यहोवा के साथ करीबी रिश्ता कायम करना
1. अपने आध्यात्मिक कामों के बारे में एक बहन को क्या एहसास हुआ?
एक मसीही बहन कबूल करती है: “मैं लगभग पिछले 20 साल तक सिर्फ नाम के लिए सच्चाई में थी, क्योंकि मैं सभाओं में जाती थी और प्रचार भी किया करती थी।” वह आगे कहती है: “लेकिन अब मैं इस नतीजे पर पहुँची हूँ कि हालाँकि सभाएँ और प्रचार ज़रूरी हैं, लेकिन मुश्किलों के दौर में सिर्फ इन्हीं के बल पर मैं टिक नहीं सकती। . . . मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपनी सोच बदलनी होगी और मन लगाकर अध्ययन करना होगा ताकि मैं यहोवा को सचमुच जान सकूँ और उसे प्रेम कर सकूँ, साथ ही उसके बेटे ने हमें जो दिया है उसकी कदर कर सकूँ।”
2. यहोवा के साथ करीबी रिश्ता कायम करना क्यों ज़रूरी है?
2 यहोवा के साथ करीबी रिश्ता कायम करने में मेहनत लगती है। इसमें हर दिन मसीही काम करने से भी ज़्यादा शामिल है। अगर हम रोज़ाना यहोवा से बात न करें, तो एक वक्त ऐसा आएगा जब वह हमारे लिए उस दोस्त की तरह बन जाएगा, जिसके कभी हम बहुत करीब थे मगर अब उससे हमारा कोई नाता नहीं रहा। (प्रका. 2:4) आइए देखें कि निजी बाइबल अध्ययन और प्रार्थना से हमें यहोवा के साथ करीबी रिश्ता कायम करने में कैसे मदद मिल सकती है।—भज. 25:14.
3. परमेश्वर के करीब के आने के लिए हमें अपना निजी अध्ययन किस तरीके से करना चाहिए?
3 प्रार्थना और मनन करना बेहद ज़रूरी है: निजी अध्ययन से हमारा हृदय आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत होता है, उसमें सिर्फ पैराग्राफ पढ़कर खास बातों के नीचे लकीर खींचना ही नहीं बल्कि आयतों के हवाले पढ़ना भी शामिल है। इसका मतलब है उस जानकारी पर मनन करना कि इससे यहोवा के मार्गों, स्तरों और उसकी शख्सियत के बारे में क्या पता लगता है। (निर्ग. 33:13) आध्यात्मिक बातों को समझने का असर हमारी भावनाओं पर होता है जिससे हमें अपनी ज़िंदगी को जाँचने का बढ़ावा मिलता है। (भज. 119:35, 111) निजी अध्ययन, यहोवा के करीब आने के मकसद से करना चाहिए। (याकू. 4:8) मन लगाकर बाइबल का गहरा अध्ययन करने के लिए समय के साथ-साथ सही माहौल का होना भी ज़रूरी है और बिना नागा अध्ययन करने के लिए खुद से सख्ती बरतना ज़रूरी होता है। (दानि. 6:10) अगर आप बहुत व्यस्त रहते हैं क्या तब भी आप यहोवा के शानदार गुणों पर हर दिन मनन करने के लिए समय निकालते हैं?—भजन 119:147, 148; 143:5.
4. निजी अध्ययन करने से पहले प्रार्थना कैसे परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता कायम करने में मदद करती है?
4 निजी अध्ययन से सही मायनों में फायदा पाने के लिए, दिल की गहराइयों से प्रार्थना करना बेहद ज़रूरी है। अगर हम चाहते हैं कि बाइबल की सच्चाई हमारी भावनाओं को जगाए और हमें ऐसी प्रेरणा दे कि हम ‘परमेश्वर की ऐसी आराधना करें जिस से वह प्रसन्न हो,’ तो इसके लिए हमें परमेश्वर की पवित्र आत्मा की ज़रूरत होगी। (इब्रा. 12:28) इसलिए हर बार जब हम अध्ययन करने बैठते हैं, तो हमें गिड़गिड़ाकर यहोवा से उसकी आत्मा माँगनी चाहिए। (मत्ती 5:3) जब हम बाइबल की आयतों पर मनन करेंगे और यहोवा के संगठन ने अध्ययन के लिए जिन किताबों-पत्रिकाओं का इंतज़ाम किया है उन्हें इस्तेमाल करेंगे, तो हम यहोवा के सामने अपना हृदय खोल रहे होंगे। (भज. 62:8) इस तरह अध्ययन करना हमारी उपासना का एक तरीका है जिससे हम यहोवा को अपनी भक्ति दिखाते हैं और उसके साथ अपना रिश्ता मज़बूत करते हैं।—यहू. 20, 21.
5. हर रोज़ परमेश्वर के वचन पर मनन करना हमारे लिए क्यों ज़रूरी है?
5 जैसा कि सभी रिश्तों में होता है, यहोवा के साथ भी अपने रिश्ते की हिफाज़त करनी चाहिए ताकि वह और ज़्यादा मज़बूत होता रहे। इसलिए आइए हम हर दिन परमेश्वर के करीब आने के लिए समय मोल लें, यह जानते हुए कि वह भी हमारे करीब आएगा।—भज. 1:2, 3; इफि. 5:15, 16.