त जीवन। आइए हम नवम्बर में दूसरों के साथ उस ज्ञान को बाँटने के लिए हर अवसर का इस्तेमाल करें जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है।