कलीसिया पुस्तक अध्ययन —हमें क्यों इसकी ज़रूरत है
सन् 1895 में, बाइबल विद्यार्थियों के अध्ययन समूहों को ‘बाइबल अध्ययन के डॉन सर्कल्स’ नाम दिया गया। उन दिनों यहोवा के साक्षी, बाइबल विद्यार्थी के नाम से जाने जाते थे। अध्ययन के लिए मिलेनियल डॉन किताब के भाग इस्तेमाल किए जाते थे। आगे चलकर ये समूह ‘बाइबल अध्ययन के बिरीयाई मंडल’ कहलाए। (प्रेरि. 17:11) चंद लोगों से बने ये समूह अपनी सहूलियत के हिसाब से, हफ्ते की एक शाम किसी के घर पर इकट्ठे होते थे। इसी तरह कलीसिया पुस्तक अध्ययन के इंतज़ाम की शुरूआत हुई।
2 हौसला-अफज़ाई और मदद: पुस्तक अध्ययन समूह जानबूझकर छोटे रखे जाते हैं, इसलिए हाज़िर सभी लोगों को अपने विश्वास का बयान करने के कई मौके मिलते हैं। इस तरह हम “एक दूसरे के विश्वास से प्रोत्साहित” किए जाते हैं।—रोमि. 1:12, NHT.
3 पुस्तक अध्ययन ओवरसियर के सिखाने के तरीके पर गौर करने से हमें ‘सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाने’ में मदद मिलेगी। (2 तीमु. 2:15) गौर कीजिए कि कैसे वह इस बात की तरफ ध्यान खींचता है कि किताब में दी गयी जानकारी, बाइबल पर आधारित है। अध्ययन की किताब को ध्यान में रखते हुए, शायद वह अध्ययन के आखिर में सिर्फ बाइबल का इस्तेमाल करके खास मुद्दों को दोहराए। उसकी अच्छी मिसाल, हमें सिखाने की अपनी कला को निखारने में मदद कर सकती है।—1 कुरि. 11:1.
4 हफ्तेवार अध्ययन चलाने के अलावा, पुस्तक अध्ययन ओवरसियर प्रचार में भी अगुवाई करता है। सर्विस ओवरसियर के साथ मिलकर वह प्रचार के लिए मुनासिब इंतज़ाम करता है। खुशखबरी सुनाने और चेला बनाने की मसीही ज़िम्मेदारी पूरी करने में वह समूह के सभी लोगों की मदद करता है।—मत्ती 28:19, 20; 1 कुरि. 9:16.
5 पुस्तक अध्ययन ओवरसियर, समूह के हर सदस्य की आध्यात्मिकता में दिलचस्पी लेता है। अपनी यह दिलचस्पी वह कलीसिया की सभाओं में और उनके साथ प्रचार करते वक्त दिखाता है। साथ ही, जब वह उनके घर पर उनसे भेंट करके आध्यात्मिक बातों में उनका उत्साह बढ़ाता है, तब भी उनमें दिलचस्पी दिखाता है। जब भी किसी को आध्यात्मिक मदद की ज़रूरत महसूस होती है, तो उसे बेझिझक पुस्तक अध्ययन ओवरसियर के पास जाना चाहिए।—यशा. 32:1, 2.
6 एक-दूसरे को मज़बूत करें: जिन देशों में परमेश्वर के लोगों के काम पर पाबंदी लगी है, वहाँ के भाई अकसर छोटे-छोटे समूहों में मिलते हैं। एक भाई बीते समय को याद करते हुए कहता है: “हमारे मसीही कामों पर रोक लगा दी गयी थी, फिर भी जब-जब मुमकिन होता हम हफ्तेवार सभाओं के लिए 10-15 लोगों से बने छोटे-छोटे समूहों में इकट्ठे होते थे। इन सभाओं में होनेवाले बाइबल अध्ययन से, साथ ही अध्ययन के बाद एक-दूसरे की संगति से हम आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होते थे। हम एक-दूसरे को अपने अनुभव बताते थे, और इससे हमें यह समझने में मदद मिलती थी कि हम सभी एक जैसा संघर्ष कर रहे हैं।” (1 पत. 5:9) आइए हम भी कलीसिया पुस्तक अध्ययन के इंतज़ाम को पूरा-पूरा सहयोग देकर एक-दूसरे को मज़बूत करें।—इफि. 4:16.
[अध्ययन के लिए सवाल]
1. कलीसिया पुस्तक अध्ययन का इंतज़ाम कैसे शुरू हुआ?
2. पुस्तक अध्ययन में हम कैसे ‘एक दूसरे को प्रोत्साहित’ कर सकते हैं?
3, 4. पुस्तक अध्ययन का इंतज़ाम, अपनी सेवा पूरी करने में कैसे हमारी मदद करता है?
5. पुस्तक अध्ययन के ज़रिए हरेक के लिए कैसी मदद हाज़िर है?
6. (क) कुछ देशों में हमारे भाई, छोटे-छोटे समूहों में सभाएँ रखने की वजह से कैसे मज़बूत हुए हैं? (ख) पुस्तक अध्ययन के इंतज़ाम से आपको क्या फायदा हुआ है?