परमेश्वर का नाम सबको बताना
1. परमेश्वर का नाम जानने से लोगों पर क्या असर पड़ सकता है?
जब आपने पहली बार परमेश्वर का नाम जाना तो आपको कैसा लगा? एक स्त्री इसके बारे में इस तरह बताती है: “जब मैंने बाइबल में पहली बार परमेश्वर का नाम देखा तो मेरी आँखों से आँसू छलक पड़े। मैं बहुत खुश हुई कि अब मैं उसका नाम लेकर उससे प्रार्थना कर सकती हूँ और उसके करीब आ सकती हूँ।” ज़्यादातर लोगों पर ऐसा ही असर होता है। उस स्त्री के लिए परमेश्वर का नाम जानना एक अहम बात थी क्योंकि उसके बाद ही वह समझ पायी कि यहोवा एक वास्तविक व्यक्ति है इसलिए वह उसके साथ एक रिश्ता कायम कर पायी।
2. दूसरों को यहोवा का नाम बताना क्यों बेहद ज़रूरी है?
2 क्यों सबको बताना है? परमेश्वर का नाम जानने में उसके गुणों, उद्देश्यों और कामों के बारे में जानना शामिल है। परमेश्वर का नाम जानने पर ही हमें उद्धार मिलेगा। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “जो कोई प्रभु [यहोवा] का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” लेकिन पौलुस ने तर्क किया कि “वे उसका नाम कैसे पुकारेंगे” (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) जब तक कि वे यहोवा के बारे में जानकर उस पर विश्वास न करें? इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि मसीही, परमेश्वर का नाम दूसरों को बताएँ और समझाएँ कि इस नाम को जानने में क्या-क्या शामिल है। (रोमि. 10:13, 14) लेकिन, इससे भी बड़ा कारण है कि क्यों हमें परमेश्वर का नाम सबको बताना है।
3. हमारे प्रचार करने का सबसे ज़रूरी कारण क्या है?
3 सन् 1920 के दशक में, परमेश्वर के लोगों को शास्त्र से यह समझ मिली कि पूरे विश्व के सामने एक मुद्दा खड़ा हुआ है। यह मुद्दा परमेश्वर की हुकूमत को बुलंद करने और उसके नाम को पवित्र करने के बारे में है। इससे पहले कि यहोवा अपने नाम पर से कलंक हटाने के लिए दुष्टों का नाश करे, उसके बारे में सच्चाई “सारी पृथ्वी पर प्रगट” करनी है। (यशा. 12:4, 5; यहे. 38:23) इसलिए प्रचार करने का हमारा सबसे ज़रूरी कारण है, सबके सामने यहोवा के नाम की स्तुति करना और पूरी मानवजाति के सामने उसके नाम को पवित्र करना। (इब्रा. 13:15) परमेश्वर और पड़ोसी के लिए प्यार, हमें परमेश्वर के दिए इस काम में पूरी तरह हिस्सा लेने के लिए उकसाएगा।
4. यहोवा के साक्षियों की पहचान, परमेश्वर के नाम से कैसे होने लगी?
4 ‘अपने नाम के लिये लोग’: सन् 1931 में हमने, यहोवा के साक्षी नाम अपनाया। (यशा. 43:10) उसके बाद से परमेश्वर के लोगों ने उसका नाम इतनी दूर-दूर तक फैलाया कि प्रोक्लेमर्स किताब का पेज 124 कहता है: “दुनिया भर में, जो भी बेझिझक यहोवा के नाम का इस्तेमाल करता है उसे फौरन पहचान लिया जाता है कि वह एक यहोवा का साक्षी होगा।” क्या आप इस तरह जाने जाते हैं? यहोवा की भलाई का आभार मानते हुए हमें उसके नाम को “सर्वदा धन्य” कहना चाहिए, हर मुनासिब मौके पर उसके बारे में बात करनी चाहिए।—भज. 20:7; 145:1, 2, 7.
5. परमेश्वर के नाम से पहचाने जाने में हमारा चालचलन क्यों मायने रखता है?
5 ‘परमेश्वर के नाम के लिये लोग’ होने के नाते, हमें उसके स्तरों का पालन करना चाहिए। (प्रेरि. 15:14; 2 तीमु. 2:19) अकसर यहोवा के साक्षियों के बारे में जो पहली बात गौर की जाती है वह है, उनका चालचलन। (1 पत. 2:12) हम कभी-भी परमेश्वर के सिद्धांतों की खिल्ली उड़ाकर या उसकी उपासना को दूसरे स्थान पर रखकर, उसके नाम को अपवित्र नहीं करेंगे। (लैव्य. 22:31, 32; मला. 1:6-8, 12-14) इसके बजाय, हमारे जीने के तरीके से हम ज़ाहिर करना चाहेंगे कि परमेश्वर के नाम से पहचाने जाने पर हम गर्व महसूस करते हैं।
6. हम आज और आनेवाले समय में किस सुअवसर का आनंद उठा सकते हैं?
6 यहोवा ने पूरे यकीन के साथ यह बताया: “उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति जाति में मेरा नाम महान होगा।” (मला. 1:11, NHT) और आज हम यहोवा की इस बात को पूरा होते देख रहे हैं। आइए हम परमेश्वर के नाम के बारे में लोगों को सच्चाई बताते रहें और “उसके पवित्र नाम को सदा सर्वदा धन्य कहते रहें।”—भज. 145:21.