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हमारी राज-सेवा—2003
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‘इसके लिए जगह बनाए’

एक मौके पर जब यीशु अपने चेलों से शादी के विषय पर बात कर रहा था तब उसने कुँवारेपन को “वरदान” (नयी हिन्दी बाइबिल) कहा। फिर उसने कहा: “जो इसके लिए जगह बना सकता है, वह जगह बनाए।” (NW) (मत्ती 19:10-12) कुछ साल बाद प्रेरित पौलुस ने अविवाहित रहने के फायदों के बारे में बताया और दूसरों को अविवाहित रहने के अपने उदाहरण पर चलने के लिए उकसाया। (1 कुरि. 7:7, 38) आज बहुत-से लोगों ने कुँवारा रहने के लिए ‘जगह बनायी’ है, और इसके फायदों का आनंद ले रहे हैं। कुछ फायदे क्या हैं?

2 “एक चित्त होकर” सेवा करना: पौलुस ने इस बात को समझा कि अविवाहित रहने से वह यहोवा की सेवा “एक चित्त होकर” कर सकता है। उसी तरह, आज एक अविवाहित भाई मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल के लिए अपने आपको योग्य बना सकता है, और आम तौर पर एक अविवाहित इंसान पायनियर बनने, दूसरी भाषा सीखने, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है वहाँ जाकर सेवा करने, बेथेल में सेवा करने और दूसरे तरीकों से खास सेवा करने के लिए ज़्यादा समय दे सकता है। उसके पास गूढ़ विषयों पर निजी अध्ययन करने और मनन करने, साथ ही प्रार्थना में यहोवा से अपने दिल की बात कहने के लिए ज़्यादा समय और मौके होंगे। एक अविवाहित इंसान अकसर दूसरों की मदद करने के लिए ज़्यादा वक्‍त दे पाता है। ये सारे काम एक इंसान के अपने “लाभ के लिये” हैं।—1 कुरि. 7:32-35; प्रेरि. 20:35.

3 बिना अड़चन के इस तरह सेवा करने से परमेश्‍वर की तरफ से भरपूर आशीषें मिलती हैं। केन्या में 27 साल रहने के बाद एक कुँवारी बहन ने लिखा: “वहाँ मेरे बहुत-से दोस्त थे और करने के लिए मेरे पास काफी काम था! हम एक साथ काम करते थे [और] एक-दूसरे से मिलने उनके घर जाते थे। . . . अविवाहित रहने की वजह से मुझ पर कोई बंधन नहीं था और मैं कहीं भी जा सकती थी। इस आज़ादी का इस्तेमाल मैंने सेवा में व्यस्त रहने के लिए किया, जिससे मुझे बड़ी खुशी मिली है।” वह आगे कहती है: “इन सालों में यहोवा के साथ मेरा रिश्‍ता और भी गहरा हुआ है।”

4 इस वरदान का सही-सही इस्तेमाल करना: यीशु ने कहा कि कुँवारेपन के इस वरदान को “स्वर्ग के राज्य के लिये” बनाए रखना चाहिए। (मत्ती 19:12) किसी भी वरदान की तरह कुँवारेपन के वरदान को भी सही तरह से इस्तेमाल किया जाना चाहिए ताकि इससे खुशी और फायदे मिलें। कुँवारेपन से मिलनेवाले मौकों का सही इस्तेमाल करने के साथ-साथ ताकत और बुद्धि के लिए यहोवा पर निर्भर रहने के ज़रिए बहुत-से लोग कुँवारेपन की अहमियत समझ पाए हैं।

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