प्रश्न बक्स
◼ मामले से उस वक्त कैसे निपटना चाहिए जब गृहस्वामी ज़ोर देकर कहे कि यहोवा के साक्षी दोबारा हमारे घर न आएँ?
अगर आप दरवाज़े या गेट पर ऐसी सूचना देखते हैं जो सख्ती से धार्मिक प्रकार के लोगों पर प्रतिबंध लगाती है तो गृहस्वामी की इच्छा का आदर करते हुए दरवाज़ा न खटखटाना ही सबसे अच्छा होगा। विशेषकर तब, जब सूचना बोर्ड पर यहोवा के साक्षियों का उल्लेख हो।
कभी-कभार हमें ऐसे सूचना बोर्ड मिलते हैं जहाँ सेल्समैन या चंदा लेनेवालों पर प्रतिबंध लगा होता है। चूँकि हम परोपकारी धार्मिक काम करते हैं तो यह वास्तव में हम पर लागू नहीं होता। ऐसे दरवाज़ों पर जाकर खटखटाना बिलकुल गलत न होगा। अगर गृहस्वामी एतराज करता है तो हम कुशलतापूर्वक समझा सकते हैं कि क्यों ऐसी सूचनाएँ हमारे मामले में लागू नहीं होतीं। तब, अगर गृहस्वामी यह स्पष्ट कर दे कि इनमें यहोवा के साक्षी भी सम्मिलित हैं, तो हम उसकी इच्छा का आदर करेंगे।
क्षेत्र में काम करते वक्त ऐसा होता है जब गृहस्वामी शायद बड़े गुस्से में दिखे या भड़ककर कहे कि तुम यहाँ दोबारा मत आना। अगर वह मामले पर बात करने से इंकार कर देता है तो हमें उसके निवेदन को मान लेना चाहिए। क्षेत्र के नक्शेवाले कार्ड के पीछे पैंसिल से तारीख के साथ टिप्पणियाँ लिख देनी चाहिए ताकि भविष्य में जब कोई प्रकाशक उस क्षेत्र में काम करे तो वह उस घर में न जाए।
ऐसे घरों को हमेशा के लिए छोड़ नहीं देना चाहिए। हो सकता है कि वह गृहस्वामी अपना घर बदल दे। वहाँ हमारी मुलाकात शायद किसी और परिवार के सदस्य से हो जाए जो अच्छी प्रतिक्रिया दिखाए। ऐसा भी हो सकता है कि गृहस्वामी जिससे हमने पहले बात की थी, उसका मन अब बदल गया हो और अब शायद हमारी बातें सुनने को राज़ी हो जाए। इसलिए कुछ समय के बाद घरवाले की वर्तमान मनोवृत्ति जानने के लिए कुशलतापूर्वक पूछताछ करनी चाहिए।
क्षेत्र की फाइल को साल में एक बार फिर से देखकर उन घरों की सूची तैयार कर लेनी चाहिए जहाँ दोबारा जाने के लिए मना किया गया था। सेवा ओवरसियर के निर्देशानुसार कुछ व्यवहारकुशल, अनुभवी प्रकाशकों को ऐसे घरों में जाने के लिए नियुक्त किया जा सकता है। वहाँ यूँ समझाया जा सकता है कि हम यह जानने के लिए आए हैं कि यहाँ कोई नए लोग तो रहने के लिए नहीं आ गए। रीज़निंग पुस्तक के पृष्ठ १५-२४ पर दिए शिर्षक “कैसे आप बातचीत रोकनेवाली बाधाओं को पार कर सकते हैं” के तहत दिए विषयों से, इन प्रकाशकों को अच्छी तरह अवगत होना चाहिए। अगर प्रतिक्रिया अच्छी नज़र आती है तो भविष्य में इसी तरह भेंट की जा सकती है। अगर गृहस्वामी अभी भी विरोध करता है तो अगले साल तक उससे भेंट नहीं करनी चाहिए। किसी मामले में अगर परिस्थिति को अन्य तरीके से सुलझाना ज़्यादा बेहतर होगा तो इसका फैसला प्राचीनों का निकाय कर सकता है।