प्रश्न बक्स
◼ क्या करना चाहिए जब विपत्ति आती है और इसका असर हमारे भाइयों पर पड़ता है?
अगर विपत्ति आपके इलाके में आ पड़ती है: घबराइए मत। शांत रहिए। जीवन पर ध्यान दीजिए जो वास्तव में महत्त्वपूर्ण है, धन-संपत्ति पर नहीं। अपने परिवार की ज़रूरी भौतिक चीज़ों का इंतज़ाम कीजिए। फिर प्राचीनों को अपनी परिस्थिति और अपने स्थान के बारे में इत्तला कर दीजिए।
राहत सामग्री पहुँचाने में प्राचीन और सहायक सेवक एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। अगर विपत्ति के बारे में पहले ही चेतावनी दी जाती है, जैसा किसी बड़े तूफान के वक्त किया जाता है, तो इन भाइयों को निश्चित करना चाहिए कि सभी सुरक्षित जगह पर पहुँचे और अगर समय अनुमति दे तो ज़रूरी चीज़ों का बंदोबस्त कर उन्हें लोगों में बाँट देना चाहिए।
इसके बाद पुस्तक अध्ययन के संचालक को हर परिवार की खोज-खबर लेनी चाहिए कि वे सही सलामत हैं या नहीं। हरेक परिवार के बारे में प्रिसाइडिंग ओवरसियर या किसी दूसरे प्राचीन को इत्तला कर देनी चाहिए, चाहे वे सभी सही-सलामत ही क्यों न हों। अगर कोई घायल हो गया हो तो प्राचीन चिकित्सीय उपचार के लिए प्रबंध करने की कोशिश करेंगे। वे भौतिक मदद भी देंगे जैसे कि खाना, कपड़ा-लत्ता, आश्रय या फिर घरेलु चीज़ें जिनकी उन्हें ज़रूरत हो। (यूह. १३:३५; गल. ६:१०) स्थानीय प्राचीन कलीसिया को आध्यात्मिक और भावात्मक सहायता देंगे और जितनी जल्दी हो सके कलीसिया सभाओं को शुरू करने का आयोजन करेंगे। पूरी तरह जाँच-पड़ताल कर लेने के बाद प्राचीनों के निकाय की ओर से एक प्राचीन, सर्किट ओवरसियर से संपर्क कर अगर कोई घायल हुआ हो, राज्यगृह या भाइयों के घर को क्षति पहुँची हो या फिर कोई अन्य विशेष ज़रूरत हो तो उसकी जानकारी देगा। सर्किट ओवरसियर फिर शाखा दफ्तर को टेलिफोन कर स्थिति के बारे में सूचित करेगा। अगर बड़े पैमाने पर राहत सामग्री की ज़रूरत है तो शाखा दफ्तर कुछ समायोजन करेगी।
अगर विपत्ति किसी और जगह आ पड़ती है: भाई-बहनों को अपनी प्रार्थनाओं में याद कीजिए। (२ कुरि. १:८-११) अगर आप आर्थिक सहायता देना चाहते हैं तो अपने अंशदान सोसाइटी को भेज सकते हैं। पता है: Watch Tower Society, H-58 Old Khandala Road, Lonavla, MAH 410 401. (प्रेरि. २:४४, ४५; १ कुरि. १६:१-३; २ कुरि. ९:५-७; १ अगस्त १९८६ प्रहरीदुर्ग का पृष्ठ २७-२९ देखिए।) विपत्तिग्रस्त क्षेत्रों में कुछ भी वस्तु या सामग्री मत भेजिए जब तक कि उसके लिए नियुक्त ज़िम्मेदार भाई निवेदन नहीं करता। इससे यह बात निश्चित होगी कि राहत सामग्रियाँ क्रमानुसार पहुँच रही हैं और सही ढंग से बाँटी जा रही हैं। (१ कुरि. १४:४०) कृपया बिना ज़रूरत के सोसाइटी को टेलिफोन मत कीजिए। इससे टेलिफोन की लाइनें व्यस्त हो सकती हैं और विपत्तिग्रस्त क्षेत्रों से आनेवाले फोन में बाधा आ सकती है।
ठीक से जाँच कर लेने के बाद सोसाइटी यह निश्चित करेगी कि राहत कमेटी बनाने की ज़रूरत है या नहीं। ज़िम्मेदार भाइयों को इत्तला कर दी जाएगी। सभी लोगों को अगुवाई करनेवाले प्राचीनों को सहयोग देना चाहिए ताकि भाइयों की असल ज़रूरतों को ठीक से पूरा किया जा सके।—यहोवा के साक्षी—परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक (अंग्रेज़ी) पृष्ठ ३१०-१५ देखिए।