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  • हमें परमेश्‍वर के राज की ज़रूरत क्यों है?

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  • हमें परमेश्‍वर के राज की ज़रूरत क्यों है?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2020
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2020
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आदम और हव्वा अदन के बाग में हैं और वे एक झरने को देख रहे हैं।

परमेश्‍वर के शासन के अधीन उसकी सारी सृष्टि में एकता और शांति थी

हमें परमेश्‍वर के राज की ज़रूरत क्यों है?

जब पहले इंसानी जोड़े आदम और हव्वा को बनाया गया था, तब हमारा सृष्टिकर्ता, जिसका नाम यहोवा है, सारे जहान में अकेला राजा था। यहोवा ने उन पर प्यार से शासन किया। उसने उनके रहने के लिए एक सुंदर जगह दी यानी अदन का बगीचा दिया। यहोवा ने उन्हें खाने-पीने की कोई कमी नहीं होने दी और उन्हें बढ़िया काम दिया। (उत्पत्ति 1:28, 29; 2:8, 15) अगर आदम और हव्वा परमेश्‍वर के बढ़िया शासन के अधीन रहते, तो सभी लोग सुख-चैन से रहते।

आदम के हाथ में मना किया गया फल है, जो उसे हव्वा ने दिया था।

पहले इंसान ने परमेश्‍वर को अपना राजा मानने से इनकार कर दिया

बाइबल बताती है कि एक स्वर्गदूत ने परमेश्‍वर से बगावत की और वह शैतान बन गया। उसने यह सवाल खड़ा किया कि क्या परमेश्‍वर को हुकूमत करने का हक है। उसके कहने का मतलब था कि इंसान परमेश्‍वर की हुकूमत के बगैर ज़्यादा खुश रह सकता है। दुख की बात है कि आदम और हव्वा ने शैतान की तरह परमेश्‍वर से बगावत की।​—उत्पत्ति 3:1-6; प्रकाशितवाक्य 12:9.

आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर को अपना राजा मानने से इनकार कर दिया, इसलिए उन्होंने अपना खूबसूरत घर गँवा दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने हमेशा तक जीने की आशा भी खो दी। (उत्पत्ति 3:17-19) उनके फैसले का बुरा अंजाम उनकी आनेवाली संतानों को भी भुगतना पड़ा। बाइबल बताती है कि आदम की वजह से “पाप दुनिया में आया और पाप से मौत आयी।” (रोमियों 5:12) पाप का एक और भयानक अंजाम हुआ है: “इंसान, इंसान पर हुक्म चलाकर सिर्फ तकलीफें लाया है।” (सभोपदेशक 8:9) दूसरे शब्दों में कहें तो जब इंसान, इंसान पर शासन करता है, तो अंजाम हमेशा बुरा ही होता है।

इंसानी हुकूमत की शुरूआत

घमंडी निमरोद खड़ा है और पीछे की तरफ लोग मीनार बना रहे हैं।

निमरोद ने यहोवा के खिलाफ काम किया

बाइबल बताती है कि इंसानों में सबसे पहला शासक निमरोद था। वह यहोवा की हुकूमत नहीं मानता था। निमरोद के दिनों से ताकतवर इंसान अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करते आए हैं। करीब 3,000 साल पहले राजा सुलैमान ने कहा, “मैंने क्या देखा, ज़ुल्म सहनेवाले आँसू बहा रहे हैं और उन्हें दिलासा देनेवाला कोई नहीं। ज़ुल्म करनेवाले ताकतवर हैं।”​—सभोपदेशक 4:1.

आज भी दुनिया का हाल कुछ ऐसा ही है। सन्‌ 2009 में संयुक्‍त राष्ट्र की एक पत्रिका में बताया गया था कि दिन-ब-दिन यह साफ होता जा रहा है कि “दुनिया की ज़्यादातर समस्याओं के लिए नाकाम सरकारें ज़िम्मेदार हैं।”

कदम उठाने का वक्‍त आ गया है!

दुनिया को एक बेहतर सरकार और अच्छे शासक की ज़रूरत है। हमारा सृष्टिकर्ता ऐसी ही सरकार लाने का वादा करता है।

तसवीरें: इंसान के शासन के अंजाम। 1. एक औरत गंदे सड़क पर बैठी है और वह अपने रोते हुए बच्चे को पकड़ी हुई है। 2. एक बीमार बुज़ुर्ग आदमी, अस्पताल के बिस्तर पर लेटा है। 3. सैनिक युद्ध के मैदान में अपनी बंदूक चला रहे हैं। 4. आंदोलन करनेवाले लोग गुस्से में नारे लगा रहे हैं। 5. एक औरत और उसकी बेटी अपने घर के बाहर खड़े हैं। उनके घर के दरवाज़े का शीशा टूटा हुआ है। 6. एक प्रदूषित शहर में बड़ी-बड़ी चिमनियाँ और बिजली की तारें हैं।

इंसान की सबसे अच्छी सरकारें भी दुनिया की बड़ी-बड़ी समस्याएँ सुलझा नहीं पायी हैं

परमेश्‍वर ने अपना एक राज या सरकार कायम की है और इसी सरकार के ज़रिए वह इंसान की सभी सरकारों का नामो-निशान मिटा देगा। इसके बाद “सिर्फ [परमेश्‍वर का राज] हमेशा तक कायम रहेगा।” (दानियेल 2:44) लाखों लोग इसी राज के लिए प्रार्थना करते हैं। (मत्ती 6:9, 10) लेकिन परमेश्‍वर खुद इस सरकार को नहीं चलाएगा। उसने एक ऐसा राजा चुना है, जो एक वक्‍त पर धरती पर इंसान बनकर जीया था। परमेश्‍वर ने किसे अपने राज का राजा चुना है?

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