यदि यह कारगर है, तो इस्तेमाल कीजिए!
हमारी राज्य सेवकाई लगातार हमें सेवकाई में इस्तेमाल करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रस्तुतियाँ सुझाती है। इससे हमें राज्य संदेश में रुचि जगाने के लिए नए-नए उपाय मिलते हैं। ऐसा हो सकता है कि आप हर महीने इनमें से एकाध प्रस्तुतियाँ सीखने की कोशिश करते हों। लेकिन, कुछ प्रकाशक शायद पाएँ कि जब तक कि उन्होंने एक प्रस्तुति को कुछेक बार इस्तेमाल किया ही होगा, कि हमारी राज्य सेवकाई का दूसरा अंक नयी प्रस्तुतियों सहित आ जाता है। ज़ाहिर है कि हरेक के लिए पिछली प्रस्तुति में माहिर हो लेने से पहले नयी प्रस्तुति को सीखना मुमकिन नहीं है।
२ जी हाँ, हज़ारों पायनियर व अन्य प्रकाशक हैं जो क्षेत्र सेवा में काफ़ी समय बिताते हैं। इसके अलावा, अनेक कलीसिया हर दूसरे-तीसरे सप्ताह में ही अपने पूरे क्षेत्र में कार्य कर लेती हैं। ऐसे हालात में, प्रकाशक इस बात की बहुत क़दर करते हैं जब संदेश को पेश करने के लिए उनके पास नयी-नयी प्रस्तुतियाँ व तरीक़े हों। इससे उन्हें अपनी कुशलता बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे उनकी सेवकाई और ज़्यादा रोचक व फलदायक बनती है और उठनेवाली चुनौतियों का सामना करने में उन्हें मदद मिलती है।
३ चाहे जो भी परिस्थिति हो, यदि आपने ऐसी प्रस्तुति तैयार की है जो रुचि जगाने में काफ़ी कारगर है, तो फिर उसे बेझिझक इस्तेमाल करना जारी रखिए! जब किसी कारगर प्रस्तुति के नतीजे अच्छे हैं तो उसका इस्तेमाल बंद करना ज़रूरी नहीं है। बस उसे चल रहे महीने के साहित्य भेंट के अनुकूल कर दीजिए। जब आप हमारी राज्य सेवकाई में दिए गए सुझावों पर पुनर्विचार करते हैं, तब ऐसे रोचक मुद्दों की ताक में रहिए जिन्हें आप अपनी प्रस्तुति में शायद शामिल करना पसंद करें।
४ सो जब आप हमारी राज्य सेवकाई का नया अंक पाते हैं, तो याद रखिए कि उसमें दी गयी प्रस्तुतियाँ मात्र सुझाव हैं। यदि आप उन्हें प्रयोग में ला सकते हैं, तो यह बढ़िया होगा। लेकिन यदि आपके पास पहले से ही एक प्रस्तुति है जो आपके क्षेत्र में कारगर है, तो उसका इस्तेमाल कीजिए! अहम बात यह है, उत्तम तरीक़े से “अपनी सेवा को पूरा कर[ना],” और योग्य जनों की तलाश कर उन्हें चेला बनने में मदद देना।—२ तीमु. ४:५.