क्या आप त्याग करते हैं?
यीशु मसीही ने निस्वार्थ रूप से मानवजाति के लिए बहुत कुछ किया है। इसकी कदर करते हुए हमें भी अपनी काबिलियत और ताकत निस्वार्थ रूप से इस्तेमाल करनी चाहिए। बाइबल हमसे कहती है: “अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।” (रोमि. 12:1) इसलिए हमें समय-समय पर खुद को जाँचते रहना चाहिए ताकि हम यह देख सकें कि क्या हम अपने हालात के मुताबिक पूरा त्याग करते हैं या नहीं।
2 बाइबल का ज्ञान लेने में: क्या आप हर दिन बाइबल पढ़ने और उसका अध्ययन करने के लिए समय निकालते हैं? क्या आप महीने-दर-महीने, साल-दर-साल ऐसा करते रहते हैं? क्या आप सभाओं में हमेशा तैयारी करके जाते हैं? अगर आप परिवार के मुखिया हैं तो क्या आप पूरे परिवार के साथ नियमित रूप से फैमली स्ट्डी करते हैं? यह सब करने के लिए शायद आपको काफी त्याग करने पड़ें, आपका जो समय टी.वी., कंप्यूटर या दूसरी बातों में लगता है उसमें शायद कमी करनी पड़े। भाइयों और बहनों ज़रा ध्यान से सोचिए, ये त्याग उन आशिषों के मुकाबले कितने छोटे हैं जो हमें परमेश्वर के वचन को पढ़ने से मिलती हैं। जी हाँ, बाइबल के ज्ञान से हमें हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है।—यूह. 17:3.
3 अपने बच्चों को सिखाने में: बचपन में त्याग का गुण बहुत अच्छी तरह सीखा जा सकता है। बच्चों को बचपन से ही सिखाइए कि जैसे खेलने का एक समय होता है वैसे ही पढ़ाई-लिखाई और दूसरे काम करने का भी समय होता है और परमेश्वर की सेवा का भी समय होता है। (इफि. 6:4) बच्चों को ऐसा कोई घरेलू काम करने के लिए दीजिए जिससे वे कुछ सीख सकें। और एक ऐसा शेड्यूल बनाइए जिसके मुताबिक आप नियमित रूप से उनके साथ प्रचार करने जा सकें। आप जो कुछ उन्हें सिखाते हैं वह तब बहुत असरदार होगा जब आप उनके सामने अच्छा उदाहरण रखेंगे।
4 कलीसिया के काम करने में: जब सब लोग कलीसिया में दूसरों की भलाई के लिए खुशी-खुशी त्याग करते हैं तो कलीसिया में प्यार फलता-फूलता है। (इब्रा. 13:16) क्या आप राज्य संदेश सुनाने और चेला बनाने के काम में ज़्यादा समय लगा सकते हैं? क्या आप बीमारों और बुज़ुर्गों की मदद कर सकते हैं, आप शायद उन्हें अपने साथ मीटिंग ला सकते हैं?
5 अपनी जान कुरबान करके यीशु ने सबसे बड़ा त्याग किया। इससे पहले उसने अपने चेलों को सिखाया कि वे सबसे पहले परमेश्वर के राज्य की खोज करें, और ज़िंदगी की बाकी सब चीज़ों को दूसरा स्थान दें। (मत्ती 6:33) सचमुच, त्याग करते रहने से हमें बेहद खुशी मिलेगी और हम हमेशा यहोवा की सेवा करते रहेंगे।