“परमेश्वर के वचन के सिखानेवाले” ज़िला अधिवेशन से सीखी बातों पर क्या आप अमल कर रहे हैं?
पिछले ज़िला अधिवेशन में हाज़िर होनेवाला हर कोई, यहोवा के लोगों के इस अटल इरादे को देख सकता था कि परमेश्वर के वचन के सिखानेवालों की हैसियत से वे अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करना चाहते हैं। (मत्ती 28:19, 20) अधिवेशन से घर लौटने पर, आपने सीखी हुई बातों में से किन खास मुद्दों को अपनी ज़िंदगी और प्रचार काम में अमल करने का पक्का इरादा किया?
2 परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया पवित्रशास्त्र, सिखाने के लिए लाभदायक है: पहले दिन का विषय 2 तीमुथियुस 3:16 से था। मूल-विचार भाषण में समझाया गया कि “परमेश्वर के वचन के सिखानेवालों के तौर पर पूरी तरह योग्य” होने के लिए, हमारे मन में परमेश्वर के वचन के लिए गहरी इज़्ज़त होनी चाहिए, इंसानों की किसी धारणा या परंपरा से बढ़कर हमें बाइबल का आदर करना चाहिए और लगातार इसका इस्तेमाल करना चाहिए। प्रचार में मदद के लिए हमें हर रोज़ पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और इसका सबसे पहला फल, प्रेम बढ़ाने के लिए मेहनत भी करनी चाहिए। और जब पृथ्वी पर यहोवा का संगठन हमें कलीसिया की हर सभा के ज़रिए सेवकाई के लिए शिक्षा देता है तो हमें उसका भी लाभ उठाना चाहिए।
3 पहले दिन की परिचर्चा थी, “दूसरों को सिखाते वक्त खुद को भी सिखाना।” इसमें समझाया गया कि हमें इन क्षेत्रों में अच्छी मिसाल कायम करने की ज़रूरत है: (1) मसीही आदर्शों के हर पहलू में परमेश्वर के नियमों का पालन करें, (2) अध्ययन की अच्छी आदत डालें, (3) और हमारे जिस रवैए और दिलो-दिमाग की दशा या कमज़ोरी का इब्लीस फायदा उठा सकता है, उसे दूर करें। उसके बाद हमने सीखा कि किन कारगर तरीकों से हम अपने परिवार को पोर्नोग्राफी जैसी अश्लीलता की दुनियावी बीमारी से बचाए रख सकते हैं। माता-पिताओं को उकसाया गया कि वे किसी लैंगिक दृश्य पर सिर्फ एक नज़र भी डालने से दूर रहें और इस तरह अपने बच्चों के लिए एक अच्छी मिसाल रखें। यह भी बताया गया कि उन्हें बच्चों पर निगरानी रखनी चाहिए कि वे इंटरनॆट और टीवी पर क्या देखते हैं। शुक्रवार के कार्यक्रम की कौन-सी बातों पर आपने अमल करना शुरू कर दिया है?
4 इस दिन के आखिरी भाषण से हमारा यह संकल्प और भी मज़बूत हुआ कि यहोवा से मिली सच्चाई की रोशनी की हम कदर करें, परमेश्वर के वफादार अभिषिक्त वर्ग का साथ देते रहें और यहोवा के लोगों की शांति बढ़ाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करें। क्या आपने नयी किताब यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला II पढ़ी है?
5 दूसरों को सिखाने के लिए अच्छी तरह योग्य: दूसरे दिन का विषय था, 2 तीमुथियुस 2:2. जब आपने सुबह की परिचर्चा सुनी, तो क्या आपने इन बातों पर ध्यान दिया कि हम कैसे (1) योग्य लोगों को ढूँढ़ें, (2) जोताई करके उनकी दिलचस्पी बढ़ाएँ और (3) उन्हें वो सब बातें मानना सिखाएँ जिनकी मसीह ने आज्ञा दी है? आपने जो सीखा, क्या आप उस पर अमल कर रहे हैं? जैसे कि क्या आप घर-घर जाकर लोगों को शास्त्र से कम-से-कम एक खास बात बताते हैं? क्या आप भविष्य में उनसे दोबारा मिलने की नींव डालते हैं?
6 दोपहर के कार्यक्रम में, हमारे महान शिक्षक, यीशु की मिसाल पर चलने की अहमियत पर ज़ोर दिया गया। आप किन तरीकों से उसके जैसे होने की कोशिश कर रहे हैं? उस दिन की दूसरी परिचर्चा से आपने जो सीखा उससे, आप “परमेश्वर की शिक्षा से पूरा-पूरा लाभ” कैसे पा सकते हैं? निजी अध्ययन और कलीसिया की सभाओं के दौरान, ध्यान देने की क्षमता को बढ़ाने के लिए आपने कौन-से सुझाव लागू किए हैं?
7 बेशक, बॆनिफिट फ्रॉम थियोक्रैटिक मिनिस्ट्री स्कूल एजुकेशन का आनेवाला इंतज़ाम, परमेश्वर के वचन के वक्ताओं और सिखानेवालों की हैसियत से अपनी काबिलीयत बढ़ाने में हमारी मदद करेगा। भाषण के ऐसे गुणों पर ज़्यादा ध्यान दिया जाएगा जो बाइबल के ज़माने में परमेश्वर के वफादार सेवकों में थे। इस नयी किताब के हर पाठ में ऐसे बक्स हैं, जिनमें संक्षिप्त में बताया है कि एक गुण पैदा करने के लिए आपको क्या करना चाहिए, यह क्यों ज़रूरी है और यह आप कैसे कर सकते हैं। इसमें विद्यार्थियों को हर मुद्दे पर सुधार करने के लिए काम भी दिया गया है। बहनों के लिए 29 अलग-अलग दृश्य-योजनाएँ या सॆटिंग दी गयी हैं जिनमें से किसी एक को चुनकर वे अपना भाषण पेश कर सकती हैं। कुछ समय बाद, भाषण में बताए अनुसार स्कूल के इंतज़ाम में काफी बदलाव किए जाएँगे। हर हफ्ते ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल से पूरा-पूरा लाभ पाने के लिए क्या आपने अध्ययन और तैयारी करने का अच्छा कार्यक्रम बनाया है?
8 समय के विचार से शिक्षक बनिए: आखिरी दिन का विषय इब्रानियों 5:12 से था जिससे, दिन-भर के कार्यक्रम के लिए श्रोताओं की उत्सुकता जगायी गयी। “मलाकी की भविष्यवाणी हमें यहोवा के दिन के लिए तैयार करती है,” सुबह की परिचर्चा थी। इसमें हमें उकसाया गया कि हम परमेश्वर को अपना सर्वोत्तम दें और हर किस्म के विश्वासघात से घृणा करें ताकि यहोवा के बड़े और भयानक दिन में बच पाएँ। “यहोवा के अधिकार का आदर कीजिए,” इस ड्रामा ने बड़े ज़बरदस्त तरीके से दिखाया कि प्राचीनकाल के कोरह और उसके साथियों ने घमंड, ऊँची पदवी पाने के जुनून, जलन और यहोवा से बढ़कर इंसानों के साथ वफादारी निभाने की वजह से यहोवा के खिलाफ खुल्लम-खुल्ला विद्रोह किया। इस ड्रामे के बाद के भाषण ने ध्यान दिलाया कि आज हमें भी परिवार और कलीसिया में परमेश्वर के ठहराए हुए अधिकार के अधीन रहने की ज़रूरत है। जन भाषण, “आज कौन सभी जातियों को सच्चाई सिखा रहे हैं?” में यह सबूत दिया गया कि यहोवा के साक्षी आज ऐसा कर रहे हैं, जबकि ईसाईजगत बाइबल की सच्चाई सिखाने का सिर्फ दावा करता है।
9 तो ज़ाहिर है, यहोवा हमें सिखा रहा है कि कैसे हम उसके वचन के सिखानेवाले बनने में और तरक्की कर सकते हैं। आइए हमने जो सीखा है उस पर अमल करें, और ‘अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रखें। जिससे हम अपने, और अपने सुननेवालों के लिये भी उद्धार का कारण होंगे।’—1 तीमु. 4:15ख, 16.